मनुष्य सभ्यता का इतिहास मुख्यतः संचार और अभिव्यक्ति का इतिहास है। जब मनुष्य ने पहली बार ध्वनियों के माध्यम से अपने भाव और विचार व्यक्त किए, तब भाषा का जन्म हुआ। भाषा मनुष्य को अन्य प्राणियों से अलग करती है, क्योंकि यह केवल बोलने का साधन नहीं है बल्कि चिंतन, संस्कृति और ज्ञान की संवाहक भी है। किंतु भाषा की मौखिक प्रकृति ने इसकी स्थायित्व की क्षमता को सीमित कर दिया। उच्चारित शब्द पलभर में विलीन हो जाते थे। यही वह आवश्यकता थी जिसने मनुष्य को “लिपि” के विकास की ओर प्रेरित किया।
भाषा ध्वनियों का संयोजन है और लिपि उन ध्वनियों का स्थायी रूप, जिसे दृष्टिगोचर किया जा सकता है। इस प्रकार भाषा और लिपि एक-दूसरे के पूरक हैं।
भाषा और लिपि का उद्भव
भाषा का विकास
मानव जीवन के प्रारंभिक चरण में इशारों, मुद्राओं और प्रतीकों के माध्यम से संवाद होता था। धीरे-धीरे गले से निकली ध्वनियों ने शब्दों का रूप लिया और शब्दों से वाक्य बनने लगे। यही क्रम भाषा का प्रारंभिक विकास था।
भाषा समय के साथ विकसित होती गई और अलग-अलग समाजों में विविध भाषाएँ जन्मीं। विश्व में आज लगभग 7000 से अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें से कुछ विश्व-स्तर पर प्रमुख हैं, जैसे – अंग्रेजी, मंदारिन चीनी, स्पेनिश, हिंदी, अरबी आदि।
लिपि का विकास
जब मनुष्य ने यह अनुभव किया कि केवल बोलकर विचारों को स्थायी नहीं बनाया जा सकता, तो उसने लिखने के साधन खोजे। प्रारंभ में चित्रलिपि (Pictographic Script) का प्रयोग हुआ। मिस्र की “हाइरोग्लिफ़िक लिपि” और मेसोपोटामिया की “क्यूनिफ़ॉर्म लिपि” इसके उदाहरण हैं।
भारत में सबसे प्राचीन लिपि ब्राह्मी मानी जाती है। अशोक के शिलालेख ब्राह्मी लिपि में ही लिखे गए थे। यही ब्राह्मी लिपि समय के साथ बदलकर देवनागरी, बंगला, गुजराती, उड़िया, तेलुगु, कन्नड़, तमिल आदि लिपियों में विकसित हुई।
लिपि की परिभाषा
किसी भी भाषा की ध्वनियों को लिखित रूप में प्रकट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें लिपि कहते हैं।
दूसरे शब्दों में, लिपि ध्वनियों को दृश्यात्मक रूप देने की पद्धति है।
भाषा और लिपि का अंतर
भाषा और लिपि दोनों का उद्भव सभ्यता के विकास के साथ हुआ, परंतु दोनों में कुछ मूलभूत अंतर हैं:
क्रम | भाषा (Language) | लिपि (Script) |
---|---|---|
1 | प्रत्येक भाषा की अपनी ध्वनियाँ होती हैं। | एक ही लिपि का प्रयोग विभिन्न भाषाओं में किया जा सकता है। |
2 | भाषा सूक्ष्म और अदृश्य होती है। | लिपि स्थूल और दृश्यात्मक होती है। |
3 | भाषा अस्थायी होती है; उच्चारित होते ही विलीन हो जाती है। | लिपि अपेक्षाकृत स्थायी है; इसे लिखकर सहेजा जा सकता है। |
4 | भाषा ध्वन्यात्मक माध्यम है। | लिपि दृश्यात्मक माध्यम है। |
5 | भाषा तुरंत प्रभाव छोड़ती है। | लिपि का प्रभाव धीमे परंतु दीर्घकालिक होता है। |
6 | भाषा ध्वनि-संकेतों की व्यवस्था है। | लिपि वर्ण-संकेतों की व्यवस्था है। |
7 | भाषा संगीत का आधार है। | लिपि संगीत का आधार नहीं है। |
भाषा और लिपि में समानता
यद्यपि भाषा और लिपि में अंतर है, परंतु दोनों में कई समानताएँ भी हैं:
- दोनों का विकास मानव सभ्यता के साथ-साथ हुआ।
- दोनों भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के साधन हैं।
- प्राचीन काल में दोनों का अध्ययन शिक्षा और परंपरा के माध्यम से होता था; आज डिजिटल तकनीक और इंटरनेट ने इसे और सरल बना दिया है।
- कभी-कभी दोनों मिलकर भी मनुष्य की पूर्ण अभिव्यक्ति में सक्षम नहीं हो पाते।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उद्घोष भाषा और लिपि दोनों में संभव है।
विश्व की भाषाएँ और उनकी लिपियाँ
