मणिपुर की “फ्लावर लेडी” चोखोने क्रिचेना: पारंपरिक कृषि से आधुनिक उद्यमिता तक की प्रेरक यात्रा

भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की पहाड़ी घाटियों और ग्रामीण अंचलों में आज एक नई कृषि क्रांति आकार ले रही है—ऐसी क्रांति, जो परंपरा और आधुनिकता के समन्वय से जन्मी है। इस परिवर्तन की प्रतीक बनकर उभरी हैं चोखोने क्रिचेना, जिन्हें आज पूरे देश में “फ्लावर लेडी ऑफ मणिपुर” के नाम से जाना जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 दिसंबर 2025 को प्रसारित ‘मन की बात’ के 129वें एपिसोड में चोखोने क्रिचेना के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें ग्रामीण भारत की नवाचारशील उद्यमिता का आदर्श उदाहरण बताया। यह उल्लेख न केवल व्यक्तिगत सम्मान था, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि किस प्रकार एक शिक्षित युवा महिला ने पारंपरिक कृषि विरासत को आधुनिक स्टार्टअप मॉडल में बदलकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को साकार किया।

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चोखोने क्रिचेना का संक्षिप्त परिचय

चोखोने क्रिचेना मणिपुर के सेनापति जिले के माओ (Mao) क्षेत्र की निवासी हैं। यह क्षेत्र पहाड़ी और अपेक्षाकृत पिछड़ा माना जाता है, जहाँ आजीविका के सीमित साधन उपलब्ध रहे हैं। ऐसे क्षेत्र से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना अपने आप में एक असाधारण उपलब्धि है।

शैक्षणिक दृष्टि से चोखोने अत्यंत प्रतिभाशाली रही हैं।

  • उन्होंने पुणे से स्नातक (Graduation) की पढ़ाई पूरी की।
  • इसके बाद बायोटेक्नोलॉजी में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

उच्च शिक्षा और शहरी अवसरों के बावजूद उन्होंने किसी कॉर्पोरेट करियर को नहीं चुना, बल्कि अपने गृह राज्य मणिपुर लौटकर कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में काम करने का साहसिक निर्णय लिया।

परंपरा से प्रेरणा और बदलाव का संकल्प

मणिपुर और पूर्वोत्तर भारत में फूलों की खेती कोई नई बात नहीं है। यह क्षेत्र सदियों से विविध प्रकार के फूलों, जंगली पौधों और प्राकृतिक जैव-विविधता के लिए जाना जाता रहा है। परंतु पारंपरिक खेती प्रायः आत्मनिर्भरता से आगे व्यावसायिक लाभ नहीं दे पाती थी।

चोखोने क्रिचेना ने इस समस्या को गहराई से समझा। उन्होंने महसूस किया कि—

  • किसान पारंपरिक सब्ज़ियों और फसलों से सीमित आय अर्जित कर पा रहे हैं
  • फूलों की खेती में अधिक संभावनाएँ हैं
  • मूल्यवर्धन (Value Addition) के अभाव में किसानों को उनका वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है

यहीं से उनके भीतर फ्लोरीकल्चर (Floriculture) को एक संगठित और लाभकारी उद्यम के रूप में विकसित करने का विचार जन्मा।

‘डियान्थे प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना

इस विचार को मूर्त रूप देने के लिए चोखोने क्रिचेना ने जुलाई 2021 में ‘डियान्थे प्राइवेट लिमिटेड’ (Dianthe Private Limited) की स्थापना की।

‘डियान्थे’ नाम का महत्व

‘डियान्थे’ एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है—

“देवताओं का फूल” (Flower of Gods)

यह नाम न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह इस उद्यम के दर्शन को भी दर्शाता है—प्रकृति से जुड़ाव, पवित्रता और सृजनात्मकता।

फ्लोरीकल्चर को व्यवसाय में बदलने की रणनीति

चोखोने क्रिचेना ने पारंपरिक फूलों की खेती को केवल ताज़े फूल बेचने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे एक बहुआयामी व्यवसाय मॉडल में बदला।

(1) सूखे फूलों (Dry Flowers) का नवाचार

उन्होंने देखा कि ताज़े फूलों की शेल्फ लाइफ कम होती है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। इसके समाधान के रूप में उन्होंने—

  • फूलों को ड्राई फ्लावर में परिवर्तित करने की तकनीक अपनाई
  • सूखे फूलों से विभिन्न उत्पाद तैयार किए

(2) मूल्यवर्धित उत्पाद

डियान्थे के अंतर्गत बनाए जाने वाले प्रमुख उत्पाद हैं—

  • सजावटी मोमबत्तियाँ (Candles)
  • एपॉक्सी आर्ट
  • फोटो फ्रेम
  • गिफ्ट आइटम्स और होम डेकोर उत्पाद

