भारतीय इतिहास का परिचय INTRODUCTION OF INDIAN HISTORY

मानव विकास के उस काल को इतिहास कहा जाता है, जिसके लिए लिखित विवरण उपलब्ध है। मनुष्य की कहानी आज से लगभग दस लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ होती है, पर ‘ज्ञानी मानव‘ होमो सैपियंस Homo sapiens का प्रवेश इस धरती पर आज से क़रीब तीस या चालीस हज़ार वर्ष पहले ही हुआ माना जाता है।

भारतीय इतिहास एक विशाल और प्राचीन इतिहास है जो कई हजार वर्षों से चल रहा है। इसमें महत्वपूर्ण घटनाएं, संस्कृति, समाज, राजनीति, आर्थिक प्रगति, धर्म और विजय-प्राप्ति के प्रमुख पहलुओं का वर्णन होता है। भारतीय इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप (Indian Subcontinent) के विभिन्न क्षेत्रों में विकसित और बदलते रहे समाजों, संस्कृतियों और राजनीतिक संगठनों के प्रभाव को दर्शाता है।

भारत आदि काल से ही एक बहुत बड़ा देश रहा है, जहाँ पर विभिन्न संस्कृतियाँ और विभिन्न धर्म प्रजाति के लोग एक साथ विकसित हुए हैं। यहाँ पर समय समय पर अलग अलग देशों के लोग आये हैं और यहाँ की संस्कृति में रह कर यही के हो गये हैं। भारत को एक उपमहाद्वीप के रूप में देखा जाता रहा है। यहाँ की सभ्यता सिन्धु घाटी सभ्यता से विकसित हुई है।

भारतीय इतिहास के स्रोत

भारतीय इतिहास के बारे में जानकारी जिन प्रमुख स्रोतों से मिलती है, उनमे धर्मग्रन्थ, ऐतिहासिक धर्मग्रन्थ, विदेशियों का विवरण एवं पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य है। चाणक्य के द्वारा लिखी गई पुस्तक अर्थशास्त्र से मौर्या कालीन साम्राज्य के इतिहास की जानकारी मिलती है इसी प्रकार कल्हण द्वारा लिखी गयी पुस्तक राज तरंगिनी को एतिहसुक घटनाओ पर आधारित भारत की पहली पुस्तक कहा जाता है इस पुस्तक में कश्मीर की जानकारी मिलती है।

इसके अलावा विदेशी लेखको में मेगास्थनीज , फाह्यान , ह्वेनसांग अलबरूनी मार्कोपोलो आदि के द्वारा लिखी गई पुस्तकों से भी भारतीय इतिहास के बारे में काफी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती है

भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास

इस अद्भुत उपमहाद्वीप का इतिहास लगभग 75,000 साल पुराना है और इसका प्रमाण होमो सेपियंस की मानव गतिविधि से मिलता है। यह आश्चर्य की बात है कि 5,000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के वासियों ने कृषि और व्यापार पर आधारित एक शहरी संस्कृति विकसित कर ली थी।

कालांतर में यहाँ पर आर्यों का आगमन हुआ और फिर आर्यों ने वैदिक सभ्यता का आरम्भ किया। सनातन, जैन, बुद्ध आदि धर्मों की उत्पत्ति इसी देश में हुई और यहाँ से फ़ैल कर विश्व भर में विख्यात हुई। इसी तरह से यहाँ पर विभिन्न समय पर कई विभिन्न वंश के राजाओं का शासन रहा। इस तरह से भारत के पास एक गौरवशाली और समृद्ध इतिहास है।

भारतीय इतिहास का प्रारंभ वैदिक संस्कृति और वेदिक सभ्यता के समय से होता है, जो लगभग 1500 ई.पू. से पहले के समय के माना जाता है। इसके बाद मगध साम्राज्य के विकास, मौर्य साम्राज्य के समय में भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर साम्राज्यिक संघर्ष, गुप्त साम्राज्य की सुनहरी युग, चोल और पांड्य राज्यों के समय का विकास, दिल्ली सल्तनत और मुग़ल साम्राज्य का स्थापना, ब्रिटिश साम्राज्य की आगमन और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम जैसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए हैं।

इसके अलावा, भारतीय इतिहास में धार्मिक आंदोलनों जैसे बौद्ध और जैन धर्म के उदय, भक्ति आन्दोलनों जैसे संत-काव्य, सिख धर्म की स्थापना, संघर्षों, विभाजन और एकीकरण की प्रक्रिया, और आधुनिक भारत के विकास के दौरान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलाव भी दिखाए गए हैं।

