हिंदी के प्रमुख एकांकीकार एवं एकांकी | लेखक और रचनाएँ

एकांकीकार एवं एकांकी” शीर्षक के अंतर्गत यह लेख हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण नाट्य विधा — एकांकी — और इसके प्रमुख लेखकों की रचनात्मक योगदान को उजागर करता है। हिंदी एकांकी लेखन का आरंभ 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुआ, जब जयशंकर प्रसाद ने “एक घूँट” जैसी ऐतिहासिक एकांकी की रचना की। इसके पश्चात रामकुमार वर्मा, भुवनेश्वर, उपेन्द्रनाथ अश्क, मोहन राकेश, जगदीशचंद्र माथुर, उदयशंकर भट्ट, विष्णु प्रभाकर, धर्मवीर भारती, लक्ष्मी नारायण मिश्र, प्रभाकर माचवे आदि लेखकों ने इस विधा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

लेख में प्रत्येक प्रमुख एकांकीकार की विशिष्ट एकांकीयों और संग्रहों का उल्लेख किया गया है, जो न केवल उनके रचनात्मक कौशल को दर्शाते हैं, बल्कि उस समय की सामाजिक, राजनीतिक और भावनात्मक चेतना को भी प्रतिबिंबित करते हैं। यह लेख पाठकों को एक ऐसा समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है, जिसमें उन्हें हिंदी नाट्य साहित्य के विकास, शैलीगत विविधता और विषयवस्तु की गंभीरता का व्यापक अध्ययन मिलता है।

साथ ही यह लेख न केवल छात्रों, शोधार्थियों और साहित्य प्रेमियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन पाठकों के लिए भी आवश्यक है जो हिंदी एकांकी विधा के इतिहास और उसके योगदानकर्ताओं को एक स्थान पर समेटे हुए देखना चाहते हैं।

हिंदी एकांकी का परिचय

हिंदी एकांकी नाटक के समान अभिनय से संबंधित साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है, जिसमें किसी घटना या विषय को केवल एक अंक में प्रस्तुत किया जाता है। एक अंक वाले नाटक को “एकांकी” कहा जाता है। हिंदी में एकांकी शब्द अंग्रेजी “वन एक्ट प्ले” का पर्याय है, जो आधुनिक काल में अंग्रेजी के संपर्क के कारण हिंदी में आया, किंतु इसका स्वरूप भारतीय परंपरा में नया नहीं है।

हिंदी में एकांकी का प्रारंभ आधुनिक युग में हुआ, परंतु इसके बीज भारतीय साहित्य की पारंपरिक नाट्यकला में पहले से ही विद्यमान थे। प्रो. अमरनाथ के अनुसार, “एकांकी नाटक हिन्दी में सर्वथा नवीनतम कृति है। इसका जन्म हिन्दी साहित्य में अंग्रेजी के प्रभाव के कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ है।”

हिंदी की पहली एकांकी जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित “एक घूँट” (1929) मानी जाती है। वहीं कुछ विद्वान जैसे हरिचंद्र वर्मा, रामकुमार वर्मा की “बादल की मृत्यु” (1930) को भी पहली हिंदी एकांकी के रूप में स्वीकार करते हैं। एकांकी लेखन में हिंदी साहित्यकारों ने सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विषयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।

एकांकी विधा की विशेषताएँ

  • एक ही अंक में संपन्न नाटकीय प्रस्तुति
  • कम पात्र, सीमित संवाद
  • गहन विषय-वस्तु और प्रभावपूर्ण कथन
  • मंचन में सहजता
  • पाठक और दर्शक दोनों के लिए रुचिकर

हिंदी एकांकीकार और उनकी प्रमुख एकांकियाँ / एकांकी संग्रह

नीचे हिंदी के प्रमुख एकांकीकारों और उनकी प्रसिद्ध एकांकियों / संग्रहों की वर्णमालानुसार व्यवस्थित सूची दी जा रही है, जिससे इस विधा के विकास और विविधता की समग्र झलक मिलती है:

