कविता : स्वरूप, विशेषताएँ, भेद, इतिहास, विधाएँ और महत्व

कविता : स्वरूप, विशेषताएँ, भेद, इतिहास, विधाएँ और महत्व

मानव सभ्यता के आरंभ से ही भावनाओं, विचारों और अनुभवों को अभिव्यक्त करने का सबसे सुंदर माध्यम कविता रही है। यह केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों से निकली हुई भावनाओं की लहर है, जो पाठक या श्रोता के मन में कंपन उत्पन्न करती है। जब कोई भाव लय, छंद और अलंकारों … Read more

आलोचना और आलोचक | हिन्दी में आलोचना का स्वरूप एवं विशेषताएँ

आलोचना और आलोचक

“आलोचना और आलोचक” हिंदी साहित्य के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आलोचना केवल दोष निकालने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि साहित्यिक रचनाओं का वस्तुनिष्ठ, विवेचनात्मक और सृजनात्मक मूल्यांकन है, जो पाठकों को रचना के वास्तविक स्वरूप और उसके प्रभाव को समझने में मदद करता है। एक कुशल आलोचक अपनी निष्पक्ष दृष्टि, व्यापक अध्ययन, संवेदनशीलता … Read more

आलोचना : स्वरूप, अर्थ, व्युत्पत्ति, परिभाषा, प्रकार, विकास और उदाहरण

हिन्दी साहित्य में आलोचना

साहित्य के विकास में आलोचना की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। आलोचना न केवल रचना के गुण-दोषों का विवेचन करती है, बल्कि लेखक, पाठक और समाज के बीच एक सार्थक संवाद भी स्थापित करती है। आलोचना का उद्देश्य केवल त्रुटियाँ निकालना नहीं है, बल्कि रचना के सौंदर्य, उद्देश्य और प्रभाव को समझना तथा उसे उचित … Read more

रिपोर्ताज और रिपोर्ताजकार – लेखक और रचनाएँ | अर्थ, उत्पत्ति, हिंदी साहित्य में विकास

रिपोर्ताज और रिपोर्ताजकार – लेखक और रचनाएँ

हिंदी साहित्य की विविध विधाओं में ‘रिपोर्ताज’ अपेक्षाकृत नई लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण विधा मानी जाती है। यह न केवल किसी घटना का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करती है, बल्कि उसमें लेखक की संवेदनशील दृष्टि, साहित्यिकता और भावनात्मक ताप भी समाहित होता है। रिपोर्ट और रिपोर्ताज में सूक्ष्म लेकिन निर्णायक अंतर है—रिपोर्ट मात्र तथ्यों का संकलन है, … Read more

रिपोर्ताज – अर्थ, स्वरूप, शैली, इतिहास और उदाहरण

रिपोर्ताज – अर्थ, स्वरूप, शैली, इतिहास और उदाहरण

हिंदी साहित्य में गद्य विधाओं की विविधता अत्यंत व्यापक है। निबंध, संस्मरण, रेखाचित्र, यात्रा-वृत्तांत, डायरी, आत्मकथा, जीवनी, कहानी, उपन्यास जैसी अनेक विधाओं के बीच रिपोर्ताज अपेक्षाकृत नई किंतु विशिष्ट विधा है। यह विधा आधुनिक युग की सामयिकता, यथार्थ चित्रण और पत्रकारिता-प्रभावित प्रस्तुति की देन है।रिपोर्ताज का मूल उद्देश्य किसी महत्वपूर्ण घटना, परिस्थिति, सामाजिक आंदोलन या … Read more

हिन्दी के यात्रा-वृत्त और यात्रा-वृत्तान्तकार – लेखक और रचनाएँ

हिन्दी के यात्रा-वृत्त और यात्रा-वृत्तान्तकार – लेखक और रचनाएँ

मानव स्वभावतः जिज्ञासु है। अज्ञात को जानने, देखने और अनुभव करने की उसकी इच्छा उसे स्थान-स्थान की यात्राओं के लिए प्रेरित करती है। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना ही यात्रा कहलाता है, और जब यात्री अपने अनुभवों, दृश्यावलियों, लोगों, संस्कृति, भूगोल, रीति-रिवाज और भावनाओं का विवरण लिखित रूप में प्रस्तुत करता है, तो … Read more

यात्रा-वृत्त : परिभाषा, इतिहास, विशेषताएँ और विकास

यात्रा-वृत्त : परिभाषा, इतिहास, विशेषताएँ और विकास

मनुष्य स्वभाव से जिज्ञासु और अन्वेषणप्रिय है। वह अपने आस-पास की दुनिया को देखने, समझने और अनुभव करने के लिए निरंतर यात्रा करता है। यात्रा केवल भौगोलिक स्थानांतरण नहीं है, बल्कि यह अनुभवों, भावनाओं और दृष्टिकोणों का भी विस्तार है। जब किसी व्यक्ति के यात्रा अनुभव को साहित्यिक रूप में लिखा जाता है, तो उसे … Read more

हिंदी डायरी साहित्य और लेखक

हिंदी डायरी साहित्य और लेखक

साहित्य की विभिन्न विधाओं में डायरी लेखन एक अत्यंत व्यक्तिगत और आत्ममंथन-प्रधान विधा मानी जाती है। यह लेखक के मन, अनुभव, संवेदना और दैनिक जीवन की घटनाओं का प्रत्यक्ष प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है। डायरी केवल तिथिवार घटनाओं का लेखा-जोखा भर नहीं होती, बल्कि यह जीवन के सूक्ष्म क्षणों, भावनात्मक उतार-चढ़ाव और विचारों की अंतर्यात्रा को … Read more

डायरी – परिभाषा, महत्व, लेखन विधि, अंतर और साहित्यिक उदाहरण

डायरी: परिभाषा, महत्व, लेखन विधि, अंतर और साहित्यिक उदाहरण

मानव सभ्यता के इतिहास में अपनी भावनाओं, विचारों, अनुभवों और घटनाओं को सुरक्षित रखने की प्रवृत्ति प्राचीन काल से ही रही है। कभी यह शिलालेखों में अंकित हुई, कभी पत्रों में, तो कभी निजी पुस्तिकाओं में। इन निजी लेखनों में “डायरी” का विशेष स्थान है। डायरी केवल दैनिक घटनाओं का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि लेखक के … Read more

रेखाचित्र लेखन: संवेदना, समाज और मनोवैज्ञानिक गहराई का साहित्यिक आयाम

रेखाचित्र लेखन: संवेदना, समाज और मनोवैज्ञानिक गहराई का साहित्यिक आयाम

हिन्दी साहित्य में रेखाचित्र लेखन एक विशिष्ट और सूक्ष्म साहित्यिक विधा है, जो शब्दों के माध्यम से व्यक्ति, समाज, समय और संस्कृति का सजीव चित्र खींचने की कला है। नाम से भले ही यह किसी दृश्य के स्केच की तरह लगे, किंतु रेखाचित्र केवल बाहरी रूप-रेखा का वर्णन भर नहीं है। यह व्यक्ति के अंतर्मन, … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.