केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक वैधानिक निकाय है, जो देश में दत्तक ग्रहण से जुड़ी समस्त प्रक्रियाओं की निगरानी और नियमन करता है। CARA का प्रमुख उद्देश्य अनाथ, परित्यक्त एवं आत्मसमर्पित बच्चों का सुरक्षित, नैतिक और कानूनी रूप से दत्तक ग्रहण सुनिश्चित करना है। यह प्राधिकरण घरेलू (In-country) और अंतरराष्ट्रीय (Inter-country) दोनों प्रकार के दत्तक ग्रहण मामलों की निगरानी करता है तथा भारत के 2003 में Hague Convention को अनुमोदित करने के पश्चात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।
हाल ही में CARA ने जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम, 2015 (2021 संशोधित) और दत्तक ग्रहण विनियम, 2022 के अंतर्गत सभी राज्य एजेंसियों (SARAs) को साइकोसोशल सहयोग मजबूत करने, काउंसलरों की नियुक्ति तथा अन्य हस्तक्षेप सुनिश्चित करने संबंधी निर्देश जारी किए हैं। भारत में दत्तक ग्रहण हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (HAMA) और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अंतर्गत संचालित होता है। CARA ऑनलाइन पोर्टल ‘CARINGS’ के माध्यम से पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है और मान्यता प्राप्त एजेंसियों के माध्यम से ही दत्तक ग्रहण की अनुमति देता है। यह लेख CARA के प्रशासनिक ढांचे, दिशा-निर्देशों, दत्तक माता-पिता व बच्चों की पात्रता और नीति संबंधी महत्वपूर्ण पहलुओं को समग्र रूप से स्पष्ट करता है।
भूमिका और महत्व
केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक वैधानिक निकाय है। यह देश में दत्तक ग्रहण से संबंधित समस्त प्रक्रियाओं की निगरानी और नियमन के लिए उत्तरदायी है। CARA का मुख्य उद्देश्य अनाथ, परित्यक्त और आत्मसमर्पित बच्चों के सुरक्षित, नैतिक और कानूनी दत्तक ग्रहण को सुनिश्चित करना है। CARA न केवल घरेलू (In-country) दत्तक ग्रहण को नियंत्रित करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय (Inter-country) दत्तक ग्रहण के मामलों में भी केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
भारत ने वर्ष 2003 में Hague Convention on Inter-country Adoption, 1993 का अनुमोदन किया, जिसके तहत CARA को अंतरराष्ट्रीय दत्तक ग्रहण के मामलों में केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया। यह सुनिश्चित करता है कि दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी, न्यायसंगत और बाल अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने वाली हो।
हालिया घटनाक्रम
वर्ष 2025 में CARA ने सभी राज्य गोद लेना संसाधन एजेंसियों (State Adoption Resource Agencies – SARAs) को नए निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश जुवेनाइल जस्टिस (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (2021 में संशोधित) की धारा 70(1)(a) तथा गोद लेने के विनियम, 2022 के तहत प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत जारी किए गए हैं।
प्रमुख निर्देश:
- साइकोसोशल सहयोग को सुदृढ़ बनाना:
- गोद लेने वाले संभावित माता–पिता (Prospective Adoptive Parents – PAPs), दत्तक बच्चे तथा जैविक माता–पिता सभी के लिए साइकोसोशल सहायता प्रणाली को मजबूत करने का निर्देश दिया गया है। इससे उनके मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं को बेहतर तरीके से संबोधित किया जा सकेगा।
- काउंसलरों की नियुक्ति/पैनल में सम्मिलित करना:
- राज्य और जिला स्तर पर योग्य और प्रशिक्षित काउंसलरों को नामित करने या उनके पैनल का गठन करने का निर्देश SARAs को दिया गया है।
- अन्य परिस्थितियों में हस्तक्षेप:
- विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसियों (Specialised Adoption Agencies – SAAs) या जिला बाल संरक्षण इकाइयों (District Child Protection Units – DCPUs) के आकलन के आधार पर, आवश्यकता पड़ने पर अन्य परिस्थितियों में भी साइकोसोशल हस्तक्षेप सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
भारत में दत्तक ग्रहण की विधिक व्यवस्था
भारत में दत्तक ग्रहण मुख्य रूप से दो प्रमुख कानूनों द्वारा शासित है:
1. हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण–पोषण अधिनियम, 1956 (HAMA):
- लागू क्षेत्र: यह अधिनियम केवल हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मावलंबियों पर लागू होता है।
