गोदान उपन्यास | भाग 36 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 36 – मुंशी प्रेमचंद

36.दो दिन तक गाँव में ख़ूब धूमधाम रही। बाजे बजे, गाना-बजाना हुआ और रूपा रो-धोकर बिदा हो गयी; मगर होरी को किसी ने घर से निकलते न देखा। ऐसा छिपा बैठा था, जैसे मुँह में कालिख लगी हो। मालती के आ जाने से चहल-पहल और बढ़ गयी। दूसरे गाँवों की स्त्रियाँ भी आ गयीं। गोबर … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 35 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 35 – मुंशी प्रेमचंद

35.होरी की दशा दिन-दिन गिरती ही जा रही थी। जीवन के संघर्ष में उसे सदैव हार हुई; पर उसने कभी हिम्मत नहीं हारी। प्रत्येक हार जैसे उसे भाग्य से लड़ने की शक्ति दे देती थी; मगर अब वह उस अन्तिम दशा को पहुँच गया था, जब उसमें आत्म-विश्वास भी न रहा था। अगर वह अपने … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 34 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 34 – मुंशी प्रेमचंद

34.सिलिया का बालक अब दो साल का हो रहा था और सारे गाँव में दौड़ लगाता था। अपने साथ एक विचित्र भाषा लाया था, और उसी में बोलता था, चाहे कोई समझे या न समझे। उसकी भाषा में त, ल और घ की कसरत थी और स, र आदि वर्ण ग़ायब थे। उस भाषा में … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 33 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 33 – मुंशी प्रेमचंद

33.डाक्टर मेहता परीक्षक से परीक्षार्थी हो गये हैं। मालती से दूर-दूर रहकर उन्हें ऐसी शंका होने लगी है कि उसे खो न बैठें। कई महीनों से मालती उनके पास न आयी थी और जब वह विकल होकर उसके घर गये, तो मुलाक़ात न हुई। जिन दिनों रुद्रपाल और सरोज का प्रेमकांड चलता रहा, तब तो … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 32 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 32 – मुंशी प्रेमचंद

32.मिरज़ा खुर्शेद ने अस्पताल से निकलकर एक नया काम शुरू कर दिया था। निश्चिन्त बैठना उनके स्वभाव में न था। यह काम क्या था? नगर की वेश्याओं की एक नाटक-मंडली बनाना। अपने अच्छे दिनों में उन्होंने ख़ूब ऐयाशी की थी और इन दिनों अस्पताल के एकान्त में घावों की पीड़ाएँ सहते-सहते उनकी आत्मा निष्ठावान् हो … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 31 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 31 – मुंशी प्रेमचंद

31.राय साहब का सितारा बुलन्द था। उनके तीनों मंसूबे पूरे हो गये थे। कन्या की शादी धूम-धाम से हो गयी थी, मुक़दमा जीत गये थे और निर्वाचन में सफल ही न हुए थे, होम मेम्बर भी हो गये थे। चारों ओर से बधाइयाँ मिल रही थीं। तारों का ताँता लगा हुआ था। इस मुक़दमे को … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 30 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 30 – मुंशी प्रेमचंद

30.मिल क़रीब-क़रीब पूरी जल चुकी है; लेकिन उसी मिल को फिर से खड़ा करना होगा। मिस्टर खन्ना ने अपनी सारी कोशिशें इसके लिए लगा दी हैं। मज़दूरों की हड़ताल जारी है; मगर अब उससे मिल मालिकों की कोई विशेष हानि नहीं है। नये आदमी कम वेतन पर मिल गये हैं और जी तोड़ कर काम … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 29 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 29 – मुंशी प्रेमचंद

29.नोहरी उन औरतों में न थी, जो नेकी करके दरिया में डाल देती है। उसने नेकी की है, तो उसका ख़ूब ढिंढोरा पीटेगी और उससे जितना यश मिल सकता है, उससे कुछ ज़्यादा ही पाने के लिए हाथ-पाँव मारेगी। ऐसे आदमी को यश के बदले अपयश और बदनामी ही मिलती है। नेकी न करना बदनामी … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 28 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 28 – मुंशी प्रेमचंद

28मिस्टर खन्ना को मजूरों की यह हड़ताल बिलकुल बेजा मालूम होती थी। उन्होंने हमेशा जनता के साथ मिले रहने की कोशिश की थी। वह अपने को जनता का ही आदमी समझते थे। पिछले कौमी आन्दोलन में उन्होंने बड़ा जोश दिखाया था। ज़िले के प्रमुख नेता रहे थे, दो बार जेल गये थे और कई हज़ार … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 27 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 27 – मुंशी प्रेमचंद

27गोबर को शहर आने पर मालूम हुआ कि जिस अड्डे पर वह अपना खोंचा लेकर बैठता था, वहाँ एक दूसरा खोंचेवाला बैठने लगा है और गाहक अब गोबर को भूल गये हैं। वह घर भी अब उसे पिंजरे-सा लगता था। झुनिया उसमें अकेली बैठी रोया करती। लड़का दिन-भर आँगन में या द्वार पर खेलने का … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.