एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक और भारत की पनडुब्बी शक्ति: प्रोजेक्ट 75 इंडिया

भारत की समुद्री सुरक्षा व्यवस्था पिछले कुछ दशकों में तेजी से सुदृढ़ हुई है। हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मार्गों का केंद्र है बल्कि यहाँ पर चीन, पाकिस्तान जैसी प्रतिद्वंद्वी शक्तियाँ भी अपनी नौसैनिक उपस्थिति दर्ज कराती रही हैं। इस परिप्रेक्ष्य में पनडुब्बियां (Submarines) किसी भी नौसेना के लिए “गुप्त और निर्णायक हथियार” साबित होती हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय और मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड (MDL) को ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया’ के तहत जर्मनी के सहयोग से 6 नई पनडुब्बियों की खरीद के सौदे पर बातचीत शुरू करने की अनुमति दी है। इन पनडुब्बियों की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि वे एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक से लैस होंगी।

यह लेख विस्तार से बताएगा कि AIP तकनीक क्या है, यह कैसे काम करती है, क्यों भारत के लिए आवश्यक है, और “प्रोजेक्ट 75” तथा “प्रोजेक्ट 75 इंडिया” किस तरह भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने वाले हैं।

पनडुब्बियों का सामरिक महत्व

पनडुब्बियों को नौसैनिक युद्ध में सबसे “गुप्त” हथियार माना जाता है। यह समुद्र की गहराइयों में छिपकर दुश्मन पर अचानक हमला करने की क्षमता रखती हैं। पारंपरिक डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां सीमित समय तक ही पानी के भीतर रह सकती हैं क्योंकि उन्हें अपनी बैटरियों को चार्ज करने के लिए बार-बार सतह पर आना पड़ता है। सतह पर आते ही वे दुश्मन के रडार, सैटेलाइट या टोही विमानों द्वारा देखी जा सकती हैं, जिससे उनकी “स्टेल्थ” यानी गुप्तता भंग हो जाती है।

यहीं पर AIP (Air Independent Propulsion) तकनीक पनडुब्बियों को एक अभूतपूर्व बढ़त प्रदान करती है।

AIP तकनीक: क्या और कैसे?

1. परिभाषा

एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) एक ऐसी प्रणाली है जो पनडुब्बियों को लंबे समय तक पानी के भीतर रहने की क्षमता प्रदान करती है, बिना सतह पर आए।

2. काम करने का सिद्धांत

  • AIP सिस्टम बैटरियों को चार्ज करने और इलेक्ट्रिक मोटर को चलाने के लिए बिजली उत्पन्न करता है।
  • यह तकनीक डीज़ल इंजनों का पूरक होती है। डीज़ल इंजन सतह पर काम करते हैं, जबकि AIP पानी के भीतर पनडुब्बी को ऊर्जा देता है।
  • सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि AIP युक्त पनडुब्बी लगभग तीन हफ्तों तक सतह पर आए बिना पानी के भीतर रह सकती है।

3. तकनीक के प्रकार

दुनिया भर में AIP के कई मॉडल विकसित किए गए हैं:

  • फ्यूल सेल आधारित AIP – जर्मनी की Thyssenkrupp Marine Systems (TKMS) द्वारा विकसित, सबसे विश्वसनीय तकनीक।
  • स्टर्लिंग इंजन आधारित AIP – स्वीडन द्वारा विकसित।
  • क्लोज्ड साइकिल डीज़ल इंजन – रूस का मॉडल।
  • फ्रेंच MESMA सिस्टम – गर्मी उत्पन्न कर टर्बाइन चलाने वाली प्रणाली।

भारत अभी जर्मनी की फ्यूल सेल आधारित AIP तकनीक को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

4. रेट्रोफिटिंग (Retrofitting)

रोचक बात यह है कि मौजूदा पनडुब्बियों में भी AIP तकनीक जोड़ी जा सकती है। इसके लिए पनडुब्बी के हुल (Hull) में एक नया सेक्शन जोड़कर AIP मॉड्यूल स्थापित किया जाता है। इससे पुरानी पनडुब्बियों की युद्ध क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

AIP के फायदे

  1. लंबी पनडुब्बी सहनशीलता (Endurance) – 2-3 हफ्तों तक पानी के भीतर रहने की क्षमता।
  2. बेहतर स्टेल्थ – बार-बार सतह पर आने की आवश्यकता नहीं होने से दुश्मन की नजरों से बचना आसान।
  3. उच्च सामरिक लाभ – खुफिया जानकारी जुटाने, दुश्मन पर अचानक हमला करने और समुद्री मार्गों की निगरानी करने में बढ़त।
  4. आर्थिक रूप से उपयोगी – परमाणु पनडुब्बियों जितनी महंगी नहीं, लेकिन क्षमताओं में उनसे कहीं अधिक।

AIP तकनीक के प्रकार और उदाहरण

AIP तकनीक का प्रकारविकसित देशउदाहरण/पनडुब्बी
फ्यूल सेल आधारित AIPजर्मनीType-212, Type-214 पनडुब्बियां (TKMS)
स्टर्लिंग इंजन आधारित AIPस्वीडनGotland क्लास
क्लोज्ड साइकिल डीज़ल इंजनरूसKilo क्लास (संशोधित)
MESMA प्रणालीफ्रांसScorpene क्लास (पुराना वर्शन)

भारत का पनडुब्बी कार्यक्रम: प्रोजेक्ट 75

प्रारंभ

भारत की नौसैनिक शक्ति को आधुनिक बनाने के लिए 1990 के दशक में “प्रोजेक्ट 75” की परिकल्पना की गई थी। इसका अनुबंध 2005 में नेवल ग्रुप (फ्रांस) और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के बीच हुआ।

