मुद्रा पर नियंत्रण की आवश्यकता | Need for Monetary Control

मुद्रा पर नियंत्रण की आवश्यकता

मानव सभ्यता के विकास में मुद्रा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। यह केवल वस्तुओं और सेवाओं के विनिमय का माध्यम नहीं, बल्कि आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी है। मुद्रा के बिना आज का आर्थिक ढांचा अधूरा है। परन्तु जिस प्रकार हर शक्ति का सदुपयोग और दुरुपयोग सम्भव होता है, उसी प्रकार मुद्रा भी … Read more

मुद्रा के दोष | Evils of Money

मुद्रा के दोष

मानव सभ्यता के इतिहास में मुद्रा (Money) की उत्पत्ति एक महत्वपूर्ण आर्थिक क्रांति के रूप में देखी जाती है। मुद्रा ने विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को दूर किया और एक सुव्यवस्थित आर्थिक व्यवस्था को जन्म दिया। यह न केवल पूँजीवादी व्यवस्था की रीढ़ बन गई, बल्कि समाजवादी और मिश्रित अर्थव्यवस्थाओं में भी इसकी भूमिका अत्यंत … Read more

मुक्त अर्थव्यवस्था में मुद्रा | Money in a Free Economy

मुक्त अर्थव्यवस्था में मुद्रा

मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ उसकी आर्थिक आवश्यकताओं का स्वरूप भी जटिल होता गया है। प्राचीन समय में वस्तु-विनिमय प्रणाली (Barter System) के माध्यम से आर्थिक लेन-देन किए जाते थे, किंतु जैसे-जैसे समाज अधिक संगठित और जटिल होता गया, वैसे-वैसे विनिमय की प्रक्रिया में सहूलियत और सटीकता की आवश्यकता बढ़ी। इसी आवश्यकता की पूर्ति … Read more

मुद्रा का चक्राकार बहाव | अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा

मुद्रा का चक्राकार बहाव | Circular Flow of Money

हर विकसित और विकासशील राष्ट्र की आर्थिक प्रणाली में एक तत्व ऐसा होता है जो उसे गति प्रदान करता है, उसे जीवंत बनाए रखता है और उसकी स्थिरता को सुनिश्चित करता है — वह है मुद्रा का चक्राकार बहाव (Circular Flow of Money)। यह बहाव आर्थिक जीवन की आधारशिला है, जो उत्पादन, उपभोग, आय, व्यय, … Read more

मुद्रा एवं आर्थिक प्रगति | Money and Economic Progress

मुद्रा एवं आर्थिक प्रगति | Money and Economic Progress

“मुद्रा एवं आर्थिक प्रगति” विषय पर यह लेख एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जिसमें मुद्रा की परिभाषा, उसके विभिन्न कार्य, और उसके माध्यम से राष्ट्र की आर्थिक प्रगति को स्पष्ट किया गया है। लेख यह बताता है कि किस प्रकार मुद्रा केवल एक विनिमय का माध्यम नहीं है, बल्कि आर्थिक संरचना की रीढ़ है। … Read more

मुद्रा तथा आर्थिक जीवन | Money and Economic Life

मुद्रा तथा आर्थिक जीवन | Money and Economic Life

आज का युग आर्थिक गतिविधियों का युग है। मनुष्य की प्रगति, समाज की संरचना, उद्योगों की उन्नति, और राष्ट्र की समृद्धि — इन सभी की नींव एक ही तत्व पर टिकी हुई है और वह है — मुद्रा। यदि हम आधुनिक अर्थव्यवस्था की तुलना एक विशाल मशीन से करें तो मुद्रा उस मशीन को गति … Read more

आधुनिक मुद्रा सिद्धांत (वर्तमान दृष्टिकोण) | Modern Monetary Theory

आधुनिक मुद्रा सिद्धांत (वर्तमान दृष्टिकोण)

आधुनिक अर्थशास्त्र में मुद्रा (Money) को एक केंद्रीय भूमिका प्रदान की गई है। पहले के अर्थशास्त्री प्रायः मुद्रा को एक तटस्थ तत्व के रूप में देखते थे जो केवल विनिमय का माध्यम है, किंतु आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार मुद्रा मात्र माध्यम नहीं है, बल्कि वह समग्र अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला एक सक्रिय तत्व है। … Read more

मुद्रा की तटस्थता की आलोचना | एक समालोचनात्मक अध्ययन

मुद्रा की तटस्थता की आलोचना

यह लेख “मुद्रा की तटस्थता” (Neutrality of Money) जैसे बहुचर्चित आर्थिक सिद्धांत की व्यापक आलोचना प्रस्तुत करता है। लेख में बताया गया है कि यह सिद्धांत मुख्यतः अबन्ध-नीति (Laissez-faire Policy) और परिमाण सिद्धांत पर आधारित है, जो आधुनिक परिवर्तनीय एवं जटिल अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ में अव्यावहारिक प्रतीत होता है। लेख में विस्तार से बताया गया … Read more

मुद्रा की तटस्थता | Neutrality of Money

मुद्रा की तटस्थता

मुद्रा किसी भी आधुनिक अर्थव्यवस्था की धुरी है। यह केवल विनिमय का माध्यम भर नहीं, बल्कि मूल्य मापन, भविष्य की देनदारी का निर्धारण और संपत्ति संचय का एक सशक्त उपकरण भी है। किंतु जब मुद्रा की भूमिका को लेकर उसके प्रभाव और सीमाओं पर विचार किया जाता है, तब “मुद्रा की तटस्थता” (Neutrality of Money) … Read more

मुद्रा भ्रम (Money Illusion) | एक मनोवैज्ञानिक स्थिति का आर्थिक परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण

मुद्रा भ्रम

आधुनिक अर्थव्यवस्था में मुद्रा एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह केवल वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान का माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह सामाजिक प्रतिष्ठा, सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक भी बन चुका है। परंतु जब लोग स्वयं मुद्रा को ही ‘धन’ समझने लगते हैं और उसकी क्रय-शक्ति को नजरअंदाज कर देते हैं, तब … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.