ओड़िया भाषा : लिपि, स्वर, व्यंजन, वर्णमाला, संयुक्ताक्षर, इतिहास एवं साहित्यिक विरासत

भारतीय उपमहाद्वीप अपनी भाषाई विविधता के लिए प्रसिद्ध है। भारत में सैकड़ों भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें से प्रत्येक अपने आप में एक विशिष्ट सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान रखती है। इन्हीं में से एक प्रमुख भाषा ओड़िया (Odia या Oriya) है, जो पूर्वी भारत के ओडिशा राज्य की आत्मा मानी जाती है। यह भाषा न केवल राज्य की राजभाषा है, बल्कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है। ओड़िया भाषा अपने साहित्य, लिपि और सांस्कृतिक गहराई के कारण भारत की सबसे समृद्ध भाषाओं में गिनी जाती है।

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ओड़िया भाषा का परिचय

ओड़िया भाषा एक इंडो-आर्यन (Indo-Aryan) भाषा है, जिसे लगभग चार करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं। यह भाषा मुख्यतः ओडिशा राज्य में बोली जाती है, जबकि आंध्र प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों में भी इसके लाखों वक्ता हैं। जनसंख्या के दृष्टिकोण से ओड़िया भारत की छठी सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है।

पहलूविवरण
लिपिओड़िया लिपि
भाषा परिवारआर्य भाषा परिवार (इंडो-आर्यन शाखा)
मुख्य बोली क्षेत्रओडिशा, आंध्र प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल
वक्ता संख्यालगभग 4 करोड़
राजकीय भाषाओडिशा राज्य
संवैधानिक स्थितिभारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक

नाम और उच्चारण का अंतर

“उड़िया” और “ओड़िया” दोनों शब्द सामान्य रूप से प्रचलित हैं, परंतु भाषावैज्ञानिक दृष्टि से “ओड़िया” अधिक शुद्ध और स्वीकृत रूप है। ओडिशा की जनता और उनकी भाषा दोनों के लिए पहले “उड़िया” शब्द का उपयोग किया जाता था, किंतु राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से इसका मानक रूप “ओड़िया” घोषित किया गया है। वास्तव में “उड़िया” रूप अंग्रेज़ी उच्चारण “Oriya” का देसी रूप था, जबकि “ओड़िया” राज्य के मूल उच्चारण के अनुरूप है।

ओड़िया शब्द की व्युत्पत्ति

ओड़िया शब्द का विकास ऐतिहासिक रूप से “ओड्रविषय” से हुआ माना जाता है। विद्वानों के अनुसार इसका विकासक्रम इस प्रकार रहा है —
ओड्रविषय → ओड्रविष → ओडिष → आड़िषा → ओड़िशा → ओड़िया।

सबसे प्राचीन ग्रंथ भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में “उड्रविभाषा” का उल्लेख मिलता है, जो इस क्षेत्र में बोली जाने वाली प्राचीन भाषा को इंगित करता है। यह प्रमाणित करता है कि ओड़िया का भाषाई अस्तित्व भारत की प्रारंभिक सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है।

ओड़िया भाषा की उत्पत्ति

ओड़िया भाषा की उत्पत्ति के बारे में निश्चित ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं, किंतु भाषाविज्ञानियों का मत है कि यह भाषा प्राचीन मागधी प्राकृत की पूर्वी शाखा से विकसित हुई है। ओडिशा क्षेत्र में प्राचीन काल से आर्य और द्रविड़ भाषाओं का मेल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ओड़िया में ध्वनि, व्याकरण और शब्दावली का एक अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है।

संस्कृत के गहन प्रभाव के बावजूद ओड़िया ने अपनी मौलिकता को बनाए रखा है। समय के साथ, इस पर बंगाली, असमिया और मैथिली जैसी भाषाओं का भी प्रभाव पड़ा। यह प्रभाव विशेष रूप से मध्यकालीन ओड़िया साहित्य में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

ऐतिहासिक विकास के चरण

भाषावैज्ञानिक दृष्टि से ओड़िया भाषा का विकास तीन प्रमुख चरणों में विभाजित किया जा सकता है —

  1. प्राचीन ओड़िया (9वीं से 13वीं शताब्दी)
    इस काल में ओड़िया का रूप संस्कृत और पाली से अत्यधिक प्रभावित था। धार्मिक ग्रंथों और शिलालेखों में इसी काल की भाषा के उदाहरण मिलते हैं।
  2. मध्यकालीन ओड़िया (14वीं से 18वीं शताब्दी)
    यह ओड़िया साहित्य का स्वर्णकाल माना जाता है। इस समय जगन्नाथ संप्रदाय से जुड़ी भक्ति कविता का उत्कर्ष हुआ। पंचसखा कवि (बलराम दास, जगन्नाथ दास, अच्युतानंद दास, अनंत दास और यशोवंत दास) ने इस काल में धार्मिक और दार्शनिक काव्य की रचना की।
  3. आधुनिक ओड़िया (19वीं शताब्दी से वर्तमान)
    इस काल में ओड़िया भाषा ने आधुनिक रूप ग्रहण किया। प्रिंटिंग प्रेस के आगमन, समाचार पत्रों के प्रकाशन और शिक्षा के प्रसार ने भाषा को स्थायित्व प्रदान किया। इसी काल में फकीर मोहन सेनापति जैसे लेखकों ने आधुनिक ओड़िया गद्य का निर्माण किया।

