नीति निर्देशक तत्व और मौलिक कर्तव्य | अनुच्छेद 36 से 51

नीति निर्देशक तत्व और मौलिक कर्तव्य

भारतीय संविधान में नीति निर्देशक तत्व (अनुच्छेद 36 से 51) और मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51 क) का विशेष महत्व है। नीति निर्देशक तत्व राज्य को सामाजिक और आर्थिक कल्याण की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिसमें ग्राम पंचायतों को शक्तियाँ प्रदान करना, समान नागरिक संहिता लागू करना, और कृषि व पर्यावरण का संवर्धन शामिल … Read more

भाग – 3 मौलिक अधिकार | अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35

भाग - 3 मौलिक अधिकार

भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार व्यक्ति के सर्वांगीण विकास और उनकी स्वतंत्रता, समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। यह अधिकार राज्य या समाज द्वारा प्रदान किए जाते हैं और उनके संरक्षण की व्यवस्था की जाती है। मौलिक अधिकारों में समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), शोषण के विरुद्ध … Read more

संघ और उसके क्षेत्र एवं नागरिकता | अनुच्छेद 1 से 11

संघ और उसके क्षेत्र एवं नागरिकता | अनुच्छेद 1 से 11

संघ और उसके क्षेत्र एवं नागरिकता में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 से 11 तक के प्रावधानों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। यह प्रावधान भारत की संघीय संरचना, संसद के अधिकार, और नागरिकता से संबंधित मुद्दों को स्पष्ट और विस्तृत रूप से परिभाषित करते हैं। लेख में भारतीय संघ की स्थापना, राज्यों की … Read more

भारतीय संविधान की प्रस्तावना | स्त्रोत, विकास और महत्व

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “संविधान की आत्मा” कहा गया है। यह विचार प्रसिद्ध न्यायविद ठाकुर दास भार्गव ने प्रस्तुत किया था, जो भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे। भारतीय संविधान की प्रस्तावना न केवल संविधान का दर्शन प्रस्तुत करती है, बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय उद्देश्यों और आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है। भारतीय संविधान की … Read more

भारतीय संविधान के स्त्रोत और उनके विविध प्रावधान

भारतीय संविधान के स्त्रोत और उनके विविध प्रावधान

भारतीय संविधान, जिसे संविधान सभा द्वारा निर्मित और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, दुनिया के सबसे विस्तृत और सुव्यवस्थित संविधानों में से एक है। भारतीय संविधान की संरचना और इसमें शामिल प्रावधान विभिन्न देशों के संविधानों और कानूनी प्रणालियों से प्रेरित हैं। संविधान सभा ने संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग, 8 अनुसूचीयां … Read more

भारतीय संविधान सभा और संविधान निर्माण

Indian Constituent Assembly and Constitution Making

भारतीय संविधान निर्माण स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षों और विभिन्न राजनीतिक प्रक्रियाओं का परिणाम था। यह संविधान भारतीय जनता की इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है जो आज भी हमारे लोकतंत्र का आधार है। भारतीय संविधान के निर्माण की मांग का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में गहराई से जुड़ा हुआ है। इसकी नींव 1895 … Read more

भारत का संवैधानिक इतिहास | ब्रिटिश अधिनियमों और सुधारों का योगदान

भारत का संवैधानिक इतिहास

भारत का संवैधानिक इतिहास ब्रिटिश शासन के दौरान बने कानूनों और सुधारों से गहराई से जुड़ा हुआ है। अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के बाद से, भारत में कई महत्वपूर्ण अधिनियम और सुधार लागू किए गए, जो आगे चलकर भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। भारत का संवैधानिक इतिहास भारत का संवैधानिक … Read more

भारत में स्थानीय नगरीय प्रशासन | संरचना, विकास और विशेषताएं

स्थानीय नगरीय प्रशासन local municipal administration

भारत में स्थानीय नगरीय प्रशासन की शुरुआत 1667 में चेन्नई से मानी जाती है। यह प्रशासनिक व्यवस्था समय के साथ विकसित हुई और 1992 में 74वें संविधान संशोधन द्वारा इसे संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। इस लेख में भारतीय नगरीय प्रशासन के संवैधानिक प्रावधानों, संरचना, और विभिन्न अनुच्छेदों पर विस्तृत रूप से चर्चा किया गया … Read more

भारत में पंचायती राज व्यवस्था प्रणाली | संरचना एवं विशेषताएं

भारत में पंचायती राज व्यवस्था प्रणाली | संरचना एवं विशेषताएं

भारत में पंचायती राज एक त्रि-स्तरीय प्रणाली है जिसमें ग्राम, खंड (ब्लॉक), और जिला स्तर पर स्थानीय स्वशासन को लागू किया जाता है। इस प्रणाली का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई संस्थाओं के माध्यम से विकास और प्रशासन को सुगम बनाना है। यह प्रणाली निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित है – … Read more

भारतीय संसद | लोक सभा और राज्य सभा | राज्यों में सीटें

भारतीय संसद | लोक सभा और राज्य सभा

संघीय विधायिका, जिसे संसद के रूप में जाना जाता है, में राष्ट्रपति और दो सदन, राज्य परिषद (राज्य सभा) और पीपुल्स असेंबली (लोक सभा) शामिल हैं। भारतीय संसद भारतीय संसद भारत गणराज्य की सर्वोच्च विधायी निकाय है। यह एक द्विसदनीय विधानसभा है जिसमें भारत के राष्ट्रपति और दो सदन शामिल हैं: राज्यसभा (राज्यों का सदन) … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.