हिंदी की आत्मकथा और आत्मकथाकार : लेखक और रचनाएँ

हिंदी साहित्य की विविध विधाओं में आत्मकथा एक अपेक्षाकृत नवीन किन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण विधा है। इसमें लेखक स्वयं अपने जीवन की घटनाओं, अनुभवों, संघर्षों, उपलब्धियों और विफलताओं को ईमानदारी और आत्मविश्लेषण के साथ पाठकों के सामने रखता है। आत्मकथा केवल आत्मवृत्त नहीं होती, बल्कि यह व्यक्ति के समय, समाज, संस्कृति और मनोवैज्ञानिक स्थिति का भी दर्पण होती है।

हिंदी में आत्मकथा के रूप में सबसे पहले पद्य (काव्य) में लिखी गई रचना ‘अर्द्धकथानक’ (1641 ई.) मानी जाती है, जिसे बनारसीदास जैन ने लिखा। वहीं गद्य में पहली आत्मकथा ‘स्वरचित आत्मचरित’ (1879 ई.) है, जिसे स्वामी दयानंद सरस्वती ने लिखा। यह दोनों कृतियाँ न केवल लेखक के निजी जीवन का वृत्तांत देती हैं, बल्कि उस युग की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को भी उकेरती हैं।

आत्मकथा की परिभाषा

जब कोई लेखक अपने जीवन के विविध पहलुओं — बचपन से लेकर युवावस्था और वृद्धावस्था तक — को स्वयं लेखबद्ध कर हमारे सामने प्रस्तुत करता है, तो उसे आत्मकथा कहते हैं। इसमें लेखक ही लेखक और पात्र दोनों होता है। यह आत्म-विश्लेषण, आत्म-स्वीकृति और आत्म-आलोचना का माध्यम है।

हिंदी साहित्य में आत्मकथा की परंपरा

हिंदी साहित्य में आत्मकथा लेखन का इतिहास लगभग चार शताब्दियों पुराना है। ‘अर्द्धकथानक’ के समय से लेकर आज तक इस विधा ने कई चरण देखे हैं। प्रारंभिक दौर में आत्मकथाएँ धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रेरित थीं, जैसे स्वामी दयानंद सरस्वती की ‘स्वरचित आत्मचरित’। धीरे-धीरे स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक सुधार आंदोलनों, साहित्यिक संघर्ष और व्यक्तिगत जीवन के विविध अनुभव इसमें शामिल होने लगे।

आत्मकथाओं की मुख्य श्रेणियाँ

हिंदी की आत्मकथाओं को उनके विषय-वस्तु, लेखन-प्रवृत्ति और लेखकों की पृष्ठभूमि के आधार पर चार प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है —

  1. मौलिक आत्मकथाएँ और आत्मकथाकार
  2. महिला लेखन धारा की आत्मकथाएँ
  3. दलित लेखन धारा की आत्मकथाएँ
  4. अनुदित आत्मकथाएँ और आत्मकथाकार

आइए, प्रत्येक श्रेणी को विस्तार से देखें।

मौलिक आत्मकथाएँ और आत्मकथाकार

इस श्रेणी में वे आत्मकथाएँ आती हैं जो मूलतः हिंदी में लिखी गई हैं और जिनमें लेखक ने अपने जीवन की घटनाओं का प्रत्यक्ष विवरण दिया है।

