सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण: रहस्य, विज्ञान, मान्यताएँ और आगामी ग्रहण

आकाश हमें अपनी अद्भुत और विचित्र घटनाओं से समय-समय पर चकित करता है। कभी टूटते तारे, कभी ध्रुवीय ज्योति (Aurora), तो कभी ग्रहण—ये सभी घटनाएँ मानव सभ्यता के लिए हमेशा से कौतूहल का विषय रही हैं। इनमें भी सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) और चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) सबसे रोचक माने जाते हैं।

दोनों ही घटनाएँ तब घटित होती हैं जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक विशेष सीध में आ जाते हैं। यद्यपि इनमें शामिल खगोलीय पिंड एक ही हैं, लेकिन दोनों का स्वरूप, अवधि और अनुभव बिल्कुल अलग होता है।

आइए विस्तार से जानते हैं कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है, इनके प्रकार कौन-कौन से हैं, इनका वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है, तथा इतिहास और आधुनिक समय में इनका क्या प्रभाव रहा है।

Table of Contents

सूर्य ग्रहण क्या है?

सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है और सूर्य की किरणें पृथ्वी तक पहुँचने से आंशिक या पूर्ण रूप से रुक जाती हैं। इस दौरान पृथ्वी के जिस हिस्से पर चंद्रमा की छाया पड़ती है, वहाँ के लोग सूर्य ग्रहण को देख पाते हैं।

सूर्य ग्रहण के प्रकार

  1. पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse)
    जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है और कुछ समय के लिए दिन में अंधेरा छा जाता है।
  2. आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse)
    जब सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ही चंद्रमा द्वारा ढका जाता है।
  3. कंकणाकृति (वलयाकार) सूर्य ग्रहण (Annular Eclipse)
    जब चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढक लेता है लेकिन उसकी पूरी सतह नहीं ढक पाता, जिससे सूर्य चारों ओर चमकदार अंगूठी (Ring of Fire) जैसा दिखाई देता है।

सूर्य ग्रहण की अवधि और दृश्यता

  • सूर्य ग्रहण केवल कुछ मिनटों तक रहता है।
  • इसे केवल पृथ्वी के कुछ विशेष क्षेत्रों से ही देखा जा सकता है।
  • सूर्य की तेज रोशनी के कारण इसे विशेष सोलर चश्मे या वैज्ञानिक उपकरणों से ही देखना सुरक्षित होता है।

चंद्र ग्रहण क्या है?

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस स्थिति में सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाती।

चंद्र ग्रहण के प्रकार

  1. पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse)
    जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की गहरी छाया (Umbra) में आ जाता है। इस दौरान चंद्रमा लालिमा लिए दिखाई देता है, जिसे “रक्त चंद्र (Blood Moon)” कहा जाता है।
  2. आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse)
    जब केवल चंद्रमा का कुछ हिस्सा ही पृथ्वी की छाया में आता है।
  3. उपछाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)
    जब चंद्रमा पर हल्की छाया पड़ती है और वह थोड़ा धुंधला दिखाई देता है।

चंद्र ग्रहण की अवधि और दृश्यता

  • यह कई बार कई घंटों तक चलता है।
  • इसे पृथ्वी के उन सभी हिस्सों से देखा जा सकता है जहाँ उस समय रात होती है।
  • इसे नंगी आँखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है।

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में मुख्य अंतर

अंतर का आधारसूर्य ग्रहणचंद्र ग्रहण
कारणचंद्रमा सूर्य की रोशनी को रोकता हैपृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुँचने से रोकती है
कहाँ दिखाई देता है?केवल पृथ्वी के कुछ विशेष हिस्सों मेंजहाँ भी रात होती है वहाँ से
प्रकारपूर्ण, आंशिक, कंकणाकृति (वलयाकार)पूर्ण, आंशिक, उपछाया (पेनुम्ब्रल)
अवधिकेवल कुछ मिनटकई घंटे तक
सुरक्षाविशेष चश्मे से ही देखा जा सकता हैनंगी आँखों से सुरक्षित रूप से देखा जा सकता है
प्रभावदिन में अंधकार, तापमान में गिरावटचंद्रमा का रंग बदलता है, लालिमा लिए दिखाई देता है

ग्रहण और विज्ञान

ग्रहण केवल रहस्यमयी दृश्य ही नहीं हैं, बल्कि खगोल विज्ञान में उनका विशेष महत्व है।

  • सूर्य ग्रहण के दौरान वैज्ञानिक सूर्य के बाहरी वायुमंडल (Corona) का अध्ययन करते हैं, जो सामान्य दिनों में दिखाई नहीं देता।
  • चंद्र ग्रहण के समय पृथ्वी के वायुमंडल की संरचना को समझने में मदद मिलती है, क्योंकि चंद्रमा पर पड़ने वाली लाल रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर आती है।
  • आधुनिक समय में ग्रहणों का इस्तेमाल उपग्रहों और अंतरिक्ष मिशनों की सटीकता की जाँच के लिए भी किया जाता है।

