जेनरेशन Z: नेपाल आंदोलन, विशेषताएँ, Millennials और Generation Alpha से तुलना

मानव इतिहास में हर पीढ़ी ने अपने समय की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों के अनुरूप अलग पहचान बनाई है। औद्योगिक क्रांति से लेकर सूचना क्रांति तक, हर दौर की युवा पीढ़ी ने परिवर्तन की राह तैयार की। वर्तमान समय की सबसे चर्चित पीढ़ी है जेनरेशन Z (Generation Z), जिसे अक्सर Gen Z या “डिजिटल नेटिव्स” भी कहा जाता है। हाल ही में नेपाल में सोशल मीडिया बैन के विरोध में इसी पीढ़ी ने एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया, जिसने न केवल देश की राजनीति को हिला दिया बल्कि पूरे दक्षिण एशिया का ध्यान अपनी ओर खींचा।

नेपाल में सोशल मीडिया पर पाबंदी लगने के बाद जिस तरह हजारों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर आवाज़ उठाई, उससे यह स्पष्ट हो गया कि यह पीढ़ी केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की वाहक है। इस आंदोलन में 19 लोगों की मौत और अंततः प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली का इस्तीफा, यह दर्शाता है कि जेनरेशन Z लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वतंत्रता के लिए समझौता नहीं करना चाहती।

जेनरेशन Z (Generation Z) कौन है?

समयावधि और परिभाषा

  • जेनरेशन Z उन लोगों को कहा जाता है जिनका जन्म लगभग 1997 से 2012 के बीच हुआ है।
  • यह पीढ़ी मिलेनियल्स (Millennials) के बाद और जेनरेशन अल्फ़ा (Generation Alpha) से पहले आती है।
  • इनका दूसरा नाम “डिजिटल नेटिव्स (Digital Natives)” है क्योंकि ये लोग इंटरनेट, स्मार्टफ़ोन और सोशल मीडिया के साथ बड़े हुए हैं।

विशेषताएँ

  1. तकनीकी परिवेश – इनका बचपन और किशोरावस्था इंटरनेट, मोबाइल और सोशल मीडिया के इर्द-गिर्द गुज़री है।
  2. वित्तीय दृष्टिकोण – यह पीढ़ी पैसों को लेकर व्यावहारिक है, जोखिम कम लेती है और बचत पर अधिक ध्यान देती है।
  3. सामाजिक सोच – ये न्याय, समानता और पारदर्शिता के लिए आवाज़ उठाने में पीछे नहीं रहते।
  4. मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता – पहले की पीढ़ियों की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक संवेदनशील हैं और खुलकर चर्चा करते हैं।
  5. पर्यावरण चिंता – जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दों पर सक्रिय रुख अपनाते हैं।
  6. संपर्क का तरीका – डिजिटल दुनिया में पले-बढ़े होने के बावजूद ये आमने-सामने बातचीत को भी अहम मानते हैं।

नेपाल में जेनरेशन Z का विद्रोह

आंदोलन की पृष्ठभूमि

नेपाल सरकार ने हाल ही में Facebook, WhatsApp, Instagram, YouTube, X (Twitter) सहित 26 बड़े सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर बैन लगा दिया। इसका कारण सरकार ने यह बताया कि इन कंपनियों ने स्थानीय रजिस्ट्रेशन और नियमन संबंधी नियमों का पालन नहीं किया।

लेकिन युवाओं ने इसे केवल प्रशासनिक कार्रवाई न मानकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला समझा।

प्रदर्शन और परिणाम

  • हजारों युवा सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे।
  • विरोध प्रदर्शनों में हिंसा भड़की और लगभग 19 लोगों की मौत हो गई।
  • दबाव इतना बढ़ा कि अंततः प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा।

गहराई से कारण

  1. भ्रष्टाचार के आरोप – नेपाल के अधिकांश वरिष्ठ नेता भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे हैं।
  2. रोज़गार की कमी – देश में लगभग 82% युवा अनौपचारिक रोजगार में हैं।
  3. विदेश पलायन – योग्य नौकरियों की कमी के कारण लाखों युवा विदेश में काम की तलाश कर रहे हैं।
  4. राजनीतिक अविश्वास – लोकतांत्रिक संस्थाओं पर युवाओं का भरोसा टूटता जा रहा है।

