फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)

आज के वैश्विक परिदृश्य में मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) और आतंकवाद के लिए वित्तीय सहायता (टेरर फाइनेंसिंग) जैसी समस्याएं अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर खतरे बन चुकी हैं। इन खतरों का मुकाबला करने के लिए दुनिया को एक सशक्त और समन्वित ढांचा चाहिए, जो न सिर्फ नियम बनाए बल्कि उनका अनुपालन भी सुनिश्चित करे। इसी जरूरत को पूरा करता है फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) – एक ऐसी संस्था जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था की रक्षा के लिए सतर्क प्रहरी की भूमिका निभाती है।

FATF: स्थापना और स्वरूप

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की स्थापना वर्ष 1989 में फ्रांस में आयोजित G7 देशों के शिखर सम्मेलन में की गई थी। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए ठोस और समन्वित रणनीति बनाना था। हालांकि प्रारंभ में यह एक अस्थायी निकाय था, लेकिन इसकी सफलता और आवश्यकता को देखते हुए इसे 1990 के दशक में स्थायी रूप दे दिया गया।

सदस्यता और संरचना

वर्तमान में FATF में 40 सदस्य देश और 2 क्षेत्रीय संगठन (European Commission एवं Gulf Cooperation Council) शामिल हैं। ये सदस्य देश दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं हैं। वर्ष 2023 में रूस की सदस्यता निलंबित कर दी गई थी। इसके अतिरिक्त कई देशों और संगठनों को FATF के कार्यों में भाग लेने के लिए Observer या Associate Member का दर्जा प्राप्त है।

FATF का सचिवालय पेरिस (फ्रांस) स्थित OECD (Organisation for Economic Co-operation and Development) भवन में है।

FATF के उद्देश्य

FATF का मूल उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा करना है। इसके तीन प्रमुख लक्ष्य हैं:

  1. मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) से मुकाबला करना
  2. आतंकी वित्तपोषण (Terrorist Financing) को रोकना
  3. हथियारों के प्रसार (Weapons Proliferation Financing) में शामिल फंडिंग की निगरानी करना

FATF के प्रमुख कार्य

FATF के कार्य तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं:

1. निगरानी और जानकारी देना (Monitoring & Informing)

FATF यह जानने का प्रयास करता है कि अपराधी और आतंकी संगठन अपने वित्तीय संसाधनों को कैसे इकट्ठा करते हैं, उपयोग करते हैं, और स्थानांतरित करते हैं। यह संस्था मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के नए और उभरते तरीकों पर अध्ययन करती है और अपने सदस्य देशों को नियमित रूप से अपडेट देती है।

उदाहरण के लिए, डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो-ट्रांजेक्शन्स का उपयोग अपराधी किस प्रकार धन को छिपाने में कर रहे हैं – इस पर FATF ने हाल ही में चेतावनी दी थी।

2. मानक तय करना (Setting Standards)

FATF ने 40 सिफारिशों (40 Recommendations) का एक समूह तैयार किया है, जिन्हें AML/CFT (Anti-Money Laundering/Combating the Financing of Terrorism) मानकों के रूप में जाना जाता है। ये सिफारिशें वैश्विक रूप से मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक वित्तपोषण से निपटने के लिए सर्वमान्य दिशानिर्देश मानी जाती हैं।

हर देश को इन मानकों के अनुसार अपने कानूनों, वित्तीय संस्थानों, और प्रवर्तन एजेंसियों को अनुकूलित करना होता है।

3. गैर-अनुपालन को चिन्हित करना (Flagging Non-Compliance)

जो देश इन मानकों का पालन नहीं करते या उनके प्रयास अपर्याप्त पाए जाते हैं, उन्हें FATF द्वारा “ग्रे लिस्ट” या “ब्लैक लिस्ट” में शामिल किया जाता है।

FATF की सूची व्यवस्था: ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट

FATF देशों की निगरानी दो प्रमुख सूचियों के माध्यम से करता है:

1. ग्रे लिस्ट (Grey List)

  • आधिकारिक नाम: Jurisdictions under Increased Monitoring
  • इसमें वे देश शामिल होते हैं जिनकी AML/CFT व्यवस्था में खामियां हैं, लेकिन वे सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • FATF इन देशों के साथ मिलकर सुधार योजनाएं बनाता है और नियमित रिपोर्टिंग करवाता है।

