ब्रिटेन में किंग चार्ल्स से मिले PM मोदी: ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत भेंट किया खास पौधा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूनाइटेड किंगडम की आधिकारिक यात्रा ने एक ऐतिहासिक आयाम उस समय प्राप्त किया जब उन्होंने सैंड्रिंघम हाउस में ब्रिटेन के राजा किंग चार्ल्स तृतीय से भेंट की। इस सौहार्द्रपूर्ण मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने किंग चार्ल्स को एक विशेष वृक्ष ‘डेविडिया इनवोलुक्रेटा ‘सोनोमा’’ उपहारस्वरूप भेंट किया, जो पर्यावरणीय प्रतीकवाद से परिपूर्ण था। यह उपहार मोदी सरकार की एक अनोखी हरित पहल “एक पेड़ मां के नाम” के अंतर्गत दिया गया। यह एक ऐसा अभियान है जो माताओं के सम्मान में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करता है और देश के नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति भावनात्मक जुड़ाव के लिए प्रेरित करता है।

‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान: विचारधारा और पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किया गया ‘एक पेड़ मां के नाम’ (A Tree for Mother) अभियान केवल एक वृक्षारोपण कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों के सुंदर समागम का उदाहरण है। इस पहल का मूल उद्देश्य नागरिकों को प्रेरित करना है कि वे अपनी माताओं की स्मृति या सम्मान में एक पौधा लगाएं। भारत की भूमि जहां मातृभक्ति गहराई से सांस्कृतिक चेतना में रची-बसी है, वहां इस पहल ने भावनात्मक और सामाजिक जुड़ाव को पर्यावरणीय कर्तव्य में बदल दिया है।

अभियान के प्रमुख उद्देश्य:

  1. वृक्षारोपण को व्यक्तिगत एवं भावनात्मक विषय बनाना।
  2. हरित जीवनशैली को अपनाने हेतु जन जागरूकता फैलाना।
  3. मातृत्व की भावना को प्रकृति संरक्षण से जोड़ना।
  4. भारत के जलवायु लक्ष्यों को समुदाय आधारित समर्थन देना।
  5. स्थानीय से वैश्विक स्तर तक हरित कूटनीति को सशक्त करना।

ब्रिटेन में भेंट की गई हरित सौगात: सांस्कृतिक प्रतीकवाद से परिपूर्ण

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किंग चार्ल्स तृतीय को जो पौधा भेंट किया गया, वह डेविडिया इनवोलुक्रेटा ‘सोनोमा’ (Davidia involucrata ‘Sonoma’) प्रजाति का है। यह वृक्ष आम भाषा में ‘सोनोमा डव ट्री’ या ‘हैंडकी ट्री’ (रूमाल वृक्ष) के नाम से जाना जाता है।

इस वृक्ष की विशेषताएं:

  • इसकी सफेद ब्रैक्ट्स (कांपने वाली पत्तियां) ऐसे प्रतीत होती हैं जैसे पेड़ पर सफेद रूमाल लटके हों या उड़ते हुए कबूतर बैठे हों।
  • यह सजावटी पेड़ 2–3 वर्षों में फूल देने लगता है, जिससे यह शीघ्र प्रभावशाली बनता है।
  • इसे शरद ऋतु में सैंडरिंघम एस्टेट में रोपा जाएगा, जहां यह भारतीय और ब्रिटिश संबंधों का एक स्थायी प्रतीक बन जाएगा।

किंग चार्ल्स तृतीय और पर्यावरणीय रुचि

किंग चार्ल्स तृतीय स्वयं एक प्रखर पर्यावरण संरक्षक रहे हैं। वे दशकों से जैविक खेती, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जागरूकता और प्रकृति संरक्षण जैसे विषयों पर अपने विचारों को न केवल व्यक्त करते आए हैं बल्कि व्यवहार में भी उतारते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया यह पौधा उनकी भावनात्मक प्राथमिकताओं और भारत की हरित पहल दोनों को जोड़ने वाला पुल साबित हुआ है। यह उपहार केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि दो देशों के साझा मूल्यों, चिंताओं और लक्ष्य की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है।

