भारत में समय क्षेत्र | भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST)

समय किसी भी सभ्यता, समाज और राष्ट्र के संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है। आधुनिक युग में समय के बिना किसी भी कार्य की योजना और उसका क्रियान्वयन असंभव है। जब रेलगाड़ियाँ, हवाई जहाज़, औद्योगिक उत्पादन, वैज्ञानिक अनुसंधान और वैश्विक व्यापार जैसे क्षेत्रों का विकास हुआ, तो एकीकृत मानक समय (Standard Time) की आवश्यकता और भी बढ़ गई। भारत जैसे विशाल भूभाग वाले देश में, जहाँ भौगोलिक विस्तार पूर्व से पश्चिम तक लगभग 30 डिग्री देशांतर में फैला है, वहाँ विभिन्न स्थानों पर सूर्य का समय अलग-अलग होता है। इस असमानता को समाप्त करने और एकीकृत प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST) अपनाया गया।

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भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST) क्या है?

भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST) भारत का राष्ट्रीय समय क्षेत्र है, जिसे पूरे देश में लागू किया गया है। यह समय ग्रीनविच मीन टाइम (Greenwich Mean Time – GMT) अथवा समन्वित सार्वभौमिक समय (Coordinated Universal Time – UTC) से 5 घंटे 30 मिनट आगे (+05:30) है।

  • उदाहरण के लिए, यदि ग्रीनविच (लंदन) में दोपहर 12 बजे हैं, तो भारत में समय शाम 5:30 बजे होगा।
  • भारत का प्रत्येक प्रदेश, चाहे वह पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश हो या पश्चिम में गुजरात, सभी एक ही मानक समय का पालन करते हैं।

भारतीय मानक समय का इतिहास

भारतीय मानक समय (IST) की अवधारणा और इसका स्वरूप किसी एक दिन में तय नहीं हुआ, बल्कि यह भारत के ऐतिहासिक, भौगोलिक और प्रशासनिक विकास की लम्बी यात्रा का परिणाम है। समय निर्धारण की परंपरा प्राचीन काल से लेकर औपनिवेशिक शासन और स्वतंत्रता के बाद की नीतियों तक क्रमिक रूप से विकसित हुई।

1. प्राचीन काल

भारत में समय की गणना और मापन की परंपरा अत्यंत प्राचीन रही है। वैदिक काल से ही सूर्य की गति और खगोलीय घटनाओं के आधार पर दिन-रात तथा ऋतुओं का निर्धारण किया जाता था। उस समय समय निर्धारण के लिए घटिका यंत्र, सूर्य घड़ी (Sundial), जलघड़ी और नक्षत्र गणना का प्रयोग किया जाता था।

  • आर्यभट, वराहमिहिर और भास्कराचार्य जैसे खगोलशास्त्रियों ने समय की गणना के वैज्ञानिक आधार प्रस्तुत किए।
  • उस काल में समय की गणना स्थानीय सूर्य की स्थिति पर आधारित थी, इसलिए प्रत्येक क्षेत्र का स्थानीय समय भिन्न होता था।
  • धार्मिक अनुष्ठान, कृषि कार्य और राजकीय कार्यक्रम इसी स्थानीय समय के अनुसार संचालित होते थे।

2. औपनिवेशिक काल (ब्रिटिश शासन के दौरान)

ब्रिटिश शासन के दौरान, जब भारत में रेल और टेलीग्राफ प्रणाली का विस्तार हुआ, तो पूरे देश के लिए एकीकृत समय की आवश्यकता महसूस हुई।

  • प्रारंभिक दौर में कोलकाता समय, बॉम्बे समय और मद्रास समय जैसी अलग-अलग समय प्रणालियाँ प्रचलन में थीं।
  • रेलवे प्रशासन ने पहले “मद्रास टाइम” को मानक मानकर चलाया, लेकिन बाद में कोलकाता टाइम (UTC+5:53) और बॉम्बे टाइम (UTC+4:51) भी अलग-अलग क्षेत्रों में प्रयोग होने लगे।
  • इस असमानता से संचार और परिवहन में कठिनाई आने लगी।
  • अंततः 1905 में अंग्रेजों ने इलाहाबाद (प्रयागराज) के निकट 82.5° पूर्व देशांतर रेखा को आधार मानकर भारतीय मानक समय (IST) तय किया, जो UTC+5:30 के बराबर है।

