हिंदी साहित्य का इतिहास अत्यंत समृद्ध और गौरवपूर्ण है। इसमें कवियों, लेखकों और रचनाकारों ने अपनी लेखनी से समाज, संस्कृति, धर्म, राजनीति और जीवन के विविध आयामों को अभिव्यक्त किया है। विशेष बात यह है कि इन साहित्यकारों को उनके वास्तविक नाम से अधिक उनके उपनामों से जाना जाता है। उपनाम न केवल उनकी पहचान बन जाते हैं, बल्कि उनके साहित्यिक योगदान और विशिष्टताओं का भी परिचय कराते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि हम “सूर्यकांत त्रिपाठी” कहें तो शायद बहुत लोग तुरंत न पहचानें, लेकिन “निराला” का नाम लेते ही हिंदी साहित्य का महाप्राण कवि सबके स्मरण में आ जाता है। इसी प्रकार “धनपत राय” को लोग उनके उपनाम प्रेमचंद के नाम से ही जानते हैं।
इस लेख में हम विस्तारपूर्वक हिंदी के प्रमुख कवियों और लेखकों के उपनाम, उनके महत्व और उनके साहित्यिक योगदान का परिचय प्राप्त करेंगे।
उपनाम का महत्व
साहित्य में उपनाम का महत्व केवल नाम बदलने तक सीमित नहीं है। यह कवि या लेखक की साहित्यिक पहचान बन जाता है।
- उपनाम अक्सर उनके रचनात्मक व्यक्तित्व, विशिष्ट शैली या जीवन की किसी घटना से जुड़ा होता है।
- यह उन्हें आम जनमानस के बीच लोकप्रिय और स्मरणीय बनाता है।
- साहित्यिक इतिहास में उपनाम ही आगे चलकर उनके परिचय का माध्यम बनते हैं।
जैसे –
- तुलसीदास को “मानस का हंस” कहा गया क्योंकि उनकी रचना रामचरितमानस हिंदी का महान महाकाव्य है।
- सुमित्रानंदन पंत को “प्रकृति का सुकुमार कवि” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने प्रकृति को अत्यंत कोमलता और सजीवता के साथ चित्रित किया।
- महादेवी वर्मा को “आधुनिक मीरा” कहा गया क्योंकि उनकी कविताओं में प्रेम और करुणा की धारा मीरा की भक्ति की याद दिलाती है।
इस प्रकार, उपनाम साहित्यकार की पहचान का वह शिलालेख है, जो समय बीत जाने पर भी अमिट रहता है।
उपनामों की परंपरा का विकास
हिंदी साहित्य में उपनामों की परंपरा का आरंभ आदिकाल से ही मिलता है।
- वाल्मीकि को “आदि कवि” कहा गया।
- सरहपा को “हिंदी का प्रथम कवि” माना गया।
- अमीर खुसरो को “हिंदुस्तान की तूती” कहा गया।
इसके बाद भक्तिकाल और रीतिकाल के कवियों के अनेक उपनाम प्रचलन में आए।
- सूरदास को “अष्टछाप का जहाज” कहा गया।
- रसखान को उनके प्रेमपूर्ण भक्ति-भाव के कारण विशेष पहचान मिली।
- केशवदास को उनकी कठिन भाषा के कारण “कठिन काव्य का प्रेत” कहा गया।
आधुनिक काल में उपनामों का प्रयोग और अधिक बढ़ गया।
- मैथिलीशरण गुप्त “राष्ट्रकवि” कहलाए।
- रामधारी सिंह दिनकर “राष्ट्रीय कवि” के रूप में प्रसिद्ध हुए।
- माखनलाल चतुर्वेदी को “एक भारतीय आत्मा” कहा गया।
- दुष्यंत कुमार को “हिंदी ग़ज़लों का राजकुमार” माना गया।
कवि और लेखक : उपनामों सहित परिचय
नीचे क्रमवार हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि और लेखकों के उपनाम दिए जा रहे हैं। प्रत्येक के साथ संक्षिप्त परिचय भी प्रस्तुत है, जिससे उनकी पहचान और योगदान स्पष्ट हो सके।
