शिल्प दीदी कार्यक्रम (Shilp Didi Program): महिला कारीगरों के आर्थिक सशक्तिकरण की नई कहानी

भारत की अर्थव्यवस्था में हस्तशिल्प क्षेत्र का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत व्यापक रहा है। यह क्षेत्र न केवल ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत की आजीविका का प्रमुख आधार है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का भी सशक्त माध्यम है। इस क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय रही है। परंतु लंबे समय तक महिला कारीगर असंगठित क्षेत्र, सीमित बाजार पहुँच, बिचौलियों पर निर्भरता और वित्तीय एवं डिजिटल साक्षरता की कमी जैसी चुनौतियों से जूझती रही हैं।

इन्हीं संरचनात्मक समस्याओं के समाधान और महिला कारीगरों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा “शिल्प दीदी कार्यक्रम” की शुरुआत की गई। यह कार्यक्रम महिला कारीगरों को केवल शिल्प तक सीमित न रखकर उन्हें उद्यमी, नियोक्ता और सामुदायिक नेता के रूप में विकसित करने का प्रयास है। हाल ही में केंद्रीय वस्त्र सचिव नीलम शमी राव द्वारा यह उल्लेख किया गया कि इस कार्यक्रम से जुड़ी कुछ महिला कारीगरों की वार्षिक आय ₹5 लाख से अधिक हो गई है, जो महिला आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा सकती है।

शिल्प दीदी कार्यक्रम: पृष्ठभूमि और आरंभ

शिल्प दीदी कार्यक्रम वस्त्र मंत्रालय (Ministry of Textiles) द्वारा जून 2024 में पायलट परियोजना के रूप में आरंभ किया गया। इसका मूल उद्देश्य पारंपरिक महिला कारीगरों को घर आधारित उत्पादन प्रणाली से बाहर निकालकर उन्हें टिकाऊ और लाभकारी व्यवसाय मॉडल से जोड़ना है।

इस कार्यक्रम के पायलट चरण में:

  • देश के 23 राज्यों
  • 72 जिलों
  • से चयनित 100 महिला कारीगरों
    को शामिल किया गया।

इन महिला कारीगरों का प्रतिनिधित्व भारत के 30 से अधिक पारंपरिक शिल्पों से था, जिनमें बुनाई, कढ़ाई, टेराकोटा, लकड़ी शिल्प, धातु शिल्प, जनजातीय कला, हस्त-चित्रांकन आदि शामिल थे। यह विविधता कार्यक्रम की समावेशी प्रकृति को दर्शाती है।

शिल्प दीदी कार्यक्रम क्या है?

शिल्प दीदी कार्यक्रम महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु संचालित एक केंद्रीय योजना है, जिसका उद्देश्य महिला कारीगरों को केवल श्रमिक न मानकर उन्हें स्वतंत्र उद्यमी के रूप में विकसित करना है। इसके अंतर्गत महिलाओं को:

  • व्यावसायिक प्रशिक्षण
  • डिजिटल एवं ई-कॉमर्स ज्ञान
  • ब्रांडिंग एवं विपणन सहायता
  • बाजार तक प्रत्यक्ष पहुँच
  • वित्तीय और नियामक जागरूकता

प्रदान की जाती है।

यह कार्यक्रम पारंपरिक कौशल और आधुनिक व्यवसायिक दृष्टिकोण के संयोजन का उत्कृष्ट उदाहरण है।

कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य

शिल्प दीदी कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. महिला कारीगरों की आय में वृद्धि करना
  2. उन्हें आत्मनिर्भर उद्यमी के रूप में विकसित करना
  3. हस्तशिल्प क्षेत्र में महिलाओं की नेतृत्व भूमिका को सुदृढ़ करना
  4. पारंपरिक भारतीय शिल्पों का संरक्षण एवं संवर्धन
  5. डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना
  6. बिचौलियों पर निर्भरता कम कर प्रत्यक्ष लाभ सुनिश्चित करना

कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ

1. आय में उल्लेखनीय वृद्धि

शिल्प दीदी कार्यक्रम की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि महिला कारीगरों की आय में आई बहु-गुना वृद्धि है। परंपरागत रूप से जहाँ महिला कारीगर सीमित आय पर निर्भर थीं, वहीं अब:

  • कुछ महिला कारीगरों की वार्षिक आय ₹5 लाख से अधिक दर्ज की गई है
  • नियमित आय प्रवाह सुनिश्चित हुआ है
  • शिल्प को आजीविका के साथ-साथ लाभकारी व्यवसाय में बदला गया है

यह परिवर्तन केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महिलाओं के आत्मसम्मान को सुदृढ़ करता है।

2. बाजार तक सीधी पहुँच

इस कार्यक्रम के अंतर्गत महिला कारीगरों को भौतिक और डिजिटल दोनों बाजारों से जोड़ा गया।

  • उन्हें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म “इंडीहाट (IndiHaat)” से जोड़ा गया
  • इससे उनके उत्पादों की बिक्री राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संभव हुई
  • मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता आई
  • बिचौलियों की भूमिका कम हुई

