हिंदी डायरी साहित्य और लेखक

साहित्य की विभिन्न विधाओं में डायरी लेखन एक अत्यंत व्यक्तिगत और आत्ममंथन-प्रधान विधा मानी जाती है। यह लेखक के मन, अनुभव, संवेदना और दैनिक जीवन की घटनाओं का प्रत्यक्ष प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है। डायरी केवल तिथिवार घटनाओं का लेखा-जोखा भर नहीं होती, बल्कि यह जीवन के सूक्ष्म क्षणों, भावनात्मक उतार-चढ़ाव और विचारों की अंतर्यात्रा को शब्दों में पिरोती है।
अंग्रेजी का ‘Diary’ शब्द लैटिन भाषा के Diās (अर्थ: दिवस) से उत्पन्न हुआ, जिसका संस्कृत समानार्थक शब्द ‘दिवस’ है। हिंदी में इसे दैनंदिनी, दिनचर्या, रोजनामचा या दैनिकी भी कहा जाता है।

डायरी: परिभाषा और स्वरूप

डायरी वह लिखित अभिलेख है जिसमें कोई व्यक्ति नित्य प्रति अपने अनुभव, विचार और घटनाएँ तिथि के क्रम में दर्ज करता है।

  • यह आत्मगत (Subjective) विधा है, वस्तुगत (Objective) नहीं, क्योंकि इसमें लेखक का दृष्टिकोण, संवेदना और व्यक्तिगत अनुभव केंद्र में होते हैं।
  • डायरी लेखन में शैली की कोई कठोर सीमा नहीं होती — यह उतनी ही प्रवाहमान है जितना लेखक का मन।

विशेषताएँ:

  1. तिथिवार प्रविष्टि
  2. व्यक्तिगत अनुभव और भावनात्मक स्वर
  3. सहज, अनौपचारिक भाषा
  4. आत्मकथात्मक तत्व
  5. तत्कालिकता और ईमानदारी

हिंदी साहित्य में डायरी विधा का विकास

हिंदी में डायरी लेखन का विकास आधुनिक गद्य-विधाओं के साथ हुआ। इसे एक स्वतंत्र साहित्यिक विधा के रूप में मान्यता 20वीं शताब्दी के मध्य में मिली।
हिंदी की प्रथम प्रकाशित डायरी श्रीराम शर्मा की “सेवाग्राम की डायरी” (1946) मानी जाती है। यद्यपि इससे पहले भी निजी स्तर पर डायरी लेखन होता रहा, परंतु वे प्रकाशन में नहीं आईं।

विकास क्रम के चरण:

  • प्रारंभिक दौर (1940-1960): इस समय डायरी लेखन मुख्यतः सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं, साहित्यकारों और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े लोगों के बीच लोकप्रिय हुआ।
  • परिपक्व दौर (1960-1980): इस चरण में साहित्यिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध डायरियों का प्रकाशन हुआ।
  • आधुनिक दौर (1980 के बाद): डायरी लेखन में विषय-विविधता आई — यात्रा-वृत्तांत, जेल अनुभव, आत्म-विश्लेषण, और यहाँ तक कि काल्पनिक डायरी उपन्यास भी लिखे गए।

हिंदी डायरी साहित्य की प्रमुख कृतियाँ

नीचे हिंदी में प्रकाशित प्रमुख डायरियों की सूची दी गई है, जो उनके प्रकाशन वर्ष के साथ क्रमबद्ध है:

क्रमलेखकडायरी का नामप्रकाशन वर्ष
1घनश्यामदास बिड़लाडायरी के पन्ने1940
2सुन्दरलाल त्रिपाठीदैनन्दिनी1945
3श्रीराम शर्मासेवाग्राम की डायरी1946
4सियारामशरण गुप्तदैनिकी1947
5धीरेन्द्र वर्मामेरी कालिज डायरी1954
6उपेन्द्रनाथ अश्कज़्यादा अपनी कम पराई1959
7अज्ञेयबर्लिन की डायरी (एक बूंद सहसा उछली में संकलित)1960
8प्रभाकर माचवेपश्चिम में बैठकर पूर्व की डायरी1964
9मुक्तिबोधएक साहित्यिक की डायरी1965
10जमनालाल बजाजजमनालाल बजाज की डायरी1966
11हरिवंशराय बच्चनप्रवासी की डायरी1971
12सीताराम सेक्सरियाएक कार्यकर्ता की डायरी (भाग 1 & 2)1972
13त्रिलोचन शास्त्रीरोज़नामचा1972
14रामधारी सिंह दिनकरदिनकर की डायरी1973
15रघुवीर सहायदिल्ली मेरा परदेश1976
16राजेन्द्र अवस्थीसैलानी की डायरी1976
17शान्ता कुमारएक मुख्यमंत्री की डायरी1977
18जयप्रकाश नारायणमेरी जेल डायरी1977
19चन्द्रशेखरमेरी जेल डायरी1977
20श्रीकान्त वर्माश्रीकान्त वर्मा की डायरी1977
21रवीन्द्र कालियास्मृतियों की जन्मपत्री1979
22प्रणव कुमार बंधोपाध्यायप्रणव कुमार बंधोपाध्याय की डायरी1979
23रामविलास शर्मापंचरत्न1980
24श्री रामेश्वरम टांटियाक्या खोया क्या पाया1981
25फणीश्वरनाथ रेणुबनतुलसी की गंध1984
26मोहन राकेशमोहन राकेश की डायरी1985
27कमलेश्वरदेश-देशान्तर1992
28मलयजमलयज की डायरी (3 खंड)2000
29बिशन टंडनआपातकाल की डायरी (भाग 1 & 2)2002, 2005
30नरेन्द्र मोहनसाथ-साथ मेरा साया2003
31तेजिन्दरडायरी सागा सागा2004
32कृष्ण बलदेव वैद्यख्वाब है दीवाने का2005
33विवेकीरायमनबोध मास्टर की डायरी2006
34रामदरश मिश्रआते-जाते दिन
आसपास
2008
2010
35रमेशचंद्र शाहअकेला मेला,
इसी खिड़की से,
आज और अभी
2009
2011
2013
36नरेन्द्र मोहनसाये से डायरी,
फ्रेम से बाहर आती तस्वीरें
2010
2010
37रमेशचंद्र शाहइसी खिड़की से,
आज और अभी
2011
2013
38जाबिर हुसैनजिन्दा होने का सबूत2013
39प्रभाष जोशीकहने को बहुत कुछ था2014
40जाबिर हुसैनये शहर लगै मोहे बन2015
41द्रोणवीर कोहलीमनाली में गंगा उर्फ़ रोज़नामचा2016
42चन्द्रकलाइस उस मोड़ पर2016
43रमाकान्त शर्मासाहित्यकार की स्विस डायरी2016
44ओम नागरनिब के चीरे से2016
45कृष्णा अग्निहोत्रीअफ़साने अपने कहानी अपनी2017
46जयप्रकाश मानसपढ़ते-पढ़ते लिखते-लिखते2017
47जितेन्द्र कुमार सोनीयादावरी2017
48कुमार अंबुजबलचर: कुछ इंदराज़, कुछ टिप्पणियां2017
49गरिमा श्रीवास्तवदेह ही मेरा देश2018
50पुष्पिता अवस्थीनीदरलैंड-डायरी2018

डायरी शैली में लिखे गए उपन्यास

डायरी विधा की लचीली संरचना ने हिंदी उपन्यासकारों को भी आकर्षित किया। कई उपन्यासों में इसे कथा-शैली के रूप में अपनाया गया, जिससे रचना में आत्मीयता और प्रत्यक्षता आई।

प्रमुख उदाहरण:

  1. अज्ञेयनदी के द्वीप (1951), अपने-अपने अजनबी (1961)
  2. जैनेन्द्र कुमारजयवर्द्धन (1958)
  3. राजेन्द्र यादवशह और मात (1959)
  4. देवराजअजय की डायरी (1960)
  5. श्रीलाल शुक्लमकान (1976)

साहित्यिक महत्व

हिंदी डायरी साहित्य केवल लेखक के निजी अनुभवों का भंडार नहीं, बल्कि यह उस समय के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवेश का भी साक्ष्य है।

  • ऐतिहासिक दृष्टि से: यह तत्कालीन युग की मानसिकता, घटनाओं और मूल्यबोध को संरक्षित करता है।
  • साहित्यिक दृष्टि से: इसमें भाषा की सहजता, व्यक्तिगत स्वर और भावनात्मक गहराई पाठकों को प्रभावित करती है।
  • मनोवैज्ञानिक दृष्टि से: डायरी लेखन लेखक के आत्म-विश्लेषण और आत्म-चिंतन का माध्यम बनता है।

समकालीन परिदृश्य और डिजिटल डायरी

आज के युग में डायरी लेखन का स्वरूप बदल रहा है। कागज-कलम से लिखी डायरी की जगह ब्लॉग, ई-डायरी, और सोशल मीडिया जर्नल ने ले ली है। फिर भी, निजीपन और आत्मीयता के कारण पारंपरिक डायरी लेखन का आकर्षण बना हुआ है।

निष्कर्ष

हिंदी डायरी साहित्य एक ऐसी विधा है जिसमें लेखक के मन का सबसे सच्चा, बिन सजाया हुआ रूप मिलता है। यह व्यक्तिगत होते हुए भी सामूहिक अनुभव का हिस्सा बन जाती है, क्योंकि पाठक इसमें अपने जीवन की प्रतिध्वनि महसूस करता है।
श्रीराम शर्मा की सेवाग्राम की डायरी से प्रारंभ हुई यह यात्रा आज भी निरंतर जारी है, और हर पीढ़ी अपने समय की संवेदनाओं को डायरी के पन्नों पर अंकित करती रहती है।


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