भारत के बैंकिंग क्षेत्र में हाल ही में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। देश का दूसरा सबसे बड़ा निजी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), ने अपने मेट्रो, शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण शाखाओं में न्यूनतम औसत शेष राशि (Minimum Average Balance – MAB) की अनिवार्यता को कई गुना बढ़ा दिया है। यह बदलाव अगस्त 2025 से लागू होगा और इसके साथ ही बैंक ने कड़े दंड प्रावधान (Penalty Rules) और संशोधित नकद लेनदेन सीमाएं (Cash Transaction Limits) भी घोषित की हैं।
यह कदम भारतीय बैंकिंग उद्योग के लिए एक मील का पत्थर है, क्योंकि इतनी बड़ी वृद्धि लागू करने वाला आईसीआईसीआई पहला निजी बैंक बन गया है। लेकिन, इसके साथ ही यह बहस भी शुरू हो गई है कि क्या यह निर्णय आम ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा, खासकर उन लोगों पर जो न्यूनतम राशि बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं।
न्यूनतम औसत शेष (MAB) में भारी बढ़ोतरी
आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक ने अलग-अलग क्षेत्रों के लिए MAB की नई सीमाएं तय की हैं, जो पहले के मुकाबले कई गुना अधिक हैं:
शाखा श्रेणी | पहले की MAB सीमा | नई MAB सीमा | वृद्धि का अनुपात |
---|---|---|---|
मेट्रो एवं शहरी | ₹10,000 | ₹50,000 | 5 गुना |
अर्ध-शहरी | ₹5,000 | ₹25,000 | 5 गुना |
ग्रामीण | ₹2,500 | ₹10,000 | 4 गुना |
📌 यह बदलाव अगस्त 2025 से खोले गए सभी नए खातों पर लागू होगा।
📌 मौजूदा खातों के लिए बैंक ने अभी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं, लेकिन उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियम धीरे-धीरे सभी खातों पर लागू हो सकता है।
जुर्माने के नए प्रावधान
अगर खाताधारक अपने खाते में आवश्यक MAB नहीं रख पाता है, तो आईसीआईसीआई बैंक ने नया जुर्माना ढांचा तैयार किया है:
- कमी की राशि का 6%
या - ₹500, जो भी कम हो
यह नियम पहले की तुलना में अधिक सख्त है और कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के मुकाबले कठोर है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से तुलना
जहां आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक MAB नियम कड़े कर रहा है, वहीं कई PSB ने ग्राहकों को राहत देने का कदम उठाया है। उदाहरण के तौर पर:
- केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक और एसबीआई ने MAB न रखने पर जुर्माना घटाया या समाप्त कर दिया है।
- वित्त मंत्रालय के अनुसार, 2020 से 2025 के बीच PSB ने MAB जुर्माने के रूप में ₹8,932.98 करोड़ वसूले थे। इसके बाद जनदबाव और नीतिगत बदलाव के कारण कई बैंकों ने जुर्माना नीति में ढील दी।
इस तुलना से यह स्पष्ट होता है कि निजी बैंक और सार्वजनिक बैंक MAB के मामले में दो अलग-अलग नीतियां अपना रहे हैं — निजी बैंक कठोरता की ओर बढ़ रहे हैं, जबकि PSB लचीलेपन की ओर।
नकद लेनदेन पर नए नियम
MAB बढ़ोतरी के साथ-साथ, आईसीआईसीआई बैंक ने नकद जमा और निकासी की सीमाओं में भी बदलाव किया है।
नए नियम:
- प्रति माह 3 मुफ्त नकद जमा
- इसके बाद प्रत्येक अतिरिक्त नकद जमा पर ₹150 शुल्क
- मुफ्त जमा सीमा: ₹1 लाख प्रति माह
- ₹1 लाख से अधिक जमा पर ₹3.5 प्रति ₹1,000 या ₹150 (जो भी अधिक हो)
- अगर लेनदेन संख्या और राशि सीमा दोनों पार हो जाएं, तो ऊँचा शुल्क लागू होगा।
