हिंदी साहित्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग है। यह न केवल भाषा का सौंदर्य प्रस्तुत करता है, बल्कि समाज, संस्कृति, इतिहास और जीवन मूल्यों का भी सजीव चित्रण करता है। हिंदी साहित्य की शुरुआत प्राचीन धार्मिक काव्य से हुई, जो समय के साथ सामाजिक चेतना, राष्ट्रवाद और मानवता के स्वर बनकर विकसित हुआ।
हिंदी साहित्य को मुख्य रूप से चार प्रमुख कालों में बाँटा गया है:
- आदिकाल (वीरगाथा काल) – 1000 ई. से 1350 ई. तक – वीर रस प्रधान काव्य, जैसे पृथ्वीराज रासो।
- भक्ति काल (1350 ई. से 1650 ई. तक) – भक्ति भाव से ओत-प्रोत रचनाएँ, जैसे तुलसीदास, सूरदास और कबीर के दोहे।
- रीति काल (1650 ई. से 1850 ई. तक) – शृंगार और नायिका भेद पर आधारित काव्य, जैसे बिहारी सतसई।
- आधुनिक काल (1850 ई. से वर्तमान तक) – समाज सुधार, स्वतंत्रता संग्राम, और आज के सामाजिक सरोकारों को समर्पित साहित्य, जिसमें प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, और निर्मल वर्मा जैसे रचनाकार शामिल हैं।
हिंदी साहित्य कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, आत्मकथा, जीवनी, आलोचना, पत्रकारिता आदि सभी विधाओं में समृद्ध है। यह विद्यार्थियों के लिए न केवल भाषायी ज्ञान का स्रोत है, बल्कि जीवन के गहरे अनुभवों और संवेदनाओं से भी जोड़ता है।
इस पेज में आपको हिंदी साहित्य के विभिन्न युगों, प्रमुख रचनाकारों, उनकी रचनाओं और साहित्यिक आंदोलनों की विस्तृत जानकारी मिलेगी। यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं या हिंदी साहित्य में रुचि रखते हैं, तो यह पेज आपके लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।