उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Diseases – NTDs) विभिन्न प्रकार के रोगजनकों (वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी, फंगस और विषाक्त पदार्थों) द्वारा उत्पन्न होने वाले रोगों का एक समूह है, जो मुख्यतः गरीब और वंचित समुदायों को प्रभावित करते हैं। ये रोग मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं, स्वच्छता और सुरक्षित जल की कमी होती है।
भारत, जो दुनिया में NTDs से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है, पिछले कुछ वर्षों में इन रोगों के उन्मूलन और नियंत्रण के लिए उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। सरकार की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति, सामुदायिक भागीदारी और क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं।
NTDs क्या हैं?
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (Neglected Tropical Diseases – NTDs) का तात्पर्य उन रोगों से है जो मुख्यतः गरीब और पिछड़े समुदायों में पाए जाते हैं और जिनका स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। ये रोग वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडा में कम प्राथमिकता प्राप्त करते रहे हैं, जिससे इनके नियंत्रण और उन्मूलन के लिए आवश्यक संसाधनों का अभाव रहा है।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग | प्रमुख कारण और विशेषताएँ
- रोगजनकों की विविधता:
- ये रोग विभिन्न प्रकार के रोगजनकों द्वारा फैलते हैं, जैसे कि बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी, फंगस और विषाक्त पदार्थ।
- स्वास्थ्य सेवाओं की कमी:
- ऐसे क्षेत्रों में जहां स्वच्छता, सुरक्षित पेयजल और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी होती है, NTDs का प्रसार अधिक होता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र और सामाजिक कारक:
- गरीब समुदायों में स्वच्छता और पोषण की कमी, पशु-मानव संपर्क, और रोग वाहकों की अधिकता NTDs के प्रसार को बढ़ाती है।
NTDs को ‘उपेक्षित’ क्यों कहा जाता है?
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (Neglected Tropical Diseases – NTDs) को “उपेक्षित” इसलिए कहा जाता है क्योंकि:
- ये वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडा में बहुत कम महत्व रखते थे।
- इन्हें अनुसंधान और वित्तीय सहायता बहुत कम मिलती थी।
- प्रभावित समुदायों की आवाज़ अक्सर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अनसुनी रह जाती थी।
- इनके प्रसार और प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी थी।
NTDs के प्रमुख उदाहरण
1. गिनी वर्म रोग (Guinea Worm Disease)
- यह परजीवी संक्रमण दूषित जल के माध्यम से होता है।
- रोगग्रस्त व्यक्ति के शरीर से निकलने वाला कीड़ा अत्यंत दर्दनाक होता है और व्यक्ति को महीनों तक अपंग बना सकता है।
2. डेंगू (Dengue)
- डेंगू वायरस एडीज मच्छरों के माध्यम से फैलता है।
- यह उच्च बुखार, रक्तस्राव और अंग विफलता का कारण बन सकता है।
3. चिकनगुनिया (Chikungunya)
- यह भी एडीज मच्छरों द्वारा फैलने वाला एक वायरल संक्रमण है।
- इसके लक्षणों में तेज बुखार, जोड़ों का दर्द और शरीर में सूजन शामिल हैं।
4. काला अजार (Visceral Leishmaniasis)
- यह परजीवी संक्रमण सैंडफ्लाई के माध्यम से फैलता है।
- काला अजार का इलाज समय पर न होने पर यह घातक हो सकता है।
5. हाथीपाँव (Lymphatic Filariasis
- यह परजीवी रोग मच्छरों के माध्यम से फैलता है और लिम्फेटिक सिस्टम को प्रभावित करता है।
- इससे प्रभावित अंगों में सूजन होती है, जिससे व्यक्ति शारीरिक रूप से विकलांग हो जाता है।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTDs) का वैश्विक प्रभाव
स्वास्थ्य पर प्रभाव
- NTDs गंभीर बीमारियों और मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
- ये रोग प्रभावित व्यक्तियों में दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न करते हैं।
- कई रोग शारीरिक विकलांगता का कारण बनते हैं, जिससे व्यक्ति और परिवार की उत्पादकता प्रभावित होती है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
- ये रोग समाज में कलंक और भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।
- प्रभावित व्यक्ति सामाजिक बहिष्कार का शिकार हो सकते हैं।
- रोग के कारण गरीब समुदायों में गरीबी और अशिक्षा का चक्र बना रहता है।
- उत्पादकता में कमी और चिकित्सा लागत में वृद्धि के कारण आर्थिक बोझ बढ़ता है।
भारत में NTDs की स्थिति
भारत उन देशों में शामिल है जहां उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों का बोझ सबसे अधिक है। हालांकि, भारत ने NTDs के उन्मूलन और नियंत्रण के लिए व्यापक रणनीतियाँ अपनाई हैं, जिससे पिछले वर्षों में कई उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है।
महत्वपूर्ण सरकारी पहल
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM):
- NTDs के उन्मूलन के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता और निवारक उपायों को बढ़ावा दिया गया।
- मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA):
- हाथीपाँव और अन्य परजीवी रोगों के प्रसार को रोकने के लिए सामूहिक दवा वितरण कार्यक्रम चलाए गए।
- काला अजार उन्मूलन अभियान:
- भारत ने काला अजार उन्मूलन के लिए सैंडफ्लाई नियंत्रण और समय पर उपचार की रणनीति अपनाई।
- स्वच्छ भारत अभियान:
- स्वच्छता और स्वच्छ जल तक पहुंच में सुधार करके जलजनित और परजीवी रोगों की रोकथाम सुनिश्चित की गई।
भारत की उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ
प्रमुख उपलब्धियाँ
- काला अजार: 2023 तक भारत ने काला अजार के मामलों में 90% से अधिक की कमी दर्ज की।
- हाथीपाँव: सामूहिक दवा प्रशासन और मच्छर नियंत्रण कार्यक्रमों से हाथीपाँव उन्मूलन की दिशा में प्रगति हुई।
- डेंगू और चिकनगुनिया: इन रोगों की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियानों और मच्छर नियंत्रण उपायों ने मामलों में कमी लाने में सहायता की।
चुनौतियाँ
- रोग वाहकों का नियंत्रण: मच्छरों और अन्य रोग वाहकों का प्रभावी नियंत्रण करना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
- स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच: दूर-दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना अभी भी कठिन बना हुआ है।
- सामाजिक कलंक: रोग से प्रभावित व्यक्तियों को सामाजिक कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो उपचार और पुनर्वास में बाधा उत्पन्न करता है।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग | रोकथाम और नियंत्रण के उपाय
1. मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA)
- बड़े पैमाने पर दवा वितरण कार्यक्रम चलाकर जोखिमग्रस्त समुदायों को NTDs से बचाया जा सकता है।
2. रोग वाहक नियंत्रण
- मच्छरों और सैंडफ्लाई जैसे रोग वाहकों को नियंत्रित करके रोगों के प्रसार को रोका जा सकता है।
3. बेहतर स्वच्छता और सुरक्षित जल
- स्वच्छता में सुधार और स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता से जलजनित रोगों को रोका जा सकता है।
4. सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा
- समुदायों को शिक्षित करके और उन्हें NTDs के जोखिम और रोकथाम के उपायों के प्रति जागरूक करके रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है।
वैश्विक प्रयास और सहयोग
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भूमिका
- WHO ने 2030 तक NTDs को समाप्त करने के लिए “NTD रोडमैप” लॉन्च किया है, जिसमें 20 से अधिक NTDs को नियंत्रित करने और उन्मूलन के लिए रणनीतियाँ शामिल हैं।
- WHO के सहयोग से भारत जैसे देशों में प्रभावी नीतियाँ लागू की जा रही हैं।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन
- यह संगठन NTDs की रोकथाम और उपचार में अनुसंधान और वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।
- NTDs के खिलाफ वैक्सीन और नई दवाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।
भविष्य की रणनीतियाँ और मार्गदर्शन
- संपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को सुदृढ़ करना: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में NTDs की जांच और उपचार की सुविधा बढ़ाना।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग: डिजिटल स्वास्थ्य समाधान और रोग निगरानी प्रणालियों को अपनाना।
- सामुदायिक भागीदारी: प्रभावित समुदायों को सशक्त बनाकर रोगों के उन्मूलन की दिशा में कार्य करना।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTDs) का प्रभाव वैश्विक स्तर पर गरीब और वंचित समुदायों पर सबसे अधिक पड़ता है। भारत ने NTDs को नियंत्रित और समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अभी भी चुनौतियाँ बरकरार हैं। सामुदायिक भागीदारी, सरकारी नीतियों और वैश्विक सहयोग के माध्यम से भारत और दुनिया NTDs के उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यदि इन प्रयासों को सही दिशा में जारी रखा जाए तो उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Diseases – NTDs) का बोझ कम किया जा सकता है और एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।
Student Zone – KnowledgeSthali
Current Affairs – KnowledgeSthali
इन्हें भी देखें –
- अंतरिक्ष यात्रा के पहले कदम | अंतरिक्ष में प्रथम
- चाँद पर उतरने वाले देश | Country that lands on the Moon
- मंगल ग्रह पर पहुचने वाले देश | Countries leading in Mars Exploration
- मिस यूनिवर्स | ब्रह्माण्ड सुन्दरी | 1952-2023
- USAID फंडिंग पर चिंता | विदेशी सहायता या हस्तक्षेप?
- दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध का विरोध | लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951
- डिजिटल परिवर्तन पुरस्कार | भारतीय रिजर्व बैंक की अभिनव पहल
- आना सागर झील | अजमेर का ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर
- गुलाबी बोलवर्म प्रतिरोधी GM कपास
- सुनीता विलियम्स की ऐतिहासिक वापसी | 9 महीने के अंतरिक्ष मिशन के बाद पृथ्वी पर लौटने की पूरी कहानी
- डिजिटल परिवर्तन पुरस्कार | भारतीय रिजर्व बैंक की अभिनव पहल