भारतीय इतिहास में कई महत्वपूर्ण धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यक्तियों ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, अशोक महान, चंद्रगुप्त मौर्य, अकबर, शाहजहाँ, रणजीत सिंह, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह, सरदार पटेल, रवींद्रनाथ टैगोर, और मणीष्ठांबीनी गंगुली जैसे व्यक्तित्व महत्वपूर्ण हैं।

भारतीय इतिहास को मध्यकालीन काल, मुग़ल काल, और आधुनिक काल के तहत विभाजित किया जा सकता है। मध्यकालीन काल में राजपूत साम्राज्यों, दिल्ली सल्तनत, विजयनगर राज्य, बहमनी सल्तनत, और मारवाड़ के राजपूताना के बीच संघर्ष हुआ। मुग़ल काल में मुग़ल साम्राज्य ने भारतीय सभ्यता और कला के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया। और आधुनिक काल में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद के स्वतंत्रता के दौरान भारत ने एक आधुनिक राष्ट्र की नींव रखी।

सम्पूर्ण इतिहास को तीन भागों में विभाजित किया गया है:-

  1. प्राचीन इतिहास (ANCIENT HISTORY)
  2. मध्यकालीन इतिहास (MEDIUAL HISTORY)
  3. आधुनिक इतिहास (MODERN HISTORY)

1. प्राचीन इतिहास (ANCIENT HISTORY)

भारत के प्राचीन इतिहास को अगर विश्व के इतिहास के महान अध्यायों में से एक कहा जाए तो इसे अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता। इसका वर्णन करते हुए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था, ‘‘विरोधाभासों से भरा लेकिन मजबूत अदृश्य धागों से बंधा’’। भारतीय इतिहास की विशेषता है कि वो खुद को तलाशने की सतत् प्रक्रिया में लगा रहता है और लगातार बढ़ता रहता है, इसलिए इसे एक बार में समझने की कोशिश करने वालों को ये मायावी लगता है।

इस अद्भुत उपमहाद्वीप का इतिहास लगभग 75,000 साल पुराना है और इसका प्रमाण होमो सेपियंस की मानव गतिविधि से मिलता है। यह आश्चर्य की बात है कि 5,000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के वासियों ने कृषि और व्यापार पर आधारित एक शहरी संस्कृति विकसित कर ली थी।

प्राचीन इतिहास को तीन काल खण्डों में विभाजित किया गया है-

  1. प्राक्इतिहास या प्रागैतिहासिक काल Prehistoric Age
    • पाषाण काल (पुरापाषाण काल, मध्य पाषाण काल और नवपाषाण काल)
  2. आद्य ऐतिहासिक काल Proto-historic Age
  3. ऐतिहासिक काल Historic Age

प्राक्इतिहास या प्रागैतिहासिक काल Prehistoric Age

इस काल में मनुष्य ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण नहीं रखा। इस काल में विषय में जो भी जानकारी मिलती है वह पाषाण के उपकरणों, मिट्टी के बर्तनों, खिलौने आदि से प्राप्त होती है।

प्राकृतिक इतिहास या प्रागैतिहासिक काल, मानव इतिहास के उस अवधि को संकेत करता है जब लिखित रूप से दस्तावेजों या पुरातत्विक आवश्यकताओं के अभाव में लोगों द्वारा उत्पन्न की गई घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। यह एक अवधि होती है जो लिखित इतिहास के पहले और साम्राज्यों और सभ्यताओं की उत्पत्ति से पूर्व तक के दौरान प्रायः बचे हुए विज्ञान, वाणिज्य, संस्कृति और सामाजिक विकास की अवधि को संकेत करती है।

प्रागैतिहासिक काल विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकती है और इसे प्राथमिक आदिवासी, प्रागैतिहासिक या प्राचीन संस्कृति के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। यह काल उत्पन्नता के पहले मानव जीवन के आदिकाल से लेकर अस्तित्व के विभिन्न चरणों तक है जिसमें लकड़ी, पत्थर, धातु, संग्रहीत आवश्यकताएं, जल-जीवन, चिकित्सा, रचनात्मकता आदि शामिल हैं।

