अक्षांश और देशांतर रेखाएं Latitude and Longitude पृथ्वी की ऊपरी सतह के सरल व सटीक अध्ययन के लिए खिंची गयी काल्पनिक रेखाएं हैं। ये रेखाएं दो प्रकार की हैं-
- अक्षांश रेखाएं
- देशांतर रेखाएं
अक्षांश और देशांतर रेखाएं भूगोल में स्थिति को निर्दिष्ट करने के लिए होती हैं। जो विश्व को इकाईयों में बाँटने में मदद करती हैं। पृथ्वी में किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति का निर्धारण अक्षांश (latitude) और देशांतर (Longitude) रेखाओं द्वारा किया जाता है।
किसी स्थान का अक्षांश (latitude), धरातल पर उस स्थान की “उत्तर से दक्षिण” की स्थिति को तथा किसी स्थान का देशांतर (Longitude), धरातल पर उस स्थान की “पूर्व से पश्चिम” की स्थिति को प्रदर्शित करता है। उत्तरी ध्रुवों (North Pole) व दक्षिणी ध्रुवों (South Pole) के अक्षांश (latitude) क्रमशः 90° उत्तर (90° North) तथा 90° दक्षिण (90° South) है।
Latitude and Longitude (अक्षांश और देशांतर रेखाएं)
- अक्षांश (Latitude): अक्षांश भूगोलीय रेखाएं हैं जो पृथ्वी की उत्तर और दक्षिण दिशा को मापने में मदद करती हैं। ये रेखाएं विश्वभर में पृथ्वी के पूर्व और पश्चिम गोलों को समय के अनुसार विभाजित करती हैं। इनकी मात्रा अंगुल या डिग्री में होती है और उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती है। उत्तरी ध्रुव रेखा और दक्षिणी ध्रुव रेखा दो प्रमुख अक्षांश हैं।
- देशांतर (Longitude): ये उच्चायिता (vertical) रेखाएं होती हैं जो पूरी दुनिया को पूरा करती हैं। देशांतर रेखाएं पृथ्वी की पूरी कीर्ति को मापने में मदद करती हैं। इन रेखाओं की मात्रा भी अंगुल या डिग्री में होती है, लेकिन इन्हें पूरी कीर्ति में 360 डिग्री में विभाजित किया जाता है। प्रधान देशांतर रेखा ग्रीनविच, लंदन, इंग्लैंड से होकर गुजरती है। प्राइम मेरिडियन (Greenwich, लंदन) को 0 डिग्री माना जाता है इसके पूर्व और पश्चिम से 180 डिग्री दोनों ओर की ओर गिनती होती है। इसके पश्चिम और पूर्व की दिशा में देशांतर को मापा जाता है। एक डिग्री में 60 मिनट और एक मिनट में 60 सेकंड होते हैं।
अक्षांश रेखाएं (Latitude)
“भूमध्य रेखा (Equator) के समानांतर से किसी भी स्थान की उत्तरी अथवा दक्षिणी ध्रुव की ओर की ओर खींची गई रेखाओं को अक्षांश (latitude) रेखा कहते है।”
“ये विक्षेप (horizontal) रेखाएं होती हैं जो उत्तर और दक्षिण की दिशा में होती हैं, और भूमध्य रेखा (Equator) से इनकी माप की जाती हैं। भूमध्य रेखा Equator (भूमि का केंद्रीय रेखा) को 0 अक्षांश माना जाता है और उसके उत्तर और दक्षिण में अक्षांश को मापा जाता है। उदाहरण के लिए, नॉर्थ पोल का अक्षांश 90 डिग्री उत्तर है और साउथ पोल का अक्षांश 90 डिग्री दक्षिण है।”
अक्षांश रेखाएं वे रेखाएं हैं जिन्हें पृथ्वी के दोनों ध्रुवों के समानांतर वृत्ताकार रूप में खींचा गया है। सभी अक्षांश रेखाएं पृथ्वी पर वृहद वृत्त बनाती हैं। ग्लोब पर अक्षांशों की कुल संख्या 181 है। पृथ्वी पर 0° अक्षांश सबसे बड़ां अक्षांशीय वृत्त बनाता है। पृथ्वी की सतह के बीचो-बीच स्थित होने के कारण इसे भूमध्य रेखा अथवा विषुवत रेखा (Equator) के नाम से जाना जाता है। अर्थात 0° की अक्षांश को भूमध्य रेखा (Equator) रेखा माना गया है।
भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो गोलार्द्धों उत्तरी गोलार्द्ध औ दक्षिणी गोलार्द्ध में बांटती है। विषुवत रेखा के उत्तर में उत्तरी ध्रुव तक अवस्थित सभी अक्षांशों को उत्तरी अक्षांश के नाम से जाना जाता है। विषुवत रेखा के दक्षिण में दक्षिणी ध्रुव तक अवस्थित सभी अक्षांशों को दक्षिणी अक्षांश के नाम से जाना जाता है। 23½° (साढ़े तेईस डिग्री) उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा और 23½° (साढ़े तेईस डिग्री) दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा के नाम से जाना जाता है ।
भूमध्य रेखा (Equator) से उत्तरी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ उत्तरी अक्षांश और दक्षिणी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ दक्षिणी अक्षांश में मापी जाती है। ध्रुवों की ओर बढ़ने पर भूमध्य रेखा (Equator) से अक्षांश (latitude) की दूरी बढ़ने लगती है। इसके अतिरिक्त सभी अक्षांश रेखाएँ (Latitude lines) परस्पर समानांतर और पूर्ण वृत्त होती हैं। ध्रुवों की ओर जाने से वृत्त छोटे होने लगते हैं। 90° का अक्षांश ध्रुव पर एक बिंदु में परिवर्तित हो जाता है।
देशांतर रेखाएं (Longitude)
देशांतर रेखाएं पृथ्वी की पूरी कीर्ति को मापने में मदद करती हैं। इन रेखाओं की मात्रा भी अंगुल या डिग्री में होती है, लेकिन इन्हें पूरी कीर्ति में 360 डिग्री में विभाजित किया जाता है। प्रधान देशांतर रेखा ग्रीनविच, लंदन, इंग्लैंड से होकर गुजरती है। इसके पूर्व और पश्चिम से 180 डिग्री दोनों ओर की ओर गिनती होती है।
देशांतर रेखाओं को पृथ्वी की सतह पर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक खींचा गया है। ये पृथ्वी पर वृहद वृत्त नहीं बनातीं हैं। ये पृथ्वी की सतह पर अर्द्ध वृत्ताकार रूप में हैं। पृथ्वी की सतह पर इनकी कुल संख्या 360 है। ये सभी रेखाएं एक दूसरे से 1° की दूरी पर खींची गई हैं। पृथ्वी को 1° देशांतर के घूर्णन में 4 मिनट का समय लगता है। 0° देशांतर को ग्रीनविच मीन रेखा या अंतर्राष्ट्रीय समय रेखा के नाम से जाना जाता है। इसी रेखा के आधार पर विश्व भर में समय जोन (TIME ZONE) का निर्धारण किया गया है।
0° देशांतर से पूर्व में स्थित देशांतर रेखाओं को पूर्वी देशांतर औऱ इससे पश्चिम में स्थित देशांतर रेखाओं को पश्चिमी देशांतर के नाम से जाना जाता है। 180° पूर्वी या पश्चिमी देशांतर रेखा को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के नाम से जाना जाता है। दुनिया भर में तारीख का निर्धारण इसी देशांतर रेखा के अनुसार होता है।
महत्वपूर्ण वृत्त (Latitude and Longitude)
अक्षांश रेखाएं पृथ्वी पर वृत्ताकार रूप में खिंची गयी है। इन वृत्तों में से जो वृत्त सबसे उत्तरी भाग में है उसे उत्तरी घ्रुव तथा सबसे दक्षिणी भाग में जो वृत्त है उसे दक्षिणी ध्रुव कहते है और जो बिलकुल मध्य में है उसे विषुवत वृत्त कहते हैं –
- उत्तर ध्रुव (90°)
- आर्कटिक वृत्त
- विषुवत् वृत्त (0°)
- अंटार्कटिक वृत्त
- दक्षिण ध्रुव (90°)
उत्तर ध्रुव (90°) किसे कहते है?