3. स्वतंत्रता के बाद

1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी यही समय प्रणाली भारत सरकार ने अपनाई और इसे भारतीय मानक समय (IST) नाम दिया गया। आज भी यही समय प्रणाली पूरे भारत में लागू है।

  • यह समय इलाहाबाद वेधशाला (अब उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में स्थित वेधशाला) से संचालित किया जाने लगा।
  • स्वतंत्रता के बाद भारत ने कोलकाता और बॉम्बे समय जैसी क्षेत्रीय समय प्रणालियों को समाप्त कर दिया।
  • इसके साथ ही संपूर्ण देश में एक ही मानक समय लागू हुआ, जिससे संचार, प्रशासन और राष्ट्रीय एकता को बल मिला।
  • आज भारतीय मानक समय का संचालन कोलकाता स्थित राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL), नई दिल्ली से किया जाता है, जहाँ परमाणु घड़ियों की सहायता से सटीक समय निर्धारित किया जाता है।

भारतीय मानक समय रेखा (Indian Standard Time Line – IST Line)

भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST) देश के आधिकारिक समय को दर्शाने वाला मानक है। इसका निर्धारण 82.5° पूर्व देशांतर (longitude) से किया गया है, जो उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) जिले के नैनी कस्बे से होकर गुजरता है। इस स्थान को इसलिए चुना गया क्योंकि यह देश के लगभग मध्य में स्थित है और पूर्व तथा पश्चिम दोनों सिरों से दूरी के लिहाज से संतुलित माना जाता है।

पृथ्वी के प्रत्येक 15° देशांतर पर समय में एक घंटे का अंतर आता है। चूँकि भारत का भौगोलिक विस्तार लगभग 68° पूर्व से 97° पूर्व देशांतर तक फैला हुआ है, इसलिए इसके पूर्वी और पश्चिमी छोर के बीच लगभग 29° का अंतर है। इस अंतर के कारण पूर्वी राज्यों (जैसे अरुणाचल प्रदेश) और पश्चिमी राज्यों (जैसे गुजरात) के स्थानीय समय में करीब दो घंटे का फर्क हो जाता है। उदाहरण के लिए, जब अरुणाचल प्रदेश में सूर्योदय सुबह लगभग 4 बजे हो जाता है, वहीं गुजरात में सूरज लगभग 6 बजे निकलता है।

इस असमानता को दूर करने और पूरे देश में एकीकृत समय व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारतीय मानक समय (IST) निर्धारित किया गया। इसे ग्रीनविच मानक समय (Greenwich Mean Time – GMT) से साढ़े पाँच घंटे आगे (+5:30) रखा गया है। अर्थात जब ग्रीनविच में दोपहर 12 बजे होते हैं, तब भारत में शाम के 5 बजकर 30 मिनट होते हैं।

भारतीय मानक समय रेखा का महत्व केवल प्रशासनिक और वैज्ञानिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि रेलवे, वायुयान सेवाओं, प्रसारण, सरकारी कामकाज और देशव्यापी संचार व्यवस्था में भी अत्यधिक है। हालांकि पूर्वोत्तर राज्यों में लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि वहाँ के लिए एक अलग टाइम ज़ोन लागू किया जाए, ताकि ऊर्जा की बचत हो सके और लोगों के दैनिक जीवन में आसानी हो।

भारतीय मानक मध्याह्न रेखा (Standard Meridian of India)

भारत का आधिकारिक समय, जिसे हम भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST) कहते हैं, एक विशेष देशांतर रेखा पर आधारित है। यह रेखा 82°30′ पूर्व देशांतर (82.5°E) पर स्थित है और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) जिले के नैनी क्षेत्र के पास से होकर गुजरती है। इसी रेखा को भारतीय मानक मध्याह्न रेखा (Standard Meridian of India) कहा जाता है।