क्रमआत्मकथाआत्मकथाकारप्रकाशन वर्ष
1अर्द्धकथानकबनारसीदास जैन1641
2स्वरचित आत्मचरितदयानंद सरस्वती1879
3मुझमें देव जीवन का विकाससत्यानंद अग्निहोत्री1909
4मेरे जीवन के अनुभवसंत राय1914
5फिजी द्वीप में मेरे इक्कीस वर्षतोताराम सनाढ्य1914
6मेरा संक्षिप्त जीवन चरित्र-मेरा लिखितराधाचरण गोस्वामी1920
7आपबीता : काले पानी के कारावास की कहानीभाई परमानंद1921
8कल्याण मार्ग का पथिकस्वामी श्रद्धानंद1925
9आपबीतीलज्जाराम मेहता शर्मा1933
10मैं क्रांतिकारी कैसे बनाराम विलास शुक्ल1933
11प्रवासी की आत्मकथाभवानी दयाल संन्यासी1939
12मेरी असफलताएँगुलाब राय1941
13मेरी आत्म कहानीश्यामसुंदर दास1943
14पत्रकार की आत्मकथामूलचंद अग्रवाल1943
15आत्मकथामहात्मा नारायण स्वामी1943
16मेरी जीवन यात्रा (भाग 1–5)
(भाग-1-1944 ई., भाग-2-1949 ई.,
भाग-3, 4, 5–1967 ई.)
राहुल सांकृत्यायन1944–1967
17आत्मकथालाला लाजपत राय1946
18अपनों की खोज में या बुकसेलर की डायरीरामकुमार विद्यार्थी ‘रावी’1947
19मेरी जीवन कहानीगणेश नारायण सोमाणी1948
20मेरा जीवन प्रवाहवियोगी हरि1948
21मेरी जीवन गाथाक्षुल्लक गणेश प्रसाद वर्णी1949
22उलझी स्मृतियाँविनोद शंकर व्यास1950
23स्वतंत्रता की खोज मेंसत्यदेव परिव्राजक1951
24जीवन चक्रगंगा प्रसाद उपाध्याय1951
25क्रांतिकारी की आत्मकथामन्मथनाथ गुप्त1951
26अज्ञात जीवनअजित प्रसाद जैन1952
27परिव्राजक की प्रजाशांतिप्रिय द्विवेदी1952
28सिंहावलोकन (भाग 1–3)
(भाग-1,2–1952 ई., भाग-3-1955 ई.)
यशपाल1952–1955
29चांद-सूरज के वीरनदेवेंद्र सत्यार्थी1952
30साहित्यिक जीवन के अनुभवकिशोरीदास बाजपेयी1953
31मुदर्रिस की रामकहानीकालीदास कपूर1953
32मेरी जीवन कहानीरमादेवी मुरारका1956
33समय का फेरएल. पी. नागर1956
34मेरी जीवन यात्राजानकी देवी बजाज1956
35आत्मकथा : आपबीती-जगबीतीनरदेव शास्त्री1957
36मेरा नाटक कालराधेश्याम कथावाचक1957
37मेरी अपनी कथापदुमलाल पुन्नालाल बख्शी1958
38आत्म परीक्षण (भाग 1–3)सेठ गोविन्द दास1958
39आत्मकथाराम प्रसाद बिस्मिल1958
40बचपन के दो दिन (1959 ई.)
यौवन के द्वार पर (1970 ई.)
डॉ. देवराज उपाध्याय1959, 1970
41साठ वर्ष : एक रेखांकनसुमित्रानंदन पंत1960
42अपनी खबरपांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’1960
43मेरी आत्मकहानीआचार्य चतुरसेन शास्त्री1963
44क्रांति पथ का पथिकपृथ्वी सिंह आजाद1966
45जीवन के चार अध्यायभुवनेश्वर माधव मिश्र1966
46आत्मकथा और संस्मरणगिरिधर शर्मा चतुर्वेदी1967
47क्या भूलू क्या याद करूं (1969 ई.)
नीड़ का निर्माण फिर (1970 ई.)
बसेरे से दूर (1978 ई.)
दशद्वार से सोपान तक (1985 ई.)
हरिवंशराय बच्चन1969–1985
48अपनी कहानीवृंदावन लाल वर्मा1970
49प्रत्यक्ष जीवन शास्त्रहीरालाल शास्त्री1970
50सेवा, सृजन और संघर्षव्योहार राजेन्द्र सिंह1972
51भूली बातें याद करूंराधाकृष्ण बिरला1973
52विदा बंधु विदाप्रणव कुमार वंद्योपाध्याय1973
53एक आत्मकथा अरुणायनपोद्दार रामवतार ‘अरुण’1974
54मेरी फिल्मी आत्मकथाबलराज साहनी1974
55राह चलते चलतेरामेश्वर टांटिया1976
56घर की बात (1983 ई.)
अपनी धरती अपने लोग (1996 ई.)
रामविलास शर्मा1983, 1996
57राख से लपटेंपुरुषोत्तम दास टंडन1984
58मेरा जीवनशिवपूजन सहाय1985
59मेरे सात जनमहंसराज रहबरअज्ञात
60टुकड़े-टुकड़े दास्तानअमृतलाल नागर1986
61मेरी जीवनधारायशपाल जैन1987
62आत्म परिचयफणीश्वर नाथ ‘रेणु’1988
63अर्धकथाडॉ. नगेन्द्र1988
64तपती पगडंडियों पर पदयात्राकन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’1989
65सहचर है समयरामदरश मिश्र1991
66फुरसत के दिन (2000 ई.)
जो मैने जिया (1992 ई.)
यादों का चिराग (1997 ई.)
जलती हुई नदी (1999 ई.)
कमलेश्वर1992–2000
67कहो व्यास कैसी कटीगोपाल प्रसाद व्यास1994
68गालिब छुटी शराबरवीन्द्र कालिया2000
69मुड़ मुड़कर देखता हूँराजेन्द्र यादव2001
70वह जो यथार्थ थाआखिलेश2001
71आज के अतीतभीष्म साहनी2003
72पाव भर जीरे में ब्रह्मभोजअशोक बाजपेयी2003
73मैंने मांडू नहीं देखास्वदेश दीपक2003
74वसन्त से पतझर तकरवीन्द्रनाथ त्यागी2005
75पंखहीन; मुक्त गगन में; पंछी उड़ गयाविष्णु प्रभाकर2004
76एक अंतहीन तलाशकन्हैयालाल नंदन2007
77गुजरा कहाँ-कहाँ सेदेवेश ठाकुर2007

