राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) भारत में मानव अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए स्थापित एक प्रमुख संस्था है, जिसकी स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच करना और उनके निवारण के लिए सिफारिशें करना है।
आयोग की संरचना में एक अध्यक्ष और चार सदस्य होते हैं, जिनमें से अध्यक्ष भारत के उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश होते हैं। इसके अलावा, आयोग के पास स्वतः संज्ञान लेने और कार्यवाही शुरू करने का अधिकार है, लेकिन यह किसी भी न्यायालय में लंबित मामलों पर विचार नहीं कर सकता।
आयोग के पास दंड देने का अधिकार नहीं है, लेकिन यह सरकारों और संबंधित संस्थानों को सिफारिशें कर सकता है। NHRC के कार्य और शक्तियाँ मानव अधिकारों के उल्लंघन को रोकने और न्याय दिलाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य मानव अधिकार आयोग भी NHRC के समान कार्य और शक्तियों के साथ कार्यरत हैं, जो राज्य स्तर पर मानव अधिकारों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं। NHRC का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, और इसका कार्यक्षेत्र पूरे भारत में फैला हुआ है। यह आयोग भारत में मानव अधिकारों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत हुई थी। यह आयोग मानव अधिकारों की सुरक्षा, संरक्षण, और प्रचार के लिए भारत में एक महत्वपूर्ण संस्थान है। इसकी संरचना, कार्यक्षेत्र, और शक्तियाँ विशेष रूप से मानव अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जाँच और निवारण पर केंद्रित हैं।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) की संरचना
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission) की संरचना में एक अध्यक्ष और चार सदस्य होते हैं, जिनमें से अध्यक्ष का चयन भारत के उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों में से किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सदस्यों में एक न्यायाधीश जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो, या किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश हो, शामिल होता है।
इसके अलावा, दो सदस्य ऐसे होते हैं, जिन्हें मानव अधिकारों के क्षेत्र में पूर्ण जानकारी या व्यावहारिक अनुभव हो। इन सदस्यों के अलावा, आयोग में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष, और राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष मानद सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) नियुक्ति और कार्यकाल
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इनकी नियुक्ति का कार्यकाल पांच वर्ष या 70 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक का होता है। कार्यकाल के दौरान आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को हटाने का तरीका उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के समान होता है। यदि आयोग का कोई सदस्य अपने पद से इस्तीफा देना चाहता है, तो उसे राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देना होता है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) मुख्यालय और कार्यक्षेत्र
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission) का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इस आयोग का मुख्य कार्य मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु भारत सरकार को सिफारिश करना है। आयोग को दण्ड देने का अधिकार नहीं है, लेकिन यह मामलों की जांच और अन्वेषण कर सकता है और संबंधित सरकार या संगठन को सिफारिश कर सकता है। हालांकि, अगर कोई मामला किसी न्यायालय में लम्बित है, तो उस पर आयोग द्वारा विचार नहीं किया जा सकता। इसके अतिरिक्त, आयोग को स्वतः संज्ञान लेने और कार्यवाही शुरू करने का भी अधिकार है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के कार्य और शक्तियाँ
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission) का मुख्य कार्य मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच करना और उनके निवारण के लिए सिफारिशें करना है। यह आयोग भारत सरकार को मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सिफारिशें देता है। आयोग के पास किसी व्यक्ति या समूह द्वारा दायर की गई शिकायतों की जांच करने का अधिकार है, और यह स्वतः संज्ञान लेकर भी कार्यवाही कर सकता है।
जांच और अन्वेषण
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य मानव अधिकार उल्लंघनों की जांच और अन्वेषण करना है। 1 नवंबर 1993 को आयोजित अपनी पहली बैठक के बाद से, आयोग ने विभिन्न प्रकार के परिवादों का निर्धारण किया है। 1993-94 में, आयोग को 496 परिवाद प्राप्त हुए थे, जबकि 2011-12 तक यह संख्या बढ़कर लगभग 30,000 हो गई थी। आयोग को प्राप्त होने वाले परिवादों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाता है, जैसे कि एक वर्ष से अधिक पुराने मामलों, न्यायालय के अधीन मामलों, अस्पष्ट या बिना नाम के परिवाद, तुच्छ प्रकृति के परिवाद, और ऐसे मामले जो आयोग के अधिकार क्षेत्र के बाहर आते हैं।