समय निर्धारण की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि

पृथ्वी 24 घंटे में 360° परिक्रमण करती है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक 15° देशांतर पर 1 घंटे और प्रत्येक 1° देशांतर पर 4 मिनट का समयांतराल होता है।
इस आधार पर, जब हम ग्रीनविच (0° देशांतर) से 82.5° पूर्व की दूरी निकालते हैं, तो गणना इस प्रकार होती है –

ग्रीनविच (0°) से 82.5° पूर्व की दूरी = 82.5
1° देशांतर पर समयांतराल = 4 मिनट
इस प्रकार,
82.5°×4 मिनट=330 मिनट=5 घंटे 30 मिनट

अर्थात, भारतीय मानक मध्याह्न रेखा ग्रीनविच मानक समय (Greenwich Mean Time – GMT/UTC) से 5 घंटे 30 मिनट आगे है। यही कारण है कि भारत का मानक समय UTC +05:30 निर्धारित किया गया है।

क्यों चुना गया 82°30′ देशांतर?

भारत का भौगोलिक विस्तार पश्चिम में 68°7′E (गुजरात) से लेकर पूर्व में 97°25′E (अरुणाचल प्रदेश) तक फैला हुआ है। इस व्यापक विस्तार में स्थानीय समय का अंतर लगभग 2 घंटे तक हो जाता है। यदि अलग-अलग राज्यों के लिए स्थानीय समय लागू होता, तो प्रशासनिक, परिवहन, वाणिज्य और संचार व्यवस्था बेहद कठिन हो जाती।

इसी समस्या के समाधान के लिए 82°30′E देशांतर को चुना गया, क्योंकि यह भारत के मध्य भाग से होकर गुजरता है और पूर्व-पश्चिम दोनों सिरों के बीच संतुलित स्थिति प्रदान करता है।

महत्व

  • भारतीय मानक मध्याह्न रेखा पूरे देश में समय की एकरूपता सुनिश्चित करती है।
  • रेलवे, हवाई सेवाओं, प्रसारण, दूरसंचार और सरकारी कामकाज जैसे क्षेत्रों में यही मानक समय उपयोग किया जाता है।
  • यह रेखा भारत की वैज्ञानिक और प्रशासनिक एकता का प्रतीक भी है।

“भारतीय मानक समय रेखा” और “मानक मध्याह्न रेखा” क्या दोनों एक ही हैं?

भारतीय मानक समय रेखा (Indian Standard Time Line – IST Line) और मानक मध्याह्न रेखा (Standard Meridian of India) – दोनों वास्तव में एक ही हैं।

भारतीय मानक मध्याह्न रेखा (82°30′ पू. देशांतर) | Standard Meridian of India

यह वह काल्पनिक देशांतर रेखा है जो भारत में मानक समय तय करने के लिए ली गई है। यह इलाहाबाद (प्रयागराज) के निकट नैनों गाँव से होकर गुजरती है।

भारतीय मानक समय रेखा | Indian Standard Time Line – IST Line

यही 82°30′ पू. देशांतर पर आधारित मानक समय रेखा है। यानी मानक समय रेखा और मानक मध्याह्न रेखा वास्तव में एक ही हैं, लेकिन “समय रेखा” शब्द समय निर्धारण के लिए प्रयुक्त होती है, जबकि “मध्याह्न रेखा” शब्द भूगोल में देशांतर की पहचान के लिए।

👉 भारतीय मानक समय रेखा और मानक मध्याह्न रेखा अलग-अलग शब्द हैं, पर दोनों का आधार एक ही देशांतर रेखा (82°30′ पू.) है।

