भारत एक विविधताओं से भरा देश है — यहाँ अनेक संस्कृतियाँ, भाषाएँ, परम्पराएँ और समाज के अलग-अलग वर्ग रहते हैं। इनमें अनुसूचित जनजातियाँ (Scheduled Tribes) भारत की जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लंबे समय तक ये समाज मुख्यधारा की शिक्षा और विकास से वंचित रहे। उनके लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, आधुनिक संसाधन और समान अवसर उपलब्ध कराना भारत सरकार की एक बड़ी चुनौती रही है।
इसी पृष्ठभूमि में वर्ष 1997-98 में भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक योजना की शुरुआत की — एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential School – EMRS)। यह योजना न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रस्तुत करती है, बल्कि आदिवासी समाज के समग्र विकास और सामाजिक सशक्तिकरण की ओर एक सशक्त कदम भी है।
EMRS क्या है? (What is EMRS)
EMRS का फुल फॉर्म है — Eklavya Model Residential School, जिसका हिन्दी में अर्थ है — एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय।
यह भारत सरकार की एक विशेष पहल है जिसका उद्देश्य देश के आदिवासी (Tribal) छात्रों को आधुनिक, गुणवत्तापूर्ण और निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराना है। इन विद्यालयों की स्थापना और संचालन जनजातीय कार्य मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs – MoTA) के अधीन किया जाता है।
इन विद्यालयों में छात्रों को न केवल शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित और प्रेरणादायी वातावरण भी प्रदान किया जाता है जहाँ वे शैक्षणिक, सांस्कृतिक और खेलकूद के क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें।
EMRS का उद्देश्य (Purpose of EMRS)
EMRS का प्रमुख उद्देश्य है — भारत के अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) समुदाय से आने वाले विद्यार्थियों को ऐसे अवसर देना, जिससे वे देश की मुख्यधारा में सम्मिलित होकर आत्मनिर्भर बन सकें।
मुख्य उद्देश्यों को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है —
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना:
आदिवासी छात्रों को CBSE स्तर की आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराना ताकि वे राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। - आधुनिक सुविधाओं का प्रावधान:
विद्यालयों में प्रयोगशालाएँ, कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लासरूम और पुस्तकालय जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। - निःशुल्क आवासीय शिक्षा:
छात्रों को हॉस्टल, भोजन, यूनिफॉर्म, पुस्तकें और स्टेशनरी आदि की सुविधाएँ पूरी तरह निःशुल्क दी जाती हैं। - खेलकूद और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों का विकास:
छात्रों को खेल, संगीत, कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। - सामाजिक समानता और सशक्तिकरण:
EMRS केवल शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समाज को आत्मसम्मान और समान अवसर दिलाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।
इस प्रकार, EMRS का लक्ष्य एक समतामूलक समाज की रचना करना है जहाँ प्रत्येक बच्चा — चाहे वह किसी भी जनजातीय पृष्ठभूमि से क्यों न हो — शिक्षा के माध्यम से अपनी पहचान बना सके।
EMRS की शुरुआत और विकास यात्रा
1. योजना की शुरुआत
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना की शुरुआत वर्ष 1997-98 में भारत सरकार द्वारा की गई थी।
उस समय इसका उद्देश्य था — प्रत्येक आदिवासी बहुल जिले में कम-से-कम एक आवासीय विद्यालय स्थापित करना, ताकि वहाँ के बच्चों को आधुनिक शिक्षा मिल सके।
2. प्रशासनिक नियंत्रण
यह योजना जनजातीय कार्य मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) के अधीन चलाई जाती है। मंत्रालय इस योजना की नीतियाँ बनाता है, जबकि इसके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी एक स्वायत्त निकाय — National Education Society for Tribal Students (NESTS) को सौंपी गई है।
