भाषा और लिपि : उद्भव, विकास, अंतर, समानता और उदाहरण

भाषा और लिपि : उद्भव, विकास, अंतर, समानता और उदाहरण

मनुष्य सभ्यता का इतिहास मुख्यतः संचार और अभिव्यक्ति का इतिहास है। जब मनुष्य ने पहली बार ध्वनियों के माध्यम से अपने भाव और विचार व्यक्त किए, तब भाषा का जन्म हुआ। भाषा मनुष्य को अन्य प्राणियों से अलग करती है, क्योंकि यह केवल बोलने का साधन नहीं है बल्कि चिंतन, संस्कृति और ज्ञान की संवाहक … Read more

भारतीय आर्यभाषाओं का ऐतिहासिक विकास: प्राचीन से आधुनिक काल तक

भारतीय आर्यभाषाओं का ऐतिहासिक विकास

भारत एक सांस्कृतिक और भाषाई विविधताओं से संपन्न देश है। इसकी भाषाई धरोहर अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है, और भारतीय भाषाओं में विशेष रूप से आर्यभाषाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। इन भाषाओं का विकास हजारों वर्षों की लंबी ऐतिहासिक यात्रा के माध्यम से हुआ है। भारतीय संविधान ने भी भाषाओं के महत्व को मान्यता दी … Read more

भारत की भाषाएँ: संवैधानिक मान्यता, आधिकारिक स्वरूप और विश्व परिप्रेक्ष्य में भाषाई विविधता

भारत की भाषाएँ: संवैधानिक मान्यता, आधिकारिक स्वरूप और विश्व परिप्रेक्ष्य में भाषाई विविधता

भारत विविधताओं का देश है। यहाँ की संस्कृति, परंपराएँ, रीति-रिवाज, खान-पान और वेशभूषा जितनी विविध हैं, उतनी ही विविधतापूर्ण भाषाएँ भी हैं। भाषाएँ किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती हैं, क्योंकि वे लोगों के बीच विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान करने का माध्यम बनती हैं। भारत में सैकड़ों भाषाएँ और हजारों बोलियाँ बोली जाती हैं, … Read more

विश्व की भाषाएँ : विविधता, विकास और वैश्विक प्रभाव

विश्व की भाषाएँ : विविधता, विकास और वैश्विक प्रभाव

मानव सभ्यता की सबसे अद्भुत और विशिष्ट देन भाषा है। भाषा ही वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों, भावनाओं, अनुभवों और ज्ञान को अभिव्यक्त करता है। यह न केवल संचार का साधन है, बल्कि संस्कृति, परंपरा और इतिहास का संवाहक भी है। विश्व में जितनी विविधताएँ मानव समाज और संस्कृति में दिखाई देती … Read more

भाषा : परिभाषा, स्वरूप, विशेषताएँ, शैली और उत्पत्ति

भाषा : परिभाषा, स्वरूप, विशेषताएँ, शैली और उत्पत्ति

मानव सभ्यता का मूल आधार भाषा है। यदि मनुष्य को विचारशील प्राणी कहा जाता है, तो यह केवल उसकी भाषागत क्षमता के कारण संभव हुआ है। भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने मनोभावों, विचारों और अनुभवों को अभिव्यक्त करता है। समाज, संस्कृति, साहित्य और ज्ञान-विज्ञान का संवाहक होने के नाते भाषा का महत्व … Read more

हिंदी वर्णमाला में आयोगवाह : अनुस्वार, अनुनासिक, विसर्ग और हलन्त | परिभाषा, प्रयोग एवं महत्व

हिंदी वर्णमाला में आयोगवाह : अनुस्वार, अनुनासिक, विसर्ग और हलन्त | परिभाषा, प्रयोग एवं महत्व

हिंदी वर्णमाला विश्व की सबसे वैज्ञानिक लिपि व्यवस्था देवनागरी लिपि पर आधारित है। इसमें प्रत्येक ध्वनि का स्पष्ट और स्वतंत्र चिन्ह मौजूद है। स्वर, व्यंजन, संयुक्ताक्षर और विदेशी ध्वनियों के अतिरिक्त हिंदी भाषा में कुछ ऐसे चिह्न भी प्रयुक्त होते हैं जो स्वर या व्यंजन के साथ मिलकर उनकी ध्वन्यात्मकता (phonetics) को बदल देते हैं। … Read more

हिंदी वर्णमाला में व्यंजन : परिभाषा, प्रकार और भेद

हिंदी वर्णमाला में व्यंजन : परिभाषा, प्रकार और भेद

हिंदी भाषा की संरचना का आधार उसकी वर्णमाला है। वर्णमाला केवल ध्वनियों का समूह मात्र नहीं, बल्कि वह भाषा की आत्मा है, जिसके माध्यम से विचारों, भावनाओं और ज्ञान का आदान-प्रदान होता है। हिंदी की वर्णमाला में स्वर और व्यंजन दोनों का समान महत्त्व है। जहाँ स्वर स्वतंत्र रूप से उच्चरित होने वाले ध्वनि तत्व … Read more

हिंदी भाषा के स्वर : परिभाषा, प्रकार और भेद

हिंदी भाषा के स्वर : परिभाषा, प्रकार और भेद

भाषा मानव की सबसे बड़ी संपत्ति है और ध्वनि उसकी आत्मा। हिंदी भाषा की नींव उसके ध्वनियों और वर्णों पर आधारित है। जब उच्चारित ध्वनियों को लिखने की आवश्यकता होती है, तब उनके लिए जो चिह्न बनाए जाते हैं उन्हें ‘वर्ण’ कहा जाता है। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इन वर्णों का व्यवस्थित … Read more

हिन्दी के प्रमुख कवियों और लेखकों के उपनाम

हिन्दी के प्रमुख कवियों और लेखकों के उपनाम

हिंदी साहित्य का इतिहास अत्यंत समृद्ध और गौरवपूर्ण है। इसमें कवियों, लेखकों और रचनाकारों ने अपनी लेखनी से समाज, संस्कृति, धर्म, राजनीति और जीवन के विविध आयामों को अभिव्यक्त किया है। विशेष बात यह है कि इन साहित्यकारों को उनके वास्तविक नाम से अधिक उनके उपनामों से जाना जाता है। उपनाम न केवल उनकी पहचान … Read more

हिंदी ध्वनियों (वर्णों) के उच्चारण स्थान, वर्गीकरण एवं विशेषतायें

हिंदी ध्वनियों (वर्णों) के उच्चारण स्थान, वर्गीकरण एवं विशेषतायें

भारतीय भाषाशास्त्र की परंपरा अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश के माध्यम से विकसित हुई हिंदी भाषा में ध्वनिविज्ञान (Phonetics) का विशेष महत्व है। ध्वनि ही भाषा का आधार है और ध्वनियों के व्यवस्थित अध्ययन के बिना भाषा-विज्ञान अधूरा माना जाता है। संस्कृत और हिंदी व्याकरण में ध्वनियों के उच्चारण-स्थान (Articulatory places … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.