भारत की 7 नई धरोहरें यूनेस्को की विश्व धरोहर अस्थायी सूची में शामिल

भारत प्राचीन सभ्यता, विविध संस्कृति और प्राकृतिक संपदाओं का अनूठा संगम है। यहाँ के मंदिर, दुर्ग, स्मारक, पर्वत, गुफाएँ और प्राकृतिक स्थल न केवल भारत की ऐतिहासिक विरासत को दर्शाते हैं, बल्कि मानव सभ्यता और पृथ्वी के विकास क्रम की अमूल्य गवाही भी देते हैं। यही कारण है कि भारत पहले से ही यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर सूची (World Heritage List) में शामिल 42 धरोहरों के साथ विश्व के शीर्ष देशों में गिना जाता है।

हाल ही में भारत की 7 नई धरोहरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सम्मेलन की अस्थायी सूची (Tentative List) में शामिल किया गया है। यह सूची उन धरोहरों की होती है जिन्हें भविष्य में विश्व धरोहर का दर्जा देने के लिए विचार किया जाता है। विशेष बात यह है कि इस बार शामिल सभी धरोहरों को “प्राकृतिक श्रेणी (Natural Category)” के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है।

इन धरोहरों में सेंट मैरी द्वीप समूह (कर्नाटक), मेघालय युग की गुफाएँ (मेघालय), नागा हिल ओफियोलाइट (नागालैंड), एर्र मट्टी डिब्बालु (आंध्र प्रदेश), तिरुमला हिल्स (आंध्र प्रदेश), वर्कला की चट्टानें (केरल) और पंचगनी–महाबलेश्वर का डेक्कन ट्रैप (महाराष्ट्र) शामिल हैं।

Table of Contents

1. सेंट मैरी द्वीप समूह (St. Mary’s Islands), कर्नाटक

स्थान और संरचना

  • सेंट मैरी द्वीप समूह अरब सागर के तट पर, उडुपी जिले के मालपे तट से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित हैं।
  • यह द्वीप समूह चार प्रमुख द्वीपों से मिलकर बना है – कोकोनट आइलैंड, नॉर्थ आइलैंड, दर्या बहादुरगढ़ आइलैंड और साउथ आइलैंड। इनके साथ एक मध्यवर्ती चट्टानी संरचना (Middle Rock) भी है।

भूवैज्ञानिक महत्व

  • इन द्वीपों का निर्माण लगभग 85–88 मिलियन वर्ष पूर्व हुआ था।
  • यह संरचनाएँ उस काल की हैं जब भारत–मेडागास्कर का भू–खंड अलग हुआ था
  • यहाँ पाई जाने वाली कॉलमदार बेसाल्टिक चट्टानें और रियोलाइटिक लावा संरचनाएँ अत्यंत दुर्लभ हैं।
  • चट्टानों का व्यास लगभग 20–25 सेंटीमीटर है और ये सीधी खड़ी दिखाई देती हैं।

ऐतिहासिक महत्व

  • 1498 में वास्को–दा–गामा भारत पहुँचे तो सबसे पहले इन्हीं द्वीपों पर उतरे थे।
  • उन्होंने यहाँ एक क्रॉस (Cross) स्थापित किया और इसका नाम O Padrão de Santa Maria रखा।
  • यही कारण है कि इन द्वीपों को सेंट मैरी के नाम से जाना जाता है।

2. मेघालय युग की गुफाएँ (Meghalayan Age Caves), मेघालय

स्थान और संरचना

  • ये गुफाएँ शिलांग पठार और उससे जुड़ी खासी, गारो और जयंतिया पहाड़ियों में स्थित हैं।
  • यहाँ लगभग 12 प्रमुख गुफाएँ हैं, जिनमें से पूर्वी खासी हिल्स की गुफाएँ विशेष महत्व रखती हैं।

विशेषताएँ

  • ये गुफाएँ चूना पत्थर (Limestone) से बनी हैं।
  • इनमें स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स जैसी भू–आकृतिक संरचनाएँ पाई जाती हैं।

वैज्ञानिक महत्व

  • मावम्लुह गुफा में पाए गए भू–अवशेषों के आधार पर ही भूवैज्ञानिक काल का एक नया युग निर्धारित किया गया, जिसे “मेघालयन युग (Meghalayan Age)” कहा गया।
  • इसे होलोसीन काल (Holocene Epoch) के नवीनतम चरण का Global Stratotype Section and Point (GSSP) घोषित किया गया।

