वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) भारत के राज्य स्तर पर पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure या Capex) के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा की हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के कुल Capex में पांच राज्य लगभग आधी हिस्सेदारी रखेंगे। इनमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जिसका योगदान अकेले ही 16.3% है। इस रिपोर्ट से स्पष्ट संकेत मिलता है कि भारत का आर्थिक विकास अब राज्यों के जरिए ही गति पकड़ रहा है। यह लेख राज्य स्तरीय पूंजीगत व्यय, उसकी प्राथमिकताओं, आर्थिक असर, और विकास के संभावित आयामों का एक समेकित विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
Capex क्या होता है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
Capex यानी पूंजीगत व्यय किसी सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के निर्माण, परिसंपत्तियों के विकास और भविष्य की आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए किए जाने वाले खर्च को कहा जाता है। यह खर्च आमतौर पर सड़कें, पुल, बिजली संयंत्र, स्कूल, अस्पताल, सिंचाई परियोजनाएं और अन्य सार्वजनिक संपत्तियों पर किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य है:
- लंबी अवधि की आर्थिक उत्पादकता को बढ़ाना
- स्थायी रोजगार सृजन
- निजी निवेश को प्रोत्साहन देना
- सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार
- राज्य की राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि के लिए आधार तैयार करना
FY26 में अनुमानित पूंजीगत व्यय: समग्र परिदृश्य
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में राज्यों का कुल पूंजीगत व्यय ₹8.7 लाख करोड़ था, जबकि FY26 में इसके ₹10.2 लाख करोड़ तक पहुँचने की संभावना जताई गई है। यह लगभग 17.2% की सालाना वृद्धि है।
राज्य-स्तरीय योगदान (FY26)
राज्य | अनुमानित Capex (%) |
---|---|
उत्तर प्रदेश | 16.3% |
गुजरात | 9.4% |
महाराष्ट्र | 8.3% |
मध्य प्रदेश | 8.1% |
कर्नाटक | 6.7% |
कुल योगदान | 48.8% |
इस तालिका से स्पष्ट है कि केवल 5 राज्य देश के आधे से अधिक Capex का नेतृत्व करेंगे।
उत्तर प्रदेश: Capex में अग्रणी राज्य
उत्तर प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में बुनियादी ढांचे के विकास, औद्योगीकरण और निवेश आकर्षण के क्षेत्र में जो कार्य किए हैं, वे अब Capex आँकड़ों में दिखाई देने लगे हैं। FY26 में यूपी का पूंजीगत व्यय हिस्सेदारी 16.3% होगी, जो देश में सबसे अधिक है।
यूपी की Capex रणनीतियाँ:
- औद्योगिक कॉरिडोर का विकास (DMIC, UP-Defense Corridor)
- गंगा एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जैसे मेगाप्रोजेक्ट्स
- मेट्रो परियोजनाओं और एयरपोर्ट (जैसे जेवर एयरपोर्ट) पर तेजी
- स्मार्ट सिटी और शहरी आधारभूत संरचना पर विशेष ध्यान
यूपी की रणनीति न केवल शहरी क्षेत्रों को मजबूत कर रही है बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी बुनियादी सेवाएं सुलभ करा रही है।
अन्य प्रमुख राज्य और उनकी भूमिका
गुजरात (9.4%)
गुजरात हमेशा से व्यापार और औद्योगिक केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है। FY26 में यह Capex में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देगा। इसकी रणनीति में बंदरगाह आधारित विकास, MSMEs के लिए क्लस्टर स्कीम और अक्षय ऊर्जा में निवेश प्रमुख हैं।
महाराष्ट्र (8.3%)
