परिवार किसी भी समाज की मूल इकाई होता है। यह वह पहली संस्था है जहाँ एक व्यक्ति सामाजिक मूल्यों, संस्कारों और जीवन जीने की कला को सीखता है। बदलती सामाजिक, आर्थिक, और तकनीकी परिस्थितियों में परिवारों की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। इन्हीं विचारों के आलोक में हर वर्ष 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Day of Families) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य परिवारों की अहमियत को रेखांकित करना और उन्हें पेश आ रही चुनौतियों की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना है।
यह दिन न केवल पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह सामाजिक नीतियों को परिवार-केंद्रित बनाने की दिशा में भी एक प्रेरक शक्ति है। वर्ष 2025 में जब हम इस दिन को मना रहे हैं, तब यह और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो गया है, क्योंकि वैश्वीकरण, शहरीकरण, और तकनीकी क्रांति ने पारंपरिक पारिवारिक ढांचों को नई चुनौतियों के समक्ष ला खड़ा किया है।
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस: एक परिचय
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस हर साल 15 मई को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने 1994 में की थी, ताकि परिवार की सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक भूमिका को मान्यता दी जा सके और परिवारों को प्रभावित करने वाले वैश्विक मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया जा सके।
यह दिन एक ऐसा मंच है जहाँ सरकारें, नीति-निर्माता, गैर-सरकारी संगठन, शिक्षाविद्, और आम नागरिक मिलकर यह विचार करते हैं कि किस प्रकार परिवारों को बेहतर सहायता प्रदान की जा सकती है। यह दिवस सभी प्रकार के परिवारों की विविधता को स्वीकार करता है – चाहे वे एकल माता-पिता हों, संयुक्त परिवार, समलैंगिक दंपति, या दत्तक परिवार।
इतिहास और विकास
1. प्रारंभिक विचार
1980 के दशक के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने परिवारों की सामाजिक संरचना और उनके महत्व को गहराई से समझना शुरू किया। पारिवारिक संस्थाओं की भूमिका सामाजिक स्थिरता, बाल संरक्षण, और मूल्यों के हस्तांतरण में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई।
2. प्रस्ताव 44/82 (1989)
दिसंबर 1989 में पारित यह प्रस्ताव परिवारों को सामाजिक और आर्थिक समर्थन देने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इसके अंतर्गत यह माना गया कि परिवार सामाजिक संरचना की आधारशिला हैं और यदि इन्हें समर्थन न मिले तो समाज असंतुलित हो सकता है।
3. प्रस्ताव 46/92 (1991)
1991 में यह मान्यता दी गई कि सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन जैसे – औद्योगीकरण, प्रवासन, बेरोज़गारी और सांस्कृतिक बदलाव – परिवारों की संरचना और उनकी कार्यप्रणाली को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। इस प्रस्ताव में पारंपरिक परिवारों के साथ-साथ नवगठित पारिवारिक स्वरूपों को भी समर्थन देने की बात कही गई।
4. 1994: पहला परिवार दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष (International Year of the Family) घोषित किया। इसी वर्ष अर्थात 15 मई 1994 को पहला अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया गया और यह परंपरा हर वर्ष निरंतर जारी रही है।
उद्देश्य और संदेश
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के कई प्रमुख उद्देश्य हैं:
1. परिवारों की भलाई को बढ़ावा देना
परिवारों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना ताकि वे अपने सदस्यों को सुरक्षित और समर्थ वातावरण प्रदान कर सकें।
2. नीति-निर्माताओं को प्रेरित करना
राज्य और स्थानीय सरकारों को परिवार-समर्थक योजनाओं, जैसे – मातृत्व अवकाश, बाल देखभाल, स्वास्थ्य बीमा, वृद्ध देखभाल – को लागू करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
3. सामाजिक एकता को मजबूत करना
परिवारों के माध्यम से समाज में सहिष्णुता, समावेशन, और एकजुटता को बढ़ावा देना।
4. वैश्विक चुनौतियों के प्रति जागरूकता
