अदम्य (Adamya) | भारतीय तटरक्षक बल का स्वदेशी तेजगति गश्ती पोत

भारत की समुद्री सीमाएं लगभग 7517 किलोमीटर लंबी हैं और इसमें 1382 द्वीपों का समूह शामिल है। देश की तटीय सुरक्षा न केवल उसकी भौगोलिक अखंडता की रक्षा करती है, बल्कि यह राष्ट्रीय आर्थिक और सामरिक हितों की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाती है। इस महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभाने में भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard – ICG) एक प्रमुख संस्था है, जो समुद्री क्षेत्रों में सतर्कता, बचाव अभियान, तस्करी विरोध, पर्यावरण संरक्षण और अन्य आवश्यक कार्यों को अंजाम देती है। इसी सुदृढ़ सुरक्षा श्रृंखला में ‘अदम्य’ नामक एक नया और स्वदेशी फास्ट पेट्रोल वेसल (Fast Patrol Vessel – FPV) शामिल हुआ है, जो न केवल आधुनिक तकनीक से लैस है, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति का भी प्रत्यक्ष उदाहरण है।

‘अदम्य’: एक परिचय

‘अदम्य’ भारतीय तटरक्षक बल के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (Goa Shipyard Limited – GSL) द्वारा निर्मित आठ आधुनिक FPVs की श्रृंखला में पहला पोत है। यह न केवल तेजगति, लचीलापन और उच्च सामरिक क्षमताओं से लैस है, बल्कि इसमें कई अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीकों का उपयोग किया गया है। ‘अदम्य’ का अर्थ है – जिसे दबाया न जा सके, जो अडिग रहे, और यह नाम इस पोत की समुद्री क्षमताओं और भारतीय तटरक्षक बल की अडिग सुरक्षा भावना का सटीक प्रतीक है।

निर्माण और डिज़ाइन: गोवा शिपयार्ड लिमिटेड का योगदान

गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत एक प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जो दशकों से नौसैनिक पोतों के निर्माण में अग्रणी रहा है। ‘अदम्य’ जैसे अत्याधुनिक पोत का निर्माण GSL की डिज़ाइन क्षमताओं, तकनीकी कौशल और उत्पादन गुणवत्ता को दर्शाता है। यह पोत विशेष रूप से भारतीय समुद्री परिस्थितियों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है, जिससे इसकी परिचालन दक्षता और स्थायित्व सुनिश्चित हो सके।

तकनीकी विशेषताएँ: आधुनिकता और शक्ति का संगम

‘अदम्य’ को विशिष्ट तकनीकों और हथियार प्रणालियों से सुसज्जित किया गया है, जिससे यह किसी भी परिस्थिति में तत्काल कार्रवाई करने में सक्षम है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

1. हथियार प्रणाली

  • 30 मिमी CRN-91 गन: यह एक अत्यधिक शक्तिशाली समुद्री तोप है जो सतह पर लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से निशाना बना सकती है।
  • दो 12.7 मिमी रिमोट-नियंत्रित स्थिरकृत गन: यह आधुनिक हथियार Fire Control Systems के साथ एकीकृत हैं, जिससे उच्च सटीकता के साथ हमला किया जा सकता है।

2. प्रणाली और नियंत्रण तकनीक

  • Controllable Pitch Propellers (CPPs): यह प्रणाली पोत की मैन्युवरिंग क्षमता को बेहतर बनाती है और उच्च गति में भी नियंत्रण सुनिश्चित करती है।
  • स्वदेशी गियरबॉक्स: यह भारतीय इंजीनियरिंग का परिणाम है, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

3. प्रणाली एकीकरण

  • Integrated Bridge System (IBS): सभी नेविगेशन और संचार प्रणालियों को एकीकृत करने वाला यह सिस्टम संचालन में सुविधा और दक्षता प्रदान करता है।
  • Integrated Platform Management System (IPMS): पोत की समस्त प्रणालियों के प्रबंधन को एकीकृत रूप से संचालित करता है।
  • Automated Power Management System (APMS): यह ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली बिजली की आपूर्ति को स्वचालित रूप से नियंत्रित करती है, जिससे ऊर्जा की बचत और दक्षता बढ़ती है।

