भारतीय निर्वाचन आयोग का महत्व देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह आयोग न केवल चुनाव प्रक्रिया को संचालित करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हों। आयोग के प्रयासों से भारत में लोकतंत्र की जड़ें और भी मजबूत हुई हैं और यह देश की राजनीतिक स्थिरता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता ने इसे भारतीय लोकतंत्र का एक स्तंभ बना दिया है।
भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) संविधान के भाग 15 के अंतर्गत आता है, जिसमें कुल छह अनुच्छेद (अनुच्छेद 324-329) शामिल हैं। निर्वाचन आयोग की स्थापना का उद्देश्य भारत में स्वतंत्र, निष्पक्ष, और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना है। आयोग का गठन 25 जनवरी 1951 को हुआ था और इसी दिन को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
निर्वाचन आयोग की स्थापना और इतिहास
भारत में निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1951 को की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुचारू और निष्पक्ष ढंग से संचालित करना था।
पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुकुमार सेन थे, जिन्होंने मार्च 1950 से 1958 तक इस पद पर कार्य किया। वी.एस. रमादेवी देश की एकमात्र महिला मुख्य चुनाव आयुक्त रही हैं और उन्होंने 26 नवम्बर 1990 से 11 दिसम्बर 1990 तक कार्यवाहक मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्य किया। राजीव कुमार एक पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं।15 मई 2022 को, राजीव कुमार (एक पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी) सुशील चंद्रा के बाद भारत के 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।
निर्वाचन आयोग का मुख्य कार्य भारत में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधानपरिषद् के चुनाव कराना है। इसके अलावा, आयोग स्थानीय शासन को छोड़कर सभी चुनाव आयोजित करता है।
निर्वाचन आयोग की संरचना
निर्वाचन आयोग का नेतृत्व एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो अन्य निर्वाचन आयुक्त करते हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक होता है। इनका वेतन और सुविधाएं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के समकक्ष होती हैं। आयोग के सभी फैसले बहुमत से लिए जाते हैं।
प्रमुख निर्वाचन आयुक्त
- प्रथम निर्वाचन आयुक्त: सुकुमार सेन (मार्च 1950 – 1958) भारतीय निर्वाचन आयोग के पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त थे।
- महिला मुख्य चुनाव आयुक्त: वी. एस. रमादेवी देश की एकमात्र महिला मुख्य चुनाव आयुक्त रही हैं, जिन्होंने 26 नवम्बर 1990 से 11 दिसम्बर 1990 तक कार्यवाहक मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्य किया।
- वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त: वर्तमान में (2024) मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार है, जो एक पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। इन्होने 15 मई 2022 को, सुशील चंद्रा के बाद भारत के 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।
निर्वाचन आयोग की कार्य, शक्तियाँ और सीमाएँ
निर्वाचन आयोग के कार्य और शक्तियां और सीमाएं निम्नलिखित हैं –
- चुनाव करवाना: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधानपरिषद् के सदस्यों के चुनाव करवाना।
- आचार संहिता: चुनावी आचार संहिता लागू करना और उसकी पालना सुनिश्चित करना।
- चुनावी खर्चों की निगरानी: चुनावी खर्चों की निगरानी करना और उसे सीमा में रखना।
- मतदाता पहचान पत्र: मतदाता पहचान पत्र तैयार करवाना।
- चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन: चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन करना, जो 10 वर्षीय जनगणना के बाद किया जाता है।
- राजनैतिक दलों की मान्यता: राजनैतिक दलों को मान्यता प्रदान करना और चुनाव चिन्हों का आवंटन करना।
- सदस्यों की सदस्यता: सदस्यों की सदस्यता से संबंधित राष्ट्रपति को सलाह देना।
- मतदाता सूची में भेदभाव: अनुच्छेद 325 के तहत मतदाता सूची में जाति, लिंग, धर्म के आधार पर नाम जोड़ने में भेदभाव नहीं करना।
निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति और कार्यकाल
निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक होता है। इनकी शपथ तीसरी अनुसूची के अनुसार होती है और ये राष्ट्रपति को त्यागपत्र दे सकते हैं।
निर्वाचन आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया
मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर अन्य निर्वाचन आयुक्तों को हटाया जा सकता है।
अनुच्छेद 324(5) के अनुसार, मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसी रीति और आधारों पर हटाया जा सकता है जिस रीति और आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है। इसकी प्रक्रिया अनुच्छेद 124(4) के अनुसार होती है।
निर्वाचन आयोग के फैसले और विशेषाधिकार
निर्वाचन आयोग के सभी फैसले बहुमत से लिए जाते हैं। इसके अलावा, निर्वाचन आयोग को चुनाव प्रक्रिया के संचालन में कई विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे –
- मतदाता पहचान पत्र तैयार करना।
- आचार संहिता का पालन करवाना।
- सदस्यों की सदस्यता से संबंधित राष्ट्रपति को सलाह देना।
- चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन करना।
- राजनैतिक दलों को मान्यता प्राप्त करना और चुनाव चिन्हों का आवंटन करना।
