गोदान उपन्यास | भाग 6 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 6 – मुंशी प्रेमचंद

6.जेठ की उदास और गर्म सन्ध्या सेमरी की सड़कों और गलियों में पानी के छिड़काव से शीतल और प्रसन्न हो रही थी। मंडप के चारों तरफ़ फूलों और पौधों के गमले सजा दिये गये थे और बिजली के पंखे चल रहे थे। राय साहब अपने कारख़ाने में बिजली बनवा लेते थे। उनके सिपाही पीली वर्दियाँ … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 5 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास भाग 5

5.उधर गोबर खाना खाकर अहिराने में पहुँचा। आज झुनिया से उसकी बहुत-सी बातें हुई थीं। जब वह गाय लेकर चला था, तो झुनिया आधे रास्ते तक उसके साथ आयी थी। गोबर अकेला गाय को कैसे ले जाता। अपरिचित व्यक्ति के साथ जाने में उसे आपत्ति होना स्वाभाविक था। कुछ दूर चलने के बाद झुनिया ने … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 4 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 4 – मुंशी प्रेमचंद

4.होरी को रात भर नींद नहीं आयी। नीम के पेड़-तले अपनी बाँस की खाट पर पड़ा बार-बार तारों की ओर देखता था। गाय के लिए एक नाँद गाड़नी है। बैलों से अलग उसकी नाँद रहे तो अच्छा। अभी तो रात को बाहर ही रहेगी; लेकिन चौमासे में उसके लिए कोई दूसरी जगह ठीक करनी होगी। … Read more

भोर से पहले | कहानी – अमृत राय

भोर से पहले

सबेरे का वक़्त है। गंगा-स्नान के प्रेमी अकेले और दुकेले चार-चार छ-छ के गुच्छों में गंगा-तट से लौटकर दशाश्वमेध के तरकारीवालों और मेवाफ़रोशों से उलझ रहे हैं, मोल-तोल कर रहे हैं। दूकानें सब दुलहिनों की तरह सजी-बजी खड़ी हैं। कहीं चायवाला चाय के शौक़ीनों को गाढ़े कत्थई रंग की चाय पिला रहा है, कहीं पानवाला … Read more

क़लम का सिपाही | प्रेमचन्द जी की जीवनी : अमृत राय

क़लम का सिपाही | प्रेमचन्द जी की जीवनी : अमृत राय

क़लम का सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी के पुत्र और महान साहित्यकार अमृत राय जी द्वारा लिखी प्रेमचन्द जी की पहली मुकम्मल जीवनी है जो, साहित्य में क्लासिक का दर्जा पा चुकी है। अमृतराय जी को उनकी लिखी इस किताब के लिए सन् 1963 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तथा 1971 में सोवियतलैंड नेहरु पुरस्कार … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 3 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 3 – मुंशी प्रेमचंद

3.होरी अपने गाँव के समीप पहुँचा, तो देखा, अभी तक गोबर खेत में ऊख गोड़ रहा है और दोनों लड़कियाँ भी उसके साथ काम कर रही हैं। लू चल रही थी, बगूले उठ रहे थे, भूतल धधक रहा था। जैसे प्रकृति ने वायु में आग घोल दिया हो। यह सब अभी तक खेत में क्यों … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 2 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 2 - मुंशी प्रेमचंद

2.सेमरी और बेलारी दोनों अवध-प्रान्त के गाँव हैं। ज़िले का नाम बताने की कोई ज़रूरत नहीं। होरी बेलारी में रहता है, राय साहब अमरपाल सिंह सेमरी में। दोनों गाँवों में केवल पाँच मील का अन्तर है। पिछले सत्याग्रह-संग्राम में राय साहब ने बड़ा यश कमाया था। कौंसिल की मेम्बरी छोड़कर जेल चले गये थे। तब … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 1 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 1 - मुंशी प्रेमचंद

1.होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी देकर अपनी स्त्री धनिया से कहा — गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूँ। ज़रा मेरी लाठी दे दे।धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे। उपले पाथकर आयी थी। बोली — अरे, कुछ रस-पानी तो कर लो। ऐसी जल्दी क्या है।होरी ने अपने झुरिर्यों … Read more

नमक का दरोगा- मुंशी प्रेमचंद | पात्र परिचय, चरित्र चित्रण, सारांश

नमक का दरोगा कहानी- मुंशी प्रेमचंद

नमक का दरोगा मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गयी एक कहानी है। यह कहानी एक ऐसे ईमानदार व्यक्ति के बारे में है जो नमक निरीक्षक (नमक का दरोग) पर रहने के बाद भी रिश्वत नहीं लेता है, और अपनी ईमानदारी पर अडिग रहता है। इस कहानी में मुंशी प्रेमचंद जी ने कहानी धन के ऊपर धर्म के … Read more

सौत कहानी – मुंशी प्रेमचंद | पात्र परिचय, चरित्र चित्रण, सारांश

सौत कहानी मुंशी प्रेमचंद

सौत कहानी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी एक ऐसी कहानी है, जिसमे उन्होंने गाँव के रहने वाले एक परिवार का चित्रण किया है। इस कहानी एक व्यक्ति जिसका नाम रामू रहता है, वह अपनी पत्नी की सौत लेकर आता है। फिर उस परिवार में क्या होता है, रामू के जीवन में और उसकी दोनों पत्नियों … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.