ओड़िया भाषा की लिपि

ओड़िया भाषा के लिए प्रयुक्त ओड़िया लिपि का उद्भव ब्राह्मी लिपि से हुआ है। यह लिपि बाएँ से दाएँ लिखी जाती है और अपनी वक्र रेखाओं और गोलाकार आकृतियों के कारण सौंदर्यपूर्ण मानी जाती है।

  • आधुनिक ओड़िया लिपि में कुल 52 अक्षर होते हैं —
    • स्वर (Vowels) – 11
    • व्यंजन (Consonants) – 41

यह लिपि प्राचीन काल में ताड़पत्र पर लेखन के लिए उपयुक्त मानी जाती थी, इसलिए इसमें अधिक कोणीयता के बजाय गोलाकारता देखी जाती है। इसी कारण यह लिपि दृष्टिगत रूप से अत्यंत आकर्षक और कलात्मक है।

ओड़िया वर्णमाला (Odia Alphabet / ଓଡ଼ିଆ ବର୍ଣ୍ଣମାଳା)

ओड़िया भाषा (Odia Language) की लिपि ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई है और यह पूर्वी नागरी लिपि परिवार (Eastern Nagari Script) की एक शाखा है।
इसका स्वरूप गोलाकार (rounded) होता है, जो इसे बंगाली और असमिया लिपियों से अलग बनाता है।

वर्णमाला की संरचना (Structure of Odia Alphabet)

ओड़िया वर्णमाला में कुल 52 अक्षर होते हैं, जिन्हें मुख्यतः तीन वर्गों में बाँटा गया है —

वर्ग / घटकसंख्याविवरण
स्वर (Vowels / ସ୍ୱର)11भाषा की ध्वनियों का प्राथमिक आधार। इनमें ଅ, ଆ, ଇ, ଈ, ଉ, ଊ, ଋ, ଏ, ଐ, ଓ, ଔ शामिल हैं।
व्यंजन (Consonants / ବ୍ୟଞ୍ଜନ)41शब्दों में अवरोध के साथ उच्चारित ध्वनियाँ। इनमें वर्गीय व्यंजन, अंतःस्थ, ऊष्म और विशेष व्यंजन शामिल हैं।
संयुक्ताक्षर / अन्य चिह्न (Conjuncts & Signs / ସଂଯୁକ୍ତ ବ୍ୟଞ୍ଜନ ଓ ଅନ୍ୟ ଚିହ୍ନ)परिवर्तनीयदो या अधिक व्यंजनों के मेल से बने अक्षर और विराम चिह्न। संख्या शब्दानुसार बदलती है, आमतौर पर 50 से अधिक रूप पाए जाते हैं।

स्वर (Vowels / ସ୍ୱର) — 11 स्वर वर्ण

स्वर वे ध्वनियाँ हैं जो बिना किसी व्यंजन के सहयोग से उच्चरित होती हैं। इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप में या किसी व्यंजन के साथ मिलकर किया जा सकता है।
ओड़िया में कुल 11 स्वर पाए जाते हैं 👇

क्रमओड़िया स्वरमात्रा (Matra)क के साथ उदाहरणदेवनागरीIPA / उच्चारण
1ɔ
2କାa
3ିକିi
4କୀ
5କୁu
6କୂ
7କୃɹu
8କେe
9କୈɔi
10କୋo
11କୌɔu

🔸 स्वरों की संख्या – 11

ओड़िया व्यंजन वर्णमाला (Consonants / ବ୍ୟଞ୍ଜନ) — 41 वर्ण

व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जिनका उच्चारण किसी न किसी अवरोध या संयोग के साथ होता है।
ओड़िया में कुल 41 व्यंजन होते हैं, जिन्हें परंपरागत रूप से निम्न वर्गों में बाँटा गया है 👇

🔹 वर्ग / श्रेणी🔹 ओड़िया वर्ण🔹 उच्चारण (Roman)🔹 हिन्दी समकक्ष🔹 टिप्पणी
(A) वर्गीय व्यंजन (Vargiya Consonants – 25)
क-वर्ग (Velar)କ, ଖ, ଗ, ଘ, ଙka, kha, ga, gha, ṅaक, ख, ग, घ, ङकण्ठ्य ध्वनियाँ
च-वर्ग (Palatal)ଚ, ଛ, ଜ, ଝ, ଞca, cha, ja, jha, ñaच, छ, ज, झ, ञतालव्य ध्वनियाँ
ट-वर्ग (Retroflex)ଟ, ଠ, ଡ, ଢ, ଣṭa, ṭha, ḍa, ḍha, ṇaट, ठ, ड, ढ, णमूर्धन्य ध्वनियाँ
त-वर्ग (Dental)ତ, ଥ, ଦ, ଧ, ନta, tha, da, dha, naत, थ, द, ध, नदन्त्य ध्वनियाँ
प-वर्ग (Labial)ପ, ଫ, ବ, ଭ, ମpa, pha, ba, bha, maप, फ, ब, भ, मओष्ठ्य ध्वनियाँ
(B) अंतःस्थ व्यंजन (Semi-Vowels – 5)ଯ, ର, ଲ, ୱ, ୟya, ra, la, wa/va, yaय, र, ल, व, य़अर्धस्वर या मध्यस्थ ध्वनियाँ
(C) ऊष्म व्यंजन (Sibilants & Aspirate – 4)ଶ, ଷ, ସ, ହśa, ṣa, sa, haश, ष, स, हऊष्म या श्वासयुक्त ध्वनियाँ
(D) अन्य विशेष व्यंजन (Special Consonants – 7)ଳ, ଡ଼, ଢ଼, ୱ, ୟ, କ୍ଷ, ଜ୍ଞḷa, ḍa, ḍha, wa, ya, kṣa, jñaळ, ड़, ढ़, व, य, क्ष, ज्ञद्राविड़ एवं संस्कृत प्रभाव से उत्पन्न विशेष वर्ण