उत्तरी ध्रुव, हमारे ग्रह पृथ्वी का सबसे उच्च उत्तरी बिंदु है, जिस पर पृथ्वी की धुरी घूमती है। यह आर्कटिक महासागर में स्थित है और यहाँ पर बड़ी ही ठंडी हवा रहती है, क्योंकि यहाँ लगभग छह महीने तक सूरज नहीं चमकता है। ध्रुव के आसपास का महासागर बहुत ठंडा है और हमेशा बर्फ़ की मोटी चादर से ढका रहता है। इस भौगोलिक उत्तरी ध्रुव के निकट ही चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव है, कम्पस की सूई इसी चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव की ओर संकेत करती है। उत्तरी तारा या ध्रुव तारा उत्तरी ध्रुव के आकाश पर हमेशा निकलता है।
सदियों से नाविक इसी तारे को देखकर ये अनुमान लगाते रहे हैं कि वे उत्तर में कितनी दूर हैं। इउत्तरी ध्रुव क्षेत्र को आर्कटिक क्षेत्र (आर्कटिक घेरा) भी कहा जाता है। यहाँ पर अर्धरात्रि के सूर्य (Midnight Sun) और ध्रुवीय रात (Polar Night) का दृश्य देखने को मिलता है। यहां बर्फ से ढंके विशाल क्षेत्र है। तथा यहाँ पर आर्कटिक सागर भी है। यह सागर कई देशों की ज़मीनों से गुजरता है जैसे कि कनाडा, ग्रीनलैंड, रूस, अमेरिका, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, और फिनलैंड। इस महासागर को अंध महासागर का उत्तरी छोर भी कहा जाता है।
आर्कटिक वृत्त किसे कहते हैं?
आर्कटिक वृत्त पृथ्वी के नक्शे में अक्षांश द्वारा चिह्नित पांच प्रमुख क्षेत्रों में सबसे उत्तरी क्षेत्र है। इस वृत्त के उत्तरी क्षेत्र को आर्कटिक के रूप में जाना जाता है और दक्षिण क्षेत्र को उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्र कहा जाता है। आर्कटिक वृत्त के उत्तर में, क्षितिज के ऊपर, हर साल सूर्य कम से कम एक दिन अर्थात चौबीस घंटे के लिए दिखाई देता है, इसलिए आधी रात को भी सूर्य दिखाई देता है। इसी प्रकार क्षितिज के नीचे, हर साल सूर्य कम से कम एक दिन अर्थात चौबीस घंटे के लिए दिखाई नहीं देता है, इसलिए दोपहर को भी सूर्य दिखाई नहीं देता है। यही बात दक्षिणी गोलार्ध में अंटार्कटिक वृत्त के लिए भी लागू होती है।
विषुवत वृत्त किसे कहते हैं?
विषुवत वृत्त या भूमध्य रेखा किसी ग्रह या अन्य खगोलीय पिंड के मध्य के चारों ओर बनायीं गयी एक काल्पनिक रेखा है। यह उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बीच 0 डिग्री अक्षांश पर मध्य में है। भूमध्य रेखा ग्रह को उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध में विभाजित करती है। पृथ्वी अपने विषुवत वृत्त पर अपने सबसे चौड़े बिंदु पर है।
- विषुवत वृत्त या भूमध्य रेखा किसी ग्रह या अन्य खगोलीय पिंड के मध्य के चारों ओर बनायीं गयी एक काल्पनिक रेखा है।
- यह उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बीच 0 डिग्री अक्षांश पर आधा है। भूमध्य रेखा ग्रह को उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध में विभाजित करती है।
- पृथ्वी अपने विषुवत वृत्त पर अपने सबसे चौड़े बिंदु पर है। भूमध्य रेखा पर पृथ्वी के चारों ओर की दूरी, अर्थात विषुवत वृत्त की परिधि, 40,075 किलोमीटर (24,901 मील) है।
- विषुवत वृत्त की परिधि को ही भूमध्य रेखा की लम्बाई कहते हैं। इसे विषुवत वृत्त पर पर पृथ्वी के चारों ओर की दूरी भी कहा जाता है। जो 40,075 किलोमीटर (24,901 मील) है।
अंटार्कटिक वृत्त किसे कहते हैं?