3. प्रारंभिक चरण
शुरुआती चरण में केवल कुछ जिलों में ही विद्यालय स्थापित किए गए थे। धीरे-धीरे इसकी सफलता और प्रभाव को देखते हुए इसे पूरे देश में विस्तारित किया गया।
4. वर्तमान स्थिति (2025 तक)
वर्ष 2025 तक देशभर में 600 से अधिक EMRS विद्यालयों को स्वीकृति दी जा चुकी है, जिनमें से सैकड़ों विद्यालय पूर्ण रूप से संचालित हैं।
सरकार का लक्ष्य है कि प्रत्येक आदिवासी ब्लॉक में कम-से-कम एक EMRS विद्यालय स्थापित किया जाए।
EMRS में शिक्षा और सुविधाएं
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में कक्षा 6 से 12 तक की शिक्षा दी जाती है।
इन विद्यालयों में शिक्षा CBSE (Central Board of Secondary Education) के पाठ्यक्रम के अनुसार होती है।
मुख्य सुविधाएँ
- निवास (Hostel सुविधा):
सभी छात्र विद्यालय परिसर में ही रहते हैं और उन्हें पूर्ण आवासीय सुविधा दी जाती है। - भोजन और यूनिफॉर्म:
विद्यार्थियों को पौष्टिक भोजन और निर्धारित ड्रेस कोड के अनुसार यूनिफॉर्म निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। - पुस्तकें और स्टेशनरी:
छात्रों को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री विद्यालय द्वारा दी जाती है। - स्मार्ट क्लासरूम और कंप्यूटर शिक्षा:
छात्रों को आधुनिक तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए स्मार्ट क्लासरूम, कंप्यूटर लैब और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। - खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियाँ:
EMRS विद्यालयों में खेल मैदान, जिम्नेशियम, खेल उपकरण और सांस्कृतिक मंचों की सुविधा दी जाती है ताकि विद्यार्थी अपनी रुचि और प्रतिभा को विकसित कर सकें। - स्वास्थ्य और सुरक्षा:
विद्यालयों में चिकित्सा सुविधाएँ, नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। - स्कॉलरशिप और प्रतियोगी परीक्षा मार्गदर्शन:
छात्रों को आगे की पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे JEE, NEET, UPSC आदि) के लिए मार्गदर्शन और छात्रवृत्ति दी जाती है।
EMRS शिक्षकों की भर्ती (EMRS Recruitment 2025)
विद्यालयों की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर शिक्षकों की भर्ती की जाती है।
Eklavya Model Residential School Recruitment 2025 के अंतर्गत निम्नलिखित पदों पर नियुक्तियाँ होती हैं —
- Principal (प्रधानाचार्य)
- PGT (Post Graduate Teacher)
- TGT (Trained Graduate Teacher)
- Accountant (लेखापाल)
- Lab Attendant (प्रयोगशाला सहायक)
- Clerk और अन्य प्रशासनिक पद
इन सभी पदों की भर्ती NESTS (National Education Society for Tribal Students) द्वारा एक समान परीक्षा प्रक्रिया के माध्यम से की जाती है।
भर्ती परीक्षा में सामान्य अध्ययन, शिक्षण कौशल, विषय-ज्ञान और कंप्यूटर साक्षरता से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके बाद चयनित उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देकर विद्यालयों में नियुक्त किया जाता है।
EMRS का संचालन और निगरानी
EMRS विद्यालयों का संचालन और प्रबंधन NESTS (National Education Society for Tribal Students) द्वारा किया जाता है।
यह संस्था जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय (Autonomous Body) है।
इसका गठन वर्ष 2019 में किया गया था ताकि EMRS परियोजना को व्यवस्थित और परिणाममुखी बनाया जा सके।
NESTS के प्रमुख कार्य:
- EMRS विद्यालयों की स्थापना और निर्माण कार्य की देखरेख।
- शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती और प्रशिक्षण।
- पाठ्यक्रम, शिक्षण गुणवत्ता और छात्रों के प्रदर्शन की निगरानी।
- विद्यालयों के संचालन के लिए वित्तीय और प्रशासनिक सहायता प्रदान करना।
- छात्रों की शैक्षणिक प्रगति और समग्र विकास का मूल्यांकन।