क्रमएकांकीकारप्रमुख एकांकी / एकांकी संग्रह
1‘उग्र’ (बेचन शर्मा)चार बेचारे, अफजल बध, भाई मियाँ
2उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’पर्दा उठाओ पर्दा गिराओ, लक्ष्मी का स्वागत, जोंक, अधिकार का रक्षक, अंधी गली, अंजो दीदी, सूखी डाली, स्वर्ग की झलक, भँवर, आपस का समझौता, साहब को जुकाम, विवाह के दिन, देवताओं की छाया में, चरवाहे, पक्का गाना, पापी, खिड़की, चिलमन, चमत्कार, मेमना
3उदयशंकर भट्टआत्मदान, दस हजार, एक ही कब्र में, विस्फोट, समस्या का अंत, निर्दोष की रक्षा, बीमार का इलाज, दुर्गा, स्त्री का ह्रदय, सात प्रहसन, उन्नीस और पैतीस, नेता, अंधकार और प्रकाश, आदिम युग, पर्दे के पीछे, आज का आदमी, वर निर्वाचन, धूमशिखा, प्रथम विवाह, बड़े आदमी की मृत्यु, अभिनव एकांकी, शक विजय, क्रांतिकारी, वैवस्वत मनु, आधुनिक एकांकी नाटक (सं.)
4कुंवर बहादुरप्रजातंत्र की झलक
5गणेश प्रसाद द्विवेदीसोहाग बिंदी, कामरेड, शर्माजी, गोष्ठी, परीक्षा, रपट, धरती माता, रिहर्सल
6गंगाप्रसाद श्रीवास्तवमिट्टी का शेर
7गोविंद बल्लभ पंतविषकन्या
8जयशंकर प्रसादएक घूँट
9जगदीशचंद्र माथुरभोर का तारा, रीढ़ की हड्डी, मकड़ी का जाला, मेरी बाँसुरी, ओ मेरे सपने, कबूतरखाना, घोंसले, खंडहर, खिड़की की राह, भाषण
10जैनेंद्र कुमारटकराहट
11धर्मवीर भारतीनदी प्यासी थी, नीली झील, सृष्टि का आखिरी आदमी, आवाज का नीलाम, संगमरमर पर एक रात
12देवकीनंदन खत्रीजनेऊ का खेल
13प्रभाकर माचवेगली के मोड़ पर, गाँधी की राह पर, पागलखाने में पंचकन्या, वधू चाहिए
14बालकृष्ण भट्टशिक्षादान
15भगवतीचरण वर्मासबसे बड़ा आदमी
16भारतभूषण अग्रवालमहाभारत की साँझ
17भुवनेश्वर प्रसाद मिश्रकारवाँ, श्यामा, ताँबे के कीड़े, आजादी की नींद, सिकंदर, एक साम्यहीन साम्यवादी, प्रतिमा का विवाह, स्ट्राइक, बाजीराव की तस्वीर, फोटोग्राफर के सामने, लाटरी, शैतान, मृत्यु, रोशनी और आग, सींकों की गाड़ी, रहस्य रोमांच, आदमखोर
18मार्कण्डेयपत्थर और परछाई
19मोहन राकेशअंडे के छिलके, प्यालियाँ टूटती हैं, सिपाही की माँ, छतरियाँ, करफ्यू, बारह सौ छब्बीस बटा सात, बहुत बड़ा सवाल
20लक्ष्मी नारायण मिश्रअपराजित, चक्रव्यूह, स्वर्ग में विप्लव, कटोरी में कमल, अशोक वन, मुक्ति का रहस्य, राजयोग
21लक्ष्मीकांत वर्माअपना-अपना जूता
22लक्ष्मीनारायण लालपर्वत के पीछे, नाटक बहुरंगी, ताजमहल के आँसू, औलादी का बेटा, दूसरा दरवाजा
23रामकुमार वर्मापृथ्वी राज की आँखें, बादल की मृत्यु, रेशमी टाई, चारुमित्रा, विभूति, सप्तकिरण, औरंगजेब की आखिरी रात, दीपदान, दस मिनट, कौमुदीमहोत्सव, मयूरपंख, जूही के फूल, इन्द्रधनुष, पांच जन्म, रिमझिम, ऋतुराज, रूपरंग, रजतरश्मि, परीक्षा, बापू, चंगेज खाँ, 18 जुलाई की शाम
24राधाचरण गोस्वामीतन-मन-धन गुसाँई जी के अर्पण
25रामनरेश त्रिपाठीस्वप्नों के चित्र, दिमागी ऐयाशी
26विनोद रस्तोगीबहु की विदा, काले कौए गोरे हंस, पुरुष और पाप, निर्माण का देवता, कसम कुरान
27विष्णु प्रभाकरप्रकाश और परछाई, इन्सान, दस बजे रात, ऊँचा पर्वत गहरा सागर, क्या वह दोषी था, मैं दोषी हूँ, ये रेखाएँ ये दायरे, पाप, हत्या के बाद, एक औरत: एक माँ, आंचल और आंसू, प्रतिशोध, बंटवारा, नया समाज, सरकारी नौकरी, सांवले, वापसी
28सेठ गोविंददासईद और होली, फाँसी, प्रायश्चित्त, एकादमी, नानक की नमाज़, तेगबहादुर की भविष्यवाणी, स्पर्द्धा, एकादशी, पंचभूत, सप्तरश्मि, चतुष्पद, कंगाल नहीं, मानव मन, मैत्री, कृषि यज्ञ, बुध की एक शिष्या
29सुदर्शनआनरेरी मजिस्ट्रेट, राजपूत की हार, प्रताप प्रतिज्ञा
30हरिकृष्ण ‘प्रेमी’मातृमंदिर, राष्ट्रमंदिर, मानमंदिर, न्यायमंदिर, वाणीमंदिर, मालव प्रेम

यह सूची हिंदी एकांकी साहित्य की समृद्ध परंपरा को दर्शाती है, जिसमें विविध सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक विषयों को गहराई से प्रस्तुत किया गया है। हिंदी एकांकी न केवल नाट्यकला का सार्थक रूप है, बल्कि इसमें समय, स्थान और पात्रों की सीमाओं के भीतर गहन भावनात्मक और वैचारिक प्रभाव उत्पन्न करने की क्षमता है।

निष्कर्ष

हिंदी एकांकी साहित्य नाट्यकला का सशक्त और संवेदनशील माध्यम है, जिसने कम समय और सीमित साधनों में गहन अनुभूति, सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक सघनता को व्यक्त किया है। ऊपर उल्लिखित लेखक और उनकी रचनाएँ इस विधा के विकास की गवाही देती हैं।

यह स्पष्ट होता है कि हिंदी एकांकी लेखन ने बीसवीं शताब्दी के मध्य काल में अपने उत्कर्ष को प्राप्त किया, जहाँ एक ओर रामकुमार वर्मा जैसे लेखकों ने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, वहीं भुवनेश्वर और मोहन राकेश जैसे साहित्यकारों ने मनोवैज्ञानिक और यथार्थपरक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया।


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