प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय राजनीति के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री पद पर लगातार सेवा देने के रिकॉर्ड को पार कर लिया है। अब वे भारत के स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद दूसरे सबसे लंबे समय तक लगातार प्रधानमंत्री पद पर कार्य करने वाले नेता बन गए हैं।
ऐतिहासिक कीर्तिमान: मोदी ने तोड़ा इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 जुलाई 2025 को एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। उन्होंने इस दिन प्रधानमंत्री के रूप में लगातार 4,078 दिन पूरे कर लिए, जबकि इंदिरा गांधी ने अपने पहले कार्यकाल (24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977) में लगातार 4,077 दिन तक प्रधानमंत्री पद संभाला था। यद्यपि इंदिरा गांधी ने 1980 से 1984 तक एक और कार्यकाल भी पूरा किया था, परंतु इन दोनों कार्यकालों के बीच का अंतराल उन्हें लगातार सेवा देने वाले नेताओं की सूची में मोदी से नीचे ले आया।
इंदिरा गांधी का प्रथम कार्यकाल उस समय का प्रतिनिधित्व करता है जब देश सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से कई महत्वपूर्ण बदलावों से गुजर रहा था। उनकी नीतियाँ, निर्णय और आपातकाल का दौर आज भी ऐतिहासिक संदर्भों में चर्चित हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का लगातार कार्यकाल इस बात का संकेत है कि उन्होंने भारतीय लोकतंत्र में जनसमर्थन की निरंतरता के साथ लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर रहते हुए नेतृत्व प्रदान किया है।
पंडित नेहरू अब भी शीर्ष पर
हालांकि नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, फिर भी सबसे लंबे समय तक लगातार प्रधानमंत्री पद पर रहने का कीर्तिमान अभी भी भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम है। उन्होंने 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964 तक लगातार 16 वर्ष और 286 दिन तक भारत का नेतृत्व किया। यह एक ऐसा कालखंड था जिसमें भारत ने अपनी स्वतंत्रता के बाद न सिर्फ लोकतंत्र की नींव रखी, बल्कि संस्थागत ढाँचे और विदेश नीति में स्थायित्व की दिशा में भी अग्रसर हुआ।
नेहरू युग की तुलना में मोदी युग को एक भिन्न वैश्विक और घरेलू परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है। जहां नेहरू ने भारत को एक नवोदित गणराज्य के रूप में स्थिर किया, वहीं मोदी ने एक बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत को नई भूमिका दिलाने का प्रयास किया।
मोदी युग की शुरुआत: 26 मई 2014
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। यह वह क्षण था जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनके नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में प्रवेश किया। भाजपा ने 272 सीटों के साथ ऐतिहासिक विजय प्राप्त की और तीन दशक बाद भारत को एक सशक्त एकदलीय बहुमत की सरकार मिली। यह न केवल भाजपा बल्कि भारतीय लोकतंत्र के लिए भी एक निर्णायक मोड़ था।
नरेंद्र मोदी का राजनीतिक सफर तब शुरू हुआ जब वे वर्ष 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 2001 से 2014 तक लगातार 13 वर्षों तक गुजरात की कमान संभाली और विकास-प्रेरित नेतृत्व की छवि बनाई। यही छवि राष्ट्रीय राजनीति में उनकी स्वीकार्यता का आधार बनी।
2019 में, जब देश में आम चुनाव हुए, तो भाजपा ने अपने मत प्रतिशत और सीटों में और वृद्धि की, और 303 सीटों के साथ पुनः केंद्र की सत्ता में लौटी। यह दर्शाता है कि जनता में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर विश्वास और गहराया। वर्ष 2024 में भाजपा को भले ही पूर्ण बहुमत न मिला हो, लेकिन एनडीए गठबंधन के समर्थन से मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और इस प्रकार लगातार तीसरी बार इस पद को सुशोभित करने वाले दुर्लभ नेताओं में शुमार हो गए।
मोदी के लंबे कार्यकाल की विशेषताएँ
प्रधानमंत्री मोदी का कार्यकाल कई मायनों में अभूतपूर्व रहा है। उनके नेतृत्व ने भारतीय राजनीति के ढाँचे, प्रशासनिक कार्यप्रणाली, और भारत की वैश्विक छवि को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। उनका लंबे समय तक सत्ता में बने रहना केवल एक राजनीतिक जीत नहीं है, बल्कि यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में जनादेश की ताकत और स्थायित्व की आवश्यकता को भी उजागर करता है।
नीतियों में निरंतरता
प्रधानमंत्री मोदी के लगातार कार्यकाल ने नीतियों की निरंतरता को संभव बनाया है। कई योजनाएं जैसे स्वच्छ भारत मिशन, जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, प्रधानमंत्री आवास योजना, और आयुष्मान भारत आदि, इन्हीं वर्षों में आकार लेकर लागू की गईं और उनमें क्रमिक सुधार किए गए।
