SCO शिखर सम्मेलन 2025: चीन का 2 अरब डॉलर पैकेज और जिम्मेदार एआई सहयोग की नई दिशा

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एशिया-यूरोप क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली बहुपक्षीय संगठनों में से एक है। इसकी स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी और आज यह संगठन न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा बल्कि आर्थिक सहयोग, तकनीकी नवाचार और सांस्कृतिक साझेदारी का भी प्रमुख मंच बन चुका है। वर्ष 2025 का शिखर सम्मेलन चीन की मेज़बानी में आयोजित हुआ, जिसमें चीन ने कई महत्वाकांक्षी घोषणाएँ कीं। इन घोषणाओं में 2 अरब डॉलर के अनुदान और 10 अरब डॉलर तक की ऋण सहायता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सहयोग, छात्रवृत्तियों का विस्तार और जनजीवन परियोजनाओं को शामिल किया गया।

यह कदम चीन की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके माध्यम से वह क्षेत्रीय नेतृत्व को मज़बूत करना और SCO को तकनीकी तथा आर्थिक साझेदारी का केंद्र बनाना चाहता है। भारत समेत सभी सदस्य देशों ने इन पहलों में अपनी-अपनी प्राथमिकताओं को सामने रखते हुए सहयोग पर सहमति जताई।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की पृष्ठभूमि

स्थापना और उद्देश्य

  • स्थापना वर्ष: 2001
  • सदस्य देश: चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, कज़ाख़स्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, ईरान आदि।
  • उद्देश्य:
    • क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना
    • आतंकवाद और अलगाववाद से निपटना
    • व्यापार, निवेश और ऊर्जा सहयोग बढ़ाना
    • तकनीकी और शैक्षिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना

SCO की बदलती भूमिका

शुरुआत में यह संगठन सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित था, लेकिन अब यह डिजिटल अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, शिक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे विषयों पर भी काम कर रहा है। 2025 के शिखर सम्मेलन में चीन की घोषणाएँ इसी दिशा में एक बड़ा कदम हैं।

चीन की प्रमुख घोषणाएँ

1. आर्थिक सहायता – 2 अरब डॉलर का अनुदान और 10 अरब डॉलर का ऋण

चीन ने वादा किया कि वर्ष 2025 के अंत तक वह 2 अरब RMB (लगभग 274 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का अनुदान SCO सदस्य देशों को देगा। इसके अलावा अगले तीन वर्षों में 10 अरब RMB (लगभग 1.37 अरब अमेरिकी डॉलर) का ऋण भी SCO इंटरबैंक कंसोर्टियम के सदस्यों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

  • उद्देश्य:
    • बुनियादी ढाँचे का विकास
    • क्षेत्रीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा
    • आर्थिक असमानताओं को कम करना

यह कदम चीन के “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)” से भी जुड़ा हुआ माना जा सकता है, जहाँ चीन क्षेत्रीय आर्थिक परियोजनाओं में निवेश करके अपनी कूटनीतिक पकड़ मज़बूत करता है।

2. 100 “छोटे और सुंदर” जनजीवन परियोजनाएँ

चीन ने घोषणा की कि SCO देशों में 100 स्थानीय स्तर की परियोजनाएँ चलाई जाएँगी, जिन्हें “छोटी और सुंदर परियोजनाएँ” कहा जा रहा है।

  • मुख्य क्षेत्र:
    • स्वास्थ्य और स्वच्छता
    • शिक्षा और प्राथमिक सुविधाएँ
    • क्षमता निर्माण और कौशल विकास

ये परियोजनाएँ आम नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। इससे चीन की “सॉफ्ट पावर” रणनीति को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह सीधे आम जनता तक पहुँचेगा।

3. शैक्षणिक और मानव संसाधन पहलें

(i) छात्रवृत्तियों का विस्तार

2026 से चीन SCO सदस्य देशों के लिए छात्रवृत्तियों की संख्या दोगुनी करेगा।

(ii) SCO इनोवेटिव पीएचडी प्रोग्राम

यह प्रोग्राम विज्ञान, प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में उच्च स्तरीय प्रतिभा विकसित करने पर केंद्रित होगा।

(iii) लुबान कार्यशालाएँ

  • अगले पाँच वर्षों में 10 लुबान कार्यशालाएँ SCO देशों में स्थापित की जाएँगी।
  • इनका उद्देश्य उन्नत विनिर्माण और तकनीकी कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना होगा।