अंटार्कटिक वृत्त पृथ्वी के नक्शे में अक्षांश द्वारा चिह्नित पांच प्रमुख क्षेत्रों में सबसे दक्षिणी क्षेत्र है। इस वृत्त के दक्षिणी क्षेत्र को अंटार्कटिक के रूप में जाना जाता है और उत्तरी क्षेत्र को दक्षिणी शीतोष्ण क्षेत्र कहा जाता है। अंटार्कटिक वृत्त के दक्षिण में, क्षितिज के ऊपर, हर साल सूर्य कम से कम एक दिन अर्थात चौबीस घंटे के लिए दिखाई देता है, इसलिए आधी रात को भी सूर्य दिखाई देता है। इसी प्रकार क्षितिज के नीचे, हर साल सूर्य कम से कम एक दिन अर्थात चौबीस घंटे के लिए दिखाई नहीं देता है, इसलिए दोपहर को भी सूर्य दिखाई नहीं देता है। यही बात उत्तरी गोलार्ध में आर्कटिक वृत्त के लिए भी लागू होती है।
दक्षिण ध्रुव (90°) किसे कहते हैं?
दक्षिणी ध्रुव पृथ्वी का सबसे दक्षिणी छोर है, जो अंटार्कटिका में है। दक्षिणी ध्रुव से सारी दिशाएँ उत्तर में होती हैं। दक्षिणी ध्रुव पर पड़ने वाले महाद्वीप का नाम अंटार्कटिका महाद्वीप है। अन्टार्कटिका महाद्वीप बहुत ही ठंडा स्थान है। सर्दियों के समय कई सप्ताहों तक अन्टार्कटिका महाद्वीप में सूर्य नहीं निकलता है। और गर्मियों के समय, दिसंबर के अंत से मार्च के अंत तक सूर्य डूबता नहीं है। अर्थात दिसंबर से मार्च तक यहाँ पर सूर्यास्त नहीं होता है।
ध्रुवीय बिन्दु पर भी छः महीने तक सूर्योदय नहीं होता है और सर्दियाँ रहती है। और जब सूर्योदय होता है तो छ: महीने तक सूर्यास्त नहीं होता है। और फिर छः महीनों की लंबी गर्मियाँ आरंभ होती हैं। इन गर्मियों के समय में कोई व्यक्ति दिन के किसी भी समय खड़े होकर सूरज को क्षितिज के ऊपर घड़ी की उल्टी दिशा में अपने चारो ओर घूमते हुए देख सकता है। अर्थात इस समय सूरज डूबता नहीं है बल्कि छह महीने तक क्षितिज के चारों तरफ घूमता रहता है।
दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचना अत्यंत कठिन है। उत्तरी ध्रुव जोकि समुद्र और समतल समुद्री बर्फ से ढका होता है। परन्तु उत्तरी ध्रुव के विपरीत दक्षिणी ध्रुव एक पर्वतीय महाद्वीप अंटार्कटिका महाद्वीप पर स्थित है। अंटार्कटिका महाद्वीप बर्फ की मोटी चादर से ढका रहता है। इसके केंद्र पर 1.5 किमी तक मोटी बर्फ की चादर जमी रहती है।
दक्षिणी ध्रुव बहुत ऊँचे स्थान पर है। यहाँ पर हमेशा तूफान आते रहते हैं। यहाँ पर तेज़ जमाने वाली बर्फीली हवाएं चलती रहती हैं। इन स्थानों से बस्तियां बहुत दूर हैं। यहाँ जाने वाले जहाज़ों को प्रायः बर्फ़ीले समुद्री रास्ते से होकर जाना पड़ता है। तट पर पहुँचने के बाद भी भूमार्ग पर 1600 किलोमीटर से भी अधिक की यात्रा करना पड़ता है।
मध्य रात्रि का सूर्य और ध्रुवीय रात्रि
आर्कटिक वृत्त की परिधि, उत्तरी गोलार्ध में स्थित वह अधिकतम दक्षिणी अक्षांश है , जिस पर सूरज लगातार चौबीस घंटे के लिए क्षितिज के ऊपर या चौबीस घंटे के लिए क्षितिज के नीचे रह सकता है। जिसके कारण, आर्कटिक वृत्त के भीतर किसी भी स्थान पर हर साल कम से कम एक बार सूर्य आधी रात को भी दिखाई देता है और कम से कम एक बार दोपहर में भी दिखाई नहीं देता है। ठीक यही स्थिति दक्षिणी गोलार्ध के अंटार्कटिक वृत्त पर भी लागु होती है।