🔸 व्यंजनों की संख्या : 41

संख्या सारांश

श्रेणीवर्णों की संख्या
वर्गीय व्यंजन25
अंतःस्थ व्यंजन5
ऊष्म व्यंजन4
विशेष व्यंजन7
कुल योग41 व्यंजन वर्ण

व्यंजन (Consonants / ବ୍ୟଞ୍ଜନ) वर्गीकरण: स्थान और उच्चारण के आधार पर

ओड़िया भाषा में 41 व्यंजन पाए जाते हैं। इनका वर्गीकरण स्थान और उच्चारण के आधार पर किया गया है।

(A) स्पर्श व्यंजन (Stops and Nasals)

स्थानअल्पप्राण अघोषमहाप्राण अघोषअल्पप्राण घोषमहाप्राण घोषअनुनासिक
कण्ठ्य (Velar)କ (kɔ)ଖ (kʰɔ)ଗ (ɡɔ)ଘ (ɡʰɔ)ଙ (ŋɔ)
तालव्य (Palatal)ଚ (tʃɔ)ଛ (tʃʰɔ)ଜ (dʒɔ)ଝ (dʒʰɔ)ଞ (ɲɔ)
मूर्धन्य (Retroflex)ଟ (ʈɔ)ଠ (ʈʰɔ)ଡ (ɖɔ)ଢ (ɖʰɔ)ଣ (ɳɔ)
दन्त्य (Dental)ତ (t̪ɔ)ଥ (t̪ʰɔ)ଦ (d̪ɔ)ଧ (d̪ʰɔ)ନ (nɔ)
ओष्ठ्य (Labial)ପ (pɔ)ଫ (pʰɔ)ବ (bɔ)ଭ (bʰɔ)ମ (mɔ)

(B) अन्तःस्थ व्यंजन (Semi-vowels)

वर्णउच्चारणदेवनागरी
य (वैकल्पिक रूप)
ɾɔ
ɭɔ

(C) ऊष्म व्यंजन (Sibilants & Aspirate)

वर्णउच्चारणदेवनागरी
ɕɔ
ʂɔ

(D) संयुक्त व्यंजन (Conjuncts / Ligatures)

कुछ सामान्य संयुक्ताक्षर निम्नलिखित हैं—

संयुक्ताक्षरउच्चारणदेवनागरी
କ୍ଷkʰjɔक्ष
ଜ୍ଞɡɲɔज्ञ
ତ୍ରtraत्र
ଦ୍ଧddhaद्ध
ଶ୍ରśraश्र

संयुक्ताक्षर (Conjunct Consonants / ସଂଯୁକ୍ତ ବ୍ୟଞ୍ଜନ)

ओड़िया भाषा में दो या अधिक व्यंजनों के मेल से बने कई संयुक्ताक्षर पाए जाते हैं।
नीचे कुछ सामान्य उदाहरण दिए गए हैं 👇

संयुक्ताक्षरउच्चारण (Roman)हिन्दी रूपटिप्पणी
କ୍ଷkṣaक्षसंस्कृत प्रभाव
ଜ୍ଞjñaज्ञपारंपरिक संयोजन
ତ୍ରtraत्रसामान्य उपयोग
ଗ୍ନgnaग्नसीमित शब्दों में प्रयोग
ଦ୍ଧddhaद्धध्वन्यात्मक मिश्रण
ଶ୍ରśraश्रभक्ति साहित्य में प्रमुख

🔸 संयुक्ताक्षरों की संख्या निश्चित नहीं होती, क्योंकि यह शब्दानुसार बदलती है — लगभग 50 से अधिक रूप ओड़िया में प्रचलित हैं।

अंक (Numerals / ସଂଖ୍ୟା)

संख्याओड़िया अंकहिन्दी अंक
0
1
2
3
4
5
6
7
8
9

🔹 विशेषताएँ (Salient Features)

  1. ओड़िया लिपि का आकार गोलाकार (curvilinear) होता है।
  2. यह ब्राह्मी लिपि की वंशज है, पर इसमें विशिष्ट “वृत्तीय” रूप बना हुआ है।
  3. ओड़िया अक्षर सामान्यतः रेखीय आधार से नीचे लटकते हुए लिखे जाते हैं।
  4. स्वर चिह्न (matras) व्यंजन के साथ ऊपर, नीचे या दाईं-बाईं ओर जुड़ते हैं।
  5. यह लिपि ध्वन्यात्मक (phonetic) है — उच्चारण और लेखन में सीधा संबंध पाया जाता है।