(iv) 10,000 प्रशिक्षण अवसर

व्यावसायिक और तकनीकी क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षण देकर क्षेत्रीय रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

4. कृत्रिम बुद्धिमत्ता और तकनीकी सहयोग

2025 के शिखर सम्मेलन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू रहा तियानजिन घोषणा (Tianjin Declaration)

  • सभी सदस्य देशों ने जिम्मेदार AI विकास का समर्थन किया।
  • मुख्य सिद्धांत:
    • सुरक्षा
    • पारदर्शिता
    • समावेशिता
    • निष्पक्षता

साथ ही, चेंगदू (जून 2025) में बने “AI डेवलपमेंट कोऑपरेशन रोडमैप” को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई गई।

चीन ने अपने AI कौशल का प्रदर्शन करते हुए “Xiao” नामक ह्यूमनॉइड रोबोट को सम्मेलन में प्रस्तुत किया, जिसने प्रतिनिधियों और मीडिया को सहायता प्रदान की।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि AI, ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और नवाचार SCO के भविष्य के स्तंभ होंगे।

भारत की भूमिका और दृष्टिकोण

भारत ने शिखर सम्मेलन में सक्रिय भूमिका निभाई और AI सहयोग का समर्थन किया।

  • भारत ने बल दिया कि:
    • AI का विकास नैतिक और मानव-केंद्रित होना चाहिए।
    • विकासशील देशों को भी AI उपकरणों तक समान पहुँच मिलनी चाहिए।
    • उभरती प्रौद्योगिकियों और डिजिटल अवसंरचना में सहयोग आवश्यक है।

यह भारत की “रणनीतिक तकनीकी कूटनीति” (Strategic Tech Diplomacy) को मजबूत बनाता है और वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति को सुदृढ़ करता है।

SCO शिखर सम्मेलन 2025 की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • मेज़बान देश: चीन
  • महत्वपूर्ण घोषणा: तियानजिन घोषणा (2025)
  • मुख्य फोकस:
    • जिम्मेदार AI विकास
    • सुरक्षा, समावेशिता और पारदर्शिता
  • चीन की घोषणाएँ:
    • 2 अरब RMB का अनुदान
    • 10 अरब RMB का ऋण
    • 100 जनजीवन परियोजनाएँ
    • छात्रवृत्तियों में वृद्धि और इनोवेटिव पीएचडी प्रोग्राम
    • 10 लुबान कार्यशालाएँ और 10,000 प्रशिक्षण अवसर

व्यापक विश्लेषण

चीन की रणनीति

चीन इन पहलों के माध्यम से SCO में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को और मज़बूत करना चाहता है। आर्थिक सहायता और जनजीवन परियोजनाएँ उसके “सॉफ्ट पावर” टूल हैं, जबकि AI और तकनीकी सहयोग उसके “हार्ड पावर” को दर्शाते हैं।

भारत का दृष्टिकोण

भारत के लिए यह अवसर और चुनौती दोनों है।

  • अवसर: AI सहयोग, डिजिटल अवसंरचना और शिक्षा में निवेश।
  • चुनौती: चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना और अपनी स्वतंत्र रणनीति बनाए रखना।

क्षेत्रीय प्रभाव

  • आर्थिक क्षेत्र: SCO देशों में बुनियादी ढाँचे और व्यापार का विस्तार।
  • शिक्षा और कौशल: नए प्रशिक्षण अवसर युवाओं के लिए रोजगार के मार्ग खोलेंगे।
  • तकनीकी सहयोग: AI और डिजिटल अर्थव्यवस्था क्षेत्रीय नवाचार को प्रोत्साहित करेंगे।

निष्कर्ष

SCO शिखर सम्मेलन 2025 चीन की महत्वाकांक्षी घोषणाओं और सदस्य देशों के बीच बढ़ते सहयोग का प्रतीक है। चीन ने न केवल आर्थिक सहयोग बल्कि शिक्षा, कौशल और AI जैसी उभरती तकनीकों में भी ठोस कदम उठाए हैं। भारत की ओर से नैतिक और समावेशी AI पर ज़ोर देना यह दर्शाता है कि वह क्षेत्रीय सहयोग को मानव-केंद्रित विकास के दृष्टिकोण से देखना चाहता है।

आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ये घोषणाएँ कितनी व्यवहारिक रूप से लागू होती हैं और SCO किस हद तक एशिया-यूरोप क्षेत्र में विकास, तकनीकी नवाचार और शांति का स्तंभ बन पाता है।


इन्हें भी देखें –

Leave a Comment

Contents
सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.