विदेश नीति में सुसंगतता
मोदी के कार्यकाल में भारत की विदेश नीति में स्पष्ट सुसंगतता देखने को मिली। अमेरिका, रूस, इज़रायल, फ्रांस और जापान जैसे देशों के साथ संबंधों को नया आयाम मिला। उन्होंने एक्ट ईस्ट पॉलिसी, नेबरहुड फर्स्ट, और वसुधैव कुटुंबकम् के सिद्धांतों के आधार पर भारत को वैश्विक मंचों पर निर्णायक स्थिति में पहुँचाया।
शासन में स्थायित्व
मोदी सरकार ने शासन को केंद्रीकृत निर्णय प्रणाली की दिशा में मोड़ा। नया भारत और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास जैसे नारे प्रशासनिक कार्यों में समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। योजनाओं के कार्यान्वयन, डिजिटल पारदर्शिता और त्वरित निर्णय प्रणाली ने प्रशासनिक गति को बढ़ाया।
राजनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व ने भारतीय राजनीति को नए विमर्श की ओर मोड़ा है। वे सत्ता के विकेन्द्रीकरण के बजाय एक सशक्त नेतृत्व की छवि को बढ़ावा देने में सफल रहे। उनके द्वारा उठाए गए कई प्रमुख निर्णयों जैसे अनुच्छेद 370 हटाना, तीन तलाक पर प्रतिबंध, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), और राम मंदिर निर्माण जैसे मुद्दों ने राजनीतिक दिशा को एक स्पष्ट राष्ट्रवादी विमर्श की ओर मोड़ा।
चुनावी मशीनरी और सुधार
मोदी सरकार के दौरान चुनावों के डिजिटलीकरण, वोटर आईडी से आधार लिंक, और एक देश, एक चुनाव की बहस को प्राथमिकता मिली। चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता, इलेक्ट्रोरल बॉन्ड जैसी योजनाओं ने राजनीतिक फंडिंग के पारंपरिक तरीकों में परिवर्तन लाने की कोशिश की।
जनसमर्थन और लोकप्रियता
मोदी के नेतृत्व में भाजपा को जनसमर्थन निरंतर मिलता रहा है। चाहे लोकसभा चुनाव हो या राज्य विधानसभाओं के चुनाव, उनकी रैलियों, रणनीतियों और सोशल मीडिया अभियानों ने मतदाताओं को प्रभावित किया है। 2024 में भले ही भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिला हो, लेकिन यह तथ्य अपनी जगह कायम है कि व्यक्तिगत लोकप्रियता के स्तर पर मोदी का करिश्मा अभी भी बरकरार है।
आलोचना और चुनौतियाँ
जहाँ एक ओर मोदी ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल कीं, वहीं दूसरी ओर उनके शासन को लेकर आलोचना भी हुई। विरोधियों ने लोकतंत्र के संस्थानों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप, मीडिया की निष्पक्षता पर सवाल, अल्पसंख्यकों की असुरक्षा, और सामाजिक ध्रुवीकरण जैसे मुद्दों पर आलोचना की। साथ ही नोटबंदी, GST के लागू होने में अव्यवस्था, और कोविड-19 प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी उनकी सरकार पर प्रश्नचिन्ह लगाए गए।
मोदी का विरासत निर्माण
इतिहास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किस रूप में याद किया जाएगा, यह आने वाले वर्षों में तय होगा। परंतु यह निर्विवाद है कि उन्होंने भारतीय राजनीति के हर क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ी है। उनकी विरासत एक ऐसे नेता की रहेगी जिसने जनभावनाओं को समझा, उन्हें दिशा दी, और भारत को वैश्विक मानचित्र पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
निष्कर्ष: इतिहास के पन्नों में एक और कीर्तिमान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कीर्तिमान केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता, जनादेश की स्थायित्व के प्रति प्रतिबद्धता और भारत में प्रभावी नेतृत्व की निरंतरता को दर्शाता है। यह एक ऐसे समय का संकेत है जब वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत ने एक स्थिर नेतृत्व को अपनाया और आगे बढ़ाया।
नरेन्द्र मोदी का अब तक का सफर यह दिखाता है कि राजनीति केवल चुनावी विजय का नाम नहीं, बल्कि यह नीतियों, दृष्टिकोण और दूरदर्शिता के बल पर राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया भी है। उनका नेतृत्व एक ऐसे भारत की कल्पना करता है जो “विकसित भारत 2047” की ओर अग्रसर हो।
इन्हें भी देखें –
- प्रगतिवाद (1936–1943): जन्म, कवि, विशेषताएं, प्रवृत्तियाँ
- छायावादोत्तर युग (शुक्लोत्तर युग: 1936–1947 ई.) | कवि और उनकी रचनाएँ
- 8वां केंद्रीय वेतन आयोग: सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण
- हाटी जनजाति: परंपरा, पहचान और कानूनी विमर्श का समावेशी विश्लेषण
- अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC): वैश्विक न्याय प्रणाली में यूक्रेन की नई भागीदारी और भारत की दूरी
- भारत में महारत्न कंपनियों की सूची | 2024
- भारत में महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कंपनियां
- सौर मंडल | Solar System
- आकाशदीप कहानी- जयशंकर प्रसाद
- भारत में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल | विश्व विरासत सूची