भारत के उपराष्ट्रपति | पद, योग्यता, शक्तियाँ और कर्तव्य

भारत के उपराष्ट्रपति: पद, योग्यता, शक्तियाँ और कर्तव्य

भारतीय संविधान में उपराष्ट्रपति के पद और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका का वर्णन विभिन्न अनुच्छेदों के माध्यम से किया गया है। उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है। इस आर्टिकल में उपराष्ट्रपति के पद, उसकी योग्यता, शक्तियों और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। अनुच्छेद 63: उपराष्ट्रपति का … Read more

भारतीय संविधान में राष्ट्रपति का प्रावधान और उसके कर्त्तव्य

भारतीय संविधान में राष्ट्रपति का प्रावधान और उसके कर्त्तव्य

इस आर्टिकल में भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों के अंतर्गत राष्ट्रपति का पद, उनकी शक्तियों और अधिकारों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें अनुच्छेद 52 से लेकर 360 तक की जानकारी दी गई है, जिसमें राष्ट्रपति की कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायिक और आपातकालीन शक्तियों का उल्लेख है। राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया, योग्यता, कार्यकाल, पुनर्निर्वाचन … Read more

नीति निर्देशक तत्व और मौलिक कर्तव्य | अनुच्छेद 36 से 51

नीति निर्देशक तत्व और मौलिक कर्तव्य

भारतीय संविधान में नीति निर्देशक तत्व (अनुच्छेद 36 से 51) और मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51 क) का विशेष महत्व है। नीति निर्देशक तत्व राज्य को सामाजिक और आर्थिक कल्याण की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिसमें ग्राम पंचायतों को शक्तियाँ प्रदान करना, समान नागरिक संहिता लागू करना, और कृषि व पर्यावरण का संवर्धन शामिल … Read more

भाग – 3 मौलिक अधिकार | अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35

भाग - 3 मौलिक अधिकार

भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार व्यक्ति के सर्वांगीण विकास और उनकी स्वतंत्रता, समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। यह अधिकार राज्य या समाज द्वारा प्रदान किए जाते हैं और उनके संरक्षण की व्यवस्था की जाती है। मौलिक अधिकारों में समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), शोषण के विरुद्ध … Read more

संघ और उसके क्षेत्र एवं नागरिकता | अनुच्छेद 1 से 11

संघ और उसके क्षेत्र एवं नागरिकता | अनुच्छेद 1 से 11

संघ और उसके क्षेत्र एवं नागरिकता में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 से 11 तक के प्रावधानों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। यह प्रावधान भारत की संघीय संरचना, संसद के अधिकार, और नागरिकता से संबंधित मुद्दों को स्पष्ट और विस्तृत रूप से परिभाषित करते हैं। लेख में भारतीय संघ की स्थापना, राज्यों की … Read more

भारतीय संविधान की प्रस्तावना | स्त्रोत, विकास और महत्व

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “संविधान की आत्मा” कहा गया है। यह विचार प्रसिद्ध न्यायविद ठाकुर दास भार्गव ने प्रस्तुत किया था, जो भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे। भारतीय संविधान की प्रस्तावना न केवल संविधान का दर्शन प्रस्तुत करती है, बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय उद्देश्यों और आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है। भारतीय संविधान की … Read more

भारतीय संविधान के स्त्रोत और उनके विविध प्रावधान

भारतीय संविधान के स्त्रोत और उनके विविध प्रावधान

भारतीय संविधान, जिसे संविधान सभा द्वारा निर्मित और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, दुनिया के सबसे विस्तृत और सुव्यवस्थित संविधानों में से एक है। भारतीय संविधान की संरचना और इसमें शामिल प्रावधान विभिन्न देशों के संविधानों और कानूनी प्रणालियों से प्रेरित हैं। संविधान सभा ने संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग, 8 अनुसूचीयां … Read more

भारतीय संविधान में शपथ ग्रहण और त्यागपत्र की प्रक्रियाएं

भारतीय संविधान में शपथ ग्रहण और त्यागपत्र की प्रक्रियाएं

भारतीय संविधान में शपथ ग्रहण और त्यागपत्र की प्रक्रियाएं विशिष्ट रूप से निर्धारित की गई हैं, जो पदाधिकारियों की जिम्मेदारियों और कर्तव्यों की शुरुआत और समाप्ति को औपचारिक बनाती हैं। शपथ ग्रहण समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, केंद्रीय और राज्य मंत्री, संसद सदस्य और अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारी शामिल होते हैं। राष्ट्रपति, … Read more

भारतीय संविधान सभा और संविधान निर्माण

Indian Constituent Assembly and Constitution Making

भारतीय संविधान निर्माण स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षों और विभिन्न राजनीतिक प्रक्रियाओं का परिणाम था। यह संविधान भारतीय जनता की इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है जो आज भी हमारे लोकतंत्र का आधार है। भारतीय संविधान के निर्माण की मांग का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में गहराई से जुड़ा हुआ है। इसकी नींव 1895 … Read more

भारत का संवैधानिक इतिहास | ब्रिटिश अधिनियमों और सुधारों का योगदान

भारत का संवैधानिक इतिहास

भारत का संवैधानिक इतिहास ब्रिटिश शासन के दौरान बने कानूनों और सुधारों से गहराई से जुड़ा हुआ है। अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के बाद से, भारत में कई महत्वपूर्ण अधिनियम और सुधार लागू किए गए, जो आगे चलकर भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। भारत का संवैधानिक इतिहास भारत का संवैधानिक … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.