अंटार्कटिक वृत्त की परिधि, दक्षिणी गोलार्ध में स्थित वह अधिकतम उत्तरी अक्षांश है, जिस पर सूरज लगातार चौबीस घंटे के लिए क्षितिज के ऊपर या चौबीस घंटे के लिए क्षितिज के नीचे रह सकता है। जिसके कारण, अंटार्कटिक वृत्त के भीतर किसी भी स्थान पर हर साल कम से कम एक बार सूर्य आधी रात को भी दिखाई देता है और कम से कम एक बार दोपहर में भी दिखाई नहीं देता है।
आर्कटिक वृत्त और अंटार्कटिक वृत्त दोनों पर सिद्धान्तः ये घटना हर साल क्रमशः एक बार जून और दिसंबर को होती है।
महत्त्वपूर्ण अक्षांश रेखाएँ
पूरी पृथ्वी को भूमध्य रेखा दो बराबर हिस्सों में विभाजित करता है। भूमध्य रेखा से उत्तर में पृथ्वी का जो भाग पड़ता है उसे उत्तरी गोलार्ध कहते है। तथा भूमध्य रेखा से पृथ्वी का जो भाग दक्षिण में पड़ता है उसे दक्षिणी गोलार्ध कहते है। इन दोनों गोलार्धों में अनेकों महत्वपूर्ण रेखाए खिचीं गयी है। उत्तरी गोलार्ध में खिंची गयी रेखाओं में जो रेखा सबसे महत्वपूर्ण है उसका नाम कर्क रेखा है। इसी प्रकार दक्षिणी गोलार्ध में जो रेखा सबसे महत्वपूर्ण है उसे मकर रेखा कहते हैं। पृथ्वी पर पांच प्रमुख अक्षांश रेखाएं हैं जो पृथ्वी पर पश्चिम से पूर्व की ओर गुजरती है। इन रेखाओं के नाम तथा इनका विवरण निचे दिया गया है –
- उत्तरी आर्कटिक रेखा
- उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा (23.5°) (Tropic of Cancer)
- विषुवत् रेखा (0°) (Equator Line)
- दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा (23.5°) (Tropic of Capricorn)
- दक्षिणी अंटार्कटिक रेखा
उत्तरी आर्कटिक रेखा
उत्तरी आर्कटिक रेखा पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक हैं जो पृथ्वी के मानचित्र पर परिलक्षित होती हैं, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। इस रेखा से उत्तरी ध्रुव तक का क्षेत्र शीत कटिबंधीय क्षेत्र कहलाता हैं।
कर्क रेखा (23.5°) (Tropic of Cancer) किसे कहते हैं?
कर्क रेखा उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित भूमध्य रेखा के सामांतर 23°30′ N अर्थात 23.5° N (साढ़े तेईस डिग्री उत्तर अक्षांश) पर खिंची गयी एक काल्पनिक रेखा है। यह रेखा पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई है। इसके साथ ही यह पृथ्वी के नक्शे पर खींची गई पांच अक्षांश रेखाओं में से एक है। कर्क रेखा पृथ्वी की उत्तरतम अक्षांश रेखा हैं, जिस पर सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता है।
21 जून का दिन उत्तरी गोलार्ध के लिए पूरे साल में सबसे लंबा दिन होता है और रात सबसे छोटी होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य कर्क रेखा के एकदम ऊपर होता है। यह घटना जून संक्रांति के समय होती है। इस दिन गर्मी का अहसास भी अधिक होता है। (स्थानीय मौसम को छोड़कर), इस समय कर्क रेखा पर स्थित क्षेत्रों में परछाईं एकदम नीचे छिप जाती है अर्थात नहीं बनती है। इस कारण इन क्षेत्रों को अंग्रेज़ी में नो शैडो ज़ोन कहा गया है।
कर्क रेखा भारत के अलावा 14 देशों से होकर गुजरती है, जिसमें माली, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, लीबिया, मिस्र, सऊदी अरब, अलजीरिया, नाइजर, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन, ताइवान, मेक्सिको, बहामा व मॉरिटानिया आदि शामिल है।
विषुवत् रेखा (0°) (Equator Line) किसे कहते हैं?