निर्वाचन आयोग के ऐतिहासिक निर्णय और सुधार
भारत में निर्वाचन आयोग ने कई ऐतिहासिक निर्णय और सुधार लागू किए हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण हैं –
- चुनावी खर्च की सीमा: 2013 में राजस्थान में विधायक के उम्मीदवार की चुनावी खर्च सीमा 16 लाख थी, जबकि 2014 में लोकसभा उम्मीदवार की चुनावी खर्च सीमा 70 लाख थी। 2014 में विधानसभा सदस्य के उम्मीदवार की चुनावी खर्च सीमा 28 लाख थी।
- आचार संहिता: चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू करना, जिससे चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे।
- राजनैतिक दलों की मान्यता: निर्वाचन आयोग ने चुनाव चिन्ह आवंटन एवं संरक्षण अधिनियम 1968 (संशोधित 2005) के अनुसार राष्ट्रीय दलों और राज्यस्तरीय दलों के मान्यता प्राप्त करने की शर्तें निर्धारित की हैं।
राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय दलों की मान्यता
राष्ट्रीय दल की मान्यता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित शर्तें हैं –
- लोकसभा चुनाव में कम से कम 11 सीटें या कुल सीटों की 2 प्रतिशत सीटें 3 राज्यों से प्राप्त करना।
- लोकसभा की कम से कम 4 सीटें और डाले गए कुल वैध मतों के 6 प्रतिशत मत (कम से कम 4 राज्यों से) प्राप्त करना।
राज्यस्तरीय दल की मान्यता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित शर्तें हैं –
- आम विधानसभा के चुनाव में कुल वैध मतों के 6 प्रतिशत मत प्राप्त करना।
- उस राज्य की कुल विधानसभा सीटों का 3 प्रतिशत या न्यूनतम 4 सीटें प्राप्त करना।
वर्तमान निर्वाचन आयोग
वर्तमान में निर्वाचन आयोग त्रिसदस्यीय है। यह व्यवस्था 1993 से लागू है।
चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन
चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन 10 वर्षीय जनगणना के पश्चात् किया जाता है। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
मताधिकार
अनुच्छेद 326 के तहत भारतीय नागरिकों को मताधिकार प्रदान किया गया है। मूल संविधान में मतदाता की न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी, जिसे प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया। 61वें संविधान संशोधन (1988) द्वारा यह परिवर्तन किया गया।
प्रथम लोकसभा चुनाव
प्रथम लोकसभा चुनाव 1951-52 में आयोजित किए गए थे।
लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य
लोकसभा में अधिकतम सदस्य संख्या 550+2 है, जिसमें से 543 सदस्य निर्वाचित होते हैं। राज्यसभा में वर्तमान में 245 सदस्य हैं, जिसमें से 233 निर्वाचित होते हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं।
निर्वाचन आयोग की प्रक्रियाएँ और महत्वपूर्ण तथ्य
निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया का संचालन संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों के अनुसार किया जाता है।
- अनुच्छेद 326: इस अनुच्छेद के अंतर्गत सभी भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार प्रदान किया गया है।
- अनुच्छेद 325: इस अनुच्छेद के अनुसार मतदाता सूची में जाति, लिंग, धर्म के आधार पर नाम जोड़ने में भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 329: इस अनुच्छेद के तहत निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप को रोका गया है।
- अनुच्छेद 324(5): मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उनके पद से उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर हटाया जाएगा जिस रीति से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
- अनुच्छेद 124(4): इस अनुच्छेद के अनुसार मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया निर्धारित है।
महत्वपूर्ण आंकड़े और तथ्य
- प्रथम लोकसभा चुनाव: 1951-52 में आयोजित हुए।
- प्रथम लोकसभा की सदस्य संख्या: 489 थी।
- वर्तमान लोकसभा में निर्वाचित सदस्य संख्या: 543 है।
- राजस्थान से लोकसभा में निर्वाचित सांसद संख्या: 25 है।
- प्रथम लोकसभा में महिला सदस्य संख्या: 22 थी।
- 15वीं लोकसभा में महिला सदस्य संख्या: 59 थी।
- लोकसभा सदस्य के उम्मीदवार की न्यूनतम आयु: 25 वर्ष है।
- राज्यसभा सदस्य के उम्मीदवार की न्यूनतम आयु: 35 वर्ष है।
- राज्यसभा की अधिकतम सदस्य संख्या: 238 (निर्वाचित) + 12 (मनोनित) है।
- वर्तमान में राज्यसभा सदस्य संख्या: 245 = 233 (निर्वाचित) + 12 (मनोनित) है।
निर्वाचन आयोग भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह न केवल चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सही ढंग से पालन हो। निर्वाचन आयोग की संरचना, कार्य, और शक्तियाँ भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे जनता का विश्वास लोकतांत्रिक प्रणाली में बना रहता है और देश की प्रगति में योगदान देता है।
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इन्हें भी देखें –
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- भारत में पंचायती राज व्यवस्था प्रणाली | संरचना एवं विशेषताएं
- भारतीय संसद | लोक सभा और राज्य सभा | राज्यों में सीटें
- भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ | Schedules Of the Indian Constitution
- भारतीय संविधान के भाग और अनुच्छेद | Parts and Articles
- भारत का संविधान: स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का संरक्षण
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- वैज्ञानिक नाम | जीव-जंतु, फल, फूल, सब्जी आदि
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