ओड़िया व्यंजनों की संख्या: पारंपरिक और आधुनिक दृष्टिकोण

ओड़िया भाषा में व्यंजनों (Consonants) की संख्या के बारे में दो भिन्न परंपराएँ प्रचलित हैं, और यही कारण है कि कभी-कभी भ्रम उत्पन्न होता है।

पारंपरिक (Classical) गणना — 34 व्यंजन

ओड़िया वर्णमाला के प्रारंभिक या पारंपरिक रूप में व्यंजनों की संख्या 34 मानी जाती है।

इस गणना में शामिल हैं:

  • पाँच वर्गीय व्यंजन (क-वर्ग से प-वर्ग)
  • चार अंतःस्थ (Semi-vowels)
  • चार ऊष्म/सिबिलेंट वर्ण

5 × 5 (वर्गीय) + 4 (अंतःस्थ) + 4 (ऊष्म) = 33,
किन्तु “ଳ (ḷa)” को जोड़कर कुल 34 व्यंजन माने जाते हैं।

यह वही गणना है जो पारंपरिक व्याकरण और प्राचीन ओड़िया वर्णसूचियों में मिलती है।

आधुनिक (Modern/Expanded) गणना — 41 व्यंजन

समकालीन ओड़िया भाषा आयोग (Odia Bhasha Parishad) और आधुनिक भाषाविज्ञान के अनुसार,
कुछ अतिरिक्त ध्वनियाँ और संयुक्त ध्वनि-आधारित अक्षर भी व्यंजन माने जाते हैं।

अतिरिक्त व्यंजन शामिल हैं:

  • ଳ (ḷa) – प्राचीन “ळ” ध्वनि
  • ଡ଼ (ḍa), ଢ଼ (ḍha) – विशेष ध्वनियाँ, जो स्थानीय बोलियों में प्रचलित हैं
  • ୟ (ya) और ୱ (wa) – स्वतंत्र ध्वनि के रूप में गिने जाते हैं
  • संयुक्ताक्षर – କ୍ଷ (kṣa), ଜ୍ଞ (jña)

इस प्रकार कुल संख्या बढ़कर 41 व्यंजन तक पहुँचती है।

आधुनिक व्यंजन संरचना (Modern Odia Consonant Count)

श्रेणीवर्णों की संख्याविवरण
वर्गीय व्यंजन25କ-वर्ग से ପ-वर्ग तक (5×5)
अंतःस्थ व्यंजन5ଯ, ର, ଲ, ୱ, ୟ
ऊष्म व्यंजन4ଶ, ଷ, ସ, ହ
अन्य विशेष व्यंजन7ଳ, ଡ଼, ଢ଼, କ୍ଷ, ଜ୍ଞ, (कभी-कभी ୟ और ୱ को यहां भी शामिल किया जाता है)

कुल = 25 + 5 + 4 + 7 = 41

स्पष्ट सूची: 41 आधुनिक व्यंजन

  1. वर्गीय (25):
    କ, ଖ, ଗ, ଘ, ଙ
    ଚ, ଛ, ଜ, ଝ, ଞ
    ଟ, ଠ, ଡ, ଢ, ଣ
    ତ, ଥ, ଦ, ଧ, ନ
    ପ, ଫ, ବ, ଭ, ମ
  2. अंतःस्थ (5):
    ଯ, ର, ଲ, ୱ, ୟ
  3. ऊष्म (4):
    ଶ, ଷ, ସ, ହ
  4. अन्य विशेष (7):
    ଳ, ଡ଼, ଢ଼, କ୍ଷ, ଜ୍ଞ, (कभी-कभी ୟ और ୱ को यहां भी रखा जाता है)

संक्षेप में

यदि आप “41 व्यंजन” मानक का अनुसरण करते हैं, तो इसमें शामिल हैं:

  • मूल पारंपरिक 34 व्यंजन
  • अतिरिक्त व्यंजन: ଳ, ଡ଼, ଢ଼, ୱ, ୟ, କ୍ଷ, ଜ୍ଞ

कुल = 41 व्यंजन

ओड़िया व्यंजन पर स्वर मात्राएँ (Vowel Signs for Odia Consonants)

ओड़िया भाषा में प्रत्येक व्यंजन के साथ स्वर मात्राओं (Diacritics / Matras) का प्रयोग किया जाता है। ये मात्राएँ व्यंजन के साथ मिलकर विभिन्न ध्वनियाँ उत्पन्न करती हैं। नीचे स्वर और उनके उच्चारण के साथ व्यंजनों पर प्रयोग होने वाली मात्राएँ दी गई हैं।

स्वर (Vowels) और उनके मात्राएँ

स्वर (Vowel)उच्चारण (Roman)मात्रा (Matra)उदाहरण: କ (ka) के साथ
a
āକା
iିକି
īକୀ
uକୁ
ūକୂ
କୃ
eକେ
aiକୈ
oକୋ
auକୌ

व्यंजनों पर स्वर मात्राएँ (Consonant + Vowel Signs)

नीचे सभी व्यंजनों के लिए स्वरों की मात्राओं का विवरण दिया गया है:

व्यंजन (Consonant)मूल अक्षरକାକିକୀକୁକୂକୃକେକୈକୋକୌ
kaକାକିକୀକୁକୂକୃକେକୈକୋକୌ
khaଖାଖିଖୀଖୁଖୂଖୃଖେଖୈଖୋଖୌ
gaଗାଗିଗୀଗୁଗୂଗୃଗେଗୈଗୋଗୌ
ghaଘାଘିଘୀଘୁଘୂଘୃଘେଘୈଘୋଘୌ
ṅaଙାଙିଙୀଙୁଙୂଙୃଙେଙୈଙୋଙୌ
caଚାଚିଚୀଚୁଚୂଚୃଚେଚୈଚୋଚୌ
chaଛାଛିଛୀଛୁଛୂଛୃଛେଛୈଛୋଛୌ
jaଜାଜିଜୀଜୁଜୂଜୃଜେଜୈଜୋଜୌ
jhaଝାଝିଝୀଝୁଝୂଝୃଝେଝୈଝୋଝୌ
ñaଞାଞିଞୀଞୁଞୂଞୃଞେଞୈଞୋଞୌ
ṭaଟାଟିଟୀଟୁଟୂଟୃଟେଟୈଟୋଟୌ
ṭhaଠାଠିଠୀଠୁଠୂଠୃଠେଠୈଠୋଠୌ
ḍaଡାଡିଡୀଡୁଡୂଡୃଡେଡୈଡୋଡୌ
ḍhaଢାଢିଢୀଢୁଢୂଢୃଢେଢୈଢୋଢୌ
ṇaଣାଣିଣୀଣୁଣୂଣୃଣେଣୈଣୋଣୌ
taତାତିତୀତୁତୂତୃତେତୈତୋତୌ
thaଥାଥିଥୀଥୁଥୂଥୃଥେଥୈଥୋଥୌ
daଦାଦିଦୀଦୁଦୂଦୃଦେଦୈଦୋଦୌ
dhଧାଧିଧୀଧୁଧୂଧୃଧେଧୈଧୋଧୌ
naନାନିନୀନୁନୂନୃନେନୈନୋନୌ
paପାପିପୀପୁପୂପୃପେପୈପୋପୌ
phaଫାଫିଫୀଫୁଫୂଫୃଫେଫୈଫୋଫୌ
baବାବିବୀବୁବୂବୃବେବୈବୋବୌ
bhaଭାଭିଭୀଭୁଭୂଭୃଭେଭୈଭୋଭୌ
maମାମିମୀମୁମୂମୃମେମୈମୋମୌ
ẏ / jଯାଯିଯୀଯୁଯୂଯୃଯେଯୈଯୋଯୌ
yୟାୟିୟୀୟୁୟୂୟୃୟେୟୈୟୋୟୌ
rରାରିରୀରୁରୂରୃରେରୈରୋରୌ
ଳାଳିଳୀଳୁଳୂଳୃଳେଳୈଳୋଳୌ
lଲାଲିଲୀଲୁଲୂଲୃଲେଲୈଲୋଲୌ
wୱାୱିୱୀୱୁୱୂୱୃୱେୱୈୱୋୱୌ
śଶାଶିଶୀଶୁଶୂଶୃଶେଶୈଶୋଶୌ
ଷାଷିଷୀଷୁଷୂଷୃଷେଷୈଷୋଷୌ
sସାସିସୀସୁସୂସୃସେସୈସୋସୌ
hହାହିହୀହୁହୂହୃହେହୈହୋହୌ

ओड़िया भाषा की शब्द संरचना और वाक्य क्रम

ओड़िया भाषा में शब्द संरचना और वाक्य निर्माण का ढांचा मुख्य रूप से कर्ता–कर्म–क्रिया (SOV) पर आधारित है। इसका अर्थ है कि किसी वाक्य में पहले विषय (कर्ता) आता है, उसके बाद कर्म (ऑब्जेक्ट) और अंत में क्रिया (Verb) प्रकट होती है। यह संरचना हिंदी, बंगाली और अन्य कई भारतीय भाषाओं के समान है।

सिर्फ वाक्य क्रम ही नहीं, बल्कि ओड़िया में विभक्तियाँ और प्रत्यय भी शब्दों के अर्थ और व्याकरणिक संबंधों को स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, बहुवचन सूचित करने के लिए संज्ञाओं में प्रत्यय जोड़ना या भूतकाल दर्शाने के लिए क्रियाओं में प्रत्यय लगाना आम प्रथा है।

कुछ सामान्य ओड़िया शब्द और उनके अर्थ

ओड़िया शब्दउच्चारण (Roman)हिंदी अर्थअंग्रेज़ी अर्थ
ଓଡ଼ିଆOdiaओड़ियाOdia (Language)
ସମ୍ପ୍ରଦାନSampradanaसम्प्रदानTradition
ସମରSamaraसमरBattle
ଧର୍ମDharmaधर्मReligion
ବିବାହBibahaविवाहMarriage
ହସ୍ତିHastiहस्तीElephant
ମେଘMeghaमेघCloud
ମହାରାଜMaharaajमहाराजKing
ସ୍କୁଲSkulaस्कूलSchool
ପ୍ରକୃତିPrakrutiप्रकृतिNature

ओड़िया के प्रश्नवाचक शब्द (Interrogatives)

