MRI तकनीक | परिभाषा, उपयोग एवं सुरक्षा

चिकित्सा क्षेत्र में तकनीकी प्रगति ने कई नई इमेजिंग तकनीकों को जन्म दिया है, जिनमें से MRI (Magnetic Resonance Imaging) एक महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से प्रयुक्त तकनीक है। यह तकनीक शरीर के अंदरूनी अंगों, ऊतकों और संरचनाओं की विस्तृत छवियाँ बनाने में सहायक होती है। हाल ही में भारत ने अपना पहला स्वदेशी रूप से निर्मित MRI मशीन विकसित कर लिया है, जिसे AIIMS दिल्ली में परीक्षण के लिए स्थापित किया जाएगा। यह स्वदेशी MRI मशीन भारत के चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

MRI तकनीक की परिभाषा

MRI (मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग) एक गैर-आक्रामक (Non-invasive) इमेजिंग तकनीक है, जिसका उपयोग शरीर के आंतरिक अंगों और ऊतकों की विस्तृत और स्पष्ट छवियाँ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह तकनीक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग करके शरीर के अंदरूनी हिस्सों की विस्तृत तस्वीरें तैयार करती है।

MRI तकनीक का कार्य सिद्धांत

MRI मशीन में एक बड़ा और शक्तिशाली चुंबक होता है जो हाइड्रोजन परमाणुओं को संरेखित करता है। जब रेडियो तरंगें इन परमाणुओं को उत्तेजित करती हैं, तो वे एक संकेत उत्पन्न करते हैं। यह संकेत MRI स्कैनर द्वारा कैप्चर किया जाता है और फिर कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर की मदद से शरीर के विभिन्न हिस्सों की विस्तृत छवियों में परिवर्तित किया जाता है। यह प्रक्रिया बिना किसी हानिकारक विकिरण के शरीर के अंदरूनी अंगों की विस्तृत छवि प्रदान करती है।

MRI तकनीक के प्रमुख उपयोग

MRI तकनीक का उपयोग कई चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की जांच
    • ब्रेन ट्यूमर, स्ट्रोक, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं की पहचान में मदद करता है।
    • मिर्गी के दौरे, सिर की चोट और अन्य तंत्रिका संबंधी विकारों का पता लगाने में सहायक।
  2. रीढ़ की हड्डी की समस्याओं का निदान
    • रीढ़ की हड्डी में किसी भी प्रकार की असामान्यता, जैसे कि डिस्क स्लिप, स्पाइनल ट्यूमर आदि की पहचान की जाती है।
    • स्पाइनल कॉर्ड इंजरी और डिस्क हर्नियेशन का सटीक विश्लेषण।
  3. हड्डियों और जोड़ों की जांच
    • गठिया, अस्थि भंग, लिगामेंट फाड़ और मांसपेशियों की क्षति जैसी समस्याओं का पता लगाने में सहायक होता है।
    • घुटने, कंधे और कूल्हे की चोटों की सटीक पहचान में कारगर।
  4. हृदय और रक्त वाहिनियों की जांच
    • हृदय की संरचना, धमनी में अवरोध और हृदय की धड़कनों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने में सहायक होता है।
    • कोरोनरी धमनी रोग और दिल के वाल्व की समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है।
  5. अंदरूनी अंगों की जांच
    • लिवर, किडनी, अग्न्याशय और अन्य अंगों की बीमारियों का निदान करने में कारगर होता है।
    • पेट और श्रोणि क्षेत्र के अंगों की जांच के लिए भी MRI का उपयोग किया जाता है।
  6. कैंसर और अन्य बीमारियों की पहचान
    • शरीर में कैंसर कोशिकाओं के फैलाव की जांच के लिए प्रयोग किया जाता है।
    • ट्यूमर के स्थान, आकार और प्रसार की जानकारी प्रदान करता है।
  7. महिलाओं में स्त्री रोग संबंधी जांच
    • गर्भाशय, अंडाशय और अन्य प्रजनन अंगों की समस्याओं की पहचान के लिए उपयोगी।
    • गर्भावस्था में भ्रूण के विकास की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।

