जुलूस | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

जुलूस | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

जुलूस कहानी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गई राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत एक कहानी है। यह कहानी कानूनी गांधीवादी विचारों से प्रभावित होकर लिखी थी। इस कहानी का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र भक्ति की भावना का प्रचार प्रसार करना था। इस कहानी की पृष्ठभूमि उस समय भारत में चल रहे स्वाधीनता आंदोलन की थी। कहानी … Read more

शतरंज के खिलाड़ी | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

शतरंज के खिलाड़ी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

शतरंज के खिलाड़ी मुंशी प्रेमचंद जी की हिन्दी कहानी है। इसकी रचना उन्होने अक्टूबर 1924 में की थी और यह ‘माधुरी’ पत्रिका में छपी थी। 1977 में सत्यजीत राय ने इसी नाम से इस कहानी पर आधारित एक हिन्दी फिल्म भी बनायी है। मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी शतरंज के खिलाड़ी में 1857 के संग्राम से पूर्व की … Read more

ईदगाह | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

ईदगाह | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

ईदगाह मुंशी प्रेमचंद की सुप्रसिद्ध कहानियों में एक है। इस में एक अनाथ बालक की कहानी बताई गई है। ईदगाह की कहानी मुसलमानों के पवित्र त्योहार ईद पर आधारित है। रमजान के पवित्र महीने के पूरे तीस दिनों के बाद ईद आने पर मुस्लिम परिवारों में खासकर बच्चों में त्योहार का उत्साह बहुत प्रभावशाली होता … Read more

दो बैलों की कथा | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

दो बैलों की कथा | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“दो बैलों की कथा” में मुंशी प्रेमचंद ने दो बैलों, हीरा और मोती, की कहानी को बताया है। यह कहानी एक गांव में घटित होती है, जहां बैलों का मालिक झूरी नामक व्यक्ति हैं। झूरी उन दोनों बैलों का देखभाल बहुत ही स्नेह पूर्वक करता है परन्तु उसकी पत्नी उन बैलों के प्रति उपेक्षा और … Read more

मुंशी प्रेमचंद जी और उनकी रचनाएँ

मुंशी प्रेमचंद जी

मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। प्रेमचंद जी का मूल नाम धनपतराय था, तथा उनके पिता का नाम अजायब राय था। प्रेमचंद जी के पिता डाकखाने में मामूली नौकरी करते थे। धनपतराय की उम्र जब केवल आठ साल की थी तो माता … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 36 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 36 – मुंशी प्रेमचंद

36.दो दिन तक गाँव में ख़ूब धूमधाम रही। बाजे बजे, गाना-बजाना हुआ और रूपा रो-धोकर बिदा हो गयी; मगर होरी को किसी ने घर से निकलते न देखा। ऐसा छिपा बैठा था, जैसे मुँह में कालिख लगी हो। मालती के आ जाने से चहल-पहल और बढ़ गयी। दूसरे गाँवों की स्त्रियाँ भी आ गयीं। गोबर … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 35 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 35 – मुंशी प्रेमचंद

35.होरी की दशा दिन-दिन गिरती ही जा रही थी। जीवन के संघर्ष में उसे सदैव हार हुई; पर उसने कभी हिम्मत नहीं हारी। प्रत्येक हार जैसे उसे भाग्य से लड़ने की शक्ति दे देती थी; मगर अब वह उस अन्तिम दशा को पहुँच गया था, जब उसमें आत्म-विश्वास भी न रहा था। अगर वह अपने … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 34 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 34 – मुंशी प्रेमचंद

34.सिलिया का बालक अब दो साल का हो रहा था और सारे गाँव में दौड़ लगाता था। अपने साथ एक विचित्र भाषा लाया था, और उसी में बोलता था, चाहे कोई समझे या न समझे। उसकी भाषा में त, ल और घ की कसरत थी और स, र आदि वर्ण ग़ायब थे। उस भाषा में … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 33 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 33 – मुंशी प्रेमचंद

33.डाक्टर मेहता परीक्षक से परीक्षार्थी हो गये हैं। मालती से दूर-दूर रहकर उन्हें ऐसी शंका होने लगी है कि उसे खो न बैठें। कई महीनों से मालती उनके पास न आयी थी और जब वह विकल होकर उसके घर गये, तो मुलाक़ात न हुई। जिन दिनों रुद्रपाल और सरोज का प्रेमकांड चलता रहा, तब तो … Read more

गोदान उपन्यास | भाग 32 – मुंशी प्रेमचंद

गोदान उपन्यास | भाग 32 – मुंशी प्रेमचंद

32.मिरज़ा खुर्शेद ने अस्पताल से निकलकर एक नया काम शुरू कर दिया था। निश्चिन्त बैठना उनके स्वभाव में न था। यह काम क्या था? नगर की वेश्याओं की एक नाटक-मंडली बनाना। अपने अच्छे दिनों में उन्होंने ख़ूब ऐयाशी की थी और इन दिनों अस्पताल के एकान्त में घावों की पीड़ाएँ सहते-सहते उनकी आत्मा निष्ठावान् हो … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.