नाट्यशास्त्र : उद्भव, विकास, अध्याय, टीकाएँ एवं भारतीय नाट्य परम्परा
भारतीय संस्कृति में कला का स्थान सदैव सर्वोपरि रहा है। नृत्य, संगीत, अभिनय और काव्य जैसी ललित कलाएँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि जीवन-दर्शन की अभिव्यक्ति भी मानी जाती हैं। इन्हीं कलाओं का संगम हमें भरतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र में प्राप्त होता है। यह नाट्यकला का सर्वप्राचीन और सर्वाधिक प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है, … Read more