केन्द्रीय सूचना आयोग Central Information Commission (CIC) की स्थापना भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए की गई है। यह एक स्वतंत्र निकाय है जो भारतीय नागरिकों के सूचना के अधिकार की रक्षा करने का काम करता है। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत गठित, यह आयोग सरकार और उसके अधिकारियों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से काम करता है। इस लेख में हम केन्द्रीय सूचना आयोग के गठन, संरचना, और कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से दिया गया है।
केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 12 के अनुसार, केन्द्रीय सरकार एक आयोग का गठन करेगी जिसे केन्द्रीय सूचना आयोग (CIC) कहा जाएगा। इस आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा और यह आवश्यकतानुसार देश के अन्य हिस्सों में भी अपने कार्यालय स्थापित कर सकता है, यदि केन्द्रीय सरकार इसकी अनुमति दे। आयोग का गठन मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner – CIC) और 10 से अधिकतम केंद्रीय सूचना आयुक्तों (Information Commissioners – ICs) से किया जाता है, जिनकी संख्या सरकार की आवश्यकता के अनुसार तय की जाती है।
केन्द्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission) की संरचना
केन्द्रीय सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त और अधिकतम 10 सूचना आयुक्त होते हैं। ये आयुक्त विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाले व्यक्ति होते हैं, जो सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठित माने जाते हैं। आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 की धारा 12(5) के तहत, इन आयुक्तों को विधि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क माध्यम, या प्रशासन और शासन के क्षेत्र में अनुभव होना चाहिए।
मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया
आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 की धारा 12(3) के तहत, केन्द्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाती है। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य होते हैं:
- प्रधानमंत्री – समिति के अध्यक्ष के रूप में।
- लोक सभा में विपक्ष का नेता।
- प्रधानमंत्री द्वारा नामांकित एक केंद्रीय मंत्री।
इस समिति द्वारा चयनित व्यक्तियों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। नियुक्ति के बाद, मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा शपथ दिलाई जाती है, जो प्रथम अनुसूची में विहित प्रपत्र के अनुसार होती है।
मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की पात्रता और शर्तें
आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 की धारा 12(6) के तहत, मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त संसद का सदस्य या राज्य के विधान-मंडल का सदस्य नहीं हो सकता है। इसके अतिरिक्त, ये आयुक्त किसी भी अन्य लाभ के पद पर नहीं हो सकते, किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं हो सकते, और न ही कोई व्यापार या व्यावसायिक गतिविधि कर सकते हैं।
मुख्य सूचना आयुक्त की पदावधि और सेवा शर्तें
मुख्य सूचना आयुक्त के पद की अवधि आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत निर्धारित की जाती है। इस धारा के अनुसार, मुख्य सूचना आयुक्त अपने पद ग्रहण की तिथि से पाँच वर्षों के लिए इस पद पर रहेगा या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो। मुख्य सूचना आयुक्त को पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं माना जाता। मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन, भत्ते, और सेवा शर्तें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के समकक्ष होती हैं।
सूचना आयुक्त की पदावधि और सेवा शर्तें
आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 की धारा 13(2) के अनुसार, सूचना आयुक्त भी पांच वर्षों के लिए अपने पद पर रहेगा और पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा। हालांकि, सूचना आयुक्त को मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति का अधिकार है, बशर्ते उसकी कुल सेवा अवधि पांच वर्षों से अधिक न हो। सूचना आयुक्त का वेतन, भत्ते, और सेवा शर्तें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के समान होती हैं।
केन्द्रीय सूचना आयोग की कार्यप्रणाली
केन्द्रीय सूचना आयोग एक स्वतंत्र निकाय है और यह किसी भी अन्य प्राधिकारी के निदेशों के अधीन नहीं होता। इसकी प्रमुख जिम्मेदारियों में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत नागरिकों को सूचना प्रदान करने में सक्षम बनाना और सरकार की पारदर्शिता सुनिश्चित करना शामिल है। आयोग सरकार के विभिन्न विभागों और अधिकारियों से संबंधित शिकायतों का निपटारा करता है और आवश्यकतानुसार निर्देश जारी करता है।
सरकार ने हाल ही में सुधीर भार्गव को नया मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया है। भार्गव पहले केंद्रीय सूचना आयुक्त थे। केन्द्रीय सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त समेत कुल 11 पद सृजित किए गए हैं।
केन्द्रीय सूचना आयोग की सक्षमता और महत्व
केन्द्रीय सूचना आयोग का महत्व लोकतांत्रिक शासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की स्थापना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आयोग सरकार और इसके अधिकारियों के कार्यों को पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे नागरिकों को अपने अधिकारों की सुरक्षा होती है। आयोग का गठन, कार्यप्रणाली, और इसके सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 के तहत निर्धारित की गई है, जो इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कार्य करने में सक्षम बनाती है।
केन्द्रीय सूचना आयोग न केवल नागरिकों के सूचना के अधिकार की रक्षा करता है बल्कि सरकार और उसके अधिकारियों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है। इसका गठन और कार्यप्रणाली आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 के तहत निर्धारित की गई है, जो इसे स्वतंत्र रूप से कार्य करने में सक्षम बनाती है। आयोग की सक्षमता और इसके सदस्यों की विशेषज्ञता इसे एक महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय बनाती है, जो लोकतांत्रिक शासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करता है।
Polity – KnowledgeSthali
इन्हें भी देखें –
- सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम: एक परिचय
- राज्य विधान मण्डल | भाग VI | अनुच्छेद 152 से 237
- सर्वोच्च न्यायालय | भाग – 5 | भारतीय न्याय व्यवस्था की मुख्य धारा
- निर्वाचन आयोग | संरचना, कार्य और महत्व
- भारतीय संसद | लोक सभा और राज्य सभा | संरचना और कार्य प्रणाली
- प्रारब्ध | कहानी – मुंशी प्रेमचंद
- अपरिमेय संख्याएँ | Irrational Numbers
- परिमेय संख्या | Rational Numbers
- प्राकृतिक संख्या | Natural Numbers
- संख्याएँ | Numbers
- पूर्णांक | Integers
- भिन्न | Fraction
- लाभ और हानि | Profit and Loss
- Article: Definition, Types, and 100+ Examples
- Phrase: Definition, Types, and 100+ Examples
- Sentence Analysis with examples
- Parts of Speech