बड़े घर की बेटी | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

बड़े घर की बेटी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“बड़े घर की बेटी” कहानी के माध्यम से लेखक मुंशी प्रेमचंद जी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी घर में पारिवारिक शांति और सामंजस्य बनाए रखने में घर की स्त्रियों की अहम् भूमिका होती है। घर की स्त्रियों अपनी समझदारी से टूटते और बिखरते परिवारों को भी जोड़ सकती है। साथ की लेखक ने संयुक्त … Read more

शराब की दुकान | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

शराब की दुकान | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“शराब की दुकान” प्रेमचंद की प्रेरणादायक कहानी है जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाज सुधार, शराबबंदी आंदोलन, और महिलाओं की भूमिका को उजागर करती है। इस कहानी में निडर पात्रों के माध्यम से त्याग, साहस, और सामाजिक परिवर्तन के महत्व को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है। शराब की दुकान | कहानी – मुंशी … Read more

सुहाग की साड़ी | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

सुहाग की साड़ी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

सुहाग की साड़ी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गयी एक दिल को छू लेने वाली कहानी है। आजादी के लिए जब विदेशी वस्तुओं का बहिस्कार किया जा रहा था, उसी क्रम में जब विदेशी कपड़ों की होली जलायी जा रही थी तब कैसे एक सुहागन को अपनी सुहाग यानी शादी की साड़ी से मोह सताने … Read more

दिल की रानी | एक ऐतिहासिक कहानी – मुंशी प्रेमचंद

दिल की रानी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

दिल की रानी कहानी की शुरुआत तैमूर की इतिहाससम्मत क्रूरता, निर्दयता और आतंक को उद्घाटित करने से होती है। तैमूर के इस प्रकार के चरित्र के निर्माण के पीछे उसका धार्मिक नशा मुख्य कारण है। हालांकि, जब तैमूर को धर्म के सही स्वरूप का ज्ञान होता है, तो उसके जीवन में एक नया मोड़ आता … Read more

जुलूस | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

जुलूस | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

जुलूस कहानी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गई राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत एक कहानी है। यह कहानी कानूनी गांधीवादी विचारों से प्रभावित होकर लिखी थी। इस कहानी का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र भक्ति की भावना का प्रचार प्रसार करना था। इस कहानी की पृष्ठभूमि उस समय भारत में चल रहे स्वाधीनता आंदोलन की थी। कहानी … Read more

शतरंज के खिलाड़ी | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

शतरंज के खिलाड़ी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

शतरंज के खिलाड़ी मुंशी प्रेमचंद जी की हिन्दी कहानी है। इसकी रचना उन्होने अक्टूबर 1924 में की थी और यह ‘माधुरी’ पत्रिका में छपी थी। 1977 में सत्यजीत राय ने इसी नाम से इस कहानी पर आधारित एक हिन्दी फिल्म भी बनायी है। मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी शतरंज के खिलाड़ी में 1857 के संग्राम से पूर्व की … Read more

ईदगाह | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

ईदगाह | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

ईदगाह मुंशी प्रेमचंद की सुप्रसिद्ध कहानियों में एक है। इस में एक अनाथ बालक की कहानी बताई गई है। ईदगाह की कहानी मुसलमानों के पवित्र त्योहार ईद पर आधारित है। रमजान के पवित्र महीने के पूरे तीस दिनों के बाद ईद आने पर मुस्लिम परिवारों में खासकर बच्चों में त्योहार का उत्साह बहुत प्रभावशाली होता … Read more

दो बैलों की कथा | कहानी – मुंशी प्रेमचंद | सारांश, समीक्षा, पात्र परिचय

दो बैलों की कथा | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“दो बैलों की कथा” में मुंशी प्रेमचंद ने दो बैलों, हीरा और मोती, की कहानी को बताया है। यह कहानी एक गांव में घटित होती है, जहां बैलों का मालिक झूरी नामक व्यक्ति हैं। झूरी उन दोनों बैलों का देखभाल बहुत ही स्नेह पूर्वक करता है परन्तु उसकी पत्नी उन बैलों के प्रति उपेक्षा और … Read more

आख़िरी तोहफ़ा | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

आख़िरी तोहफ़ा

1सारे शहर में सिर्फ एक ऐसी दुकान थी, जहाँ विलायती रेशमी साड़ी मिल सकती थीं। और सभी दुकानदारों ने विलायती कपड़े पर कांग्रेस की मुहर लगवायी थी। मगर अमरनाथ की प्रेमिका की फ़रमाइश थी, उसको पूरा करना जरुरी था। वह कई दिन तक शहर की दुकानोंका चक्कर लगाते रहे, दुगुना दाम देने पर तैयार थे, … Read more

भोर से पहले | कहानी – अमृत राय

भोर से पहले

सबेरे का वक़्त है। गंगा-स्नान के प्रेमी अकेले और दुकेले चार-चार छ-छ के गुच्छों में गंगा-तट से लौटकर दशाश्वमेध के तरकारीवालों और मेवाफ़रोशों से उलझ रहे हैं, मोल-तोल कर रहे हैं। दूकानें सब दुलहिनों की तरह सजी-बजी खड़ी हैं। कहीं चायवाला चाय के शौक़ीनों को गाढ़े कत्थई रंग की चाय पिला रहा है, कहीं पानवाला … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.