ओड़ियाउच्चारणहिंदी अर्थअंग्रेज़ी अर्थ
କଥାKathaक्याWhat
କେମିତିKeemitiकैसेHow
କୌଣKaunकौनWho
କିଥାଏKitahaeकहाँWhere
କବାରେKabareकबWhen
କାହିଁKahinकोईAnyone
କିମ୍ବାKimbaक्याWhat
କିଥାରେKitahareकहां रहेWhere are
କଥାରେKathareकिस वजह सेWhy
କିମ୍ବାରେKimbareकैसेHow

नकारात्मक शब्द और पद (Negatives)

ओड़ियाउच्चारणहिंदी अर्थअंग्रेज़ी अर्थ
ନାNaनहींNo
ନାହିଁNahinनहींNot
ନାହାନ୍ତିNahantiनहीं करतेDon’t
ନାହେNaheनहींNo
ଅଜଣାAjanaअनोखाUnique
ଅନୁପମAnupamaअनुपमUnmatched
ଅଲଗAlagaअलगDifferent
ଅବିକଳAbikalaअवधिDuration
ଅପ୍ରଯୋଜନAparayojanaअनवरतUnnecessary
ଅନନ୍ତAnantaअनंतEndless

कुछ सामान्य वाक्य ओड़िया में

ओड़िया वाक्यउच्चारण (Roman)हिंदी अर्थअंग्रेज़ी अर्थ
ମୋର ଘର ବେଶୀ ଛିMor Ghara Besi Chiमेरा घर बहुत बड़ा हैMy house is very big
ମୁଁ ଖୁବ ସୁଖୀMu Khuba Sukhiiमैं बहुत खुश हूँI am very happy
ସୁଖୀ କଥା ବଲାSukhii Katha Balaखुशी की कहानी बढ़ानाIncrease the happy story
ମୁଁ ଏହି ଘରରେ ବସେMu Ehi Gharere Beseमैं यहाँ घर में हूँI am at home here
ତୁମର ଘର କହିଁ ଛିTumara Ghara Kahin Chiतुम्हारा घर कहाँ हैWhere is your house
ମୋ ପାଖରେ ପ୍ରଥମ ସପ୍ତାହMor Pakhare Pratham Saptahमेरे पास पहला सप्ताहFirst week in my possession
ତୁମର ସହିତ ମୋଁ ଖୁବ ସୁଖୀTumara Sahita Mu Khuba Sukhiiतुम्हारे साथ मैं बहुत खुश हूँI am very happy with you
ମୋ ପୁରୁଷMo Purushaमैं पुरुष हूँI am a man
ତୁମରା ନାମ କି?Tumara Naam Ki?तुम्हारा नाम क्या है?What is your name?
ମୋ ଘର ବାହାରେMo Ghara Bahareमेरे घर के बाहरOutside my house
ମୁଁ ଖୁବ ଖୁବ ଖୁଶୀMun Khub Khub Khushiमैं बहुत खुश हूँI am very happy
ତୁମରେ ଖାଇବା ଚାହାନ୍ତି?Tumare Khaiaba Chahanti?क्या तुम खाना चाहते हो?Do you want to eat?
ମୋ ପୁସ୍ତକ ବହାରେMo Pustaka Bahareमेरी किताब बाहरMy book is outside
ମୋ ଛୁଟି କିଥାଏMo Chhuti Kitahaeमेरी छुट्टी कहाँ हैWhere is my holiday
ତୁମରେ କଥା କେମିତି?Tumare Katha Keemiti?तुम्हें कैसे बात करनी है?How do you want to speak?

ओड़िया भाषा का भौगोलिक विस्तार

ओड़िया भाषा मुख्य रूप से ओडिशा राज्य में बोली जाती है, जहाँ यह शासन, शिक्षा, न्याय और प्रशासन की राजभाषा है। इसके अतिरिक्त, यह आंध्र प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में भी बोली जाती है।
भारत के बाहर भी कुछ देशों में, विशेष रूप से बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका में ओड़िया भाषी समुदाय निवास करते हैं, जिन्होंने अपने धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में इस भाषा को जीवित रखा है।

ओड़िया भाषा और संस्कृति

ओड़िया भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं है, बल्कि यह ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर, पुरी रथयात्रा, और ओडिसी नृत्य जैसी परंपराएँ इसी भाषा में अभिव्यक्त होती हैं। ओड़िया लोककथाएँ, गीत, नाटक और लोकनृत्य राज्य की सांस्कृतिक आत्मा का परिचायक हैं।
भक्ति आंदोलन के काल में ओड़िया भाषा ने धार्मिक और सामाजिक सुधारों का माध्यम बनकर जनता के मनोमंथन को स्वर दिया।

ओड़िया साहित्य का इतिहास

ओड़िया साहित्य भारतीय भाषाओं के साहित्यिक संसार में एक विशिष्ट स्थान रखता है। यह साहित्य धार्मिक भक्ति, सामाजिक यथार्थ, प्रेम, प्रकृति और मानव संबंधों की भावनाओं से परिपूर्ण है।

(1) प्राचीन ओड़िया साहित्य (11वीं से 15वीं शताब्दी)

इस काल का साहित्य मुख्यतः धार्मिक और पौराणिक विषयों पर आधारित था। प्रारंभिक काव्य और गद्य का उद्देश्य धार्मिक संदेशों का प्रसार करना था।
भक्ति परंपरा के कवि जयदेव (गीता गोविंद के रचयिता) का नाम यहाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिन्होंने संस्कृत और ओड़िया दोनों में काव्य रचा।

