अग्नि-5: भारत की रणनीतिक शक्ति और MIRV तकनीक का चमत्कार

भारत ने एक बार फिर अपनी सामरिक शक्ति और वैज्ञानिक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से किया गया और इसे स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC) की देखरेख में अंजाम दिया गया।
इस उपलब्धि ने न केवल भारत की रक्षा क्षमता को नए स्तर पर पहुँचाया है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को भी मज़बूत किया है।

अग्नि-5 अब केवल एक मिसाइल नहीं रह गई है, बल्कि यह भारत की न्यूक्लियर डिटेरेंस स्ट्रैटेजी (Nuclear Deterrence Strategy) का अहम हिस्सा है। इसकी सफलता भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल करती है, जिनके पास लंबी दूरी की मारक क्षमता और MIRV जैसी उन्नत तकनीक है।

अग्नि मिसाइल श्रृंखला: विकास से उपलब्धि तक

भारत ने मिसाइल तकनीक में आत्मनिर्भर बनने के लिए इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) की शुरुआत 1980 के दशक में की थी। इस कार्यक्रम के तहत कई मिसाइलें विकसित की गईं – पृथ्वी, आकाश, नाग, त्रिशूल और अग्नि।

  • अग्नि-1 – 700–1,200 किमी की रेंज, पाकिस्तान को लक्ष्य बनाने के लिए।
  • अग्नि-2 – 2,000 किमी से अधिक रेंज, चीन के पश्चिमी हिस्सों तक मार।
  • अग्नि-3 – लगभग 3,500 किमी की रेंज।
  • अग्नि-4 – 4,000 किमी तक मार करने में सक्षम।
  • अग्नि-5 – 5,000 किमी से अधिक की मारक क्षमता, जिससे भारत ने ICBM क्लब में प्रवेश किया।

अग्नि-5 का विकास डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने किया है। यह मिसाइल आधुनिक युग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है और इसमें नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

अग्नि-5 की तकनीकी विशेषताएँ

1. आयाम और डिज़ाइन

  • लंबाई: 17 मीटर
  • व्यास: 2 मीटर
  • वजन: 50 टन
  • ईंधन: तीन-चरणीय ठोस ईंधन प्रोपल्शन सिस्टम

2. मारक क्षमता

  • रेंज: 5,000 किमी से अधिक (यानी पाकिस्तान, चीन, तुर्किये, मध्य एशिया और यूरोप के हिस्सों तक पहुंच सकती है)।
  • वॉरहेड क्षमता:
    • 1.5 टन परमाणु हथियार
    • या 7.5 टन बंकर बस्टर

3. लॉन्च सिस्टम

  • कैनिस्टराइज्ड लॉन्च – मिसाइल को लंबे समय तक स्टोर कर तुरंत दागा जा सकता है।
  • रोड-मोबाइल लॉन्चर – इसे ट्रकों और ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स पर लगाया जा सकता है, जिससे इसे छिपाना और जल्दी तैनात करना आसान है।

4. नेविगेशन और गाइडेंस

  • रिंग लेज़र जायरोस्कोप
  • उन्नत इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम
  • सैटेलाइट-आधारित सुधार प्रणाली
    इससे मिसाइल की सटीकता बहुत बढ़ जाती है और यह अपने लक्ष्य को चूकने की संभावना लगभग समाप्त कर देती है।

MIRV तकनीक: युद्ध की दिशा बदलने वाली तकनीक

परिभाषा

MIRV (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicle) तकनीक का अर्थ है कि एक ही मिसाइल कई वारहेड लेकर जा सकती है और इन्हें अलग-अलग लक्ष्यों पर गिराया जा सकता है।

कैसे काम करती है?

  • मिसाइल के अंतिम चरण में एक “बस” (payload bus) होता है, जिसमें कई वारहेड लगे होते हैं।
  • यह बस अंतरिक्ष में प्रवेश करने के बाद वारहेड्स को अलग-अलग दिशाओं में छोड़ती है।
  • प्रत्येक वारहेड अपने-अपने लक्ष्य पर स्वतंत्र रूप से गिरता है।

महत्व

  • एक मिसाइल से दुश्मन के कई ठिकानों पर हमला किया जा सकता है।
  • दुश्मन के मिसाइल-रोधी रक्षा सिस्टम (Missile Defense System) को बेअसर किया जा सकता है।
  • दुश्मन के कमांड सेंटर, रडार, न्यूक्लियर बेस और बंकर एक साथ नष्ट किए जा सकते हैं।

किन देशों के पास MIRV है?

  • रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम
  • माना जाता है कि इजरायल के पास भी यह क्षमता है।
  • पाकिस्तान इस दिशा में काम कर रहा है लेकिन अभी काफी पीछे है।
  • अब भारत भी इस तकनीक से लैस होकर इस एलिट ग्रुप का हिस्सा बन गया है।

सामरिक और भू-राजनीतिक महत्व

1. पाकिस्तान पर प्रभाव

अग्नि-5 की पूरी रेंज पाकिस्तान को कवर करती है। इससे भारत की न्यूक्लियर डिटेरेंस स्ट्रैटेजी मजबूत होती है।

2. चीन पर प्रभाव

चीन के लगभग सभी बड़े शहर – बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझोउ – अग्नि-5 की रेंज में आते हैं। यह भारत की सुरक्षा नीति को और मज़बूत करता है और चीन के साथ शक्ति संतुलन स्थापित करता है।

3. पश्चिम एशिया और यूरोप

अग्नि-5 की रेंज तुर्किये और यूरोप के कुछ हिस्सों तक जाती है। इससे भारत की सामरिक पहुंच वैश्विक स्तर पर बढ़ जाती है।

4. सामरिक प्रतिरोधक क्षमता

भारत की नीति हमेशा से “नो फर्स्ट यूज़” (NFU) रही है। यानी भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन यदि कोई दुश्मन हमला करता है तो जवाब ज़रूर देगा।
अग्नि-5 इस नीति को और मज़बूत करता है और भारत को दुश्मनों के लिए एक “विश्वसनीय प्रतिरोध” (Credible Deterrent) बनाता है।

स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC): परमाणु शक्ति का प्रहरी

परिभाषा

स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC) भारत का त्रि-सेवा कमांड है जो थल सेना, नौसेना और वायुसेना – तीनों के सामरिक बलों का संचालन करता है।

भूमिका

  • भारत के सभी न्यूक्लियर वेपन्स और ICBM का संचालन और नियंत्रण।
  • न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी (NCA) के आदेशों का पालन।
  • सुनिश्चित करना कि किसी भी स्थिति में भारत की परमाणु संपत्तियों पर पूर्ण नियंत्रण रहे।

इतिहास

  • स्थापना: 4 जनवरी 2003
  • उस समय प्रधानमंत्री: अटल बिहारी वाजपेयी
  • उद्देश्य: भारत की परमाणु ताक़त को संगठित, नियंत्रित और सुरक्षित बनाना।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य और भारत की स्थिति

दुनिया में केवल कुछ ही देशों के पास ICBM और MIRV तकनीक है। भारत ने जब यह क्षमता हासिल की, तो वह रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसी बड़ी शक्तियों के क्लब में शामिल हो गया।
यह उपलब्धि भारत की वैज्ञानिक प्रगति, रक्षा स्वावलंबन (Atmanirbharta) और वैश्विक सामरिक शक्ति का प्रतीक है।

भविष्य की दिशा और चुनौतियाँ

अग्नि-5 के बाद भारत अब और भी उन्नत मिसाइलों पर काम कर रहा है। चर्चाओं में अग्नि-6 का भी ज़िक्र आता है, जिसकी रेंज 8,000–10,000 किमी तक हो सकती है।

चुनौतियाँ

  • मिसाइल डिफेंस सिस्टम (जैसे अमेरिका का THAAD और इज़रायल का आयरन डोम) लगातार विकसित हो रहे हैं।
  • भारत को अपनी मिसाइलों की स्टील्थ क्षमता और हाइपरसोनिक गति बढ़ानी होगी।
  • अंतरराष्ट्रीय दबाव और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) जैसी व्यवस्थाओं का भी सामना करना पड़ेगा।

निष्कर्ष

अग्नि-5 का सफल परीक्षण भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक क्षमता का स्पष्ट उदाहरण है।
MIRV तकनीक ने भारत को एक ऐसी क्षमता दी है, जो न केवल दुश्मन के इरादों को हतोत्साहित करती है बल्कि भारत को विश्व के प्रमुख सामरिक शक्तिशाली देशों की कतार में खड़ा करती है।

भारत का उद्देश्य हमेशा से रक्षा-प्रधान रहा है, न कि आक्रामक। लेकिन आज की दुनिया में विश्वसनीय प्रतिरोध (Credible Deterrence) बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
अग्नि-5 ने भारत को यह भरोसा दिलाया है कि वह अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम है, चाहे चुनौती कितनी भी बड़ी क्यों न हो।


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