(1) आदि और मध्यकालीन कवि
- वाल्मीकि – आदि कवि
संस्कृत में रामायण की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि को भारतीय काव्य परंपरा का आदि कवि कहा जाता है। - सरहपा – हिंदी का प्रथम कवि
अपभ्रंश और प्राकृत के कवि, जिन्होंने साधना और काव्य दोनों को जोड़ा। - अमीर खुसरो – हिन्दुस्तान की तूती
खड़ी बोली और रेख्ता के प्रारंभिक कवि, सांस्कृतिक समन्वय के प्रतीक। - विद्यापति – मैथिल कोकिल
मैथिली भाषा में पदावली की रचना कर “मैथिल कोकिल” कहलाए। - मलिक मुहम्मद जायसी
पद्मावत के रचयिता, जिन्होंने प्रेम और भक्ति का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया।
(2) भक्तिकाल के कवि
- सूरदास – अष्टछाप का जहाज
कृष्ण भक्ति के प्रमुख कवि, वात्सल्य रस के महान गायक। - रसखान (सैयद इब्राहिम) – रसिक भक्त कवि
मुस्लिम होते हुए भी कृष्ण भक्ति में डूबे और अद्भुत सगुण काव्य रचा। - तुलसीदास – कवि शिरोमणि
रामचरितमानस के रचयिता, जिन्हें “हिंदी का जातीय कवि” और “मानस का हंस” कहा गया। - नंददास – जड़िया कवि
अष्टछाप के कवियों में शामिल, अपने विशेष भक्तिभाव के लिए प्रसिद्ध। - अब्दुर्रहीम ‘खानेखाना’ – रहीम
उनके दोहे आज भी हिंदी साहित्य में अमूल्य धरोहर हैं।
(3) रीतिकाल के कवि
- केशवदास – कठिन काव्य का प्रेत
उनकी रचनाओं की भाषा कठिन मानी जाती थी, इसलिए यह उपनाम मिला। - घनानंद – प्रेम की पीर का कवि
रीति-कालीन कवि, जिनकी कविताओं में प्रेम और वेदना का अद्भुत चित्रण मिलता है। - भिखारीदास – दास
रीति साहित्य के आचार्य कवि। - महाराज सावंत सिंह – नागरीदास
रीतिकालीन रसिक कवि।
(4) आधुनिक काल के कवि
- भारतेंदु हरिश्चंद्र – हिंदी नवजागरण के अग्रदूत
उन्हें “आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक” भी कहा जाता है। - महावीर प्रसाद द्विवेदी – द्विवेदी युग के निर्माता
उन्होंने हिंदी साहित्य को नयी दिशा दी। - मैथिलीशरण गुप्त – राष्ट्रकवि
उनकी रचना भारत-भारती ने राष्ट्रप्रेम को जागृत किया। - जयशंकर प्रसाद – आधुनिक कविता के सुमेरु
कामायनी जैसे महाकाव्य के रचयिता। - सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ – महाप्राण
हिंदी छायावाद के महत्वपूर्ण स्तंभ, जिन्होंने नव चेतना को जन्म दिया। - सुमित्रानंदन पंत – प्रकृति का सुकुमार कवि
प्रकृति और कोमल भावनाओं के गायक। - महादेवी वर्मा – आधुनिक युग की मीरा
छायावादी युग की चौथी स्तंभ कवयित्री। - रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – राष्ट्रीय कवि
वीर रस और राष्ट्रप्रेम के लिए प्रसिद्ध। - दुष्यंत कुमार – हिंदी ग़ज़लों के राजकुमार
आधुनिक हिंदी ग़ज़ल को नई पहचान दी।
(5) गद्यकार और उपन्यासकार
- धनपत राय – प्रेमचंद