MRI तकनीक की सुरक्षा

MRI तकनीक अन्य इमेजिंग तकनीकों की तुलना में अधिक सुरक्षित मानी जाती है। इसके कुछ प्रमुख सुरक्षा पहलू निम्नलिखित हैं:

  1. आयनीकरण विकिरण का अभाव
    • X-ray और CT स्कैन के विपरीत, MRI में कोई आयनीकरण विकिरण नहीं होता, जिससे यह अधिक सुरक्षित होता है।
  2. गर्भवती महिलाओं के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित
    • गर्भवती महिलाओं पर MRI का उपयोग आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है, हालांकि पहले तीन महीनों में डॉक्टर की सलाह आवश्यक होती है।
  3. धातुयुक्त वस्तुओं से सावधानी
    • MRI स्कैनर में मजबूत चुंबकीय क्षेत्र होता है, इसलिए मरीजों को किसी भी धातुयुक्त वस्तु (जैसे कि पेसमेकर, मेटल इम्प्लांट आदि) के साथ स्कैन से बचना चाहिए।
  4. क्लौस्ट्रोफोबिया (संकीर्ण स्थान से डर) का प्रभाव
    • कुछ लोगों को MRI मशीन में लेटने में डर लग सकता है, जिसके लिए खुले MRI स्कैनर या सेडेशन (हल्की बेहोशी) का उपयोग किया जाता है।
  5. बार-बार उपयोग में भी सुरक्षित
    • MRI को बार-बार उपयोग किया जा सकता है क्योंकि इसमें कोई हानिकारक विकिरण नहीं होता।

भारत में स्वदेशी MRI तकनीक का विकास

भारत ने हाल ही में अपनी पहली स्वदेशी MRI मशीन विकसित की है, जिसे AIIMS दिल्ली में स्थापित किया जाएगा। यह तकनीक भारत के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

स्वदेशी MRI मशीन के लाभ

  1. कम लागत
    • यह मशीन MRI स्कैन की लागत को लगभग 50% तक कम कर सकती है, जिससे अधिक लोग इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
  2. विदेशी आयात पर निर्भरता में कमी
    • वर्तमान में भारत MRI मशीनों के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर है। स्वदेशी निर्माण से यह निर्भरता कम होगी।
  3. स्वास्थ्य सेवाओं की व्यापक पहुंच
    • कम लागत और स्थानीय उत्पादन के कारण ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी MRI सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी।
  4. रोजगार और तकनीकी नवाचार
    • स्वदेशी MRI तकनीक के विकास से भारत में चिकित्सा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नए अवसर उत्पन्न होंगे और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
  5. शोध और नवाचार को बढ़ावा
    • स्वदेशी MRI मशीनें अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करेंगी, जिससे भारतीय वैज्ञानिकों को अधिक नवाचार करने का अवसर मिलेगा।

भारत में MRI तकनीक का भविष्य

भारत में MRI तकनीक का भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है। सरकार की “मेक इन इंडिया” पहल और चिकित्सा उपकरण निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए जा रहे कदम इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

  • स्थानीय उत्पादन से लागत में कमी: स्वदेशी MRI मशीन के उत्पादन से भारत में चिकित्सा खर्च में कमी आएगी, जिससे अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
  • ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच: सस्ती MRI सुविधाएं देश के दूरदराज क्षेत्रों तक पहुंचना संभव बनाएंगी, जिससे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में भी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।
  • निर्यात की संभावनाएं: स्वदेशी MRI तकनीक के परिपक्व होने के बाद भारत अन्य देशों को भी इस तकनीक का निर्यात कर सकता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

MRI तकनीक आधुनिक चिकित्सा जगत में एक क्रांतिकारी खोज है, जो कई बीमारियों के सटीक निदान में सहायक होती है। भारत द्वारा विकसित स्वदेशी MRI मशीन स्वास्थ्य सेवाओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। यह न केवल लागत को कम करेगी, बल्कि चिकित्सा तकनीक में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी भारत को आगे बढ़ाएगी। स्वदेशी MRI तकनीक के साथ, भारत न केवल अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।

Student Zone – KnowledgeSthali
Current Affairs – KnowledgeSthali


इन्हें भी देखें –

Leave a Comment

Contents
सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.