15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए जिस नई रोजगार योजना की घोषणा की, उसने करोड़ों युवाओं की उम्मीदों को नया पंख दिया है। यह योजना है— प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (PM Vikasit Bharat Rojgar Yojana)। एक लाख करोड़ रुपये की लागत वाली यह महत्वाकांक्षी योजना न केवल युवाओं को पहली नौकरी दिलाने में मदद करेगी, बल्कि उद्योगों और कंपनियों को भी नए रोजगार अवसर सृजित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इसे भारत के युवाओं के लिए “डबल दिवाली का उपहार” बताया। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के माध्यम से अगले दो वर्षों में 3.5 करोड़ नई नौकरियां उत्पन्न की जाएँ और लगभग 1.92 करोड़ युवाओं को पहली बार औपचारिक रोजगार में प्रवेश करने का अवसर मिले।
योजना की पृष्ठभूमि
भारत एक युवा राष्ट्र है। 65% से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। हर साल लाखों छात्र शिक्षा पूरी करके रोजगार की तलाश में कार्यबल में प्रवेश करते हैं। हालांकि, कई बार अवसरों की कमी, असंगठित क्षेत्र पर निर्भरता और निजी क्षेत्र की सीमित भर्ती जैसी चुनौतियाँ उनके सामने खड़ी हो जाती हैं।
पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे कार्यक्रमों ने युवाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता की दिशा में प्रेरित किया है, परंतु संगठित रोजगार के अवसरों की कमी अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना की शुरुआत की गई है।
योजना की मुख्य विशेषताएँ
1. पहली बार नौकरी पाने वालों के लिए प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता
- जो भी युवा निजी क्षेत्र में पहली बार औपचारिक नौकरी प्राप्त करेगा, उसे सरकार की ओर से ₹15,000 की प्रत्यक्ष सहायता दी जाएगी।
- इसका उद्देश्य है युवाओं को असंगठित से संगठित रोजगार की ओर आकर्षित करना और उन्हें कार्यबल में आत्मविश्वास के साथ शामिल करना।
2. नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन
- जो कंपनियाँ लगातार रोजगार सृजन करेंगी, उन्हें सरकार से वित्तीय सहयोग मिलेगा।
- यदि कोई कंपनी नए कर्मचारी नियुक्त करती है, तो प्रति कर्मचारी ₹3,000/माह तक की सहायता दी जाएगी।
- विशेष रूप से विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र को अतिरिक्त लाभ दिए जाएंगे, ताकि बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा किया जा सके।
3. पैमाना और लक्ष्य
- कुल निवेश: ₹1 लाख करोड़।
- लक्ष्य: अगले 2 वर्षों में 3.5 करोड़ रोजगार।
- पहली बार कार्यबल में शामिल होने वाले लाभार्थी: 1.92 करोड़ युवा।
4. कार्यान्वयन और निगरानी
- योजना का संचालन श्रम एवं रोजगार मंत्रालय करेगा।
- लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन का कार्य कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) को सौंपा जाएगा।
- पारदर्शिता और सुगमता के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा।
प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना को युवाओं की आकांक्षाओं से जोड़ते हुए कहा—
“यह मेरे देश के युवाओं के लिए मेरा तोहफ़ा है। यह उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हुए राष्ट्र की विकास यात्रा को और मजबूत करेगा। यह योजना आत्मनिर्भर भारत मिशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
उनका मानना है कि जब युवा आर्थिक रूप से स्वतंत्र होंगे, तभी भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के अपने विज़न को साकार कर सकेगा।
विकसित भारत 2047 और रोजगार योजना की भूमिका
भारत सरकार ने 2047 तक, यानी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने तक, भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस विज़न का मुख्य आधार है—
- समावेशी आर्थिक वृद्धि
- तकनीकी नवाचार
- सामाजिक न्याय और समान अवसर
- युवाओं की अधिकतम भागीदारी
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना इस विज़न का एक प्रमुख स्तंभ है, क्योंकि यह सीधे-सीधे युवाओं की रोजगार आवश्यकताओं को संबोधित करती है।
योजना का संभावित प्रभाव
1. रोजगार सृजन में तेजी
इस योजना से अगले दो वर्षों में 3.5 करोड़ नौकरियाँ पैदा होने का अनुमान है। इससे बेरोजगारी दर में गिरावट आएगी और युवाओं को औपचारिक रोजगार में अवसर मिलेंगे।
2. विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में प्रोत्साहन
भारत में अभी भी रोजगार का बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र से आता है। यह योजना संगठित क्षेत्र को मजबूत करेगी और विनिर्माण क्षेत्र को विशेष बढ़ावा देगी।
3. निजी क्षेत्र का विस्तार