तालिका (Table) के रूप में

शब्दपरिभाषास्थिति
भारतीय मानक मध्याह्न रेखा
(Standard Meridian of India)
देशांतर रेखा जिस पर आधारित होकर भारत का मानक समय तय किया गया है।
“मध्याह्न रेखा” शब्द भूगोल में देशांतर की पहचान के लिए प्रयोग किया जाता है।
82°30′ पू. (इलाहाबाद के पास से गुजरती)
भारतीय मानक समय रेखा
(Indian Standard Time Line – IST Line)
मध्याह्न रेखा पर आधारित समय रेखा, जिसका उपयोग पूरे भारत में समय निर्धारण के लिए किया जाता है।IST (GMT+5:30)

भारतीय मानक समय रेखा और मानक मध्याह्न रेखा वस्तुतः अलग नहीं हैं। दोनों एक ही रेखा (82°30′ पू. देशांतर) को संदर्भित करते हैं, केवल प्रयोग के आधार पर इनके नाम अलग-अलग रखे गए हैं।

भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST) की गणना

भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST) की गणना एक विशेष देशांतर रेखा के आधार पर की जाती है। यह देशांतर रेखा 82°30′ पूर्व (82.5° E) है, जिसे भारत की मानक मध्याह्न रेखा (Standard Meridian of India) कहा जाता है।

  • यह रेखा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) जिले के नैनी क्षेत्र के पास से होकर गुजरती है।
  • मिर्ज़ापुर का घंटाघर (Clock Tower) इस मानक मध्याह्न रेखा के निकट स्थित है, इसलिए इसे प्रतीकात्मक रूप से भारतीय मानक समय का केंद्र माना जाता है।

गणना का वैज्ञानिक आधार

  • पृथ्वी पर प्रत्येक 1° देशांतर का समय अंतर 4 मिनट होता है।
  • ग्रीनविच (0° देशांतर) से भारत की मानक मध्याह्न रेखा (82°30′ E) की दूरी = 82.5 डिग्री।
  • इसलिए समय का अंतर = 82.5 × 4 = 330 मिनट (5 घंटे 30 मिनट)
  • इस प्रकार भारत का समय UTC/GMT से 5 घंटे 30 मिनट आगे (+05:30) तय किया गया।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • 1905 में ब्रिटिश भारत ने 82°30′ E देशांतर को मानक समय रेखा घोषित किया।
  • 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यही व्यवस्था भारत ने भी अपनाई।
  • वर्तमान में भारतीय मानक समय को राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL), नई दिल्ली में परमाणु घड़ियों (Atomic Clocks) की मदद से सटीक रखा जाता है।

👉 सरल शब्दों में कहा जाए तो, IST की गणना प्रयागराज (नैनी) से गुजरने वाली 82°30′ E देशांतर रेखा से की जाती है, जो GMT से 5 घंटे 30 मिनट आगे है।

भारतीय मानक समय

मिर्जापुर का घंटाघर और नैनी

अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न आता है कि भारतीय मानक समय की गणना मिर्जापुर के घंटाघर से की जाती है या प्रयागराज (नैनी) से?

  • वैज्ञानिक दृष्टि से: IST की गणना प्रयागराज के नैनी से गुजरने वाली 82°30′ E देशांतर रेखा से होती है।
  • सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक दृष्टि से: मिर्जापुर का घंटाघर लोगों के बीच IST का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि यह रेखा मिर्जापुर जिले के बहुत पास से भी गुजरती है।

वास्तविक स्थिति

  1. भारतीय मानक समय (IST) की गणना 82°30′ पूर्व देशांतर (82.5°E) से की जाती है।
  2. यह देशांतर रेखा प्रयागराज (इलाहाबाद) के नैनी कस्बे के पास से होकर गुजरती है।
  3. मिर्ज़ापुर जिले का घंटाघर (Clock Tower) इस रेखा के काफी नज़दीक है, लेकिन ठीक उसी पर नहीं है।
  4. इसी कारण आमतौर पर यह कहा जाता है कि IST की गणना मिर्ज़ापुर (घंटाघर) से होती है, जबकि वैज्ञानिक रूप से सही स्थान नैनी (प्रयागराज के पास) है।

गलतफहमी कहाँ से आती है?