“उपन्यास सम्राट” और “कहानी सम्राट” के रूप में विख्यात। उनकी रचनाएँ गोदान, गबन, कफन आदि सामाजिक यथार्थ को प्रकट करती हैं। - वृंदावनलाल वर्मा – बुंदेलखंड के चंदबरदाई
ऐतिहासिक उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध। - फणीश्वरनाथ रेणु – आंचलिक उपन्यासकार
मैला आंचल जैसी कृति से चर्चित। - हरिवंश राय बच्चन – हालावादी कवि
मधुशाला से उन्हें अमरत्व मिला। - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन – अज्ञेय
प्रयोगवाद और नयी कविता के प्रवर्तक। - नागार्जुन (वैद्यनाथ मिश्र) – जनकवि
जनमानस की पीड़ा और संघर्ष को काव्य में उतारने वाले।
कालक्रमानुसार प्रमुख कवि–लेखक और उनके उपनाम
काल/युग | मूल नाम / कवि-लेखक | उपनाम / लोकप्रिय संबोधन |
---|---|---|
आदिकाल | वाल्मीकि | आदि कवि |
स्वयंभू | अपभ्रंश का वाल्मीकि | |
सरहपा | हिंदी का प्रथम कवि | |
मध्यकाल (सूफी व संत) | अमीर खुसरो | हिन्दुस्तान की तूती |
विद्यापति | मैथिल कोकिल | |
असाइत | प्रथम सूफी कवि | |
मलिक मुहम्मद जायसी | जायसी | |
भक्तिकाल | सूरदास | अष्टछाप का जहाज, वात्सल्य रस सम्राट |
नंददास | जड़िया कवि | |
रसखान (सैयद इब्राहिम) | रसखान | |
तुलसीदास | मानस का हंस, कवि शिरोमणि | |
अब्दुर्रहीम ‘खानेखाना’ | रहीम | |
रीतिकाल | केशवदास | कठिन काव्य का प्रेत |
मतिराम | पुराने पंथ के पथिक | |
घनानंद | प्रेम की पीर का कवि | |
महाराज सावंत सिंह | नागरीदास | |
आधुनिक काल (भारतेंदु युग) | भारतेंदु हरिश्चंद्र | हिंदी नवजागरण के अग्रदूत |
बदरी नारायण चौधरी | प्रेमघन | |
महावीर प्रसाद द्विवेदी | द्विवेदी युग के प्रवर्तक | |
छायावाद काल | जयशंकर प्रसाद | आधुनिक कविता के सुमेरु |
सूर्यकांत त्रिपाठी | निराला / महाप्राण | |
सुमित्रानंदन पंत | प्रकृति का सुकुमार कवि | |
महादेवी वर्मा | आधुनिक युग की मीरा | |
प्रगतिवाद–नयी कविता | रामधारी सिंह दिनकर | राष्ट्रीय कवि |
माखनलाल चतुर्वेदी | एक भारतीय आत्मा | |
हरिवंश राय बच्चन | हालावादी कवि | |
अज्ञेय (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन) | नयी कविता के प्रवर्तक | |
नागार्जुन (वैद्यनाथ मिश्र) | जनकवि | |
दुष्यंत कुमार | हिंदी ग़ज़लों के राजकुमार | |
उपन्यासकार और गद्यकार | धनपत राय | प्रेमचंद / उपन्यास सम्राट |
वृंदावनलाल वर्मा | बुंदेलखंड का चंदबरदाई | |
फणीश्वरनाथ रेणु | आंचलिक उपन्यासकार | |
चंद्रधर शर्मा गुलेरी | गुलेरी | |
शरतचंद्र | आवारा मसीहा |
कवियों और लेखकों के उपनाम
क्रम | मूल नाम / कवि-लेखक | उपनाम / अन्य नाम |
---|---|---|
1. | अयोध्या सिंह उपाध्याय | कवि सम्राट / हरिऔध |
2. | अमीर खुसरो | हिन्दुस्तान की तूती / हिन्द-इस्लामी समन्वित संस्कृति का प्रतिनिधि |
3. | असाइत | प्रथम सूफी कवि |
4. | अब्दुर्रहीम ‘खानेखाना’ | रहीम |
5. | उर्मिला उपाध्याय / उपेन्द्र नाथ | अश्क |
6. | औरंगज़ेब (नरहरि बंदीजन) | महापात्र |
