अपभ्रंश भाषा (तृतीय प्राकृत): इतिहास, विशेषताएँ, वर्गीकरण और काल निर्धारण
भारतीय आर्यभाषा-परिवार के इतिहास में अपभ्रंश भाषा का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह भाषा संस्कृत और प्राकृत जैसी प्राचीन भाषाओं तथा आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के बीच की एक कड़ी के रूप में विकसित हुई। अपभ्रंश न तो पूर्णतः प्राकृत है और न ही आधुनिक भाषाओं के समान, परंतु दोनों के बीच संक्रमण की यह … Read more