पिछले वर्ष महाराष्ट्र Capex हिस्सेदारी में पहले स्थान पर था (10.9%) लेकिन FY26 में इसकी हिस्सेदारी घटकर 8.3% हो गई है। हालांकि यह अभी भी तीसरे स्थान पर बना हुआ है। इसकी प्राथमिकताओं में मेट्रो विस्तार, कोस्टल रोड प्रोजेक्ट, और औद्योगिक बेल्ट प्रमुख हैं।
मध्य प्रदेश (8.1%)
MP का Capex लगातार बढ़ रहा है। FY25 में यह 7.5% था, जबकि FY26 में यह बढ़कर 8.1% हो गया है। जल संसाधनों, सिंचाई परियोजनाओं और ग्रामीण विकास पर केंद्रित निवेश इसकी खासियत है।
कर्नाटक (6.7%)
IT और स्टार्टअप सेक्टर के लिए प्रसिद्ध कर्नाटक अब इंफ्रास्ट्रक्चर और परिवहन पर भी जोर दे रहा है। FY26 में यह Capex हिस्सेदारी के मामले में पांचवें स्थान पर रहेगा।
ओडिशा: (6.4%)
FY25 में ओडिशा की Capex हिस्सेदारी 6.4% थी, पर FY26 में यह शीर्ष 5 से बाहर हो गया है। इसका कारण हो सकता है अन्य राज्यों द्वारा आक्रामक निवेश रणनीतियाँ अपनाना।
राजस्व और पूंजीगत प्राप्तियाँ: कुल वित्तीय परिदृश्य
FY26 के लिए कुल अनुमानित प्राप्तियाँ: ₹69.4 लाख करोड़
प्रकार | वृद्धि दर (%) |
---|---|
राजस्व प्राप्तियाँ | +12.3% |
पूंजीगत प्राप्तियाँ | +6.6% |
यह इंगित करता है कि राज्यों की आय में सकारात्मक वृद्धि देखी जा रही है, जो Capex विस्तार को सुगम बनाती है।
राजस्व योगदानकर्ता शीर्ष राज्य:
राज्य | FY26 अनुमानित योगदान |
---|---|
उत्तर प्रदेश | 13.3% |
महाराष्ट्र | 11.3% |
मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान | ~5.9% प्रत्येक |
तमिलनाडु, जो पहले उच्च राजस्व योगदानकर्ताओं में शामिल था, FY26 में अपेक्षाकृत कम योगदान देता दिख रहा है।
राजकोषीय प्रबंधन: संतुलन और अनुशासन
राज्य सरकारों ने Capex बढ़ाने के साथ-साथ राजकोषीय अनुशासन का भी पालन किया है।
- 12 राज्य FY26 में राजकोषीय घाटा अपने ऐतिहासिक औसत से कम रखेंगे।
- 13 राज्य राजस्व अधिशेष दर्ज करेंगे, जिसका अर्थ है आय खर्च से अधिक होगी।
यह सकारात्मक संकेत है कि राज्य निवेश के साथ-साथ वित्तीय संतुलन भी बनाए हुए हैं।
Capex वृद्धि के उद्देश्य और संभावित परिणाम
1. सार्वजनिक परिसंपत्तियों का निर्माण
Capex का मुख्य लक्ष्य सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल, सिंचाई योजनाएं, और शहरी सुविधाएं तैयार करना है जो नागरिक जीवन को बेहतर बनाएं।
2. रोजगार सृजन और उत्पादकता में वृद्धि
ऐसे निवेश परियोजनाएं अस्थायी और स्थायी दोनों प्रकार के रोजगार सृजित करती हैं। इससे घरेलू मांग को भी बल मिलता है।
3. वैश्विक चुनौतियों के बीच स्थानीय विकास को बढ़ावा
कोविड के बाद वैश्विक मंदी की आशंकाओं और भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारत में राज्यों का Capex विकास को स्थायित्व देता है।
आर्थिक संकेत और भारत की दिशा
बढ़ता हुआ Capex यह दर्शाता है कि भारत अब निवेश-आधारित विकास की राह पर तेजी से अग्रसर है। राज्यों की भागीदारी और राजकोषीय अनुशासन इस आर्थिक परिवर्तन की नींव हैं। यह न केवल भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करेगा बल्कि निजी निवेशकों के लिए भी भरोसे का माहौल बनाएगा।
वित्त वर्ष 2025-26 भारत के लिए Capex के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्य जहां विकास की धुरी बन रहे हैं, वहीं राजकोषीय अनुशासन भी बरकरार रखा गया है। इससे यह स्पष्ट है कि भारत में अब ‘राज्य-आधारित विकास मॉडल’ प्रभावी होता जा रहा है।
Capex में वृद्धि केवल संख्यात्मक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत की आर्थिक नीतियों में एक गहरे और रणनीतिक बदलाव का सूचक है—एक ऐसा बदलाव जो आने वाले दशकों में भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है।
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