निर्माण

इस प्रोजेक्ट के तहत फ्रांसीसी “स्कॉर्पीन” क्लास डिज़ाइन पर आधारित 6 पनडुब्बियां भारत में ही बनाई गईं।

प्रोजेक्ट 75 के तहत बनी भारतीय पनडुब्बियों की सूची

  1. INS Kalvari – 2017 में नौसेना में शामिल
  2. INS Khanderi – 2019
  3. INS Karanj – 2021
  4. INS Vela – 2021
  5. INS Vagir – 2023
  6. INS Vagsheer – समुद्री परीक्षणों में, शीघ्र नौसेना में शामिल होगी

ये सभी पनडुब्बियां आधुनिक सेंसर, हथियार प्रणाली और स्टेल्थ फीचर्स से लैस हैं। हालांकि, इनमें AIP तकनीक नहीं है।

प्रोजेक्ट 75 इंडिया: भविष्य की ओर

पृष्ठभूमि

भारत सरकार ने “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” के तहत “प्रोजेक्ट 75 इंडिया” की शुरुआत की। इसके अंतर्गत 6 नई पीढ़ी की AIP युक्त पनडुब्बियां भारत में ही बनाई जाएंगी।

मुख्य विशेषताएं

  • एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन से लैस
  • अत्याधुनिक सेंसर और हथियार प्रणाली
  • दुश्मन के पनडुब्बी रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare) से बचने में सक्षम
  • लंबी दूरी तक गश्त करने की क्षमता

अंतरराष्ट्रीय साझेदारी

भारत इस प्रोजेक्ट के लिए जर्मनी की TKMS (Thyssenkrupp Marine Systems) के साथ साझेदारी कर रहा है। TKMS की AIP तकनीक दुनिया में सबसे विश्वसनीय मानी जाती है।

वैश्विक संदर्भ में AIP पनडुब्बियां

  • जर्मनी – Type 212 और 214 क्लास AIP पनडुब्बियों का निर्माण
  • स्वीडन – गोटलैंड क्लास स्टर्लिंग इंजन पनडुब्बी
  • चीन – युआन क्लास (AIP आधारित)
  • पाकिस्तान – चीन से मिली AIP तकनीक वाली पनडुब्बियां

यह स्थिति बताती है कि AIP तकनीक केवल विकसित राष्ट्रों तक सीमित नहीं है। यदि भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में प्रभुत्व बनाए रखना है तो AIP पनडुब्बियों का निर्माण और तैनाती अत्यंत आवश्यक है।

विश्व के देशों और उनकी AIP पनडुब्बियों की स्थिति

देशAIP तकनीकपनडुब्बी क्लास
जर्मनीफ्यूल सेल आधारित AIPType-212, Type-214
स्वीडनस्टर्लिंग इंजनGotland क्लास
फ्रांसMESMAपुराने Scorpene मॉडल
रूसक्लोज्ड साइकिल डीज़लसंशोधित Kilo क्लास
चीनAIP (स्वदेशी + आयातित)Yuan क्लास
पाकिस्तानचीनी AIP तकनीकAgosta-90B (फ्रांसीसी मूल, AIP मॉडिफिकेशन)
भारत(प्रक्रिया में, जर्मन सहयोग व DRDO स्वदेशी)भविष्य की Project-75(I) पनडुब्बियां

भारत की सुरक्षा आवश्यकताओं में AIP पनडुब्बियों की भूमिका

  1. चीन का बढ़ता प्रभाव – चीन ने हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति को बढ़ा दिया है। उसके पास AIP पनडुब्बियों का बेड़ा भी है।
  2. पाकिस्तान का सहयोग – पाकिस्तान को चीन से AIP तकनीक वाली पनडुब्बियां मिल रही हैं।
  3. हिंद महासागर की निगरानी – दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री व्यापार मार्ग हिंद महासागर से गुजरते हैं। AIP पनडुब्बियां इन्हें सुरक्षित रखने में मदद करेंगी।
  4. रणनीतिक स्वायत्तता – परमाणु पनडुब्बियों की संख्या सीमित है। ऐसे में AIP तकनीक वाली पारंपरिक पनडुब्बियां नौसेना को संतुलित शक्ति प्रदान करती हैं।

भारत की स्वदेशी पहल

डीआरडीओ (DRDO) ने भी स्वदेशी AIP प्रणाली विकसित करने पर काम शुरू कर दिया है। “कलवरी क्लास” पनडुब्बियों के अगले अपग्रेड में DRDO की AIP प्रणाली को स्थापित करने की योजना है। यदि यह सफल होता है तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि भविष्य में निर्यातक भी बन सकता है।

निष्कर्ष

एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक आधुनिक नौसैनिक युद्ध का “गेम चेंजर” है। भारत ने पहले से ही “प्रोजेक्ट 75” के तहत स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के जरिए अपनी क्षमता को मजबूत किया है, लेकिन “प्रोजेक्ट 75 इंडिया” के जरिए भारत एक नए युग में प्रवेश करने वाला है।

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों को देखते हुए यह जरूरी है कि भारत जल्द से जल्द AIP पनडुब्बियों का निर्माण और तैनाती करे। इससे भारत की नौसेना को गुप्तता, सहनशीलता और शक्ति तीनों ही स्तरों पर अभूतपूर्व बढ़त मिलेगी।

भविष्य में यदि DRDO की स्वदेशी AIP प्रणाली सफल होती है, तो भारत न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर सकेगा बल्कि रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी एक बड़ी ताकत बन सकता है।


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