ग्राहकों पर प्रभाव
इस बदलाव का असर सबसे ज्यादा निम्न और मध्यम आय वर्ग के ग्राहकों पर पड़ेगा, खासकर शहरी क्षेत्रों में, जहां:
- ₹50,000 की न्यूनतम राशि बनाए रखना कठिन है
- जुर्माने और अतिरिक्त लेनदेन शुल्क से कुल बैंकिंग लागत बढ़ जाएगी
- छोटे व्यवसायियों और कम आय वाले लोगों के लिए बैंकिंग सेवाएं महंगी हो सकती हैं
- कुछ ग्राहक कम न्यूनतम शेष वाले बैंकों की ओर रुख कर सकते हैं
आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक के कदम के पीछे संभावित कारण
बैंकिंग विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं:
- बैंक की फंडिंग लागत कम करना:
न्यूनतम शेष बढ़ाने से बैंक के पास अधिक जमा राशि होगी, जिससे फंडिंग लागत घटेगी। - डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा:
नकद लेनदेन पर शुल्क बढ़ाकर बैंक ग्राहकों को डिजिटल भुगतान की ओर प्रेरित कर सकता है। - ऑपरेशनल लागत में कमी:
अधिक MAB रखने वाले ग्राहक आमतौर पर कम-जोखिम श्रेणी में आते हैं, जिससे बैंक की लागत घटती है। - प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति:
उच्च MAB लागू कर बैंक प्रीमियम सेवाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
विशेषज्ञों की राय
बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ इस कदम को लेकर दो भागों में बंटे हुए हैं:
- समर्थन में:
- इससे बैंक की वित्तीय मजबूती बढ़ेगी।
- उच्च MAB ग्राहकों को प्रीमियम सुविधाएं दी जा सकती हैं।
- विरोध में:
- यह आम खाताधारकों को निजी बैंकों से दूर कर सकता है।
- वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
ग्राहकों के लिए विकल्प
जो ग्राहक आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक के नए नियमों से असंतुष्ट हैं, उनके पास कुछ विकल्प हैं:
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में खाता खोलना — यहां MAB कम है या नहीं है।
- छोटे निजी बैंक या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) — ये MAB के मामले में ज्यादा लचीले होते हैं।
- पेमेंट बैंक — MAB का दबाव नहीं होता, लेकिन सीमित सुविधाएं मिलती हैं।
- डिजिटल बैंकिंग प्लेटफॉर्म — शून्य-बैलेंस बचत खाता उपलब्ध कराते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
आईसीआईसीआई (ICICI) का यह कदम अन्य निजी बैंकों के लिए नजीर बन सकता है। अगर अन्य बड़े निजी बैंक भी यही रास्ता अपनाते हैं, तो:
- बैंकिंग सेवाओं की लागत और बढ़ सकती है।
- ग्राहकों का रुझान PSB और डिजिटल बैंकिंग की ओर तेज हो सकता है।
- नियामक (RBI) को MAB और पेनल्टी संरचना पर नए दिशा-निर्देश जारी करने पड़ सकते हैं।
निष्कर्ष
आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक द्वारा न्यूनतम शेष राशि और नकद लेनदेन सीमा में भारी वृद्धि का निर्णय बैंकिंग जगत में एक बड़ा बदलाव है। यह जहां बैंक की बैलेंस शीट को मजबूत करेगा, वहीं आम ग्राहकों पर बैंकिंग लागत का बोझ बढ़ा सकता है।
सार्वजनिक और निजी बैंकों की नीतियों में बढ़ता अंतर ग्राहकों के सामने बैंक चयन की नई चुनौती खड़ा कर रहा है।
अंततः, यह फैसला आने वाले समय में तय करेगा कि बैंकिंग सेक्टर किस दिशा में आगे बढ़ेगा — प्रीमियम ग्राहकों पर केंद्रित निजी बैंकिंग या सभी वर्गों को शामिल करने वाली समावेशी बैंकिंग।
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