EMRS मॉडल और नवोदय विद्यालय की तुलना
EMRS का मॉडल काफी हद तक Navodaya Vidyalaya Samiti (NVS) से प्रेरित है, लेकिन दोनों के उद्देश्य अलग-अलग हैं।
| विशेषता | नवोदय विद्यालय | एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय |
|---|---|---|
| संचालन | शिक्षा मंत्रालय | जनजातीय कार्य मंत्रालय |
| लक्षित छात्र | ग्रामीण क्षेत्र के मेधावी छात्र | आदिवासी समुदाय के छात्र |
| प्रारंभ वर्ष | 1985 | 1997-98 |
| पाठ्यक्रम | CBSE | CBSE |
| मुख्य उद्देश्य | ग्रामीण प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देना | आदिवासी छात्रों को मुख्यधारा से जोड़ना |
इस प्रकार, EMRS का मॉडल सामाजिक न्याय और समान अवसर की भावना को सशक्त बनाता है।
EMRS का सामाजिक और शैक्षिक प्रभाव
- शिक्षा की पहुँच में वृद्धि:
जहाँ पहले आदिवासी क्षेत्र शिक्षा से दूर थे, अब वहाँ आधुनिक विद्यालय स्थापित हो चुके हैं। - साक्षरता दर में सुधार:
EMRS विद्यालयों ने आदिवासी जिलों में साक्षरता दर को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है। - रोज़गार और आत्मनिर्भरता:
यहाँ से पढ़े छात्र उच्च शिक्षा, सरकारी सेवाओं और निजी क्षेत्रों में बेहतर अवसर प्राप्त कर रहे हैं। - सामाजिक समानता:
यह योजना सामाजिक असमानता को कम करने और आदिवासी समुदायों में आत्मविश्वास बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। - महिला सशक्तिकरण:
EMRS में लड़कियों के लिए भी समान अवसर उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे आदिवासी महिलाओं की शिक्षा दर में वृद्धि हुई है।
चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता
हालाँकि EMRS एक सफल योजना रही है, फिर भी इसके सामने कुछ चुनौतियाँ हैं —
- दूरदराज़ इलाकों में विद्यालय निर्माण में देरी
- शिक्षकों की कमी और स्थानांतरण में कठिनाइयाँ
- आधुनिक तकनीकी उपकरणों का अभाव
- इंटरनेट और डिजिटल संसाधनों की सीमित पहुँच
- छात्रों के अभिभावकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी
सरकार और NESTS लगातार इन चुनौतियों को दूर करने के लिए कदम उठा रहे हैं — जैसे ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म, शिक्षकों का ऑनलाइन प्रशिक्षण, और विद्यालय प्रबंधन में स्थानीय भागीदारी को बढ़ावा देना।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
| विषय | जानकारी |
|---|---|
| फुल फॉर्म (Full Form) | Eklavya Model Residential School |
| हिन्दी में अर्थ | एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय |
| स्थापना वर्ष | 1997-98 |
| संचालित संस्था | जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) |
| निगरानी निकाय | NESTS (National Education Society for Tribal Students) |
| मुख्य उद्देश्य | आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना |
| कक्षाएँ | 6 से 12 |
| शिक्षा बोर्ड | CBSE |
| लाभार्थी वर्ग | अनुसूचित जनजाति (ST) छात्र |
| सुविधाएँ | निःशुल्क शिक्षा, हॉस्टल, भोजन, यूनिफॉर्म, खेल, स्मार्ट क्लास |
निष्कर्ष
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) भारत सरकार की एक दूरदर्शी योजना है, जिसने आदिवासी समाज में शिक्षा के नए द्वार खोले हैं। यह विद्यालय न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि आत्मविश्वास, नेतृत्व और आत्मनिर्भरता का भाव भी जगाते हैं।
“एकलव्य” के नाम पर आधारित यह योजना उस प्रेरणा को साकार करती है, जो गुरु-भक्ति, समर्पण और कठिन परिस्थितियों में भी सीखने की लगन का प्रतीक है।
आज EMRS विद्यालय भारत के आदिवासी इलाकों में “नए युग की शैक्षिक क्रांति” के रूप में उभर रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह पहल निश्चय ही सामाजिक समानता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समावेशी विकास के क्षेत्र में भारत को और ऊँचाइयों तक पहुँचाएगी।
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