ग्रहण और पौराणिक कथाएँ

भारतीय संस्कृति और पौराणिक मान्यताओं में ग्रहण का विशेष स्थान है।

  • सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को अक्सर राहु-केतु की कथा से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान राहु ने अमृत पी लिया था और विष्णु ने उसका सिर काट दिया। तभी से राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा को निगलते हैं, जिससे ग्रहण लगता है।
  • कई संस्कृतियों में ग्रहण को शुभ-अशुभ संकेतों से जोड़ा गया है। कहीं इसे युद्ध या आपदा का संकेत माना गया, तो कहीं इसे नए आरंभ का प्रतीक समझा गया।

ग्रहण और मानव जीवन पर प्रभाव

  1. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से
    ग्रहण का सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर नहीं पड़ता। हालाँकि, सूर्य ग्रहण को बिना सुरक्षा उपकरणों के देखने से आँखों को गंभीर क्षति हो सकती है।
  2. सांस्कृतिक दृष्टिकोण से
    भारत सहित कई देशों में ग्रहण के समय खाना पकाने और खाने से बचने की परंपरा रही है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियाँ बरतने की सलाह दी जाती है।
  3. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से
    ग्रहण को ग्रहों के प्रभाव और राशियों से जोड़ा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह व्यक्ति और राष्ट्र दोनों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।

ग्रहण और इतिहास

ग्रहण का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों, शिलालेखों और साम्राज्यों की कथाओं में मिलता है।

  • मेसोपोटामिया और चीन की सभ्यताओं में ग्रहण का विस्तृत वर्णन मिलता है।
  • भारत में ऋग्वेद और महाभारत में भी सूर्य-चंद्र ग्रहण का उल्लेख है।
  • 29 मई 1919 के सूर्य ग्रहण ने वैज्ञानिक जगत में क्रांति ला दी थी। इसी के दौरान आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत (Theory of Relativity) की पुष्टि हुई।

आधुनिक युग में ग्रहण

आज ग्रहण को केवल धार्मिक या पौराणिक घटना नहीं माना जाता, बल्कि यह विज्ञान और खगोलशास्त्र के लिए प्रयोगशाला जैसा अवसर है।

  • दुनियाभर में खगोलविद और वैज्ञानिक ग्रहण का अध्ययन करते हैं।
  • पर्यटन उद्योग के लिए भी ग्रहण विशेष महत्व रखता है—जहाँ-जहाँ पूर्ण ग्रहण दिखाई देता है, वहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक पहुँचते हैं।
  • आधुनिक तकनीक से हम आज पहले ही ग्रहण की सटीक तिथि और समय बता सकते हैं।

सूर्य और चंद्र ग्रहण से जुड़ी सावधानियाँ

सूर्य ग्रहण

  • बिना विशेष सोलर चश्मे या उपकरणों के कभी भी सूर्य ग्रहण को न देखें।
  • कैमरा, दूरबीन या मोबाइल से भी बिना फिल्टर ग्रहण देखना खतरनाक है।

चंद्र ग्रहण

  • इसे नंगी आँखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान वैज्ञानिक और शौकिया खगोल प्रेमी दूरबीन और कैमरे से अद्भुत दृश्य कैद कर सकते हैं।

आगामी ग्रहण (2025–2035)

ग्रहण खगोल विज्ञान के सबसे आकर्षक और व्यापक रूप से देखे जाने वाले प्राकृतिक घटनाक्रमों में से हैं। आने वाले वर्षों (2025–2035) में कई महत्वपूर्ण सूर्य और चंद्र ग्रहण होने जा रहे हैं। इनमें से कुछ वैश्विक दृष्टि से अत्यंत विशेष हैं, जबकि कुछ भारत से भी स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे।

2025–2030 के प्रमुख ग्रहण

7–8 सितंबर 2025 – पूर्ण चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: एशिया, भारत, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका
  • कुल अवधि: लगभग 5 घंटे 27 मिनट
  • पूर्णता: 82 मिनट (इस दशक का सबसे लंबा ग्रहण)
  • भारत से स्पष्ट रूप से दिखाई देगा

21 सितंबर 2025 – आंशिक सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: दक्षिण ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत और अटलांटिक क्षेत्र
  • भारत से दिखाई नहीं देगा

17 फरवरी 2026 – वलयाकार सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: अंटार्कटिका (पूर्ण); आंशिक रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, हिंद महासागर

