लांछन II | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

लांछन II | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

अगर संसार में ऐसा प्राणी होता, जिसकी आँखें लोगों के हृदयों के भीतर घुस सकतीं, तो ऐसे बहुत कम स्त्री-पुरुष होंगे, जो उसके सामने सीधी आँखें करके ताक सकते ! महिला-आश्रम की जुगनूबाई के विषय में लोगों की धारणा कुछ ऐसी ही हो गयी थी। वह बेपढ़ी-लिखी, गरीब, बूढ़ी औरत थी, देखने में बड़ी सरल, … Read more

लांछन I | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

लांछन I | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

मुंशी श्यामकिशोर के द्वार पर मुन्नू मेहतर ने झाड़ू लगायी, गुसलखाना धो-धो कर साफ किया और तब द्वार पर आ कर गृहिणी से बोला —  माँ जी, देख लीजिए, सब साफ कर दिया। आज कुछ खाने को मिल जाए, सरकार ! देवीरानी ने द्वार पर आकर कहा —अभी तो तुम्हें महीना पाये दस दिन भी … Read more

नरक का मार्ग | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

नरक का मार्ग | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

कहानी “नरक का मार्ग” मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी एक ग्रामीण भारतीय समाज की पृष्ठभूमि पर आधारित कहानी है, जहां प्रेमचंद ने पारंपरिक और धार्मिक जीवन के बीच के संघर्ष को उकेरा है। कहानी की नायिका एक साधारण ग्रामीण महिला है, जो धर्म और पति के प्रति समर्पित है। उसका जीवन पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों … Read more

तत्सम और तद्भव शब्दों की सूची

तत्सम और तद्भव शब्दों की सूची

तत्सम और तद्भव शब्दों की सूची संस्कृत से उत्पन्न हुए तत्सम और तद्भव शब्दों का संग्रह है, जो हिंदी भाषा में प्रयुक्त होते हैं। तत्सम शब्द वे होते हैं, जो संस्कृत से सीधे बिना कोई परिवर्तन किए हिंदी में आए हैं, जबकि तद्भव शब्द वे होते हैं, जो संस्कृत से हिंदी में आते समय ध्वनि, … Read more

प्रारब्ध | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

प्रारब्ध | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद की कहानी “प्रारब्ध” एक वृद्ध व्यक्ति लाला जीवनदास के जीवन के अंतिम दिनों को चित्रित करती है। जीवनदास छह महीने से बिस्तर पर पड़े हैं और मृत्युशय्या पर हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया है, जिससे वे निराश और नास्तिक हो गए हैं। उनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा है और … Read more

यह मेरी मातृभूमि है | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

यह मेरी मातृभूमि है

“यह मेरी मातृभूमि है” मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी यह कहानी एक वृद्ध व्यक्ति की गहरी और भावनात्मक यात्रा को दर्शाती है, जो 60 वर्षों के बाद अपनी मातृभूमि भारत लौटता है। यह कहानी न केवल एक व्यक्ति की देशप्रेम की कहानी है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, और आधुनिकता के टकराव को भी प्रस्तुत … Read more

युग्म-शब्द | 500 +| उच्चारण में समान अर्थ में भिन्न

युग्म-शब्द (शब्द युग्म) | उच्चारण में सामान अर्थ में भिन्न

हिंदी भाषा की एक विशेषता यह है कि यह मात्रा, वर्ण, और उच्चारण प्रधान भाषा है। इसके अंतर्गत कई ऐसे शब्द होते हैं जिनका उच्चारण प्रायः समान होता है, किंतु उनके अर्थ भिन्न होते हैं। ऐसे शब्दों को युग्म-शब्द कहा जाता है। युग्म-शब्द अथवा शब्द युग्म क्या हैं? युग्म शब्द अथवा शब्द युग्म वे शब्द … Read more

पदबन्ध (Phrase) | परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

पदबन्ध (Phrase) | परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

पदबन्ध (Padbandh) एक साहित्यिक संज्ञा है जो संस्कृत व्याकरण और साहित्य में प्रयोग होती है। यह शब्द दो शब्दों “पद” और “बन्ध” से मिलकर बना है। “पद” का अर्थ होता है शब्द या वाक्यांश, और “बन्ध” का अर्थ होता है बंधन या जोड़ना। इस प्रकार, पदबन्ध का अर्थ है शब्दों या वाक्यांशों का विशेष प्रकार … Read more

शब्द किसे कहते हैं? तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द

शब्द किसे कहते हैं? तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द

शब्द उस ध्वनि या ध्वनि समूह को कहते हैं जो किसी भाषा में एक अर्थ को प्रकट करता है। यह ध्वनि या ध्वनि समूह एक या एक से अधिक वर्णों से मिलकर बना होता है। उदाहरण के लिए: शब्द केवल अर्थपूर्ण ध्वनियों का समूह नहीं है, बल्कि यह भाषा का आधारभूत तत्व है, जिसके माध्यम … Read more

सवा सेर गेंहूँ | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

सवा सेर गेंहूँ | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“सवा सेर गेंहूँ” एक महत्वपूर्ण और समकालीन कहानी है, जो आज भी प्रासंगिक है। यह प्रेमचंद की अद्वितीय लेखनी और उनकी समाज के प्रति गहरी समझ का प्रमाण है। कहानी हमें यह याद दिलाती है कि समाज में न्याय और समानता की स्थापना के लिए हमें निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। प्रेमचंद ने अपने सरल और … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.