आर्थिक कठिनाइयों, जनसंख्या परिवर्तन, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक हिंसा, और डिजिटल दूरी जैसी समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करना।
परिवार की महत्ता
1. मूल्यों की पाठशाला
परिवार वह पहला स्थान है जहाँ एक बच्चा बोलना सीखता है, रिश्तों को समझता है, और जीवन के संस्कारों को आत्मसात करता है।
2. भावनात्मक सुरक्षा
व्यक्ति के जीवन में जब चुनौतियाँ आती हैं, तो परिवार ही वह स्थल होता है जहाँ उसे निःस्वार्थ समर्थन और स्नेह मिलता है।
3. सामाजिक संरचना का आधार
परिवार एक इकाई के रूप में सामाजिक व्यवस्था को स्थायित्व देता है और बच्चों के सम्पूर्ण विकास की नींव रखता है।
4. आर्थिक सहभागिता
परिवार आर्थिक रूप से एक-दूसरे का सहारा बनते हैं – विशेषकर वृद्धजनों और बच्चों के लिए।
2025 की प्रासंगिकता
वर्ष 2025 में, जब दुनिया कई बदलावों के दौर से गुजर रही है, परिवारों को अनेक प्रकार की चुनौतियाँ झेलनी पड़ रही हैं:
- डिजिटल युग में संचार आसान हुआ है, लेकिन परिवारों में व्यक्तिगत जुड़ाव कम होता जा रहा है।
- अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता के कारण परिवारों पर वित्तीय बोझ बढ़ा है।
- जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और शहरीकरण जैसे मुद्दे भी पारिवारिक जीवन को प्रभावित कर रहे हैं।
- कार्य-जीवन संतुलन एक बड़ी समस्या बन गई है, जिससे पारिवारिक समय में कटौती हो रही है।
ऐसे में इस दिवस का महत्व कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि यह एक अवसर है यह विचार करने का कि हम अपने परिवारों को किस प्रकार मजबूत और सहायक बना सकते हैं।
विविधता और समावेशन
संयुक्त राष्ट्र का यह मानना है कि सभी प्रकार के परिवार – चाहे वे किसी भी रूप, जाति, धर्म, या लैंगिक पहचान से जुड़े हों – समाज में समान रूप से सम्मानित और समर्थ होने चाहिए।
- यह दिन एलजीबीटीक्यू+ परिवारों, एकल माता-पिता, दत्तक परिवारों, संयुक्त परिवारों और पारंपरिक परिवारों सभी की विविधता को स्वीकार करता है।
- समावेशन का अर्थ है – हर परिवार को उसकी विशिष्ट पहचान के साथ स्थान देना और उसे आवश्यक संसाधन मुहैया कराना।
प्रेरणादायक उद्धरण
- “दुनिया आपको उतना प्यार नहीं दे सकती जितना आपका परिवार देता है।” – लुई ज़ैम्पेरिनी
- “दुनिया में शांति लाना चाहते हो? घर जाओ और अपने परिवार से प्यार करो।” – मदर टेरेसा
- “परिवार का मतलब है – कोई भी अकेला न रहे, न भूला जाए।” – डेविड ओग्डेन स्टायर्स
- “किसी पुरुष ने कभी भी बच्चों के आभार या स्त्री के प्रेम से तृप्ति नहीं पाई।” – विलियम बटलर यीट्स
शुभकामनाएँ और संदेश
परिवार दिवस के अवसर पर निम्नलिखित संदेश साझा किए जा सकते हैं:
- “आपके परिवार में हमेशा प्यार, अपनापन और खुशियाँ बनी रहें।”
- “परिवार के साथ बिताए हर पल में मुस्कान और स्नेह भरा हो।”
- “परिवार की हंसी, यादें और अटूट रिश्तों को सलाम।”
सरकारी और वैश्विक पहल
भारत में
भारत सरकार ने परिवारों को समर्थन देने हेतु कई योजनाएँ प्रारंभ की हैं:
- जननी सुरक्षा योजना
- आयुष्मान भारत
- मातृत्व अवकाश नीतियाँ
- एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS)
वैश्विक स्तर पर
संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियाँ जैसे यूनिसेफ (UNICEF), यूएनडीपी (UNDP), और यूएन वूमन (UN Women) पारिवारिक सशक्तिकरण हेतु निरंतर प्रयासरत हैं।
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस केवल एक तिथि नहीं है, बल्कि यह एक विचार है – एक ऐसा दर्शन जो यह स्वीकार करता है कि समाज की सफलता परिवारों की भलाई में निहित है। वर्ष 2025 के परिप्रेक्ष्य में जब दुनिया नए सामाजिक ढाँचों की ओर बढ़ रही है, यह आवश्यक है कि हम अपने परिवारों को सशक्त, सहनशील और सुसंगठित बनाए रखें।
परिवार न केवल भावनात्मक आधार हैं, बल्कि वे सामाजिक स्थायित्व और आर्थिक विकास के स्तंभ भी हैं। आइए, इस दिवस पर संकल्प लें कि हम हर प्रकार के परिवार को समर्थन देंगे – चाहे वे किसी भी रूप में हों – और एक ऐसे भविष्य की कल्पना करें जहाँ हर परिवार सशक्त हो, सुरक्षित हो और प्रेम से भरा हो।
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