2–3 मार्च 2026 – पूर्ण चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका

12 अगस्त 2026 – पूर्ण सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: ग्रीनलैंड, आइसलैंड, स्पेन, रूस
  • विशेषता: 27 वर्षों में यूरोप का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण; Perseid उल्का वर्षा के साथ दिखाई देगा

27–28 अगस्त 2026 – आंशिक चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: यूरोप, पश्चिम एशिया, अफ्रीका, अमेरिका

20–21 फरवरी 2027 – उपछाया चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका

18–19 जुलाई 2027 – आंशिक/असामान्य चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: सीमित

16–17 अगस्त 2027 – उपछाया चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: अमेरिका, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया

2 अगस्त 2027 – पूर्ण सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: मिस्र (लक्सर), स्पेन, मोरक्को, सऊदी अरब
  • अवधि: लगभग 6 मिनट 23 सेकंड (21वीं सदी का सबसे लंबा पूर्ण ग्रहण)
  • भारत से दिखाई नहीं देगा

11–12 जनवरी 2028 – आंशिक चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: व्यापक क्षेत्र

6–7 जुलाई 2028 – आंशिक चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया

22 जुलाई 2028 – पूर्ण सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: दक्षिण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागर

31 दिसंबर 2028 – 1 जनवरी 2029 – पूर्ण चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अमेरिका

14 जनवरी 2029 – आंशिक सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: उत्तरी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक

25–26 जून 2029 – पूर्ण चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: यूरोप, पश्चिम एशिया, अफ्रीका, अमेरिका

20–21 दिसंबर 2029 – पूर्ण चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: यूरोप, एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया

2030–2035 के प्रमुख ग्रहण

1 जून 2030 – वलयाकार सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, प्रशांत

15–16 जून 2030 – आंशिक चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: यूरेशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका

25 नवम्बर 2030 – पूर्ण सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: दक्षिण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व अफ्रीका, हिंद महासागर

9–10 दिसंबर 2030 – उपछाया चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: यूरोप, एशिया, अमेरिका

21 मई 2031 – वलयाकार सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: एशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व अफ्रीका
  • भारत से दिखाई देने की संभावना

14 नवम्बर 2031 – पूर्ण सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: उत्तरी अमेरिका, उत्तर-पश्चिम दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक

25–26 अप्रैल 2032 – पूर्ण चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: दक्षिण-पूर्व यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका

9 मई 2032 – वलयाकार सूर्य ग्रहण

  • दृश्यता: दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका का दक्षिण-पूर्व भाग, अंटार्कटिका

18–19 अक्टूबर 2032 – पूर्ण चंद्र ग्रहण

  • दृश्यता: यूरोप, एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया

आगामी ग्रहणों की सूची (टेबल) (2025–2035)

तिथिग्रहण का प्रकारवैश्विक दृश्यताभारत से दृश्यता
7–8 सितम्बर 2025पूर्ण चंद्र ग्रहणएशिया, भारत, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीकाहाँ
21 सितम्बर 2025आंशिक सूर्य ग्रहणदक्षिण ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत, अटलांटिकनहीं
17 फरवरी 2026वलयाकार सूर्य ग्रहणअंटार्कटिका (पूर्ण), आंशिक: अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, हिंद महासागरनहीं
2–3 मार्च 2026पूर्ण चंद्र ग्रहणपूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिकाआंशिक रूप से
12 अगस्त 2026पूर्ण सूर्य ग्रहणग्रीनलैंड, आइसलैंड, स्पेन, रूस, आंशिक: यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिकानहीं
27–28 अगस्त 2026आंशिक चंद्र ग्रहणयूरोप, पश्चिम एशिया, अफ्रीका, अमेरिकाआंशिक
20–21 फरवरी 2027उपछाया चंद्र ग्रहणयूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिकाहाँ
18–19 जुलाई 2027आंशिक/असामान्य चंद्र ग्रहणसीमित दृश्यतानहीं/कमज़ोर
16–17 अगस्त 2027उपछाया चंद्र ग्रहणअमेरिका, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलियाहाँ
2 अगस्त 2027पूर्ण सूर्य ग्रहणमिस्र, स्पेन, मोरक्को, सऊदी अरब (6मि 23से)नहीं
11–12 जनवरी 2028आंशिक चंद्र ग्रहणव्यापक क्षेत्रहाँ
6–7 जुलाई 2028आंशिक चंद्र ग्रहणयूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलियाहाँ
22 जुलाई 2028पूर्ण सूर्य ग्रहणदक्षिण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागरआंशिक
31 दिस.–1 जन. 2029पूर्ण चंद्र ग्रहणएशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अमेरिकाहाँ
14 जनवरी 2029आंशिक सूर्य ग्रहणउत्तरी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिकनहीं
12 जून 2029आंशिक सूर्य ग्रहणयूरोप, उत्तर एशिया, उत्तरी अमेरिका (उत्तर-पश्चिम), आर्कटिकनहीं
25–26 जून 2029पूर्ण चंद्र ग्रहणयूरोप, पश्चिम एशिया, अफ्रीका, अमेरिकाहाँ
11 जुलाई 2029आंशिक सूर्य ग्रहणदक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिकनहीं
5 दिसम्बर 2029आंशिक सूर्य ग्रहणदक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, प्रशांत, हिंद महासागरनहीं
20–21 दिसम्बर 2029पूर्ण चंद्र ग्रहणयूरोप, एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलियाहाँ
1 जून 2030वलयाकार सूर्य ग्रहणयूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तर अमेरिका, प्रशांत, आर्कटिकआंशिक
15–16 जून 2030आंशिक चंद्र ग्रहणयूरेशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिकाहाँ
25 नवम्बर 2030पूर्ण सूर्य ग्रहणदक्षिण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व अफ्रीका, हिंद महासागरआंशिक
9–10 दिसम्बर 2030उपछाया चंद्र ग्रहणयूरोप, एशिया, अमेरिकाहाँ
6–7 मई 2031उपछाया चंद्र ग्रहणयूरोप, एशिया, अमेरिकाहाँ
21 मई 2031वलयाकार सूर्य ग्रहणएशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व अफ्रीकाहाँ (वलयाकार/आंशिक)
5 जून 2031उपछाया चंद्र ग्रहणव्यापक क्षेत्रहाँ
29–30 अक्टूबर 2031उपछाया चंद्र ग्रहणयूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिकाहाँ
14 नवम्बर 2031पूर्ण सूर्य ग्रहणउत्तरी अमेरिका, उत्तर-पश्चिम दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिकनहीं
25–26 अप्रैल 2032पूर्ण चंद्र ग्रहणदक्षिण-पूर्व यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिकाहाँ
9 मई 2032वलयाकार सूर्य ग्रहणदक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका (दक्षिण-पूर्व), हिंद महासागर, अंटार्कटिकानहीं
18–19 अक्टूबर 2032पूर्ण चंद्र ग्रहणयूरोप, एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलियाहाँ

भारत से ग्रहण दृश्यता पर विशेष दृष्टि

  • 7–8 सितंबर 2025 – पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत से स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
  • 2 अगस्त 2027 – पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत से दिखाई नहीं देगा।
  • 21 मई 2031 – वलयाकार सूर्य ग्रहण भारत से आंशिक रूप में देखा जा सकेगा।
  • 20 मार्च 2034 – भारत से एक बड़ा और स्पष्ट पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

सारांश तालिका (भारत पर फोकस) | भारत से दिखने वाले ग्रहण

तिथिग्रहण का प्रकारवैश्विक दृश्यताभारत से दृश्यता
7–8 सितम्बर 2025पूर्ण चंद्र ग्रहणएशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया आदिहाँ
21 सितम्बर 2025आंशिक सूर्य ग्रहणदक्षिण ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत आदिनहीं
2 अगस्त 2027पूर्ण सूर्य ग्रहणमिस्र, स्पेन, मोरक्को, सऊदी अरबनहीं
21 मई 2031वलयाकार सूर्य ग्रहणएशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलियाहाँ (आंशिक/वलयाकार)
20 मार्च 2034पूर्ण सूर्य ग्रहणएशिया, अफ्रीकाहाँ

उल्लेखनीय विशेष घटनाएँ

  • 2 अगस्त 2027 का पूर्ण सूर्य ग्रहण 21वीं सदी का सबसे लंबा ग्रहण होगा (6 मिनट 23 सेकंड)।
  • 12 अगस्त 2026 का पूर्ण सूर्य ग्रहण यूरोप में 27 वर्षों के बाद होगा और Perseid उल्का वर्षा के साथ दिखाई देगा।
  • 7–8 सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत सहित एशिया से साफ़ दिखाई देगा और इसकी पूर्णता अवधि 82 मिनट की होगी।
  • स्रोत:
  • Time and Date
  • NASA Science

निष्कर्ष

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों ही ब्रह्मांड की अद्भुत घटनाएँ हैं, जो हमें न केवल आकर्षित करती हैं बल्कि प्रकृति और विज्ञान के गहरे रहस्यों को समझने का अवसर भी देती हैं

जहाँ सूर्य ग्रहण कुछ ही मिनटों तक पृथ्वी के एक छोटे हिस्से में दिखाई देता है, वहीं चंद्र ग्रहण कई घंटों तक और दुनिया के बड़े हिस्से से देखा जा सकता है।

इतिहास, विज्ञान, संस्कृति और आध्यात्मिक मान्यताओं में ग्रहण का अपना-अपना महत्व रहा है। आज के वैज्ञानिक युग में यह रहस्य और डर का नहीं बल्कि ज्ञान और अनुसंधान का प्रतीक है।


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