स्वतः संज्ञान | सुप्रीम कोर्ट के स्ट्रीट डॉग्स मामले से समझें संवैधानिक शक्ति और सामाजिक संतुलन
भारत का न्यायपालिका तंत्र केवल विवादों का निपटारा करने वाला संस्थान ही नहीं, बल्कि समाज में न्याय, सुरक्षा और मौलिक अधिकारों की रक्षा करने वाला एक सक्रिय प्रहरी भी है। कई बार यह प्रहरी तब भी सक्रिय हो जाता है, जब उसके दरवाजे पर कोई याचिकाकर्ता दस्तक नहीं देता। अदालतें स्वयं पहल करके किसी मामले … Read more