मौद्रिक अर्थशास्त्र | Monetary Economics

मौद्रिक अर्थशास्त्र (Monetary Economics) अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो मुद्रा, बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और उनकी आर्थिक गतिविधियों पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करती है। यह विषय आधुनिक अर्थव्यवस्था की धुरी मानी जाने वाली मुद्रा की प्रकृति, कार्य, विनियमन और उसके प्रवाह के पीछे की नीतियों को समझने में सहायक होता है। मौद्रिक अर्थशास्त्र के अंतर्गत मुद्रा (money), बैंकिंग तंत्र, केंद्रीय बैंकिंग, एवं मौद्रिक नीति के माध्यम से समष्टिगत आर्थिक गतिविधियों – जैसे महंगाई, बेरोज़गारी, GDP वृद्धि, धन आपूर्ति और ब्याज़ दरों – के अंतर्ग्रथन (interrelation) का अध्ययन किया जाता है।

मुख्यतः यह निम्नलिखित प्रश्नों पर केंद्रित होती है—

  • मुद्रा की परिभाषा एवं भूमिकाएँ – यह समझना कि मुद्रा कैसे लेन‑देन, मूल्य संरचना, भंडारण और खाता लेखा फ़टकों में प्रयुक्त होती है।
  • बैंकिंग प्रणाली एवं चौखट – वाणिज्यिक बैंक किस तरह प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से मुद्रा निर्माण (money creation) करते हैं।
  • मौद्रिक नीति के उपकरण – ब्याज़ दर, बैंक रिज़र्व अनुपात, ओपन‑मार्केट ऑपरेशंस आदि की भूमिका।
  • मुद्रास्फीति, मुद्रासंकुचन एवं आर्थिक स्थिरता – मौद्रिक नीति के माध्यम से मूल्य स्थिरता बनाए रखने की रणनीतियाँ।
  • संक्रमण और वैश्विक संदर्भ – मुद्रा दर, अंतर्राष्ट्रीय नकदी प्रवाह, व मौद्रिक एकीकरण की चुनौतियाँ जैसे यूरोपीय मुद्रा संघ।

मौद्रिक अर्थशास्त्र का महत्व:

  • आर्थिक नियंत्रण और स्थिरता
    केंद्रीय बैंक—Reserve Bank of India (RBI) जैसे—मौद्रिक नीति को चलाने वाले मुख्य संस्थान हैं, जो अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा और कीमत (ब्याज़ दर) नियन्त्रित कर मूल्य स्थिरता, वृद्धिदर, और रोजगार सुनिश्चित करते हैं।
  • नीतिगत फैसलों की गहराई
    मौद्रिक नीतियां वित्तीय असंतुलन, विदेशी निवेश, और मुद्रा विनिमय दरों जैसे गूढ़ आर्थिक कारकों को प्रभावित करती हैं।
  • संकट एवं अभ्यार्थन
    2008 वैश्विक वित्तीय संकट, COVID-19 महामारी के दौरान RBI की नीतियाँ पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण रही हैं—जैसे लिक्विडिटी प्रदान करना, ब्याज़ दरों में कटौती, और वित्तीय प्रणाली को स्थिर बनाए रखना।

यह परिचय न केवल छात्रों और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि शोधार्थियों और नीति-विश्लेषकों के लिए भी मौद्रिक ढांचे को गहराई से समझने का माध्यम बन सकता है।

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