हिन्दी साहित्य की प्रमुख पत्र–पत्रिकाएँ और उनके संपादक

हिन्दी साहित्य की प्रमुख पत्र–पत्रिकाएँ और उनके संपादक

हिन्दी साहित्य का इतिहास केवल कवियों, लेखकों और उनकी कृतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पत्र–पत्रिकाओं का भी अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पत्र–पत्रिकाएँ किसी भी भाषा और साहित्य के विकास की धुरी होती हैं। इन्होंने न केवल साहित्यिक चेतना को जागृत किया, बल्कि सामाजिक–राजनीतिक आंदोलनों को भी बल प्रदान किया। भारत में राष्ट्रवादी … Read more

सप्तक के कवि : तार सप्तक से चौथा सप्तक | हिंदी साहित्य की नयी धारा का ऐतिहासिक विकास

सप्तक के कवि : तार सप्तक से चौथा सप्तक | हिंदी साहित्य की नयी धारा का ऐतिहासिक विकास

हिंदी साहित्य में समय-समय पर अनेक धाराएँ और काव्य प्रवृत्तियाँ विकसित हुईं। छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद और नयी कविता जैसी धाराओं ने न केवल कविता की संवेदनाओं को गहराई दी, बल्कि भाषा, शिल्प और अभिव्यक्ति के नए आयाम भी स्थापित किए। इन्हीं धाराओं में प्रयोगवाद और नयी कविता का जो विकास हुआ, उसका संगठित रूप हमें … Read more

मिश्र काव्य : परिभाषा, स्वरूप, प्रमुख छंद व उदाहरण

मिश्र काव्य : परिभाषा, स्वरूप, प्रमुख छंद व उदाहरण

हिंदी साहित्य में काव्य का महत्व अत्यंत प्राचीन और व्यापक है। काव्य मानव मन के भावों, अनुभूतियों और कल्पनाओं का सजीव चित्र प्रस्तुत करता है। हिंदी साहित्य में काव्य को मुख्यतः तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है – शुद्ध काव्य, गद्य काव्य और मिश्र काव्य। शुद्ध काव्य में भाव और भाषा की श्रेष्ठता प्रधान … Read more

पद्यकाव्य: परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार, उदाहरण और ऐतिहासिक विकास

पद्य काव्य: परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार, उदाहरण और ऐतिहासिक विकास

भारतीय साहित्य की परंपरा अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। आरंभ से ही मनुष्य ने अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करने के लिए भाषा का सहारा लिया। भाषा दो रूपों में विकसित हुई – गद्य और पद्य। गद्य मुख्यतः विचारों को सरल और स्पष्ट रूप से व्यक्त करने का माध्यम है, जबकि पद्य भावनाओं, … Read more

गद्यकाव्य : परिभाषा, विकास, प्रमुख रचनाएँ और साहित्य में महत्व

गद्यकाव्य : परिभाषा, विकास, प्रमुख रचनाएँ और साहित्य में महत्व

हिंदी साहित्य का इतिहास विविध काव्य और गद्य विधाओं से समृद्ध है। प्रत्येक कालखंड में लेखकों और कवियों ने नए-नए प्रयोग किए, जिनसे साहित्य का रूप और भी व्यापक और प्रभावशाली हुआ। काव्य परंपरा में जहाँ छंदोबद्ध कविताओं, गीतों और ग़ज़लों की विशिष्ट धारा रही है, वहीं आधुनिक काल में गद्यकाव्य एक ऐसी विधा के … Read more

भेंटवार्ता साहित्य : परिभाषा, स्वरूप, विकास और प्रमुख रचनाएँ

भेंटवार्ता साहित्य : परिभाषा, स्वरूप, विकास और प्रमुख रचनाएँ

साहित्य के विविध रूपों में भेंटवार्ता (साक्षात्कार) एक विशेष और आकर्षक विधा है। यह विधा न केवल साहित्यिक परंपरा को समृद्ध करती है बल्कि समाज में विचारों के आदान-प्रदान और ज्ञान-विस्तार का भी माध्यम बनती है। सामान्यतः हम साहित्य को कविता, कहानी, उपन्यास और नाटक के रूप में जानते हैं, किन्तु इनसे इतर भेंटवार्ता एक … Read more

हिंदी की प्रमुख गद्य विधाएँ, उनके रचनाकार और कृतियाँ

हिंदी की प्रमुख गद्य विधाएँ, उनके रचनाकार और कृतियाँ

हिंदी साहित्य में गद्य का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। कविता, नाटक या अन्य काव्यात्मक विधाओं की तरह गद्य भी समाज, संस्कृति, विचार और मानव मन की विविध अवस्थाओं को अभिव्यक्त करने का प्रभावी माध्यम रहा है। हिंदी गद्य का विकास अनेक शताब्दियों में हुआ, जिसमें विभिन्न विधाओं ने अलग-अलग रूप, शैली और भाषा का प्रयोग … Read more

हिन्दी की प्रमुख गद्य रचनाएँ एवं उनके रचनाकार | गद्य लेखक और गद्य

हिन्दी की प्रमुख गद्य रचनाएँ एवं उनके रचनाकार | गद्य लेखक और गद्य

यह लेख “हिन्दी की प्रमुख गद्य रचनाएँ एवं उनके रचनाकार” पर आधारित एक विस्तृत, सुव्यवस्थित और शोधपरक संकलन प्रस्तुत करता है। इसमें हिन्दी साहित्य के उन महत्वपूर्ण लेखकों और उनकी प्रमुख गद्य रचनाओं का व्यवस्थित परिचय दिया गया है जिन्होंने भाषा, संस्कृति, समाज और विचारधारा को समृद्ध किया। तालिका में प्रत्येक लेखक के सामने उसकी … Read more

हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि (पद्य लेखक) और उनकी काव्य रचनाएँ

हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि (पद्य लेखक) और उनकी काव्य रचनाएँ

यह लेख हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों और उनकी महत्वपूर्ण काव्य रचनाओं का एक सुव्यवस्थित, शोधपरक संकलन है, जिसे विशेष रूप से विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, साहित्य प्रेमियों और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए तैयार किया गया है। इसमें भक्ति काल से लेकर आधुनिक और समकालीन साहित्य तक की विविध काव्य परंपराओं … Read more

गीत : स्वर, ताल, लय और भावों की भारतीय परंपरा

गीत : स्वर, ताल, लय और भावों की भारतीय परंपरा

गीत मानवीय भावनाओं को स्वर और ताल के माध्यम से अभिव्यक्त करने की एक अद्वितीय विधा है। यह साहित्य, संगीत और लोकजीवन का अभिन्न हिस्सा है। गीत में शब्द होते हैं जो लयबद्ध होकर सुरों के साथ गाए जाते हैं। इसे सुनने से अधिक गाया जाता है क्योंकि इसका उद्देश्य ही गेय प्रस्तुति है। गीत … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.