प्रागैतिहासिक काल अनुशासनवादी ब्रिटिश विद्वान् स्टोनमैन (1866-1943) ने पहली बार प्रस्तावित किया था, जिसने लोगों के पहले विकास और संगठन की अवधि को अध्ययन किया। प्रागैतिहासिक काल आमतौर पर पत्थर, हड्डी, लकड़ी, हथियार और संग्रहीत कला के आधार पर मापा जाता है। इस अवधि में मानव समुदायों ने साधारणतया शिकार और संग्रहीत खाद्य की आदतें बनाईं और प्राथमिक रूप से आदिवासी जीवन जीने लगे।

प्रागैतिहासिक काल को मुख्य रूप से पाषाण काल के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस काल में पाषाण उपकरणों की प्रधानता थी। विद्वानों ने प्रागैतिहासिक काल को पाषाण उपकरणों की उपस्थिति के आधार पर पाषाण काल नाम दिया और इसको तीन खंडों में विभक्त किया है। ये तीन खंड हैं- पुरापाषाण काल, मध्य पाषाण काल और नवपाषाण काल।

आद्य ऐतिहासिक काल Proto-historic Age

प्रोटो-ऐतिहासिक काल एक ऐसी अवधि है जो प्रागैतिहासिक काल और ऐतिहासिक काल के मध्य स्थित है। यह एक अवधि है जब लिखित रूप से दस्तावेजों और साक्ष्यों की कमी के बावजूद इतिहासी जानकारी उपलब्ध होती है, लेकिन उसका सीधा उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसलिए, प्रोटो-ऐतिहासिक काल में इतिहासी जानकारी का उपयोग करके अधिकांश जानकारी उपयोगकर्ता के अनुमानों और समीक्षा पर निर्भर करती है।

इस काल में लेखन कला के प्रचलन के बाद भी उपलब्ध लेख पढ़े नहीं जा सके हैं।

इस काल के दौरान, मानव समुदायों में विभिन्न सभ्यताओं और साम्राज्यों की उत्पत्ति और विकास का पता चलता है। प्रोटो-ऐतिहासिक काल में अक्सर लिपि की उपस्थिति होती है, लेकिन लिखित रूप से प्राप्त जानकारी की अभावता या आंशिक रूप से प्राप्त जानकारी की वजह से इतिहास की पूर्ति में असुरक्षा रहती है। इसलिए, प्रोटो-ऐतिहासिक काल में जानकारी को आधार मानकर अध्ययन किया जाता है और इसे ऐतिहासिक वास्तविकता के संकेत के रूप में समझा जाता है।

आद्य ऐतिहासिक काल उस काल को कहा जाता है जिसमे पुरातात्विक साक्ष्य तो मिले साथ ही लिखित साक्ष्य भी मिले लेकिन लिखित साक्ष्यों को पढ़ा नहीं जा सका। आद्य ऐतिहासिक काल को ही ब्रॉन्ज (Bronze) अथवा कांस्य युग भी कहते है। इस काल में तांबा और टीन को मिलाकर काँसे का उपयोग किया जाने लगा था। सिंधु सभ्यता को भी आद्य ऐतिहासिक काल (Protohistoric) अथवा कांस्य युग में ही रखा गया है।

ऐतिहासिक काल Historic Age

ऐतिहासिक काल ऐसी अवधि होती है जब लिखित रूप से दस्तावेजों और रिकॉर्डों के आधार पर इतिहासी जानकारी उपलब्ध होती है। यह काल मानव समाज के विकास के बाद का काल माना जाता है, जब समाज और संस्थाओं में लेखन की प्रथा आरंभ होती है। ऐतिहासिक काल सामान्यतः वैज्ञानिक और संगठित रूप से दस्तावेजित और निश्चित जानकारी के आधार पर अध्ययन किया जाता है।

ऐतिहासिक काल में महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तियों, संगठनों, साम्राज्यों, युद्धों, संगठनात्मक विकास, साहित्य, कला, संस्कृति, धर्म आदि के बारे में जानकारी होती है। इस काल के दौरान देशों के इतिहास, राष्ट्रीय और आंतरराष्ट्रीय संबंध, और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का अध्ययन होता है।