प्रत्येक भाषा किसी न किसी लिपि में लिखी जाती है। यद्यपि परंपरागत रूप से भाषा-लिपि का संबंध स्थिर माना गया है, किंतु वास्तविकता यह है कि कोई भी भाषा किसी भी लिपि में लिखी जा सकती है।
नीचे कुछ प्रमुख भाषाओं और उनकी लिपियों के उदाहरण दिए जा रहे हैं:
क्रम | भाषा (Language) | लिपि (Script) | उदाहरण (Example) |
---|---|---|---|
1 | हिन्दी | देवनागरी | मोहन पुस्तक पढ़ रहा है। |
2 | संस्कृत | देवनागरी | मोहनः पुस्तकं पठति। |
3 | अंग्रेजी | रोमन | Mohan is reading a book. |
4 | फ्रेंच | रोमन | Mohan lit un livre. |
5 | जर्मन | रोमन | Mohan liest ein Buch. |
6 | मराठी | देवनागरी | मोहन पुस्तक वाचत आहे। |
7 | नेपाली | देवनागरी | मोहन किताब पढिरहेको छ। |
8 | पंजाबी | गुरमुखी | ਮੋਹਨ ਕਿਤਾਬ ਪੜ੍ਹ ਰਿਹਾ ਹੈ। |
9 | उर्दू | फारसी | موہن کتاب پڑھ رہا ہے۔ |
10 | अरबी | फारसी | موهن يقرأ كتابًا. |
11 | रूसी | सिरिलिक | Мохан читает книгу. |
12 | बुल्गेरियन | सिरिलिक | Мохан чете книга. |
देवनागरी लिपि
देवनागरी भारत की सबसे वैज्ञानिक और व्यवस्थित लिपियों में से एक है। यह बाएँ से दाएँ लिखी जाती है। हिंदी, संस्कृत, मराठी और नेपाली भाषाएँ इसी में लिखी जाती हैं।
इसकी विशेषताएँ हैं:
- प्रत्येक ध्वनि का निश्चित प्रतीक।
- उच्चारण और लेखन में सामंजस्य।
- स्वर और व्यंजन का स्पष्ट विभाजन।
- संयुक्ताक्षरों की लचीली व्यवस्था।
अन्य लिपियाँ
- गुरमुखी लिपि : पंजाबी भाषा की प्रमुख लिपि।
- फारसी लिपि : उर्दू और अरबी भाषाएँ इसी लिपि में लिखी जाती हैं, जो दाएँ से बाएँ लिखी जाती है।
- सिरिलिक लिपि : रूसी, बुल्गेरियन और अन्य स्लाव भाषाएँ।
- रोमन लिपि : अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश और अधिकांश यूरोपीय भाषाओं की लिपि।
भाषा और लिपि की परस्पर लचीलापन
भाषा और लिपि का संबंध स्थायी नहीं है।
उदाहरणस्वरूप:
- हिंदी को रोमन लिपि में लिखा जा सकता है – Mohan kal school gaya tha.
- अंग्रेजी को देवनागरी में लिखा जा सकता है – जॉन वेंट टू द मार्केट यस्टरडे।
- उर्दू को देवनागरी में और हिंदी को फारसी लिपि में भी लिखा जा सकता है।
यह लचीलापन भाषा और लिपि की सार्वभौमिकता को दर्शाता है।
भाषा और लिपि का सांस्कृतिक महत्व
भाषा संस्कृति की आत्मा है और लिपि उसकी स्मृति।
- भाषा मौखिक परंपरा को जीवित रखती है।
- लिपि उस परंपरा को स्थायी स्वरूप देती है।
- किसी भी सभ्यता के उत्थान-पतन, साहित्य और इतिहास को जानने के लिए लिपि की भूमिका निर्णायक होती है।
भारतीय संस्कृति में वेद, उपनिषद, महाकाव्य, पुराण आदि यदि लिपिबद्ध न होते, तो उनका संरक्षण असंभव होता।
निष्कर्ष
भाषा और लिपि मानव जीवन की अभिव्यक्ति के दो स्तंभ हैं। भाषा भावनाओं और विचारों को तत्काल व्यक्त करती है, जबकि लिपि उन्हें स्थायित्व प्रदान करती है। दोनों का समन्वय ही ज्ञान, संस्कृति और साहित्य की समृद्ध परंपरा को संभव बनाता है।
आज डिजिटल युग में भाषा और लिपि दोनों ही नई तकनीकों के माध्यम से और सशक्त हो रहे हैं। अनुवाद सॉफ्टवेयर, डिजिटल लिप्यंतरण और बहुभाषी प्लेटफॉर्म ने यह सिद्ध कर दिया है कि भाषा और लिपि की शक्ति असीमित है।
इन्हें भी देखें –
- भारतीय आर्यभाषाओं का ऐतिहासिक विकास: प्राचीन से आधुनिक तक
- भारत की भाषाएँ: संवैधानिक मान्यता, आधिकारिक स्वरूप और विश्व परिप्रेक्ष्य में भाषाई विविधता
- विश्व की भाषाएँ : विविधता, विकास और वैश्विक प्रभाव
- हिंदी वर्णमाला में आयोगवाह : अनुस्वार, अनुनासिक, विसर्ग और हलन्त | परिभाषा, प्रयोग एवं महत्व
- लिपि : परिभाषा, अर्थ, इतिहास, प्रकार, रूपांतरण और उदाहरण
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