3. नागा हिल्स ओफियोलाइट (Naga Hills Ophiolite), नागालैंड

स्थान और विस्तार

  • नागा हिल्स भारत के नागालैंड और म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में फैली पर्वतीय श्रृंखला है।
  • यह श्रृंखला अराकान पर्वत (Arakan Range) का हिस्सा है।
  • अधिकतम ऊँचाई 12,552 फीट तक जाती है।
  • यह पर्वतमाला उत्तर–पूर्व से दक्षिण–पश्चिम (NE–SW) दिशा में फैली हुई है और इसका विस्तार मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और म्यांमार तक है।

विशेष महत्व

  • यहाँ की चट्टानों को ओफियोलाइट्स (Ophiolites) कहा जाता है, जो समुद्री तल की प्राचीन ज्वालामुखीय चट्टानों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • ये भू–खंडों की टक्कर और प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) के अध्ययन में महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करती हैं।

4. एर्र मट्टी डिब्बालु (Erra Matti Dibbalu), आंध्र प्रदेश

स्थान और संरचना

  • एर्र मट्टी डिब्बालु का अर्थ है लाल रेत के टीले (Red Sand Dunes)
  • यह क्षेत्र विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) में बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है।
  • यह लगभग 1,500 एकड़ क्षेत्र में फैला है।

भूवैज्ञानिक महत्व

  • इन टीलों का निर्माण लगभग 26 लाख वर्ष पूर्व (लेट क्वाटरनरी युग) में हुआ।
  • इसका निर्माण समुद्र तल के उतार–चढ़ाव और जलवायु परिवर्तन से हुआ।
  • यह संरचना अत्यंत दुर्लभ है और भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय भू–धरोहर स्मारक (National Geo–Heritage Monument) घोषित किया है।

5. तिरुमला हिल्स की प्राकृतिक धरोहर (Tirumala Hills), आंध्र प्रदेश

स्थान और संरचना

  • तिरुमला हिल्स, आंध्र प्रदेश के तिरुपति में स्थित है।
  • यह समुद्र तल से लगभग 980 मीटर (3,200 फीट) की ऊँचाई पर है।
  • यह क्षेत्र लगभग 8 वर्ग किलोमीटर में फैला है।

विशेषता

  • यहाँ की सात चोटियाँ विशेष धार्मिक और भूवैज्ञानिक महत्व रखती हैं।
  • इन चोटियों को शेषाचलम श्रृंखला (Eastern Ghats) कहा जाता है।
  • सात चोटियाँ हैं – शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषभाद्रि, नारायणाद्रि और वेंकटाद्रि
  • वेंकटाद्रि पर विश्व प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर मंदिर स्थित है।

6. वर्कला की अद्वितीय चट्टानें (Varkala Cliffs), केरल

स्थान और विस्तार

  • वर्कला की चट्टानें केरल के दक्षिण–पश्चिमी तट पर अरब सागर के किनारे स्थित हैं।
  • यह लगभग 5 किलोमीटर लंबी भू–संरचना है।

भूवैज्ञानिक महत्व

  • यह संरचना मियो–प्लायोसीन युग की है।
  • यहाँ की चट्टानें समय के साथ हुए अपरदन (Erosion) से बनी हैं।
  • इनकी आधारभूत परतें प्राचीन प्रीकैम्ब्रियन क्रिस्टलीय शैलों (Khondalite rocks) पर टिकी हैं।
  • इन परतों में कार्बोनसियस क्ले, लिग्नाइट, मार्कासाइट, रंगीन मिट्टी और बलुआ पत्थर पाए जाते हैं।

विशेष महत्व

  • यह स्थल भारत में भू–पर्यटन (Geo–tourism) और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए अद्वितीय है।

7. पंचगनी और महाबलेश्वर का डेक्कन ट्रैप (Deccan Traps), महाराष्ट्र

स्थान और संरचना

  • पंचगनी और महाबलेश्वर, महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट क्षेत्र में स्थित हैं।
  • यहाँ की चट्टानों का निर्माण लगभग 6.6 करोड़ वर्ष पूर्व (Cretaceous–Paleogene period) में हुए ज्वालामुखीय उद्गारों से हुआ।

