भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्रांति | 2030 तक वैश्विक EV शक्ति बनने की दिशा में कदम

भारत 2030 तक दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माता बनने की राह पर है, जिससे न केवल देश की तकनीकी क्षमता बल्कि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में उसकी प्रतिबद्धता भी स्पष्ट होती है। यह लेख भारत में EV उद्योग के तेजी से हो रहे विकास, उत्पादन और मांग की विस्तृत समीक्षा करता है। इसमें बताया गया है कि कैसे भारत की EV उत्पादन क्षमता 2024 में 2 मिलियन यूनिट से बढ़कर 2030 तक 2.5 मिलियन यूनिट तक पहुँच सकती है और घरेलू मांग 1.4 मिलियन यूनिट तक बढ़ने की उम्मीद है। यह अधिशेष भारत को वैश्विक EV निर्यात केंद्र बनाने की दिशा में अग्रसर करता है।

लेख में EV बाजार की पैठ, वियतनाम जैसे देशों से तुलना, भारत की EV बिक्री दर, सरकार की आयात शुल्क नीति, और FAME एवं PLI जैसी योजनाओं की भूमिका को विस्तार से समझाया गया है। साथ ही, बैटरी निर्माण, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रमुख भारतीय कंपनियों की भूमिका और EV अपनाने में आने वाली चुनौतियों को भी समाहित किया गया है। यह लेख उन सभी पाठकों के लिए उपयोगी है जो भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के भविष्य, व्यापारिक अवसरों और हरित ऊर्जा क्रांति की दिशा में भारत की रणनीति को समझना चाहते हैं।

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परिचय: बदलते भारत की ई-यात्रा

आज की दुनिया तेजी से पर्यावरणीय चुनौतियों और ईंधन सुरक्षा की आवश्यकता को महसूस कर रही है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को भविष्य के परिवहन का पर्यावरणीय उत्तर माना जा रहा है। भारत, जो विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कार बाजार बन चुका है, अब इस ई-परिवर्तन की दिशा में सशक्त कदम उठा रहा है।
2030 तक भारत के दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक कार उत्पादक बनने की संभावना है, जो केवल चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ से पीछे होगा। यह न केवल भारत की तकनीकी क्षमता और ऊर्जा आत्मनिर्भरता का संकेत है, बल्कि इसके सतत विकास (Sustainable Development Goals) की दिशा में भी एक बड़ा प्रयास है।

EV (इलेक्ट्रिक वाहन) क्या है?

इलेक्ट्रिक वाहन ऐसे वाहन होते हैं जो पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine – ICE) की जगह एक या अधिक इलेक्ट्रिक मोटर से चलते हैं।

इनकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • ईंधन की जगह बैटरी – ये बैटरी पैक से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
  • शून्य उत्सर्जन – इनसे किसी प्रकार का कार्बन या विषैली गैसें नहीं निकलतीं।
  • कम परिचालन लागत – ईंधन खर्च कम, और रख-रखाव भी सस्ता।
  • शांत संचालन – इनका शोर स्तर बहुत कम होता है।

भारत में EV को अपनाना सिर्फ तकनीक का बदलाव नहीं, बल्कि यह ऊर्जा नीति, पर्यावरण नीति और आर्थिक रणनीति का भी हिस्सा बन चुका है।

भारत में EV उत्पादन और मांग: वर्तमान से भविष्य की ओर

उत्पादन की वर्तमान स्थिति और लक्ष्य

भारत में EV निर्माण की गति उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है। 2024 में देश की उत्पादन क्षमता लगभग 2 मिलियन यूनिट तक थी, जो अनुमानतः 2030 तक 2.5 मिलियन यूनिट को पार कर सकती है।

इसके साथ, बैटरी निर्माण के क्षेत्र में भी भारत अग्रणी बनता जा रहा है। 2030 तक भारत की बैटरी सेल उत्पादन क्षमता दक्षिण कोरिया, जापान और मलेशिया जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकलने की संभावना है।

घरेलू मांग की स्थिति

हालांकि उत्पादन तेज़ी से बढ़ रहा है, घरेलू मांग 2024 में लगभग 0.4 मिलियन यूनिट ही रही है। लेकिन 2030 तक इसके 1.4 मिलियन यूनिट तक पहुँचने की उम्मीद है।
इसका अर्थ है कि भारत के पास 1–2.1 मिलियन यूनिट का अधिशेष होगा, जिसे निर्यात किया जा सकता है।

EV बिक्री और बाज़ार हिस्सेदारी

वर्तमान EV पैठ

2024 में भारत की कुल कार बिक्री में EVs की हिस्सेदारी केवल 2% रही, जो वैश्विक औसत से काफी कम है।
इसकी तुलना में, वियतनाम जैसे छोटे बाजार में EV पैठ 2022 में 3% थी, जो 2024 में बढ़कर 17% तक पहुँच गई है।

2030 का लक्ष्य

2030 तक भारत में EVs की बाजार हिस्सेदारी 7% से 23% के बीच हो सकती है। यह सीमा सरकार की नीतियों, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और उपभोक्ता रुझानों पर निर्भर करेगी।

आयात शुल्क और संरक्षण नीति

भारत सरकार घरेलू EV निर्माताओं को बढ़ावा देने के लिए आयात पर भारी शुल्क लगाती है।

CBU पर शुल्क संरचना:

  • पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (CBUs) पर 70% से 100% तक आयात शुल्क लगता है।
  • यह नीति टेस्ला, BYD, SAIC जैसी विदेशी कंपनियों के लिए चुनौती बनती है, परंतु घरेलू खिलाड़ियों जैसे Tata Motors, Mahindra, Ola Electric को संरक्षण देती है।