आयोग गंभीर मानव अधिकार उल्लंघनों की रिपोर्ट पर विस्तृत अन्वेषण करता है। अन्वेषण कार्य उन व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जो इस क्षेत्र में योग्य होते हैं और जिनका मानव अधिकारों के संबंध में अकलंकित इतिवृत होता है। आयोग द्वारा की जाने वाली जांच और अन्वेषण का मुख्य उद्देश्य मानव अधिकार उल्लंघनों के मामलों में न्याय दिलाना और इस तरह के मामलों को रोकना है।
राज्य मानव अधिकार आयोग | State Human Rights Commission
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की तर्ज पर, राज्य मानव अधिकार आयोग भी स्थापित किए गए हैं। राज्य मानव अधिकार आयोग की स्थापना भी राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी, और मार्च 2000 से इसका कार्य प्रारंभ हुआ। राज्य आयोग की संरचना में एक अध्यक्ष और चार सदस्य होते हैं, जिनमें से अध्यक्ष का चयन उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों में से किया जाता है।
राज्य मानव अधिकार आयोग की नियुक्ति और कार्यकाल
राज्य मानव अधिकार आयोग (State Human Rights Commission) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। इनकी नियुक्ति का कार्यकाल पांच वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक होता है। कार्यकाल के दौरान इन्हें हटाने का अधिकार भी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के समान होता है। यदि कोई सदस्य अपने पद से इस्तीफा देना चाहता है, तो उसे राज्यपाल को अपना त्यागपत्र देना होता है।
राष्ट्रीय और राज्य मानव अधिकार आयोग का संक्षिप्त विवरण
विवरण | राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) | राज्य मानव अधिकार आयोग |
---|---|---|
स्थापना | राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम – 1993 | राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम – 1993 |
कार्य प्रारम्भ | 12 अक्टूबर 1993 से | मार्च 2000 से |
संरचना | 1 अध्यक्ष + 4 सदस्य = 5 | 1 अध्यक्ष + 3-4 सदस्य = 4-5 |
अध्यक्ष | भारत के उच्चतम न्यायालय का पूर्व मुख्य न्यायाधीश | उच्च न्यायालय का पूर्व मुख्य न्यायाधीश |
सदस्य | सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, मानव अधिकार विशेषज्ञ | मानव अधिकार विशेषज्ञ |
मानद सदस्य | राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, महिला आयोग के अध्यक्ष | लागू नहीं |
नियुक्ति | राष्ट्रपति द्वारा | राज्यपाल द्वारा |
शपथ | लागू नहीं | राज्यपाल द्वारा |
कार्यकाल | 5 वर्ष या 70 वर्ष, जो पहले हो | 5 वर्ष या 70 वर्ष, जो पहले हो |
त्याग पत्र | राष्ट्रपति को | राज्यपाल को |
कार्यकाल से पूर्व हटाना | उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की तरह | राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग जैसा |
मुख्यालय | नई दिल्ली | राज्य की राजधानी |
कार्य एवं शक्तियाँ | मानव अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सिफारिशें करना | राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के समान |
प्रथम अध्यक्ष | न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र | न्यायमूर्ति सुश्री कान्ता भटनागर |
आयोग द्वारा जांच एवं अन्वेषण | मानव अधिकार उल्लंघनों की जांच और अन्वेषण | मानव अधिकार उल्लंघनों की जांच और अन्वेषण |
प्रमुख कार्य | गंभीर उल्लंघनों की रिपोर्ट पर जांच करना, सिफारिशें देना | गंभीर उल्लंघनों की रिपोर्ट पर जांच करना, सिफारिशें देना |
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग और राज्य मानव अधिकार आयोग भारत में मानव अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं। इनके द्वारा की जाने वाली जांच और अन्वेषण के माध्यम से मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में न्याय प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि, आयोगों के पास दंड देने का अधिकार नहीं होता, लेकिन उनकी सिफारिशें सरकारों और संबंधित संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। आयोगों की संरचना, कार्य और शक्तियाँ इस बात को सुनिश्चित करती हैं कि भारत में मानव अधिकारों का सम्मान और संरक्षण किया जाए।
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इन्हें भी देखें –
- निर्वाचन आयोग | संरचना, कार्य और महत्व
- भारतीय संसद | लोक सभा और राज्य सभा | संरचना और कार्य प्रणाली
- भारत के महान्यायवादी, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक: भूमिका, नियुक्ति और कर्तव्य
- भारत का मंत्रीपरिषद और मंत्रिमंडल: संरचना और कार्यप्रणाली
- भारत के उपराष्ट्रपति: पद, योग्यता, शक्तियाँ और कर्तव्य
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना, प्रारंभिक दौर और ऐतिहासिक अधिवेशन
- मुस्लिम लीग (1906-1947)
- भारत के स्वतंत्रता सेनानी: वीरता और समर्पण
- भारतीय परमाणु परीक्षण (1974,1998)
- ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल और वायसराय (1774-1947)