वेतन सहायता और प्रोत्साहन मिलने से कंपनियाँ अधिक भर्ती करने के लिए प्रेरित होंगी। इससे निजी क्षेत्र में निवेश और विस्तार की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
4. सामाजिक सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण
EPFO के माध्यम से नए कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रणाली से जोड़ा जाएगा। इससे उन्हें पेंशन, बीमा और भविष्य निधि जैसे लाभ मिलेंगे।
5. अल्प-रोजगार और असंगठित श्रम की समस्या में कमी
युवा अब केवल असंगठित और अस्थायी नौकरियों पर निर्भर नहीं रहेंगे। उन्हें स्थायी और औपचारिक रोजगार मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और जीवन स्तर में सुधार होगा।
योजना की चुनौतियाँ
हालाँकि योजना महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं—
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: यदि कंपनियाँ बड़े पैमाने पर भर्ती नहीं करतीं, तो योजना का लक्ष्य अधूरा रह सकता है।
- निगरानी और पारदर्शिता: यह सुनिश्चित करना कि प्रोत्साहन का दुरुपयोग न हो और वास्तव में युवाओं को लाभ मिले।
- क्षेत्रीय असमानता: मेट्रो शहरों में अवसर अधिक होंगे, लेकिन छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में समान प्रभाव डालना कठिन हो सकता है।
- कौशल की कमी: यदि युवाओं के पास आवश्यक कौशल नहीं होगा, तो नौकरी मिलने के बाद भी उन्हें लंबे समय तक टिके रहना कठिन होगा।
अन्य योजनाओं से तुलना
भारत में इससे पहले भी कई रोजगार और कौशल विकास योजनाएँ चलाई गईं—
- मनरेगा (MGNREGA): ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार गारंटी पर केंद्रित।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): युवाओं को प्रशिक्षण और कौशल विकास।
- स्टार्टअप इंडिया: स्वरोजगार और उद्यमिता को प्रोत्साहन।
लेकिन प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना की विशेषता यह है कि यह पहली बार औपचारिक रोजगार पाने वाले युवाओं और नियोक्ताओं दोनों को सीधा वित्तीय प्रोत्साहन देती है, जिससे दोतरफा प्रभाव पैदा होगा।
विशेषज्ञों की राय
- अर्थशास्त्री मानते हैं कि यदि योजना सही तरीके से लागू हुई, तो यह भारत की रोजगार संरचना में ऐतिहासिक बदलाव ला सकती है।
- उद्योग जगत के अनुसार, यह स्कीम कंपनियों की भर्ती लागत कम करेगी और उन्हें तेजी से विस्तार का मौका देगी।
- युवा वर्ग के लिए यह योजना न केवल आर्थिक स्वतंत्रता का माध्यम है बल्कि उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रणाली से भी जोड़ती है।
अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
दुनिया के कई देशों ने बेरोजगारी से निपटने के लिए ऐसी योजनाएँ चलाई हैं—
- जर्मनी में युवाओं के लिए “एप्रेंटिसशिप मॉडल”।
- अमेरिका में रोजगार सब्सिडी और टैक्स छूट योजनाएँ।
- जापान में युवाओं को पहली नौकरी के लिए विशेष वित्तीय सहायता।
भारत की नई योजना इन सभी से प्रेरणा लेकर बनाई गई है, लेकिन इसका पैमाना कहीं अधिक बड़ा है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना भारत की आर्थिक और सामाजिक संरचना को गहराई से प्रभावित करने वाली योजना है। यह केवल एक रोजगार कार्यक्रम नहीं, बल्कि युवा सशक्तिकरण का राष्ट्रीय मिशन है।
यदि इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो यह न केवल करोड़ों युवाओं को नौकरी देगा, बल्कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में भी मजबूत आधार प्रदान करेगा।
पीएम मोदी का यह कहना बिल्कुल उचित है कि—
“यह योजना युवाओं के लिए डबल दिवाली का उत्सव है।”
आने वाले वर्षों में इसका वास्तविक प्रभाव सामने आएगा, लेकिन इतना निश्चित है कि यह पहल भारत के रोजगार और विकास इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
इन्हें भी देखें –
- भारत–फ़िजी कृषि सहयोग: भारत ने फ़िजी को 5 मीट्रिक टन लोबिया बीज भेजे
- भारत में वनस्पति तेल आयात रुझान 2024–25: सोयाबीन तेल का रिकॉर्ड उछाल, पाम ऑयल में गिरावट
- कविता : स्वरूप, विशेषताएँ, भेद, इतिहास, विधाएँ और महत्व
- आलोचना और आलोचक | हिन्दी में आलोचना का स्वरूप एवं विशेषताएँ
- आलोचना : स्वरूप, अर्थ, व्युत्पत्ति, परिभाषा, प्रकार, विकास और उदाहरण
- एशिया की सबसे लंबी मालगाड़ी ‘रुद्रास्त्र’: भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक उपलब्धि
- ICICI बैंक ने न्यूनतम शेष राशि में की भारी वृद्धि: आम खाताधारकों पर बढ़ा बोझ
- निद्रा रोग (Sleeping Sickness): परिचय, स्थिति, और वैश्विक दृष्टिकोण
- राष्ट्रीय खेल शासन और एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक 2025 संसद से पारित
- भारत और वे देश जो 15 अगस्त को मनाते हैं अपना राष्ट्रीय/स्वतंत्रता दिवस