7. | गणेश बिहारी मिश्र, श्याम बिहारी मिश्र व शुकदेव बिहारी मिश्र | मिश्रबंधु |
8. | गया प्रसाद शुक्ल | सनेही / त्रिशूल |
9. | गोपाल शरण सिंह | नेपाली |
10. | चण्डी प्रसाद | हृदयेश |
11. | चन्द्रधर शर्मा | गुलेरी |
12. | जयशंकर प्रसाद | झारखण्डी / कलाधर / आधुनिक कविता के सुमेरु |
13. | जगन्नाथ दास | रत्नाकर |
14. | जनार्दन प्रसाद झा | द्विज |
15. | दुष्यंत कुमार | हिन्दी ग़ज़लों के राजकुमार |
16. | धनपत राय | प्रेमचंद / उपन्यास सम्राट / कहानी सम्राट / कलम का सिपाही / कलम का मजदूर / भारत का मैक्सिम गोर्की |
17. | नलिन विलोचन शर्मा, केसरी कुमार व नरेश | नकेन |
18. | नंद दुलारे बाजपेयी | सौष्ठववादी / स्वच्छंदतावादी आलोचक |
19. | नंददास | जड़िया कवि |
20. | नरहरि बंदीजन | महापात्र |
21. | नागार्जुन (वैद्यनाथ मिश्र) | यात्री / जनकवि |
22. | नाथूराम शर्मा | कविता-कामिनी कांत / भारतेन्तु-प्रज्ञेन्दु साहित्य सुधाकर / शंकर |
23. | बदरी नारायण चौधरी | प्रेमघन |
24. | बाल्मीकि | आदि कवि |
25. | बाल मुकुंद गुप्त | शिवशंभु |
26. | बालकृष्ण शर्मा | नवीन |
27. | महादेवी वर्मा | आधुनिक युग की मीरा |
28. | महावीर प्रसाद द्विवेदी | भुजंगभूषण भट्टाचार्य / सुकवि किंकर / कल्लू अल्हइत / नियम नारायण शर्मा |
29. | महेश दास | ब्रह्म बीरबल |
30. | महाराज सावंत सिंह | नागरीदास |
31. | माखन लाल चतुर्वेदी | एक भारतीय आत्मा |
32. | मतिराम | पुराने पंथ के पथिक |
33. | मैथिलीशरण गुप्त | प्रथम राष्ट्रकवि / दद्दा |
34. | मोहन लाल महतो | वियोगी |
35. | यशपाल (रामेश्वर शुक्ल) | अंचल / मांसलवादी |
36. | योगेश्वर (रामधारी सिंह) | दिनकर |
37. | रांगेय राघव (त्र्यंबक वीर राघवाचार्य) | रांगेय राघव |
38. | राजेन्द्र बाला घोष | बंग महिला |
39. | राजा शिव प्रसाद | सितारे-हिन्द / भारतेन्दु के विद्यागुरु |
40. | राय देवी प्रसाद | पूर्ण |
41. | राधाकृष्ण (सैयद इब्राहिम) | रसखान |
42. | रामचंद्र शुक्ल | मुनि मार्ग के हिमायती |
43. | रामधारी सिंह | दिनकर |
44. | राम विलास शर्मा | अगिया बैताल / निरंजन |
45. | लाला भगवानदीन | दीन |
46. | वियोगी हरि | गद्य-काव्य का लेखक |
47. | वृंदावन लाल वर्मा | बुंदेलखंड का चंदबरदाई |
48. | विद्यानिवास मिश्र | भ्रमरानंद / परंपरा जीवी |
49. | विद्यापति | मैथिल कोकिल / अभिनव जयदेव |
50. | विश्वंभर नाथ शर्मा | कौशिक |
51. | स्वयंभू | अपभ्रंश का वाल्मीकि |
52. | सैयद गुलाम नबी | रसलीन |
53. | सत्य नारायण | कविरत्न |
54. | सुदामा पांडे | धूमिल |
55. | सूरदास | अष्टछाप का जहाज / पुष्टिमार्ग का जहाज / खंजन नयन / भावाधिपति / वात्सल्य रस सम्राट |
56. | सूर्यकांत त्रिपाठी | निराला / महाप्राण |
57. | सुमित्रानंदन पंत | प्रकृति का सुकुमार कवि / गोसाईं दत्त / साईदा / नन्दिनी / एक निहत्था / सुधाकर प्रिय / रावणार्यनुज / मोती / नंदनजी / नयन / लक्ष्मण / मुकुल |