टाइमलाइन: नेपाल में सोशल मीडिया बैन और आंदोलन की प्रमुख घटनाएँ

तिथिघटना
अप्रैल 2025नेपाल सरकार ने घोषणा की कि सोशल मीडिया कंपनियाँ स्थानीय रजिस्ट्रेशन नियमों का पालन नहीं कर रही हैं।
मई 2025सरकार ने Facebook, WhatsApp, Instagram, YouTube, X सहित 26 बड़े प्लेटफ़ॉर्म को बैन किया।
जून 2025युवाओं ने बैन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किए, पहले शांतिपूर्ण रैली हुई।
जुलाई 2025प्रदर्शन हिंसक हुए, पुलिस और युवाओं के बीच झड़पें हुईं, कई घायल।
अगस्त 2025विरोध प्रदर्शनों में 19 लोगों की मौत हुई।
सितंबर 2025जनदबाव बढ़ने पर प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दिया।
सितंबर 2025 के बादसरकार ने आंशिक रूप से बैन पर पुनर्विचार की बात कही और संवाद प्रक्रिया शुरू की।

जेनरेशन Z और सोशल मीडिया का रिश्ता

सोशल मीडिया इस पीढ़ी की पहचान बन चुका है। संवाद, रोजगार, शिक्षा, राजनीति, यहां तक कि रिश्तों में भी इनकी दुनिया सोशल प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ी है।

  • व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का माध्यम – YouTube, Instagram और X पर यह पीढ़ी अपनी राय खुलकर रखती है।
  • राजनीतिक दबाव बनाने का हथियार – भारत, हांगकांग, अमेरिका और नेपाल जैसे देशों में आंदोलन और विरोध सोशल मीडिया से ही तेज़ी पकड़ते हैं।
  • आर्थिक अवसर – इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग, फ्रीलांसिंग और डिजिटल स्टार्टअप्स ने इन्हें नई पहचान दी है।

युवाओं के लिए सोशल मीडिया पर रोक लगना केवल मनोरंजन से जुड़ा मामला नहीं था, बल्कि यह उनके लोकतांत्रिक अधिकार और करियर की संभावनाओं पर हमला माना गया।

मिलेनियल्स (Millennials) बनाम जेनरेशन Z

मिलेनियल्स (1981–1996)

  • इनका जन्म उस समय हुआ जब इंटरनेट उभर रहा था, लेकिन यह पूरी तरह डिजिटल नेटिव्स नहीं थे।
  • करियर और स्थिरता को महत्व देते हैं।
  • ब्रांड और भौतिक चीज़ों के प्रति आकर्षण अपेक्षाकृत अधिक है।

जेनरेशन Z (1997–2012)

  • पूरी तरह डिजिटल दुनिया में पैदा हुए।
  • भौतिक वस्तुओं से ज़्यादा अनुभव और आत्म-संतोष को महत्व देते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य, जलवायु और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देते हैं।

तुलना – मिलेनियल्स ने तकनीकी बदलाव को अपनाया, जबकि जेनरेशन Z उसी बदलाव में जन्मी और पली-बढ़ी। यही कारण है कि जेनरेशन Z राजनीति और समाज में अधिक आक्रामक और जागरूक नज़र आती है।

जेनरेशन अल्फ़ा (Generation Alpha) – आने वाली पीढ़ी

समयावधि

  • लगभग 2013 से 2025 तक जन्मे बच्चे

विशेषताएँ

  • ये पूरी तरह AI, वर्चुअल रियलिटी और डिजिटल शिक्षा के माहौल में बड़े हो रहे हैं।
  • इनकी शिक्षा ऑनलाइन टूल्स और स्मार्ट क्लासरूम पर आधारित होगी।
  • यह पीढ़ी संभवतः अब तक की सबसे तकनीकी रूप से सक्षम और बहुभाषी होगी।

चुनौतियाँ

  • स्क्रीन टाइम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अत्यधिक निर्भरता।
  • मानव संवेदनाओं और आमने-सामने संवाद में कमी।
  • पर्यावरणीय संकट और नौकरी बाज़ार की अस्थिरता।