  • मिर्ज़ापुर का घंटाघर 82°30′E रेखा के करीब (लगभग 4 आर्क मिनट = ~4 कोणीय मिनट) की दूरी पर स्थित है।
  • इसलिए इसे प्रतीकात्मक केंद्र मान लिया गया।
  • वास्तव में वैज्ञानिक दृष्टि से गणना सीधे देशांतर रेखा (82°30′E) से होती है, न कि किसी इमारत या घंटाघर से।

👉 निष्कर्ष यह है कि नैनी और मिर्जापुर घंटाघर अलग-अलग स्थान हैं। IST की गणना नैनी से होती है, लेकिन मिर्जापुर का घंटाघर इसका प्रतीक है।

भारतीय मानक समय रेखा और उससे जुड़े राज्य

भारतीय मानक समय रेखा (IST Line) वास्तव में वही देशांतर रेखा है, जो 82°30′ E पर स्थित है और नैनी (प्रयागराज) से गुजरती है। यह रेखा भारत के पांच राज्यों से होकर भी गुजरती है, जिनमें शामिल हैं:

  1. उत्तर प्रदेश
  2. मध्य प्रदेश
  3. छत्तीसगढ़
  4. ओडिशा
  5. आंध्र प्रदेश

भारत के पूर्वी और पश्चिमी छोर में समय का अंतर

भारत का भौगोलिक विस्तार बहुत बड़ा है।

  • पश्चिम में गुजरात का समय लगभग UTC +05:00 होता है।
  • जबकि पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश का स्थानीय सौर समय लगभग UTC +06:00 होता है।
    👉 यानी दोनों छोरों के बीच लगभग 1 घंटे 15 मिनट का समय अंतर है।
    फिर भी प्रशासनिक सुविधा और एकता के लिए पूरे देश में केवल एक ही समय क्षेत्र (IST) अपनाया गया है।

वर्तमान में IST का रखरखाव

आज भारतीय मानक समय (IST) को बनाए रखने और समन्वित रखने की जिम्मेदारी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (National Physical Laboratory – NPL), नई दिल्ली की है।

  • यहाँ परमाणु घड़ियाँ (Atomic Clocks) लगी हैं, जो समय की सटीकता को सुनिश्चित करती हैं।
  • प्रयागराज स्थित वेधशाला भी इस व्यवस्था में सहयोग करती है।
  • समय का यह डेटा संचार, मौसम, नेविगेशन, इंटरनेट, रेलवे, रक्षा और वैज्ञानिक शोधों में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

डेलाइट सेविंग टाइम (DST) और भारत

  • दुनिया के कई देश गर्मियों में Daylight Saving Time (DST) अपनाते हैं, जिसमें घड़ियों को 1 घंटा आगे कर दिया जाता है ताकि दिन का अधिक प्रकाश उपयोग में लाया जा सके।
  • भारत में यह प्रणाली लागू नहीं है।
  • कारण: भारत की भौगोलिक स्थिति भूमध्य रेखा के निकट है, जहाँ दिन और रात की अवधि में बहुत अधिक अंतर नहीं होता।

पूर्वोत्तर भारत में अलग समय क्षेत्र की मांग

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सूर्योदय और सूर्यास्त पश्चिमी भारत की तुलना में काफी जल्दी होते हैं।

  • उदाहरण: अरुणाचल प्रदेश में गर्मियों में सूर्योदय सुबह 4 बजे ही हो जाता है।
  • इससे वहाँ के लोग दिन के शुरुआती प्रकाश का उपयोग नहीं कर पाते।
  • इसलिए समय-समय पर यह मांग उठी है कि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अलग समय क्षेत्र (जैसे “चाय बागान समय” या “बागान टाइम”) लागू किया जाए।
  • हालांकि, भारत सरकार का मानना है कि इससे रेलवे, संचार और प्रशासन में असमानता और भ्रम उत्पन्न होगा, इसलिए अब तक यह लागू नहीं किया गया।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान भारतीय मानक समय

भारत में मानक समय की अवधारणा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान विकसित हुई। प्रारंभिक समय-निर्धारण स्थानीय स्तर पर आधारित था और विभिन्न प्रमुख नगरों में अलग-अलग समय प्रचलित थे।