58. | सैयद इब्राहिम | रसखान |
59. | सरहपा | हिन्दी का प्रथम कवि |
60. | साच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन | अज्ञेय / कठिन गद्य का प्रेत / कुट्टि चातन |
61. | शमशेर बहादुर सिंह | कवियों का कवि / फैंटसी का कवि / मुक्तिबोध |
62. | शिव पूजन सहाय | शिव |
63. | शिव मंगल सिंह | सुमन |
64. | शरतचंद्र | आवारा मसीहा |
65. | शुक्ल (गया प्रसाद) | सनेही / त्रिशूल |
66. | हरिकृष्ण | प्रेमी |
67. | हरिवंश राय बच्चन | हालावादी कवि |
68. | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | हिन्दी नवजागरण का अग्रदूत / नवयुग के अग्रदूत / हिन्दी साहित्य में आधुनिकता के जन्मदाता / रसा |
69. | भिखारीदास | दास |
70. | महादेवी वर्मा | आधुनिक युग की मीरा |
71. | शुक्ल (रामेश्वर) | अंचल |
72. | किशोरीदास बाजपेयी | हिन्दी के पाणिनी |
73. | नेमिचंद्र जैन | आलोचकों का आलोचक |
74. | डॉ० नगेन्द्र | रसवादी आलोचक |
75. | कुमार विकल | धमधर्मी कविताओं का कवि |
परीक्षाओं में उपनामों का महत्व
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे –
- UGC-NET
- UPSC
- राज्य स्तरीय लोक सेवा आयोग
- TET / CTET
- विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाएँ
में अक्सर “किस कवि या लेखक को किस उपनाम से जाना जाता है?” जैसे प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए यह सूची न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि परीक्षार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
निष्कर्ष
हिंदी साहित्य की परंपरा में उपनामों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये उपनाम कवि या लेखक के साहित्यिक योगदान, व्यक्तित्व और युगीन विशेषताओं का प्रतीक हैं। कभी-कभी ये उपनाम कवियों की ख्याति को उनके मूल नाम से भी अधिक लोकप्रिय बना देते हैं। यही कारण है कि हिंदी साहित्य में जब-जब किसी रचनाकार की चर्चा होती है, उसका उपनाम अपने आप स्मरण हो आता है।
सच कहा जाए तो उपनाम केवल एक संबोधन नहीं, बल्कि साहित्यकार की अमिट पहचान है। यही उपनाम उन्हें अमरत्व प्रदान करते हैं और आने वाली पीढ़ियों को उनके साहित्य से जोड़ते रहते हैं।
इन्हें भी देखें –
- ब्राह्मी लिपि से आधुनिक भारतीय लिपियों तक: उद्भव, विकास, शास्त्रीय प्रमाण, अशोक शिलालेख
- पर्यायवाची शब्द अथवा समानार्थी शब्द 500+ उदाहरण
- विलोम शब्द | विपरीतार्थक शब्द | Antonyms |500+ उदाहरण
- हिंदी के विराम चिन्ह और उनका प्रयोग | 50 + उदाहरण
- कारक: परिभाषा, भेद तथा 100+ उदाहरण
- शब्द शक्ति: परिभाषा और प्रकार | अमिधा | लक्षणा | व्यंजना
- युग्म-शब्द : अर्थ, परिभाषा, 500+ उदाहरण | उच्चारण में समान अर्थ में भिन्न
- गुरु-शिष्य परम्परा: भारतीय संस्कृति की आत्मा और ज्ञान की धरोहर
- हिंदी साहित्य की विधाएँ : विकास, आधुनिक स्वरूप और अनुवाद की भूमिका