इस नीति का उद्देश्य है:

  • भारत को स्थानीय विनिर्माण हब बनाना
  • रोजगार सृजन
  • तकनीकी आत्मनिर्भरता
  • विदेशी मुद्रा की बचत

EV सेक्टर में भारत की प्रमुख कंपनियाँ

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण और विकास अब कई बड़ी कंपनियों की रणनीति का मुख्य हिस्सा बन चुका है। इनमें प्रमुख हैं:

1. टाटा मोटर्स

  • सबसे अधिक बिकने वाली EV निर्माता
  • Tata Nexon EV और Tigor EV जैसे मॉडल सफल
  • चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क विस्तार में भी अग्रणी

2. महिंद्रा एंड महिंद्रा

  • XUV400 जैसे मॉडल से बाजार में प्रतिस्पर्धा
  • ई-रिक्शा और वाणिज्यिक EV सेगमेंट में भी सक्रिय

3. ओला इलेक्ट्रिक

  • स्कूटर निर्माण में अग्रणी
  • भविष्य में कार निर्माण की योजना
  • बैटरी निर्माण और चार्जिंग नेटवर्क में निवेश

4. TVS, Hero Electric, Ather

  • दोपहिया EV सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा
  • शहरी उपयोगकर्ताओं को लक्षित उत्पाद

चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति

EV को लोकप्रिय बनाने के लिए चार्जिंग स्टेशन की उपस्थिति अत्यंत आवश्यक है। भारत सरकार की FAME योजना और राज्य सरकारों की EV नीतियों से यह प्रक्रिया तेज हुई है।

2025 तक लक्ष्यों में शामिल हैं:

  • प्रमुख शहरों में फास्ट चार्जिंग स्टेशन
  • राजमार्गों पर EV चार्जिंग कॉरिडोर
  • आवासीय सोसाइटियों और कार्यालयों में निजी चार्जिंग समाधान

भारत में चार्जिंग नेटवर्क की चुनौतियाँ:

  • अपर्याप्त सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन
  • धीमी चार्जिंग गति
  • बिजली आपूर्ति की अस्थिरता
  • विभिन्न चार्जिंग स्टैंडर्ड की उपस्थिति

सरकारी योजनाएं और प्रोत्साहन

भारत सरकार ने EV क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं:

1. FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles):

  • दो चरणों में लागू
  • EV खरीद पर सब्सिडी
  • चार्जिंग स्टेशन स्थापना पर सहायता

2. PLI स्कीम (Production Linked Incentive):

  • EV और ऑटो घटकों के घरेलू उत्पादन के लिए प्रोत्साहन
  • बैटरी निर्माण को भी इसमें शामिल किया गया

3. राज्य स्तर की EV नीतियां:

दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्यों ने EV नीति जारी की है, जिनमें शामिल हैं:

  • रोड टैक्स में छूट
  • पार्किंग शुल्क में रियायत
  • रजिस्ट्रेशन फीस माफ

EV निर्यात की संभावना: वैश्विक बाजार में भारत

2030 तक भारत में EV उत्पादन अधिशेष होगा, जिससे वैश्विक बाजारों में निर्यात की बड़ी संभावना बनेगी।
विशेषकर अफ्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में भारत की EVs सस्ती, टिकाऊ और उपयुक्त हो सकती हैं।

भारत सस्ते और मजबूत EV मॉडल के लिए जाना जा सकता है, जो विकसित और विकासशील दोनों तरह के देशों में स्वीकार्य होंगे।

EV बैटरी: भारत की ऊर्जा क्रांति

बैटरी EV की आत्मा होती है। भारत ने बैटरी निर्माण क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी दिखाई है।

प्रमुख पहल:

  • लिथियम आयन सेल निर्माण संयंत्र
  • पुनर्चक्रण (Recycling) तकनीक का विकास
  • स्थानीय खनिज संसाधन की खोज (लद्दाख और राजस्थान में लिथियम)

2030 तक लक्ष्य:

  • बैटरी उत्पादन क्षमता जापान, कोरिया से अधिक
  • बैटरी लागत में 30% तक की कमी
  • आयात पर निर्भरता घटाना

EV क्रांति की चुनौतियाँ

हालांकि संभावनाएं बहुत हैं, परंतु चुनौतियाँ भी बड़ी हैं:

  1. उच्च प्रारंभिक लागत – EV अभी भी पेट्रोल/डीज़ल वाहनों से महंगे हैं।
  2. चार्जिंग समय – फास्ट चार्जिंग भी ICE वाहनों जितना त्वरित नहीं।
  3. बैटरी जीवन और सुरक्षा – बैटरी के दीर्घकालीन प्रदर्शन पर संशय।
  4. बिजली की गुणवत्ता और आपूर्ति – भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में EV अपनाने में बाधा।
  5. जन जागरूकता – अभी भी कई लोग EV की व्यवहार्यता को लेकर संदेह रखते हैं।

हरित भारत की ओर

भारत की EV यात्रा सिर्फ एक तकनीकी परिवर्तन नहीं, बल्कि यह राष्ट्र की पर्यावरणीय, आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा की यात्रा है। EVs भारत को न केवल आयातित तेल पर निर्भरता से मुक्त करेंगे, बल्कि यह देश को हरित ऊर्जा क्रांति में वैश्विक नेतृत्व भी प्रदान कर सकते हैं।

2030 तक भारत EV उत्पादन में चौथे स्थान पर होगा, यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत के आत्मनिर्भर भविष्य का परिचायक है। यदि सरकार, उद्योग और नागरिक मिलकर काम करें, तो EV न केवल सड़कों पर बल्कि हर घर, हर गाँव और हर उद्योग में क्रांति ला सकते हैं।

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