प्रभाव:

  • ऐसे देशों में विदेशी निवेश में कमी, वैश्विक संस्थानों से ऋण में कठिनाई, और अंतरराष्ट्रीय छवि पर आघात जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  • उदाहरण: पाकिस्तान (2018–2022) — FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होने के कारण पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बना, जिससे जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग पर भारत के अनुसार कमी आई।

2. ब्लैक लिस्ट (Black List)

  • आधिकारिक नाम: High-Risk Jurisdictions subject to a Call for Action
  • ऐसे देश जिनकी AML/CFT व्यवस्थाएं न सिर्फ गंभीर खामियों से ग्रस्त हैं बल्कि वे सुधार के लिए FATF के साथ सहयोग नहीं करते।
  • FATF इन देशों के विरुद्ध कड़े कदमों की सिफारिश करता है।

प्रभाव:

  • ऐसे देशों के खिलाफ अन्य देश और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं आर्थिक प्रतिबंध, बैंकिंग लेनदेन में रोक, और व्यापार प्रतिबंध जैसे कदम उठाते हैं।
  • FATF की ब्लैक लिस्ट में होना किसी भी देश की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अलगाव की स्थिति में डाल सकता है।

भारत और FATF: सक्रिय भागीदारी

भारत वर्ष 2010 से FATF का पूर्ण सदस्य है और इस संस्था के कार्यों में सक्रिय भागीदारी करता है। भारत ने न केवल मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ विधायी सुधार किए हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर FATF के उद्देश्यों को मजबूत करने का कार्य भी किया है।

भारत द्वारा पाकिस्तान के विरुद्ध FATF में प्रयास

भारत लगातार यह दावा करता रहा है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकवाद को पनाह देता है और उसे आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराता है। इसी कड़ी में भारत ने वर्ष 2018 में पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अब वर्ष 2025 में भारत एक विस्तृत डोजियर FATF को सौंपने की तैयारी कर रहा है जिसमें पाकिस्तान की आतंक से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों और FATF प्रतिबंधों के उल्लंघन के सबूत शामिल होंगे।

उद्देश्य:

  • पाकिस्तान को दोबारा ग्रे लिस्ट में शामिल करवाना
  • अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान पाक-प्रायोजित आतंकवाद की ओर खींचना
  • FATF मानकों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करना

FATF का वैश्विक प्रभाव

FATF की सिफारिशों और कार्रवाइयों का वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। इसके मानकों को अपनाने से:

  1. अंतरराष्ट्रीय निवेश में पारदर्शिता आती है
  2. बैंकिंग व्यवस्था में जोखिम घटता है
  3. देशों को आपसी सहयोग बढ़ाने का अवसर मिलता है
  4. आतंकी नेटवर्क की फंडिंग पर वैश्विक अंकुश लगता है

FATF की चुनौतियां

यद्यपि FATF एक प्रभावशाली संस्था है, लेकिन यह कई चुनौतियों का सामना कर रही है:

  • राजनीतिक दबाव: कई बार सदस्य देश संस्था का उपयोग राजनीतिक हथियार की तरह करते हैं।
  • क्रिप्टो करेंसी और ब्लॉकचेन: डिजिटल मुद्रा की अनियमितता FATF के लिए नई चुनौती बनकर उभरी है।
  • सूचना पारदर्शिता: सभी देशों द्वारा वित्तीय जानकारी साझा करना संभव नहीं होता, जिससे निगरानी में कठिनाई आती है।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) निस्संदेह वैश्विक वित्तीय पारदर्शिता और सुरक्षा के क्षेत्र में एक अभिनव और प्रभावशाली संस्था है। इसका उद्देश्य न केवल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक वित्तपोषण को रोकना है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में विश्वास और स्थिरता बनाए रखना भी है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए FATF एक ऐसा मंच है जहां वह आतंक के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटा सकता है।

पाकिस्तान का दोबारा ग्रे लिस्ट में आना केवल भारत की कूटनीतिक जीत नहीं होगी, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश होगा कि वैश्विक समुदाय आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। आने वाले समय में FATF की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण होती जाएगी, विशेषकर जब दुनिया डिजिटल मुद्रा, साइबर अपराध और उभरती वित्तीय तकनीकों के युग में प्रवेश कर चुकी है।

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