भारत की ग्रीन डिप्लोमेसी का प्रतीक

इस प्रकार का उपहार अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में ‘ग्रीन डिप्लोमेसी’ (Green Diplomacy) के तहत आता है, जिसमें पर्यावरण को केंद्र में रखकर द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दी जाती है।

भारत की ग्रीन डिप्लोमेसी के प्रमुख पहलू:

  • जलवायु परिवर्तन पर प्रतिबद्धता: भारत ने पेरिस जलवायु समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने Nationally Determined Contributions (NDCs) के तहत 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA): भारत द्वारा आरंभ की गई यह पहल विकासशील देशों को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग करती है।
  • Lifestyle for Environment (LiFE): यह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वैश्विक मंच पर प्रस्तावित जीवनशैली आधारित आंदोलन है।

भारत-ब्रिटेन संबंधों में हरित आयाम

हालिया भेंट और पौधा समर्पण ने भारत-ब्रिटेन संबंधों को न केवल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध किया, बल्कि निम्नलिखित क्षेत्रों में मजबूत आधार भी प्रदान किया:

1. मुक्त व्यापार समझौता (CETA):

भारत और यूके के बीच CETA (Comprehensive Economic and Trade Agreement) को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। दोनों देशों की सरकारें पर्यावरणीय एवं सतत व्यापार को समझौते का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहती हैं।

2. योग और आयुर्वेद सहयोग:

ब्रिटेन में योग की लोकप्रियता को देखते हुए आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ रहा है, जो सतत स्वास्थ्य और प्रकृति आधारित जीवनशैली को प्रोत्साहित करता है।

3. खेल और युवा कूटनीति:

दोनों देश युवा जागरूकता और संस्कृति-आधारित खेल आयोजनों के माध्यम से टिकाऊ विकास और पर्यावरणीय चेतना को बढ़ावा दे रहे हैं।

वैश्विक मंच पर भारत की सॉफ्ट पावर का विस्तार

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पेड़ भेंट करना एक साधारण कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर (Soft Power) की शक्ति का वैश्विक प्रदर्शन भी था।

सॉफ्ट पावर के माध्यम:

  • संस्कृति: योग, आयुर्वेद, शाकाहारी जीवनशैली।
  • भाषा और साहित्य: हिंदी और संस्कृत की वैश्विक स्वीकार्यता।
  • पर्यावरण: ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसी भावनात्मक पहलें।

वैश्विक जलवायु नेतृत्व की ओर भारत

भारत एक उभरती हुई जलवायु शक्ति के रूप में वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति सुदृढ़ कर रहा है। इस पहल ने यह स्पष्ट किया कि भारत जलवायु न्याय, सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण में न केवल योगदान देना चाहता है, बल्कि नेतृत्व भी करना चाहता है।

अन्य प्रमुख उदाहरण:

  • मिशन LiFE की वैश्विक स्वीकृति।
  • स्वच्छ भारत और प्लास्टिक मुक्त भारत जैसे अभियानों का अंतरराष्ट्रीय सराहना प्राप्त करना।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम में भारत की सक्रिय भागीदारी।

निष्कर्ष: एक पौधा, एक संदेश, एक भविष्य

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किंग चार्ल्स तृतीय को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत भेंट किया गया पौधा केवल एक वनस्पति उपहार नहीं है, बल्कि यह तीन प्रमुख प्रतीकों को दर्शाता है:

  1. प्रकृति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता।
  2. मातृत्व के प्रति भारतीय समाज का सम्मान।
  3. विश्व स्तर पर सस्टेनेबिलिटी नेतृत्व की आकांक्षा।

यह पहल न केवल भारत–ब्रिटेन के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का माध्यम बनी, बल्कि उसने समस्त वैश्विक नेताओं के समक्ष यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि व्यक्तिगत भावनाओं और राष्ट्रीय कर्तव्यों को कैसे एक हरित धागे में पिरोया जा सकता है।


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