मौलिक आत्मकथाओं का साहित्यिक और ऐतिहासिक महत्व

  • स्वतंत्रता संग्राम की झलक — ‘क्रांतिकारी की आत्मकथा’ (मन्मथनाथ गुप्त), ‘राम प्रसाद बिस्मिल’ की आत्मकथा, और ‘पृथ्वी सिंह आजाद’ की ‘क्रांति पथ का पथिक’ में आज़ादी की लड़ाई के अद्वितीय अनुभव दर्ज हैं।
  • साहित्यिक यात्रा — हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा श्रृंखला (‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ आदि) में साहित्यकार के जीवन, संघर्ष और रचनात्मकता का विस्तृत चित्रण मिलता है।
  • सामाजिक-धार्मिक दृष्टिकोण — बनारसीदास जैन का ‘अर्द्धकथानक’ और दयानंद सरस्वती का ‘स्वरचित आत्मचरित’ धार्मिक विचारधारा के साथ व्यक्तिगत अनुभवों का संगम है।

महिला लेखन धारा की आत्मकथाएँ

महिला लेखिकाओं ने अपनी आत्मकथाओं में न केवल निजी जीवन, बल्कि पितृसत्तात्मक समाज में स्त्री की स्थिति, संघर्ष और आत्मसम्मान की लड़ाई को दर्ज किया।

क्रमआत्मकथाआत्मकथाकारप्रकाशन वर्ष
1दस्तक जिन्दगी की (1990ई.)
मोड़ जिन्दगी का (1996 ई.)
प्रतिभा अग्रवाल1990; 1996
2जो कहा नहीं गयाकुसुम अंसल1996
3लगता नहीं है दिल मेराकृष्णा अग्निहोत्री1997
4बूंद बावड़ीपद्मा सचदेव1999
5कुछ कही कुछ अनकहीशीला झुनझुनवाला2000
6कस्तूरी कुण्डल बसै (2002 ई.)
गुड़िया भीतर गुड़िया (2008 ई.)
मैत्रेयी पुष्पा2002; 2008
7हादसेरमणिका गुप्ता2005
8एक कहानी यह भीमन्नू भण्डारी2007
9अन्या से अनन्याप्रभा खेतान2007
10पिंजड़े की मैनाचन्द्रकिरण सौनरेक्सा2008

विशेषता: इनमें स्त्री संवेदनाओं, विवाह संस्था, घरेलू हिंसा, प्रेम, सामाजिक पूर्वाग्रह और स्त्री स्वतंत्रता जैसे विषयों को स्पष्टता और साहस के साथ उठाया गया है।

दलित लेखन धारा की आत्मकथाएं

दलित आत्मकथाएँ सामाजिक असमानता, जातिगत भेदभाव और संघर्ष के सजीव दस्तावेज हैं।

क्रमआत्मकथाआत्मकथाकारप्रकाशन वर्ष
1अपने-अपने पिंजरे
(भाग 1– 1995 ई. भाग 2– 2000 ई.)
मोहन नैमिशराय1995, 2000
2जूठनओम प्रकाश वाल्मीकि1997
3तिरस्कृत; संतप्ततिरस्कृत (2002 ई.)
संतप्त (2006 ई.)
सूरजपाल चौहान2002, 2006
4मेरा बचपन मेरे कंधों परश्योराज सिंह बेचैन2009
5मुर्दहियाडॉ. तुलसीराम2010
6शिकंजे का दर्दसुशीला टाकभौरे2012

