हिन्दी साहित्य की प्रमुख कहानियाँ और उनके रचनाकार | लेखक

कहानियाँ और उनके रचनाकार

हिन्दी साहित्य में कहानी विधा का उद्भव 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ। यद्यपि कथा कहने की परंपरा भारत में प्राचीनकाल से चली आ रही थी, किन्तु आधुनिक अर्थों में लिखित और संरचित ‘कहानी’ के रूप में हिन्दी साहित्य में इसका प्रारंभिक रूप 1900 ई. में ‘किशोरीलाल गोस्वामी’ द्वारा रचित “इन्दुमती” मानी जाती है। किशोरीलाल … Read more

कहानी: परिभाषा, स्वरूप, तत्व, भेद, विकास, महत्व उदाहरण, कहानी-उपन्यास में अंतर

कहानी : परिभाषा, स्वरूप, तत्व, भेद, विकास, महत्व उदाहरण, कहानी-उपन्यास में अंतर

कहानी गद्य साहित्य की सबसे प्राचीन एवं लोकप्रिय विधाओं में से एक है। यह केवल साहित्यिक रचना ही नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की सांस्कृतिक धरोहर भी है। जब मनुष्य ने बोलना सीखा और अपनी अनुभूतियों, अनुभवों, कल्पनाओं तथा विचारों को दूसरों तक पहुँचाने के लिए शब्दों का प्रयोग किया, तभी से कहानी की शुरुआत मानी … Read more

ममता कहानी – मुंशी प्रेमचंद | सारांश, पात्र परिचय, चरित्र चित्रण, समीक्षा व उद्देश्य

ममता कहानी - मुंशी प्रेमचंद

प्रेमचंद की यह मार्मिक कहानी “ममता” समाज के झूठे दिखावे और असली मानवीय मूल्यों के बीच के अंतर को उजागर करती है। कहानी एक ऐसे धनी और प्रतिष्ठित व्यक्ति बाबू रामरक्षादास के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो बाहरी तौर पर तो समाजसेवक और उदार दिखता है, लेकिन वास्तव में स्वार्थी, अहंकारी और संवेदनहीन है। मुख्य संघर्ष:जब रामरक्षादास अपनी … Read more

शंखनाद | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

शंखनाद | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

“शंखनाद” मुंशी प्रेमचंद की एक प्रेरक कहानी है जो एक आलसी युवक गुमान के जीवन में आए अचानक परिवर्तन की कहानी कहती है। जब उसका बेटा धान मिठाई न मिलने पर रोता है और उसकी माँ उसे डाँट देती है, तो गुमान को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होता है। यह घटना उसके लिए जीवन का शंखनाद (जागृति का संकेत) बन जाती है। … Read more

धर्म संकट | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

धर्म संकट | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद की संवेदनशील दृष्टि से रचित “धर्म संकट” एक ऐसी सामाजिक और नैतिक गाथा है, जो आधुनिकता की चकाचौंध, पारंपरिक मूल्यों की जकड़न, और मानवीय संबंधों की जटिलता को गहराई से छूती है। कहानी लखनऊ के प्रतिष्ठित बैरिस्टर पंडित कैलाशनाथ, उनकी आधुनिक विचारधारा से प्रभावित बहन कामिनी, और एक सरल, मर्यादित, संस्कृत विद्वान रूपचंद … Read more

हार की जीत | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

हार की जीत | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“हार की जीत” मुंशी प्रेमचंद की एक अमर कहानी है, जो प्रेम, त्याग, और समाज के जटिल यथार्थ को गहराई से उकेरती है। यह कहानी दो मित्रों— शारदाचरण और केशव की प्रतिद्वंद्विता, उनके साम्यवादी विचारों, और एक अप्रत्याशित प्रेम-त्रिकोण के इर्द-गिर्द घूमती है। शारदाचरण, एक धनी ताल्लुकेदार, जो साम्यवाद के सिद्धांतों को मानता है, अपने … Read more

लांछन II | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

लांछन II | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

अगर संसार में ऐसा प्राणी होता, जिसकी आँखें लोगों के हृदयों के भीतर घुस सकतीं, तो ऐसे बहुत कम स्त्री-पुरुष होंगे, जो उसके सामने सीधी आँखें करके ताक सकते ! महिला-आश्रम की जुगनूबाई के विषय में लोगों की धारणा कुछ ऐसी ही हो गयी थी। वह बेपढ़ी-लिखी, गरीब, बूढ़ी औरत थी, देखने में बड़ी सरल, … Read more

लांछन I | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

लांछन I | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

मुंशी श्यामकिशोर के द्वार पर मुन्नू मेहतर ने झाड़ू लगायी, गुसलखाना धो-धो कर साफ किया और तब द्वार पर आ कर गृहिणी से बोला —  माँ जी, देख लीजिए, सब साफ कर दिया। आज कुछ खाने को मिल जाए, सरकार ! देवीरानी ने द्वार पर आकर कहा —अभी तो तुम्हें महीना पाये दस दिन भी … Read more

नरक का मार्ग | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

नरक का मार्ग | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

कहानी “नरक का मार्ग” मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी एक ग्रामीण भारतीय समाज की पृष्ठभूमि पर आधारित कहानी है, जहां प्रेमचंद ने पारंपरिक और धार्मिक जीवन के बीच के संघर्ष को उकेरा है। कहानी की नायिका एक साधारण ग्रामीण महिला है, जो धर्म और पति के प्रति समर्पित है। उसका जीवन पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों … Read more

प्रारब्ध | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

प्रारब्ध | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद की कहानी “प्रारब्ध” एक वृद्ध व्यक्ति लाला जीवनदास के जीवन के अंतिम दिनों को चित्रित करती है। जीवनदास छह महीने से बिस्तर पर पड़े हैं और मृत्युशय्या पर हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया है, जिससे वे निराश और नास्तिक हो गए हैं। उनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा है और … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.