लांछन I | कहानी – मुंशी प्रेमचंद
मुंशी श्यामकिशोर के द्वार पर मुन्नू मेहतर ने झाड़ू लगायी, गुसलखाना धो-धो कर साफ किया और तब द्वार पर आ कर गृहिणी से बोला — माँ जी, देख लीजिए, सब साफ कर दिया। आज कुछ खाने को मिल जाए, सरकार ! देवीरानी ने द्वार पर आकर कहा —अभी तो तुम्हें महीना पाये दस दिन भी … Read more