डिजिटल बाजार से जुड़ने के कारण महिला कारीगर अब वैश्विक ग्राहकों की मांग के अनुसार अपने उत्पादों में नवाचार भी कर पा रही हैं।

3. ई-प्रशिक्षण और कौशल विकास

महिला कारीगरों को राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (NHDP) के अंतर्गत व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इसमें शामिल हैं:

  • उद्यमिता विकास (Entrepreneurship Development)
  • ई-कॉमर्स पंजीकरण एवं संचालन
  • सोशल मीडिया विपणन (Instagram, Facebook, WhatsApp Business आदि)
  • डिजिटल भुगतान प्रणाली
  • जीएसटी पंजीकरण एवं नियामक अनुपालन
  • उत्पाद पैकेजिंग एवं गुणवत्ता मानक

यह प्रशिक्षण महिलाओं को केवल कारीगर नहीं, बल्कि व्यवसाय प्रबंधक बनने में सक्षम बनाता है।

4. नेतृत्व क्षमता का विकास

शिल्प दीदी कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव महिलाओं में नेतृत्व क्षमता का विकास है।

  • महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा
  • निर्णय लेने की क्षमता विकसित हुई
  • कई महिलाएँ अब नियोक्ता के रूप में कार्य कर रही हैं
  • वे अन्य महिलाओं को रोजगार दे रही हैं

इस प्रकार यह कार्यक्रम महिला नेतृत्व आधारित विकास मॉडल को प्रोत्साहित करता है।

कार्यक्रम का महत्व

1. महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर

शिल्प दीदी कार्यक्रम सीधे तौर पर महिला आर्थिक सशक्तिकरण को संबोधित करता है। यह कार्यक्रम:

  • लखपति दीदी” पहल के लक्ष्यों के अनुरूप है
  • महिलाओं को केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि आर्थिक भागीदार बनाता है
  • सामाजिक-सांस्कृतिक बंधनों को तोड़ने में सहायक है

2. समावेशी और सतत विकास

हस्तशिल्प क्षेत्र मुख्यतः असंगठित क्षेत्र से जुड़ा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से:

  • ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों की महिलाओं को अवसर मिले
  • क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने में सहायता मिली
  • पारंपरिक भारतीय कला रूपों का संरक्षण हुआ

यह कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) विशेषकर SDG-5 (Gender Equality) और SDG-8 (Decent Work) से भी जुड़ा है।

3. स्किल इंडिया मिशन से सामंजस्य

शिल्प दीदी कार्यक्रम स्किल इंडिया मिशन का एक व्यावहारिक उदाहरण है। इसमें:

  • पारंपरिक कौशल का उन्नयन
  • आधुनिक व्यवसायिक एवं डिजिटल कौशल का समावेश
  • रोजगार से उद्यमिता की ओर संक्रमण

दिखाई देता है।

4. डिजिटल इंडिया पहल का विस्तार

ई-कॉमर्स, डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन विपणन पर जोर देकर यह कार्यक्रम:

  • महिला कारीगरों को डिजिटल इंडिया पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल करता है
  • डिजिटल विभाजन (Digital Divide) को कम करता है
  • ग्रामीण भारत में डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है

अन्य सरकारी योजनाओं के साथ संबंध

शिल्प दीदी कार्यक्रम सरकार की अन्य प्रमुख पहलों का पूरक है, जैसे:

  • प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना – पारंपरिक कारीगरों के कौशल उन्नयन हेतु
  • अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना – क्लस्टर आधारित विकास
  • राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (NHDP) – प्रशिक्षण और बाजार सहायता

इन योजनाओं के समन्वय से हस्तशिल्प क्षेत्र में एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो रहा है।

चुनौतियाँ और आगे की राह

हालाँकि शिल्प दीदी कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  • डिजिटल साक्षरता का स्तर अभी भी असमान
  • लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएँ
  • वित्तीय सहायता और ऋण की सीमित पहुँच
  • पायलट से राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार की आवश्यकता

आगे की राह में आवश्यक है कि:

  • कार्यक्रम का विस्तार अधिक महिलाओं तक किया जाए
  • निरंतर प्रशिक्षण और परामर्श उपलब्ध कराया जाए
  • निजी क्षेत्र और स्टार्टअप्स को भी इससे जोड़ा जाए

निष्कर्ष

शिल्प दीदी कार्यक्रम भारत में महिला कारीगरों के लिए केवल एक योजना नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की कहानी है। यह कार्यक्रम दर्शाता है कि यदि पारंपरिक कौशल को आधुनिक बाजार और डिजिटल तकनीक से जोड़ा जाए, तो महिलाएँ न केवल आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि रोजगार सृजनकर्ता और नेतृत्वकर्ता भी बन सकती हैं।

₹5 लाख से अधिक की वार्षिक आय अर्जित करने वाली महिला कारीगरें इस बात का प्रमाण हैं कि सही नीति, प्रशिक्षण और बाजार पहुँच से भारत की महिलाएँ विकास की धुरी बन सकती हैं। शिल्प दीदी कार्यक्रम निस्संदेह आत्मनिर्भर भारत और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त कदम है।


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