महत्व

  • डेक्कन ट्रैप विश्व के सबसे बड़े ज्वालामुखीय प्रांतों में से एक है।
  • माना जाता है कि इसी ज्वालामुखीय गतिविधि के कारण लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व डायनासोर का विलुप्त होना संभव हुआ।
  • पंचगनी और महाबलेश्वर क्षेत्र में इन चट्टानों की परतें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं।

यूनेस्को विश्व धरोहर की अस्थायी सूची का महत्व

  1. विश्व धरोहर सूची की पूर्व-आवश्यकता – किसी भी धरोहर को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए उसे पहले अस्थायी सूची में शामिल किया जाना आवश्यक होता है।
  2. संरक्षण और प्रबंधन – सूची में शामिल होने के बाद उस धरोहर के संरक्षण, प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की संभावना बढ़ जाती है।
  3. पर्यटन और पहचान – अस्थायी सूची में शामिल स्थल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाते हैं, जिससे सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) को बढ़ावा मिलता है।
  4. वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व – इन स्थलों के भूवैज्ञानिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर अधिक शोध और अध्ययन होता है।

Quick Revision Table: भारत की 7 नई धरोहरें (यूनेस्को अस्थायी सूची – 2025)

धरोहरस्थानविशेषता / महत्ववैज्ञानिक / ऐतिहासिक महत्व
सेंट मैरी द्वीप समूहउडुपी, कर्नाटक (अरब सागर)कॉलमदार बेसाल्ट, रियोलाइटिक लावा, 85–88 मिलियन वर्ष पुरानेभारत–मेडागास्कर विभाजन का साक्ष्य; वास्को-दा-गामा का प्रथम आगमन स्थल
मेघालय युग की गुफाएँशिलांग पठार, मेघालयचूना पत्थर की गुफाएँ, स्टैलेक्टाइट्स-स्टैलेग्माइट्स संरचनामावम्लुह गुफा से “मेघालयन युग” घोषित (होलोसीन का नवीनतम चरण)
नागा हिल्स ओफियोलाइटनागालैंड–म्यांमार सीमा (अराकान पर्वत)समुद्री तल की प्राचीन ज्वालामुखीय चट्टानें (Ophiolites)प्लेट विवर्तनिकी व भू–खंडीय टक्कर का साक्ष्य
एर्र मट्टी डिब्बालु (लाल रेत के टीले)विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश26 लाख वर्ष पुराने तटीय भू–आकृतिक संरचनाएँराष्ट्रीय भू–धरोहर स्मारक; लेट क्वाटरनरी युग का साक्ष्य
तिरुमला हिल्सतिरुपति, आंध्र प्रदेश7 पवित्र चोटियाँ (शेषाचलम श्रृंखला), 980 मीटर ऊँचाईश्री वेंकटेश्वर मंदिर; धार्मिक व प्राकृतिक महत्व
वर्कला की चट्टानेंवर्कला, केरल (अरब सागर तट)5 किमी लंबी चट्टानी संरचना; मियो-प्लायोसीन युगभू–पर्यटन और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए अद्वितीय
पंचगनी–महाबलेश्वर डेक्कन ट्रैपमहाराष्ट्र (पश्चिमी घाट)6.6 करोड़ वर्ष पूर्व बने ज्वालामुखीय लावा प्रवाहडायनासोर विलुप्ति से जुड़ी वैश्विक घटना का साक्ष्य

निष्कर्ष

भारत की इन सात नई धरोहरों का यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल होना न केवल देश की भूवैज्ञानिक और सांस्कृतिक विविधता का प्रमाण है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की विरासत की महत्ता को भी रेखांकित करता है। सेंट मैरी द्वीप समूह के दुर्लभ बेसाल्टिक स्तंभ हों, मेघालय की गुफाओं से निर्धारित नया भूवैज्ञानिक युग हो, नागा हिल्स की ओफियोलाइट चट्टानें हों, या फिर वर्कला की चट्टानी संरचनाएँ – ये सभी धरोहरें पृथ्वी के विकास क्रम और मानव इतिहास को समझने में अहम भूमिका निभाती हैं।

इनका संरक्षण केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी मानव सभ्यता की साझा जिम्मेदारी है। भविष्य में यदि ये धरोहरें यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होती हैं, तो यह भारत की समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को और अधिक गौरव दिलाएगा।


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