विशेषता: ये आत्मकथाएँ न केवल व्यक्तिगत पीड़ा का बयान हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव की प्रेरक कथाएँ भी हैं।

अनुदित आत्मकथाएं और आत्मकथाकार

ये वे आत्मकथाएँ हैं जो मूलतः अन्य भाषाओं (उर्दू, बांग्ला, पंजाबी, अंग्रेज़ी, मराठी, आदि) में लिखी गईं और बाद में हिंदी में अनूदित हुईं।

क्रमआत्मकथाकारमूल आत्मकथा (नाम, भाषा, वर्ष)हिन्दी अनुवाद का नाम
1मीर तकी मीरजिक्र-ए-मीर, उर्दू, 1783जिक्रे-मीर
2मुंशी लुत्फुल्लाएन ऑटोबायोग्राफी, अंग्रेजी, 1848एक आत्मकथा
3महात्मा गाँधीआत्मचरित, गुजराती, 1926आत्मकथा अथवा सत्य के प्रयोग
4सुभाष चंद्र बोसतरुणे सपन, बांग्ला, 1935तरुण के स्वप्न
5जवाहर लाल नेहरूमाई स्टोरी, अंग्रेजी, 1936मेरी कहानी
6वेद मेहताफेस टू फेस, अंग्रेजी, 1958मेरा जीवन संघर्ष
7शचीन्द्र नाथ सान्यालबंदी जीवन, बांग्ला, 1963बंदी जीवन
8हंसा वाडकरसांगत्ये एका, मराठी, 1972अभिनेत्री की आपबीती
9जोश मलीहाबादी; अमृता प्रीतमयादों की बारात, उर्दू, 1972; रसीदी टिकट, पंजाबी, 1977यादों की बारात; रसीदी टिकट
10कमला दासमाई स्टोरी, अंग्रेजी, 1977मेरी कहानी
11दलीप कौर टिवाणानंगे पैरों दा सफर, पंजाबी, 1980नंगे पैरों का सफर

विशेषता: इनमें स्त्री संवेदनाओं, विवाह संस्था, घरेलू हिंसा, प्रेम, सामाजिक पूर्वाग्रह और स्त्री स्वतंत्रता जैसे विषयों को स्पष्टता और साहस के साथ उठाया गया है।