भूमध्य रेखा पृथ्वी की सतह पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव से सामान दूरी पर स्थित एक काल्पनिक रेखा है। यह रेखा पृथ्वी को दो गोलार्धों में विभाजित करती है, जिनके नाम है उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध। इस पर वर्ष भर दिन-रात बराबर होतें हैं, इसलिए इसे विषुवत रेखा भी कहते हैं। अन्य ग्रहों की विषुवत रेखा को भी इसी प्रकार से परिभाषित किया गया है। इस रेखा के उत्तरी ओर 23½° में कर्क रेखा है व दक्षिणी ओर 23½° में मकर रेखा है।
मकर रेखा (23.5°) (Tropic of Capricorn) किसे कहते हैं?
यह पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में भूमध्य रेखा के सामानांतर 23°30′ S अर्थात 23.5° S (साढ़े तेईस डिग्री दक्षिण अक्षांश) पर खींची गयी एक काल्पनिक रेखा है। मकर रेखा पृथ्वी के मानचित्र पर परिलक्षित होने वाली पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक है। मकर रेखा की लम्बाई 36,788 किलोमीटर है।
22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत चमकता है। मकर रेखा पृथ्वी की दक्षिणतम अक्षांश रेखा हैं। यह घटना दिसंबर संक्रांति के समय होती हैं। जब दक्षिणी गोलार्ध सूर्य के समकक्ष अत्यधिक झुक जाता है। यह घटना दिसंबर संक्रांति के समय होती हैं। उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा उसी प्रकार से है, जिस प्रकार दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा। मकर रेखा के दक्षिण में स्थित अक्षांश, दक्षिण शीतोष्ण क्षेत्र मे आते हैं। मकर रेखा के उत्तर तथा कर्क रेखा के दक्षिण मे स्थित क्षेत्र उष्णकटिबन्ध कहलाता है।
दक्षिणी अंटार्कटिक रेखा
दक्षिणी अंटार्कटिक रेखा पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक हैं जो पृथ्वी के मानचित्र पर परिलक्षित होती है, जो दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है। इस रेखा से दक्षिणी ध्रुव तक का क्षेत्र शीत कटिबंधीय क्षेत्र कहलाता हैं।
कर्क रेखा पर बसे हुए देश
कर्क रेखा पर बसे हुए देश के नाम निम्नलिखित हैं –
क्र. सं. | देश का नाम | क्र. सं. | देश का नाम |
---|---|---|---|
1 | हवाई द्वीप (USA) | 10 | मैक्सिको |
2 | मॉरिटानिया | 11 | माली |
3 | अल्जीरिया | 12 | नाइजर |
4 | लीबिया | 13 | चाड |
5 | मिश्र | 14 | सऊदी अरब |
6 | संयुक्त अरब अमीरात (UAE) | 15 | ओमान |
7 | भारत | 16 | बांग्लादेश |
8 | म्यांमार | 17 | चीन |
9 | ताइवान | 18 | बहमास |
मकर रेखा पर बसे हुए देश
मकर रेखा पर बसे हुए देश के नाम निम्नलिखित हैं –
क्र. सं. | देश का नाम | क्र. सं. | देश का नाम |
---|---|---|---|
1 | चिली | 7 | अर्जेंटीना |
2 | पराग्वे | 8 | ब्राजील |
3 | नामीबिया | 9 | बोत्सवाना |
4 | दक्षिण अफ्रीका | 10 | मोजाम्बिक |
5 | मेडागास्कर | 11 | ऑस्ट्रेलिया |
6 | फ्रेच पोलीनेशिया | 12 | टोंगा |
विषुवत रेखा / भूमध्य रेखा पर बसे हुए देश
विषुवत रेखा पर बसे हुए देश के नाम निम्नलिखित हैं –
क्र. सं. | देश का नाम | क्र. सं. | देश का नाम |
---|---|---|---|
1 | इक्वाडोर | 8 | कोलंबिया |
2 | ब्राजील | 9 | गैबोन |
3 | कांगो | 10 | कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य |
4 | युगांडा | 11 | केन्या |
5 | सोमालिया | 12 | इंडोनेशिया |
6 | साओ टोम और प्रिंसेप | 13 | मालदीव |
7 | किरिबाती | 14 |