(2) भक्ति युग (15वीं से 18वीं शताब्दी)

इस काल में पंचसखा कवियों का योगदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है —
बलराम दास, अच्युतानंद दास, जगन्नाथ दास, अनंत दास और यशोवंत दास
इन कवियों ने ओड़िया में भगवद्भक्ति, नैतिकता, और लोकचेतना को समाहित किया। उनकी रचनाओं ने भाषा को धार्मिक पवित्रता और भावनात्मक गहराई दी।

(3) आधुनिक ओड़िया साहित्य (19वीं शताब्दी से वर्तमान तक)

आधुनिक युग में ओड़िया साहित्य ने सामाजिक, यथार्थवादी और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण अपनाया। कुछ प्रमुख साहित्यकार इस प्रकार हैं —

फकीर मोहन सेनापति (1843–1918)

उन्हें आधुनिक ओड़िया साहित्य का जनक माना जाता है।
उनका प्रसिद्ध उपन्यास “छ मन अथा गुंथा” (छः एकड़ और एक तिहाई) भारतीय ग्रामीण समाज की सामाजिक विषमता पर आधारित एक उत्कृष्ट कृति है। उन्होंने ओड़िया भाषा के गद्य को आधुनिक रूप दिया।

गोपबंधु दास (1877–1928)

वे स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और पत्रकार थे। उन्होंने साप्ताहिक पत्र “समाज” की स्थापना की, जिसने ओडिशा में जनचेतना फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनकी रचनाएँ सामाजिक न्याय, देशभक्ति और मानव सेवा की भावना से प्रेरित हैं।

कालिंदी चरण पाणिग्रही (1892–1978)

वे कवि, नाटककार और उपन्यासकार थे। उनकी रचनाएँ मानव भावनाओं, प्रकृति और प्रेम की सूक्ष्म अनुभूतियों को व्यक्त करती हैं।
उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में “जीवन स्मृति” और “पंचसखा” कविताएँ प्रमुख हैं।

बनजा मोहंती (1918–1991)

वे आधुनिक युग के प्रमुख ओड़िया कवि और उपन्यासकार थे।
उनकी रचनाएँ जैसे “भिकारी” और “ना हृदय” सामाजिक यथार्थ और मानवीय संवेदना को चित्रित करती हैं।

तिभा रे (1944–वर्तमान)

वे समकालीन ओड़िया साहित्य की सबसे चर्चित उपन्यासकारों में से एक हैं।
उनकी रचनाएँ “यज्ञसेनी”, “अष्टपद”, और “मृत्युंजय” जैसी कृतियाँ भारतीय नारी की आंतरिक शक्ति और संघर्ष को दर्शाती हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें पद्मश्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रमुख हैं।

ओड़िया साहित्य के प्रमुख कवि, लेखक और उनकी रचनाएँ

क्रमांकसाहित्यकार का नामजीवन काल / अवधिसाहित्यिक विधाप्रमुख रचनाएँविशेष योगदान / टिप्पणी
1जयदेव12वीं शताब्दीकाव्य / भक्ति साहित्यगीता गोविंदसंस्कृत व ओड़िया दोनों में रचना; ओड़िया भक्ति काव्य पर गहरा प्रभाव
2बलराम दास15वीं शताब्दीधार्मिक कविताजगमोहन रामायण, लक्ष्मण चरितपंचसखा कवियों में अग्रणी; ओड़िया रामायण के रचयिता
3जगन्नाथ दास15वीं शताब्दीधार्मिक ग्रंथभगवत गीता का ओड़िया अनुवाद (ओड़िया भागवत)ओड़िया भाषा में गीता की लोकाभिव्यक्ति; व्यापक जनचेतना का संचार
4अच्युतानंद दास16वीं शताब्दीदार्शनिक काव्यहरिवंश, गुरुभक्तिगीतपंचसखा परंपरा के कवि; योग और भक्ति का समन्वय
5अनंत दास16वीं शताब्दीभक्तिकाव्यचित्तविनोद, भक्तमालासरल भाषा में आध्यात्मिक भावनाओं की अभिव्यक्ति
6यशोवंत दास16वीं शताब्दीभक्ति काव्यपवित्र गीता, प्रेमभक्ति कवितापंचसखा समूह के कवि; लोकशैली में आध्यात्मिक संदेश
7फकीर मोहन सेनापति1843–1918उपन्यास, कहानीछ मन अथा गुंथा, राई, रेवतीआधुनिक ओड़िया साहित्य के जनक; यथार्थवादी गद्य के प्रवर्तक
8गोपबंधु दास1877–1928निबंध, पत्रकारिता, कविताबंधु समाज, धैर्य धरा ना हारास्वतंत्रता सेनानी; समाज-सुधार और राष्ट्रप्रेम के लेखक
9माधव पटनायक1880–1958कविता, निबंधकवी माला, महाप्रस्थानओड़िया कविता में आधुनिकता के सूत्रपातकर्ता
10कालिंदी चरण पाणिग्रही1892–1978कविता, उपन्यास, नाटकमाटी मतला, जीवन स्मृति, पंचसखारोमांटिकतावादी काव्य और सामाजिक उपन्यासों के जनक
11गोपीनाथ मोहंती1914–1991उपन्यास, कहानीपरजा, अमृतरा संतान, दानपात्रआधुनिक ओड़िया कथा-साहित्य के अग्रणी; आदिवासी जीवन का चित्रण
12बनजा मोहंती1918–1991कविता, उपन्यासभिकारी, ना हृदयमानवतावादी संवेदना के कवि; ओड़िया गद्य में मनोवैज्ञानिक यथार्थवाद
13सत्य पटनायक1930–2000कविता, निबंधअग्नि बिंदु, काल पुंजनवजागरण और आधुनिक चिंतन के कवि
14प्रतिभा रे1944–वर्तमानउपन्यास, कहानीयज्ञसेनी, अष्टपद, मृत्युंजयनारी सशक्तिकरण और मानवीय मूल्यों की समर्थ लेखिका
15रामकांत रथ1934–वर्तमानआधुनिक कवितासप्तमो चरण, संधि रात्रिसमकालीन ओड़िया कविता के प्रमुख स्तंभ; अस्तित्ववादी भावधारा
16मनोहर पटनायक1940–वर्तमानआलोचना, निबंधओड़िया साहित्यर इतिहास, साहित्यर चेतनाआधुनिक आलोचना और भाषा अध्ययन में योगदान
17सरोजिनी साहू1956–वर्तमानउपन्यास, कहानीगांधारी, महांदीर किनारेनारीवादी दृष्टिकोण से लेखन; आधुनिक सामाजिक विमर्श की प्रतिनिधि
18हरप्रसाद दास1946–वर्तमानकविता, निबंधदेश, मौनर माटीबौद्धिक कविता के प्रवर्तक; आधुनिक यथार्थवाद के कवि
19जयंत महापात्र1928–2023अंग्रेज़ी एवं ओड़िया कविताRelationship, Random Descentपहले ओड़िया कवि जिन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला; अंतरराष्ट्रीय पहचान
20सुबोध पटनायकसमकालीननाटक / रंगमंचअंधार, सूर्यास्तआधुनिक ओड़िया रंगमंच के प्रमुख नाटककार

