डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल : जीवन, कृतित्व और हिंदी निबंध साहित्य में योगदान

डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल : जीवन, कृतित्व और हिंदी निबंध साहित्य में योगदान

डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल आधुनिक हिंदी गद्य के उन दुर्लभ रचनाकारों में से हैं, जिनके साहित्य में प्रकाण्ड पाण्डित्य, अनुसंधानपरक दृष्टि, ऐतिहासिक चेतना और कवि-सुलभ भावुकता का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है। वे केवल साहित्यकार ही नहीं थे, बल्कि प्राचीन भारतीय संस्कृति, इतिहास, पुरातत्त्व और भाषाविज्ञान के मर्मज्ञ विद्वान भी थे। उनके निबंधों में तथ्यात्मक … Read more

रामवृक्ष बेनीपुरी : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

रामवृक्ष बेनीपुरी : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

हिंदी साहित्य और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में रामवृक्ष बेनीपुरी का नाम अत्यंत आदर और श्रद्धा के साथ लिया जाता है। वे केवल एक साहित्यकार नहीं थे, बल्कि ऐसे क्रांतिकारी शब्द-शिल्पी थे जिनके हृदय में देशभक्ति की ज्वाला धधकती थी और जिनकी वाणी में जनजागरण के शोले फूटते थे। जब वे साहित्य-सृजन के क्षेत्र … Read more

महापण्डित राहुल सांकृत्यायन : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

महापण्डित राहुल सांकृत्यायन : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

हिन्दी साहित्य के इतिहास में कुछ ऐसे विरल व्यक्तित्व हुए हैं जिनकी साधना, कर्मशीलता और बौद्धिक विराटता ने साहित्य को केवल समृद्ध ही नहीं किया, बल्कि उसे नई दिशाएँ भी प्रदान कीं। ऐसे ही महापुरुषों में महापण्डित राहुल सांकृत्यायन का नाम अग्रगण्य है। उन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य की जो महान सेवा की, उससे हिन्दी … Read more

डॉ. सम्पूर्णानन्द : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

डॉ. सम्पूर्णानन्द : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

भारतीय बौद्धिक परंपरा में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जो किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहते, बल्कि राजनीति, दर्शन, साहित्य, शिक्षा और सामाजिक चेतना—सभी क्षेत्रों में समान अधिकार से अपनी छाप छोड़ते हैं। डॉ. सम्पूर्णानन्द ऐसे ही विलक्षण व्यक्तित्व थे। वे एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रखर विचारक, महान शिक्षाविद् और समर्थ साहित्यकार थे। उनके जीवन … Read more

अध्यापक सरदार पूर्णसिंह : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

अध्यापक सरदार पूर्णसिंह : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

हिन्दी निबन्ध साहित्य के इतिहास में जिन लेखकों ने अपने सीमित रचना-कार्य के बावजूद अमिट छाप छोड़ी है, उनमें अध्यापक सरदार पूर्णसिंह का नाम अत्यन्त सम्मान और आदर के साथ लिया जाता है। वे युगीन निबन्धकारों में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। भावात्मक निबन्धों के क्षेत्र में उनकी पहचान इतनी सशक्त है कि उन्हें हिन्दी … Read more

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाओं की भाषागत एवं शैलीगत विशेषताएँ

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाओं की भाषागत एवं शैलीगत विशेषताएँ

आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) का स्थान केवल एक लेखक या निबंधकार के रूप में नहीं, बल्कि एक युगप्रवर्तक साहित्य-संस्कारक के रूप में सुरक्षित है। वे उस संक्रमणकाल के प्रतिनिधि साहित्यकार थे, जब हिंदी साहित्य भारतेन्दु युग की भावुकता, अलंकरणप्रियता और भाषिक असंयम से निकलकर वैचारिक परिपक्वता, सामाजिक उत्तरदायित्व … Read more

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

हिंदी साहित्य के इतिहास में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का नाम एक ऐसे युगप्रवर्तक साहित्यकार के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने न केवल हिंदी भाषा को अनुशासित और व्यवस्थित किया, बल्कि उसे आधुनिक चेतना, बौद्धिक गंभीरता और राष्ट्रीय भावबोध से भी संपन्न किया। उनके साहित्यिक योगदान के कारण ही हिंदी साहित्य के इतिहास में … Read more

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का काव्य : शृंगार, प्रेम, भक्ति, राष्ट्रीय चेतना एवं काव्य-सौन्दर्य

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का काव्य : शृंगार, प्रेम, भक्ति, राष्ट्रीय चेतना एवं काव्य-सौन्दर्य

हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल के प्रवर्तक के रूप में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का नाम अत्यन्त आदर और गौरव के साथ लिया जाता है। वे केवल एक कवि ही नहीं, बल्कि नाटककार, निबन्धकार, पत्रकार, समाज-सुधारक और राष्ट्रीय चेतना के अग्रदूत भी थे। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की व्यापकता इतनी अधिक है कि उनके नाम पर हिन्दी … Read more

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र : जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान, कृतियाँ एवं भाषा-शैली

भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र हिन्दी साहित्य के ऐसे युगप्रवर्तक साहित्यकार हैं, जिनके बिना आधुनिक हिन्दी साहित्य की कल्पना अधूरी प्रतीत होती है। उन्हें केवल हिन्दी गद्य का जनक ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण आधुनिक हिन्दी साहित्य का निर्माता कहा जाता है। जिस समय हिन्दी साहित्य रूढ़ परम्पराओं, सीमित विषय-वस्तु और अविकसित गद्य-रूप से जूझ रहा था, उस … Read more

जीवनी और जीवन-परिचय : स्वरूप, समानताएँ एवं अंतर का समेकित अध्ययन

जीवनी और जीवन-परिचय : स्वरूप, समानताएँ एवं अंतर का समेकित अध्ययन

हिंदी साहित्य, शैक्षणिक लेखन तथा व्यावहारिक जीवन में जीवनी और जीवन-परिचय—दोनों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। दोनों ही किसी व्यक्ति के जीवन से संबंधित होते हैं, किंतु इनके उद्देश्य, विस्तार, शैली, भाषा और उपयोगिता में मौलिक अंतर पाया जाता है।अक्सर विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों में यह भ्रांति रहती है कि जीवनी और जीवन-परिचय एक ही … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.