सिंधी भाषा : उद्भव, विकास, लिपि, वर्णमाला, शब्द, वाक्य और भाषिक संरचना

सिंधी भाषा : उद्भव, विकास, लिपि, वर्णमाला, शब्द, वाक्य और भाषिक संरचना

भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाई विविधता विश्व में अद्वितीय है। यहाँ बोली जाने वाली प्रत्येक भाषा अपने भीतर एक विशिष्ट सांस्कृतिक परंपरा, ऐतिहासिक चेतना और सामाजिक अनुभव समेटे हुए है। इन्हीं समृद्ध भाषाओं में सिंधी भाषा का भी एक विशिष्ट स्थान है। सिंधी भाषा न केवल पाकिस्तान के सिंध प्रांत की पहचान है, बल्कि भारत के … Read more

मातृभाषा: परिभाषा, अर्थ, विशेषताएँ और दिवस – संस्कृति, पहचान और अभिव्यक्ति का आधार

मातृभाषा: परिभाषा, अर्थ, विशेषताएँ और दिवस – संस्कृति, पहचान और अभिव्यक्ति का आधार

“मातृभाषा” — यह शब्द अपने आप में स्नेह, संस्कृति और पहचान की अनूठी भावना समेटे हुए है। इसका शाब्दिक अर्थ है “माता की भाषा”, अर्थात वह भाषा जो व्यक्ति अपने जन्म या बाल्यावस्था से अपनी माँ, परिवार या परिवेश से स्वाभाविक रूप से सीखता है। मातृभाषा केवल एक संप्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि यह व्यक्ति … Read more

राष्ट्रभाषा : स्वरूप, अवधारणा, परिभाषा और महत्व

राष्ट्रभाषा : स्वरूप, अवधारणा, परिभाषा और महत्व

किसी भी देश की भाषा उसकी सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय एकता का मूल आधार होती है। भाषा न केवल संचार का माध्यम है बल्कि यह समाज की अस्मिता, गौरव और राष्ट्र की आत्मा को भी अभिव्यक्त करती है। इस दृष्टि से “राष्ट्रभाषा” शब्द अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसका शाब्दिक अर्थ है— “समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त भाषा”, … Read more

राजभाषा : भारत की राजभाषा, राज्यों की राजभाषाएं, परिभाषा, महत्व और सूची

राजभाषा : भारत की राजभाषा, राज्यों की राजभाषाएं, परिभाषा, महत्व और सूची

भाषा किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है। यह न केवल संप्रेषण का माध्यम है बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता का भी आधार बनती है। किसी देश के प्रशासनिक ढांचे को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक निश्चित भाषा का प्रयोग आवश्यक होता है। इसी भाषा को हम राजभाषा कहते हैं। राजभाषा का … Read more

रीतिकाल के कवि और रचनाएँ

रीतिकाल के कवि और रचनाएँ

हिंदी साहित्य का इतिहास विभिन्न कालखंडों में विभाजित है। इनमें रीतिकाल एक अत्यंत महत्वपूर्ण काल है, जिसे काव्यशास्त्र, श्रृंगार रस और नायिकाभेद का युग कहा जाता है। इस काल का समय लगभग 1650 ईस्वी से 1850 ईस्वी तक माना जाता है। रीतिकाल का साहित्य हिंदी काव्य परंपरा में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है क्योंकि इसमें … Read more

भारत में मध्यकालीन साहित्य: फ़ारसी, उर्दू और क्षेत्रीय भाषाओं में शैलियों का विकास

भारत में मध्यकालीन साहित्य: फ़ारसी, उर्दू और क्षेत्रीय भाषाओं में शैलियों का विकास

भारत का साहित्यिक इतिहास बहुत ही समृद्ध और बहुआयामी रहा है। यदि हम मध्यकालीन साहित्य की चर्चा करें, तो यह समय भारतीय भाषाओं, संस्कृत परंपरा, फ़ारसी प्रभाव और उर्दू की उत्पत्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 7वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी तक फैले इस युग में भारतीय साहित्य ने विविध रूपों और शैलियों का … Read more

हिंदी भाषा का अतीत और वर्तमान

हिंदी भाषा का अतीत और वर्तमान

हिंदी भाषा भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख भाषाओं में से एक है। यह केवल संचार का साधन मात्र नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। हिंदी का स्वरूप आज जिस रूप में हमारे सामने है, वह एक लंबी ऐतिहासिक प्रक्रिया, विभिन्न जातीय संपर्कों, भौगोलिक परिस्थितियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का परिणाम … Read more

हिन्दी भाषा का उद्भव और विकास

हिन्दी भाषा का उद्भव और विकास

हिन्दी भाषा भारत की आत्मा है। यह केवल संचार का साधन ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा, विचारधारा और साहित्य की समृद्ध धारा को प्रवाहित करने वाली वाहिनी भी है। हिन्दी की उत्पत्ति और विकास की यात्रा हजारों वर्षों के सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों की साक्षी है। अपभ्रंश से लेकर खड़ी बोली तक, संस्कृत … Read more

हिंदी साहित्य का मध्यकाल : भक्ति और रीति धाराओं का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक स्वरूप

हिंदी साहित्य का मध्यकाल : भक्ति और रीति धाराओं का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक स्वरूप

हिंदी साहित्य का इतिहास व्यापक और समृद्ध परंपरा का द्योतक है। इसे सामान्यतः तीन प्रमुख कालखंडों में बाँटा गया है—आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिककाल। इन तीनों युगों में साहित्य की प्रवृत्तियाँ, भाषाई स्वरूप और सामाजिक दृष्टिकोण भिन्न-भिन्न रूप में सामने आते हैं। इनमें से मध्यकाल का विशेष महत्व है, क्योंकि यही वह दौर था जब हिंदी … Read more

हिंदी भाषा : स्वरूप, इतिहास, संवैधानिक स्थिति और वैश्विक महत्व

हिंदी भाषा : स्वरूप, इतिहास, संवैधानिक स्थिति और वैश्विक महत्व

हिंदी भाषा विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है। यह भारत की राजभाषा है और भारतीय समाज के सांस्कृतिक, सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन में केंद्रीय भूमिका निभाती है। वर्तमान समय में हिंदी बोलने वालों की संख्या 72 करोड़ से अधिक है, जिसमें से लगभग 61 करोड़ लोग इसे मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.