इन उत्पादों ने फूलों को एक कलात्मक और बाजारोन्मुख स्वरूप प्रदान किया।

ग्रामीण महिलाओं का प्रशिक्षण और सशक्तिकरण

चोखोने क्रिचेना की सफलता का सबसे सशक्त पक्ष है—महिला सशक्तिकरण

  • उन्होंने अब तक 50–60 ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित किया है
  • इन महिलाओं को फूल सुखाने, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और उत्पाद निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया
  • उन्हें डियान्थे की आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) का हिस्सा बनाया गया

इस पहल से ग्रामीण महिलाओं को—

  • घर के पास रोजगार
  • नियमित आय
  • आत्मसम्मान और निर्णय लेने की क्षमता

प्राप्त हुई है।

किसानों की आय में क्रांतिकारी वृद्धि

चोखोने क्रिचेना ने किसानों को यह दिखाया कि—

  • पारंपरिक सब्ज़ियों की तुलना में
  • फूलों से 3 से 4 गुना अधिक आय संभव है

यह परिवर्तन केवल आय का नहीं, बल्कि सोच का भी परिवर्तन था। आज अनेक किसान पारंपरिक खेती छोड़कर फ्लोरीकल्चर की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

राष्ट्रीय बाजार में डियान्थे की पहचान

आज डियान्थे प्राइवेट लिमिटेड के उत्पाद—

  • भारत के 16–17 राज्यों में बेचे जा रहे हैं
  • जिनमें प्रमुख हैं—दिल्ली, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल आदि

यह उपलब्धि यह सिद्ध करती है कि यदि उत्पाद गुणवत्ता और नवाचार से युक्त हों, तो पूर्वोत्तर भारत भी राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकता है।

सम्मान और उपलब्धियाँ

चोखोने क्रिचेना को उनके नवाचार और सामाजिक प्रभाव के लिए Kula Innovate Challenge 2024 से सम्मानित किया गया।
यह सम्मान उनके उद्यम को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध हुआ।

सरकारी योजनाओं की भूमिका

चोखोने क्रिचेना की सफलता में विभिन्न सरकारी पहलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

(1) CSIR फ्लोरीकल्चर मिशन

  • नर्सरी स्थापना
  • मूल्यवर्धन
  • फूलों के निर्यात हेतु तकनीकी सहायता

इस मिशन ने मणिपुर जैसे राज्यों में किसानों की आय बढ़ाने में मदद की है।

(2) RKVY–RAFTAAR योजना

  • पूरा नाम: राष्ट्रीय कृषि विकास योजना – रफ़्तार
  • चोखोने को इसके तहत 3 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ
  • कृषि स्टार्टअप्स को बुनियादी ढांचा और वित्तीय सहायता

(3) MIDH (Mission for Integrated Development of Horticulture)

  • फूल, फल और सब्ज़ियों के समग्र विकास हेतु योजना
  • पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस तकनीक
  • उच्च गुणवत्ता वाले बीजों पर सब्सिडी

(4) MOVCDNER

  • पूर्वोत्तर को ऑर्गेनिक हब बनाने का लक्ष्य
  • FPOs को जैविक प्रमाणीकरण
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँच

(5) PMFME योजना

  • वोकल फॉर लोकल” पहल का हिस्सा
  • फूलों से उत्पाद बनाने वाली इकाइयों को
    • पूंजीगत सब्सिडी
    • प्रशिक्षण और मार्केटिंग सहयोग

मन की बात में उल्लेख का महत्व

प्रधानमंत्री द्वारा ‘मन की बात’ में उल्लेख का अर्थ केवल प्रशंसा नहीं है, बल्कि—

  • यह ग्रामीण नवाचारों को राष्ट्रीय मंच देता है
  • युवाओं को कृषि उद्यमिता के लिए प्रेरित करता है
  • महिला नेतृत्व को प्रोत्साहन देता है

चोखोने क्रिचेना की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।

निष्कर्ष: आत्मनिर्भर भारत की सशक्त मिसाल

चोखोने क्रिचेना की यात्रा यह सिद्ध करती है कि—

  • शिक्षा और परंपरा का समन्वय
  • सरकारी योजनाओं का सही उपयोग
  • नवाचार और सामाजिक दृष्टि

यदि एक साथ हों, तो ग्रामीण भारत में आर्थिक और सामाजिक क्रांति संभव है।

वे केवल “फ्लावर लेडी ऑफ मणिपुर” नहीं हैं, बल्कि—

नई पीढ़ी की कृषि उद्यमिता, महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की जीवंत प्रतीक हैं।


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