संचालन क्षमता और उपयोगिता

‘अदम्य’ को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह विभिन्न प्रकार के समुद्री अभियानों को तीव्र गति और दक्षता से अंजाम दे सके। इसकी बहुआयामी क्षमताएँ भारतीय तटरक्षक बल के मिशनों को नई ऊँचाइयाँ प्रदान करेंगी:

1. समुद्री क़ानून प्रवर्तन (Maritime Law Enforcement)

‘अदम्य’ तटीय क्षेत्रों में अवैध गतिविधियों जैसे तस्करी, मानव तस्करी, मछली पकड़ने के उल्लंघनों आदि की रोकथाम के लिए एक प्रभावी हथियार साबित होगा।

2. तटीय गश्त (Coastal Patrol)

इसकी उच्च गति और रडार प्रणाली इसे तटीय क्षेत्रों की निगरानी के लिए आदर्श बनाती है, विशेषकर संवेदनशील समुद्री सीमाओं पर।

3. खोज और बचाव अभियान (Search and Rescue – SAR)

‘अदम्य’ को आपातकालीन परिस्थितियों में तेजी से तैनात किया जा सकता है, जिससे समुद्र में फंसे हुए लोगों की जान बचाने में मदद मिलती है।

4. विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone – EEZ) की सुरक्षा

भारत का EEZ लाखों वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, और ‘अदम्य’ जैसे पोत उसकी निगरानी और सुरक्षा के लिए अनिवार्य साधन बनते जा रहे हैं।

आत्मनिर्भर भारत और समुद्री रक्षा

‘अदम्य’ का निर्माण और संचालन भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति की दिशा में एक ठोस कदम है। यह पोत पूर्णतः भारतीय शिपयार्ड द्वारा डिज़ाइन और निर्मित है, और इसमें प्रयुक्त अधिकांश तकनीकें स्वदेशी हैं। इससे न केवल भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बल मिलता है, बल्कि यह देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर करता है।

सामरिक दृष्टिकोण से महत्त्व

भारत की समुद्री सीमाओं पर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों, समुद्री आतंकवाद, ड्रग तस्करी, और बाहरी खतरों की पृष्ठभूमि में ‘अदम्य’ का योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगा। यह पोत ‘Force Multiplier’ के रूप में कार्य करेगा, जिससे भारतीय तटरक्षक बल की समग्र क्षमता में गुणात्मक वृद्धि होगी।

पर्यावरणीय उत्तरदायित्व

जहां एक ओर ‘अदम्य’ की सामरिक क्षमताएँ महत्त्वपूर्ण हैं, वहीं इसका डिज़ाइन पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व को भी दर्शाता है। इसमें अपशिष्ट प्रबंधन, ध्वनि और ईंधन उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाली प्रणालियाँ भी स्थापित की गई हैं, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा में सहायक हैं।

निष्कर्ष

‘अदम्य’ केवल एक पोत नहीं है, यह भारत की नवोन्मेषी तकनीक, रक्षा आत्मनिर्भरता, और सामुद्रिक सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इसके निर्माण में प्रयुक्त स्वदेशी तकनीकों और इसकी बहुआयामी क्षमताओं के माध्यम से भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह न केवल एक मजबूत समुद्री शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, बल्कि वह वैश्विक रक्षा विनिर्माण में भी अग्रणी बनने की दिशा में बढ़ रहा है।

भारत जैसे विशाल समुद्री राष्ट्र के लिए ऐसे आधुनिक गश्ती पोतों की श्रृंखला, तटरक्षक बल की अभियान क्षमता को नई ऊँचाइयाँ प्रदान करेगी। ‘अदम्य’ जैसे पोत आने वाले वर्षों में भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में एक अडिग प्रहरी की भूमिका निभाएँगे, और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि – “अदम्य भारत की अदम्य सुरक्षा का प्रतीक है।”

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