मद्रास टाइम और प्रारंभिक व्यवस्था

सन् 1802 में जॉन गोल्डिंगहैम द्वारा मद्रास टाइम की स्थापना की गई थी। बाद में भारतीय रेल ने इसका व्यापक उपयोग किया। उस समय बंबई (मुंबई) और कलकत्ता (कोलकाता) जैसे प्रमुख शहरों के अपने-अपने स्थानीय समय थे। चूंकि मद्रास का समय इन दोनों के मध्य आता था, इसलिए इसे प्रारंभिक समय में भारतीय मानक समय क्षेत्र का प्रमुख दावेदार माना गया।

भारतीय मानक समय की स्थापना

ब्रिटिश भारत ने 1905 तक आधिकारिक रूप से मानक समय क्षेत्रों को स्वीकार नहीं किया था। 1905 में 82°30′ पू. देशांतर (इलाहाबाद के पूर्व से गुजरने वाली रेखा) को केंद्रीय मेरिडियन के रूप में चुना गया। इसके आधार पर भारतीय मानक समय (IST) निर्धारित किया गया, जो UTC +05:30 के अनुरूप था।
यह समय 1 जनवरी 1906 से लागू हुआ और तत्कालीन सीलोन (अब श्रीलंका) पर भी लागू किया गया।

क्षेत्रीय समय का प्रयोग

हालाँकि IST लागू हो गया था, लेकिन क्षेत्रीय समय कुछ समय तक बना रहा।

  • कलकत्ता टाइम 1948 तक प्रयोग में रहा।
  • बॉम्बे टाइम 1955 तक अलग समय क्षेत्र के रूप में चलता रहा।

समय प्रसारण और युद्धकालीन समय

1925 में समय सिंक्रनाइज़ेशन की प्रक्रिया को और विकसित किया गया। उस समय ऑम्निबस टेलीफोन सिस्टम और कंट्रोल सर्किट के माध्यम से संगठनों को सटीक समय उपलब्ध कराया जाने लगा।
1940 के दशक में सरकार ने रेडियो प्रसारण के जरिए समय संकेत प्रसारित करना शुरू किया।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान (1 सितम्बर 1942 से 15 अक्टूबर 1945 तक) घड़ियों को एक घंटा आगे बढ़ाया गया, जिसे युद्धकालीन समय (War Time) कहा गया। यह प्रावधान केवल अस्थायी था और युद्ध समाप्त होने के बाद इसे समाप्त कर दिया गया।

भारतीय मानक समय से पहले के समय क्षेत्र

भारत का भौगोलिक विस्तार पश्चिम से पूर्व तक लगभग 30° देशांतर तक फैला है। इस विशाल विस्तार के कारण स्वतंत्र भारत से पहले अलग-अलग क्षेत्रों में स्थानीय समय प्रचलित थे। ब्रिटिश शासन के दौरान प्रशासनिक और रेलवे जरूरतों के अनुसार समय को संगठित करने का प्रयास किया गया, और इसी क्रम में भारत में कई “समय क्षेत्र” (Time Zones) अस्तित्व में आए।

आधिकारिक रूप से 1 जनवरी 1906 को भारतीय मानक समय (IST) लागू होने से पहले भारत में चार प्रमुख समय क्षेत्र उपयोग किए जाते थे :

  1. मुंबई समय (Bombay Time Zone) – (UTC+04:51) | 1884 से 1955 तक
  2. कलकत्ता समय (Calcutta Time Zone) – (UTC+05:53:20) | 1884 से 1948 तक
  3. मद्रास समय (Madras Time Zone) – (UTC+05:21:14) | 1802 से 1906 तक
  4. पोर्ट ब्लेयर समय (Port Blair Time Zone) – (UTC +06:10:37) | 19वीं सदी से 1906 तक

इन चारों समय क्षेत्रों का महत्व अलग-अलग कालखंडों में रहा और इनकी पृष्ठभूमि भारत की प्रशासनिक एवं औपनिवेशिक संरचना से जुड़ी हुई थी। आइए इनका विस्तार से अध्ययन करते हैं।