- न्यायालय की अनुमति: इस अधिनियम के तहत गोद लेने के लिए न्यायालय की अनुमति आवश्यक नहीं होती।
- व्यक्तिगत कानून: यह अधिनियम व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित होता है, किंतु इसके तहत कुछ विशिष्ट शर्तों का पालन अनिवार्य होता है।
2. किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (Juvenile Justice Act – JJ Act):
- लागू क्षेत्र: यह अधिनियम भारत के सभी नागरिकों पर धर्म, जाति या पंथ की परवाह किए बिना लागू होता है।
- प्रक्रिया: इस अधिनियम के तहत दत्तक ग्रहण केवल अदालत के आदेश से होता है।
- प्रशासन: इस अधिनियम के अंतर्गत दत्तक ग्रहण से संबंधित समस्त प्रक्रियाओं का संचालन CARA द्वारा किया जाता है।
CARA के अंतर्गत दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया
CARA के दिशा–निर्देशों के अनुसार दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी, सुरक्षित और कानूनी रूप से सुव्यवस्थित बनाया गया है। इसकी प्रक्रिया निम्नानुसार है:
1. बच्चों के लिए पात्रता:
- बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee – CWC) द्वारा कानूनी रूप से दत्तक ग्रहण के लिए मुक्त घोषित किया गया हो।
- बच्चे की आयु 18 वर्ष से कम होनी चाहिए।
- वे अनाथ, परित्यक्त या आत्मसमर्पित श्रेणी में आने वाले हों।
2. दत्तक माता–पिता के लिए पात्रता:
- कोई भी भारतीय नागरिक (NRI, OCI कार्डधारक सहित) दत्तक माता–पिता बनने का पात्र है।
- विवाहित जोड़े: कम से कम दो वर्षों का स्थिर विवाह संबंध आवश्यक है।
- अविवाहित, तलाकशुदा, विधवा या विधुर व्यक्ति भी पात्र हैं।
- दत्तक माता-पिता और बच्चे के बीच न्यूनतम 25 वर्ष का आयु अंतर अनिवार्य है।
3. मान्यता प्राप्त एजेंसियों की भूमिका:
CARA के दिशा–निर्देशों के अनुसार दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को केवल मान्यता प्राप्त एजेंसियों (Recognised Agencies) के माध्यम से ही संचालित किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों के अधिकारों का संरक्षण हो तथा समस्त प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।
CARA का संरचनात्मक एवं प्रशासनिक पक्ष
- CARA एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन की गई है।
- यह देशभर में Domestic और Inter-country Adoption का नियमन और निगरानी करता है।
- इसका कार्य Hague Convention के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय दत्तक ग्रहण में पारदर्शिता बनाए रखना और बच्चों के हितों की रक्षा करना भी है।
दत्तक ग्रहण को सरल, पारदर्शी और बालकेंद्रित बनाने हेतु उठाए गए कदम
CARA ने दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए विभिन्न डिजिटल और प्रशासनिक उपाय किए हैं, जिनमें:
- ऑनलाइन आवेदन और पंजीकरण प्रक्रिया का प्रावधान।
- ‘CARINGS’ (Child Adoption Resource Information & Guidance System) पोर्टल का संचालन, जिससे दत्तक ग्रहण की संपूर्ण प्रक्रिया डिजिटल रूप से ट्रैक की जा सकती है।
- समय–समय पर मान्यता प्राप्त एजेंसियों का निरीक्षण एवं मूल्यांकन।
- सभी संबंधित पक्षों को परामर्श और सहायता प्रदान करने हेतु हेल्पडेस्क एवं काउंसलर की नियुक्ति।
निष्कर्ष
भारत में अनाथ और परित्यक्त बच्चों के जीवन में नई आशा जगाने में केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। साइकोसोशल सहायता, पारदर्शी प्रक्रियाओं और अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के साथ–साथ CARA देश के बच्चों को एक सुरक्षित और बेहतर भविष्य प्रदान करने के लिए सतत प्रयासरत है।
इसके द्वारा समय–समय पर SARAs और अन्य संबंधित एजेंसियों को निर्देश जारी कर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि दत्तक ग्रहण केवल कानूनी ही नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक दृष्टि से भी सुगम एवं बालकेंद्रित बने। वैश्विक स्तर पर भी भारत ने Hague Convention के अनुपालन द्वारा अंतरराष्ट्रीय दत्तक ग्रहण में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।
CARA द्वारा किए जा रहे प्रयास निश्चित रूप से लाखों बच्चों को एक नया जीवन, एक नया परिवार और एक बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में सार्थक पहल हैं।
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