हिन्दी आत्मकथाओं की कालक्रमानुसार सूची

क्रमलेखकआत्मकथावर्ष
1बनारसीदास जैनअर्द्ध कथानक (ब्रजभाषा पद्य में)1641
2दयानंद सरस्वतीजीवनचरित्र1860
3भारतेन्दु हरिश्चंद्रकुछ आप बीती कुछ जग बीती
4भाई परमानन्दआपबीती (मेरी राम कहानी)1921
5महात्मा गांधीसत्य के प्रयोग1923
6रामविलास शुक्लमैं क्रान्तिकारी कैसे बना1933
7सुभाष चन्द्र बोसतरुण के स्वप्न1935
8भवानी दयाल संन्यासीप्रवासी की कहानी1939
9श्यामसुन्दरदासमेरी आत्मकहानी1941
10मूलचन्द अग्रवालएक पत्रकार की आत्मकथा1944
11हरिभाऊ उपाध्यायसाधना के पथ पर1946
12राहुल सांकृत्यायनमेरी जीवनयात्रा (5 खंड)1946, 47, 67
13राजेन्द्र प्रसादआत्मकथा1947
14भवानी दयाल संन्यासीप्रवासी की आत्मकथा1947
15वियोगी हरिमेरा जीवन प्रवाह1951
16सत्यदेव परिव्राजकस्वतंत्रता की खोज में
17यशपालसिंहावलोकन (3 खंड)1951, 52, 55
18अजित प्रसाद जैनअज्ञात जीवन1951
19शान्तिप्रिय द्विवेदीपरिव्राजक की आत्मकथा1952
20देवेंद्र सत्यार्थीचांद सूरज के बीरन, नील यक्षिणी
21चतुरसेन शास्त्रीयादों की परछाइयां1956
22सेठ गोविन्ददासआत्मनिरीक्षण1957
23नरदेव शास्त्रीआपबीती जगबीती1957
24पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीमेरी अपनी कथा1958
25देवराज उपाध्यायबचपन के वो दिन
26पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’अपनी खबर1960
27सुमित्रानंदन पंतसाठ वर्ष : एक रेखांकन1963
28चतुरसेन शास्त्रीमेरी आत्मकहानी1963
29सन्तराम बी॰ए॰मेरे जीवन के अनुभव
30आबिद अलीमजदूर से मिनिस्टर1968
31हरिवंश राय बच्चनक्या भूलूँ क्या याद करूँ1969
32हरिवंश राय बच्चननीड़ का निर्माण फिर1970
33हरिवंश राय बच्चनबसेरे से दूर1978
34हरिवंश राय बच्चनदशद्वार से सोपान तक1985
35वृन्दावनलाल वर्माअपनी कहानी1970
36देवराज उपाध्याययौवन के द्वार पर1970
37चतुर्भुर्ज शर्माविद्रोही की आत्मकथा1970
38मोरारजी देसाईमेरा जीवन-वृत्तान्त (2 भाग)1972, 74
39बलराज साहनीमेरी फ़िल्मी आत्मकथा
40कृष्णचन्द्रआधे सफ़र की पूरी कहानी1979
41कमलेश्वरगर्दिश के दिन (संपादन)1980
42रामविलास शर्माघर की बात1983
43विश्वनाथ लाहिरीएक पुलिस अधिकारी की आत्मकथा1984
44रामदरश मिश्रजहां मैं खड़ा हूँ1984
45शिवपूजन सहायमेरा जीवन1985
46अमृतलाल नागरटुकड़े-टुकड़े दास्तान1986
47यशपाल जैनमेरी जीवनधारा1987
48डॉ॰ नगेन्द्रअर्धकथा1988
49फणीश्वर नाथ रेणुआत्मपरिचय1988
50कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकरतपती पगडंडियों पर पदयात्रा1989
51कमलेश्वरजो मैंने जिया1992
52गोपाल प्रसाद व्यासकहो व्यास कैसी कटी1994
53कमलेश्वरयादों के चिराग़1997
54कमलेश्वरजलती हुई नदी1999
55रवीन्द्र कालियाग़ालिब छुटी शराब2000
56राजेन्द्र यादवमुड़-मुड़ कर देखता हूं2001
57अखिलेशवह जो यथार्थ था2001
58भीष्म साहनीआज के अतीत2003
59अशोक वाजपेयीपावभर जीरे में ब्रह्मभोज2003
60विष्णु प्रभाकरपंखहीन, मुक्त गगन में, पंछी उड़ गया2004
61कन्हैयालाल नन्दनगुज़रा कहां-कहां से2007
62कृष्ण बिहारीसागर के इस पार से उस पार तक2008
63कन्हैयालाल नन्दनकहना ज़रूरी था2009
64कन्हैयालाल नन्दनमैं था और मेरा आकाश2011
65मिथिलेश्वरऔर कहां तक कहें युगों की बात2012
66नरेन्द्र मोहनकमबख़्त निन्दर2013
67हरिशंकर परसाईहम इक उम्र से वाकिफ हैं
68पुरुषोत्तम दास टंडनराख की लपटें
69देवेश ठाकुरयों ही जिया
70हृदयेशजोखिम
71एकांत श्रीवास्तवमेरे दिन मेरे वर्ष
72मिथिलेश्वरपानी बीच मीन प्यासी

आत्मकथा का सांस्कृतिक महत्व

  1. इतिहास का सजीव दस्तावेज — आत्मकथाएँ समय के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवेश का सीधा प्रतिबिंब देती हैं।
  2. व्यक्तित्व का निर्माण — यह दिखाती हैं कि किन संघर्षों, मूल्यों और अनुभवों ने लेखक का व्यक्तित्व गढ़ा।
  3. साहित्यिक प्रेरणा — नई पीढ़ी के लेखकों और पाठकों के लिए यह प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत हैं।

निष्कर्ष

हिंदी आत्मकथा साहित्य जीवन, समाज और समय के बहुआयामी पहलुओं को समेटने वाली एक सशक्त विधा है। ‘अर्द्धकथानक’ से लेकर आधुनिक दौर की आत्मकथाओं तक, यह विधा निरंतर विकसित होती रही है। इसमें व्यक्तिगत अनुभव, सामाजिक परिवर्तन और ऐतिहासिक साक्ष्य एक साथ चलते हैं, जो इसे साहित्य का अमूल्य खजाना बनाते हैं।


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