1. बॉम्बे टाइम जोन (मुंबई समय क्षेत्र) – (UTC +04:51)

प्रचलन काल : 1884 – 1955

बॉम्बे टाइम जोन ब्रिटिश भारत में स्थापित दो आधिकारिक समय क्षेत्रों में से एक था। इसका जन्म 1884 में वाशिंगटन डी.सी. में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मेरिडियन सम्मेलन से हुआ, जहाँ भारत के लिए दो अलग-अलग समय क्षेत्रों – बॉम्बे टाइम और कलकत्ता टाइम – को मान्यता दी गई।

  • बॉम्बे समय ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) से 4 घंटे 51 मिनट आगे तय किया गया।
  • जब 1906 में भारतीय मानक समय (IST) लागू किया गया, तो मुंबई समय को IST में बदलने का प्रयास हुआ। लेकिन यहाँ के लोगों ने इसे आसानी से स्वीकार नहीं किया।
  • प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और बैरिस्टर फिरोजशाह मेहता ने बंबई नगर निगम में बदलाव का विरोध किया और जनता की भावना का प्रतिनिधित्व करते हुए सरकार को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
  • नतीजतन, मुंबई समय को 1955 तक बनाए रखा गया

आज भी मुंबई के कुछ पारसी अग्नि मंदिरों में बॉम्बे टाइम का उपयोग होता है, क्योंकि उनके अनुष्ठानों की गणना सूर्य की स्थानीय स्थिति के आधार पर की जाती है। इन मंदिरों में प्रवेश द्वार पर लगी घड़ियाँ अब भी इस समय को प्रदर्शित करती हैं।

2. कलकत्ता टाइम जोन (कलकत्ता समय क्षेत्र) – (UTC +05:53:20)

प्रचलन काल : 1884 – 1948

कलकत्ता समय ब्रिटिश भारत का दूसरा आधिकारिक समय क्षेत्र था। इसे भी 1884 के अंतर्राष्ट्रीय मेरिडियन सम्मेलन में मान्यता दी गई।

  • कलकत्ता समय की गणना 90° पूर्व मध्याह्न रेखा पर आधारित थी।
  • यह GMT से 5 घंटे 53 मिनट 20 सेकंड आगे था।
  • भारतीय मानक समय (IST) की तुलना में यह 23 मिनट 20 सेकंड आगे और बॉम्बे टाइम से 1 घंटा 2 मिनट 20 सेकंड आगे था।
  • यहाँ तक कि 1906 में IST लागू हो जाने के बाद भी कलकत्ता टाइम को पूरी तरह समाप्त नहीं किया गया। यह 1948 तक प्रभावी रहा।

19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में कलकत्ता समय को खगोलीय, भूवैज्ञानिक और वैज्ञानिक घटनाओं के रिकॉर्ड के लिए प्रमुख मानक माना जाता था। उस दौर में कई विदेशी यात्री और विद्वान अपनी घड़ियाँ कलकत्ता समय के अनुसार सेट कर लिया करते थे। साहित्य और उपन्यासों में भी “कलकत्ता टाइम” का उल्लेख मिलता है।

3. मद्रास टाइम जोन (मद्रास समय क्षेत्र) – (UTC +05:21:14)

प्रचलन काल : 1802 – 1906

मद्रास समय भारत का सबसे प्राचीन औपचारिक समय क्षेत्र माना जाता है। इसका निर्धारण 1802 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खगोलशास्त्री जॉन गोल्डिंगहैम ने किया था।

  • मद्रास का समय GMT से 5 घंटे 21 मिनट 14 सेकंड आगे निर्धारित किया गया।
  • यह समय IST (UTC +5:30) से लगभग 8 मिनट 46 सेकंड पीछे था।
  • बाद में, रेलवे कंपनियों ने इसे देश में “रेलवे टाइम” के रूप में अपनाया क्योंकि यह बॉम्बे और कलकत्ता समय के बीच का एक संतुलित विकल्प था।