🟩 विशेष टिप्पणी

  • ओड़िया साहित्य में भक्ति युग (15वीं–17वीं शताब्दी) और आधुनिक युग (19वीं–20वीं शताब्दी) दोनों ही अत्यंत समृद्ध माने जाते हैं।
  • “पंचसखा कवि परंपरा” ओड़िया साहित्य का मेरुदंड है, जिसने इसे धार्मिक और लोकभाषिक गहराई दी।
  • फकीर मोहन सेनापति और गोपीनाथ मोहंती ने ओड़िया गद्य को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया, जबकि प्रतिभा रे और रामकांत रथ ने आधुनिकता, नारी विमर्श और मानवतावादी चिंतन से साहित्य को नया दृष्टिकोण दिया।

ओड़िया भाषा का आधुनिक स्वरूप

21वीं शताब्दी में ओड़िया भाषा ने डिजिटल माध्यमों पर भी अपनी पहचान बनाई है। समाचार चैनल, वेब पोर्टल, मोबाइल एप और सोशल मीडिया पर यह भाषा सक्रिय रूप से प्रयुक्त हो रही है।
ओडिशा सरकार ने शिक्षा, प्रशासन और तकनीकी क्षेत्रों में ओड़िया के उपयोग को अनिवार्य बनाकर इसके संरक्षण के प्रयास किए हैं।

वर्ष 2014 में भारत सरकार ने ओड़िया को “शास्त्रीय भाषा (Classical Language)” का दर्जा प्रदान किया। यह सम्मान इसकी प्राचीनता, समृद्ध साहित्य और स्वतंत्र भाषिक परंपरा का प्रमाण है।

भाषाई महत्व और संरक्षण

ओड़िया भाषा केवल ओडिशा की पहचान नहीं, बल्कि भारतीय भाषाई विरासत की एक अमूल्य धरोहर है।
आज आवश्यकता है कि युवा पीढ़ी इस भाषा को पढ़े, लिखे और बोले ताकि यह भविष्य में भी जीवित और सशक्त बनी रहे। विद्यालयों में ओड़िया साहित्य का पठन, नाट्य मंचन, लोकगीत प्रतियोगिताएँ और डिजिटल शिक्षण माध्यम इसके संवर्धन में सहायक हो सकते हैं।

निष्कर्ष

ओड़िया भाषा भारत की उन चुनिंदा भाषाओं में से है जिनका इतिहास, लिपि और साहित्य सभी अत्यंत समृद्ध हैं। इसकी जड़ें प्राचीन भारतीय संस्कृति में गहराई तक फैली हुई हैं।
यह भाषा न केवल ओडिशा की पहचान है, बल्कि भारतीय भाषाई एकता की प्रतीक भी है।
फकीर मोहन सेनापति, गोपबंधु दास और प्रतिभा रे जैसे साहित्यकारों ने इस भाषा को ऊँचाई पर पहुँचाया।
आज जब वैश्वीकरण और अंग्रेज़ी का प्रभाव बढ़ रहा है, तब ओड़िया जैसी भारतीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन हमारे सांस्कृतिक अस्तित्व के लिए आवश्यक है।

ओड़िया भाषा वास्तव में भारत की आत्मा की एक मधुर अभिव्यक्ति है —
एक ऐसी धारा जो सदियों से मानवता, संस्कृति और साहित्य को सिंचित करती आ रही है।


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