तालिका: मिलेनियल्स, जेनरेशन Z और जेनरेशन अल्फ़ा की तुलना

विशेषतामिलेनियल्स (Millennials)जेनरेशन Z (Gen Z)जेनरेशन अल्फ़ा (Gen Alpha)
जन्म अवधि1981 – 19961997 – 20122013 – 2025
तकनीकी माहौलइंटरनेट और कंप्यूटर का उदय देखा, लेकिन पूरी तरह डिजिटल नेटिव नहींस्मार्टफ़ोन और सोशल मीडिया के साथ पले-बढ़े, डिजिटल नेटिव्सAI, वर्चुअल रियलिटी और स्मार्ट टेक्नोलॉजी के साथ जन्म से जुड़े
मूल्य और सोचकरियर, स्थिरता और भौतिक सफलता को महत्वस्वतंत्रता, सामाजिक न्याय, मानसिक स्वास्थ्य और पर्यावरण को प्राथमिकतानवाचार, तकनीकी दक्षता और वैश्विक जुड़ाव
वित्तीय दृष्टिकोणनिवेश और संपत्ति बनाने पर ध्यानव्यावहारिक और सावधान, अनुभवों को प्राथमिकताडिजिटल मुद्रा और नए आर्थिक मॉडल (क्रिप्टो, AI आधारित अर्थव्यवस्था) के प्रति खुले विचार
संपर्क का तरीकाआमने-सामने और ई-मेल आधारितसोशल मीडिया और चैटिंग, लेकिन फेस-टू-फेस भी अहममेटावर्स, वर्चुअल इंटरैक्शन और AI असिस्टेंट्स पर आधारित
प्रमुख चुनौतियाँआर्थिक मंदी, नौकरी संकटबेरोज़गारी, मानसिक स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार और पर्यावरणस्क्रीन टाइम, AI पर निर्भरता, पर्यावरणीय संकट
प्रमुख पहचानडिजिटल एडॉप्टर्सडिजिटल नेटिव्सटेक-नोमैड्स (Tech-Nomads)

मानसिक स्वास्थ्य और जेनरेशन Z

एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जेनरेशन Z मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को नज़रअंदाज़ नहीं करती।

  • डिप्रेशन, चिंता और तनाव के बारे में खुलकर बात करती है।
  • थेरेपी, काउंसलिंग और योग-ध्यान जैसी चीज़ों को अपनाने में झिझक नहीं।
  • सोशल मीडिया पर ‘परफेक्ट लाइफ’ दिखाने की प्रवृत्ति इनके मानसिक संतुलन को प्रभावित भी करती है।

नेपाल के आंदोलन में भी यह स्पष्ट दिखा कि Gen Z केवल आर्थिक या राजनीतिक वजहों से नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और मानसिक स्वतंत्रता के लिए भी लड़ने को तैयार है।

जेनरेशन Z की पर्यावरणीय चेतना

जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के खिलाफ सबसे ज़्यादा मुखर आवाज़ Gen Z ही उठाती है।

  • ग्रेटा थनबर्ग जैसे युवा कार्यकर्ता इस पीढ़ी के प्रतीक हैं।
  • नेपाल, भारत और अन्य देशों में यह पीढ़ी प्लास्टिक बैन, पेड़ लगाने और कार्बन उत्सर्जन घटाने के अभियानों से जुड़ी हुई है।

राजनीतिक महत्व और भविष्य

नेपाल की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में जेनरेशन Z दक्षिण एशिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में राजनीतिक समीकरण बदल सकती है।

  • लोकतंत्र की रक्षा – ये युवाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करती है।
  • भ्रष्टाचार विरोधी भावना – ईमानदारी और पारदर्शिता की मांग को और मज़बूत करेगी।
  • वैश्विक जुड़ाव – इंटरनेट और तकनीक की वजह से यह पीढ़ी राष्ट्रीय सीमाओं से परे वैश्विक आंदोलनों में भाग ले रही है।

निष्कर्ष

नेपाल का हालिया आंदोलन इस बात का प्रमाण है कि जेनरेशन Z को नज़रअंदाज़ करना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है। यह पीढ़ी केवल सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरने को भी तैयार है।

मिलेनियल्स ने बदलाव की नींव रखी थी, जेनरेशन Z उसे तेज़ गति दे रही है और आने वाली जेनरेशन अल्फ़ा शायद तकनीकी क्रांति की नई परिभाषा लिखेगी।

आज की दुनिया में राजनीतिक दलों, सरकारों और समाज को यह समझना होगा कि यह पीढ़ी केवल भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान की वास्तविक ताक़त है।


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