इस तरह मद्रास टाइम को भारत का पहला “राष्ट्रीय स्तर पर प्रयुक्त समय” भी कहा जा सकता है। परंतु 1 जनवरी 1906 को भारतीय मानक समय लागू होने के बाद इसे समाप्त कर दिया गया।

4. पोर्ट ब्लेयर टाइम जोन (पोर्ट ब्लेयर समय क्षेत्र) – (UTC +06:10:37)

प्रचलन काल : 19वीं सदी – 1906

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए पोर्ट ब्लेयर समय क्षेत्र निर्धारित किया गया था।

  • यह कलकत्ता टाइम (UTC +5:53:20) से 17 मिनट 17 सेकंड आगे और GMT से 6 घंटे 10 मिनट 37 सेकंड आगे था।
  • यह समय 1906 तक प्रचलन में रहा, उसके बाद पूरे देश की तरह यहाँ भी भारतीय मानक समय (IST) लागू कर दिया गया।

स्वतंत्रता से पहले भारत में समय का निर्धारण विभिन्न क्षेत्रों की भौगोलिक और प्रशासनिक परिस्थितियों के अनुसार किया जाता था। मुंबई, कलकत्ता, मद्रास और पोर्ट ब्लेयर – इन चारों क्षेत्रों के अलग-अलग समय से प्रशासनिक कार्य और स्थानीय गतिविधियाँ संचालित होती थीं। लेकिन इससे संचार, व्यापार और रेलवे सेवाओं में असमानता उत्पन्न होती थी। यही कारण था कि 1906 में 82°30′ पू. देशांतर के आधार पर भारतीय मानक समय (IST) लागू किया गया, जिसने पूरे देश को एकीकृत समय प्रणाली प्रदान की।

भारतीय मानक समय का महत्व

  1. राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक सुविधा – पूरे देश में एक समय प्रणाली होने से प्रशासनिक कार्यों में सरलता आती है।
  2. परिवहन और संचार – रेलवे, हवाई सेवा, डाक व्यवस्था, टीवी-रेडियो और इंटरनेट में समानता बनी रहती है।
  3. वैज्ञानिक और तकनीकी कार्य – शोध, अंतरिक्ष अन्वेषण, मौसम विज्ञान और रक्षा क्षेत्र में सटीक समय अत्यंत आवश्यक है।
  4. वैश्विक व्यापार – भारत का समय UTC+05:30 होने से अंतरराष्ट्रीय लेन-देन और स्टॉक मार्केट संचालन में सुविधा होती है।

संभावित सुधार और चुनौतियाँ

  1. पूर्वी भारत की समस्या – सूर्योदय और सूर्यास्त का समय पश्चिम से काफी अलग होने के कारण वहाँ ऊर्जा की बर्बादी होती है।
  2. अलग समय क्षेत्र का प्रस्ताव – कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को कम-से-कम दो समय क्षेत्रों (पूर्व और पश्चिम) में विभाजित कर देना चाहिए।
  3. प्रौद्योगिकी समाधान – यदि अलग समय क्षेत्र न भी हों, तो पूर्वोत्तर राज्यों में कार्यालय और विद्यालयों के कामकाज का समय स्थानीय सूर्योदय के अनुसार समायोजित किया जा सकता है।

निष्कर्ष

भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST) भारत की प्रशासनिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक एकता का महत्वपूर्ण आधार है। 82°30′ पूर्व देशांतर, जो प्रयागराज (नैनी) और मिर्जापुर के पास से होकर गुजरता है, इस मानक समय की नींव है। यद्यपि भारत के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों के बीच समय का बड़ा अंतर है, फिर भी राष्ट्रीय एकता और सुविधा के लिए एक ही समय क्षेत्र अपनाया गया है।

आज परमाणु घड़ियों और आधुनिक तकनीक की मदद से भारतीय मानक समय को अत्यंत सटीक रखा जाता है। भविष्य में ऊर्जा संरक्षण और क्षेत्रीय सुविधा को ध्यान में रखते हुए यदि समय क्षेत्र में बदलाव की आवश्यकता होगी, तो उस पर विचार किया जा सकता है।


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