ऐतिहासिक काल में लिखित रूप से दस्तावेजों, पुरातत्विक खंडों, मुद्राओं, इंशायरों, अर्चिव्स, और अन्य स्रोतों का उपयोग करके ऐतिहासिक जानकारी को प्रामाणिकता और सत्यता की दृष्टि से विश्लेषण किया जाता है। ऐतिहासिक काल में हम विभिन्न संगठनों, सम्राटों, शासकों, धार्मिक आंदोलनों, विजय-प्राप्ति, गणराज्यों, और उनकी सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक प्रवृत्तियों का अध्ययन करते हैं। इसमें वैदिक काल, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, मौर्य काल, गुप्त काल, और अन्य महत्वपूर्ण काल समाहित हैं।

ऐतिहासिक काल में विभिन्न संस्कृतियों, युगों, साम्राज्यों, समाजों, धर्मों, वैज्ञानिक प्रगति, व्यापारिक संबंध, और सामाजिक परिवर्तनों की अध्ययनित जानकारी द्वारा हम अपने पश्चात्य इतिहास को समझते हैं और मानव समाज के विकास को समझते हैं।

2 मध्यकालीन इतिहास (MEDIUAL HISTORY)

मध्य कालीन इतिहास का समय 712 ई से 1858 ई तक माना गया है इस काल को प्रमुख रूप से दिल्ली सल्तनत एवं मुग़ल काल में विभक्त कर सकते है I

दिल्ली सल्तनत 1206 ई से 1526 ई तक

दिल्ली सल्तनत

712 ई से 1206 ई तक कुछ घटनाये घटी जिनके कारण दिल्ली सल्तनत की शुरुआत हुई जिनका विवरण इस प्रकार है :

  • भारत पर पहला अरब आक्रमण
  • भारत पर पहला तुर्की आक्रमण
  • भारत पर दूसरा तुर्की आक्रमण

मुग़ल काल 1526 ई से 1857 ई तक

भारतीय इतिहास

मुग़ल काल 1526 ई से 1857 ई तक

मुग़ल काल के राजा

3. आधुनिक इतिहास (MODERN HISTORY)

वैसे तो मुगल साम्राज्य के समापन के साथ भारत का आधुनिक इतिहास की शुरुआत मानी जाती हैं, लेकिन मुगल काल का पतन अचानक से नहीं हुआ था, ये कई वर्षों तक चलने वाले राजनैतिक गतिविधियों का परिणाम था जिसके परिणामस्वरूप भारत की सत्ता मुगलों से ब्रिटिशर्स के पास चली गयी।  वास्तव में भारत शुरू से सोने की चिड़िया था, और सारी दुनिया की नजर यहाँ की संपति और वैभव पर थी। जिसका साक्ष्य इस देश पर हुए अनगिनत हमले हैं, और इन हमलों के दौरान ही सत्ता कब मूल भारतीय शासकों के हाथ से निकलकर विदेशियों के हाथ में पहुंची, इसका अंदाजा तब तक नही हुआ, जब तक इतिहास का विश्लेषण ना किया गया।

उस काल में भारत में जमीन के लिए सभी राजा एक-दुसरे से लड़ रहे थे, इसी बात ने विदेशी आक्रान्ताओं को आकर्षित किया, और उन्होंने उपलब्ध संसाधनों का उपभोग करते हुए यहाँ शासन तक अपनी पहुँच बनाई। जैसे यूरोपियन शुरू में भारत से मसालों का व्यापार करना चाहते थे, लेकिन कालांतर में उन्होंने परिस्थितयों को इस तरह से अपने वश में किया कि राजशाही को लगभग समाप्त करके पूरा साम्राज्य अपने अधीन कर लिया।

मुगलों के भारत में समापन से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के शासन काल तक को भारत का आधुनिक इतिहास माना जा सकता है। सभी इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों के अपने-अपने और अलग-अलग तथ्य हैं, जिनमे से कुछ का कहना है कि आधुनिक भारतीय इतिहास, भारत की आजादी पर खत्म हो जाता है।

भारत में उपनिवेश और ब्रिटिश राज

17वीं शताब्दी के मध्यकाल में पुर्तगाल, डच, फ्रांस, ब्रिटेन सहित अनेकों युरोपीय देशों, जो कि भारत से व्यापार करने के इच्छुक थे, उन्होनें देश में स्थापित शासित प्रदेश, जो कि आपस में युद्ध करने में व्यस्त थे, का लाभ प्राप्त किया। अंग्रेज दुसरे देशों से व्यापार के इच्छुक लोगों को रोकने में सफल रहे और 1840 ई तक लगभग संपूर्ण देश पर शासन करने में सफल हुए। और फिर 1857 से 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा किया गया शासन था।


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