दुनिया एक बार फिर उस मोड़ पर आ खड़ी हुई है जहाँ कूटनीति की विफलता और सामरिक आक्रामकता ने वैश्विक स्थिरता को संकट में डाल दिया है। अमेरिका और ईरान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव ने अब एक नए सैन्य अध्याय का रूप ले लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान को दी गई दो सप्ताह की चेतावनी की मियाद पूरी होते ही अमेरिका ने “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” (Operation Midnight Hammer) नामक एक विशाल और सुनियोजित सैन्य अभियान की शुरुआत की। इस अभियान के तहत अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर एक साथ हमला किया, जिसने मध्य पूर्व के राजनीतिक और सामरिक समीकरणों को हिला कर रख दिया।
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर: एक संक्षिप्त परिचय
“ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” अमेरिका द्वारा शुरू किया गया एक रणनीतिक सैन्य अभियान है जिसका उद्देश्य ईरान के गुप्त परमाणु कार्यक्रम को निर्णायक रूप से नष्ट करना था। इस ऑपरेशन की योजना उच्चतम स्तर पर बनाई गई थी और इसे अंजाम देने के लिए अमेरिका के सबसे उन्नत हथियार और स्टील्थ तकनीकों का इस्तेमाल किया गया। हमले का प्राथमिक लक्ष्य था – ईरान की उन भूमिगत परमाणु सुविधाओं को नष्ट करना, जिनके बारे में अमेरिका को संदेह था कि वे हथियार-स्तर यूरेनियम संवर्धन के लिए प्रयुक्त हो रही थीं।
हमले के लक्ष्य: फोर्डो, नतांज और इस्फहान
ईरान की परमाणु संरचनाओं में फोर्डो, नतांज और इस्फहान सबसे अधिक संवेदनशील और सुरक्षात्मक रूप से संरक्षित ठिकाने हैं। इन ठिकानों को जमीन के नीचे गहराई में बनाया गया है ताकि ये हवाई हमलों से सुरक्षित रहें।
1. फोर्डो परमाणु संयंत्र
यह संयंत्र पर्वतीय क्षेत्र के भीतर स्थित है और इसे ईरान ने अपनी परमाणु रणनीति के सबसे सुरक्षित अंग के रूप में तैयार किया है। इसकी गहराई और संरचना को देखते हुए इसे पारंपरिक बमों से नष्ट करना असंभव समझा जाता है।
2. नतांज यूरेनियम संवर्धन संयंत्र
नतांज ईरान की परमाणु गतिविधियों का हृदयस्थल माना जाता है। यहां हजारों सेंट्रीफ्यूज लगे हैं जो यूरेनियम के संवर्धन का कार्य करते हैं।
3. इस्फहान परमाणु अनुसंधान केंद्र
यह केंद्र अनुसंधान, संवर्धन, और रिएक्टर तकनीक से संबंधित कई गतिविधियों का केंद्र है। इसके माध्यम से ईरान परमाणु रिएक्टरों के लिए ईंधन तैयार करता है।
हमले का साधन: B-2 स्पिरिट स्टील्थ बमवर्षक
इस अभूतपूर्व सैन्य कार्रवाई के केंद्र में था – B-2 स्पिरिट, अमेरिका का अत्यंत उन्नत स्टील्थ बमवर्षक विमान। यह विमान उन चुनिंदा हथियार प्रणालियों में से एक है जो पूरी तरह से रडार से बच निकलने की क्षमता रखता है।
B-2 स्पिरिट: एक परिचय
B-2 स्पिरिट को “फ्लाइंग विंग” डिजाइन पर आधारित किया गया है, जो इसे हवा में कम से कम प्रतिबिंब प्रदान करता है। इसकी सतह विशेष रूप से रेडार-अवशोषक सामग्री से बनी होती है, जिससे यह लगभग अदृश्य बन जाता है।
प्रमुख विशेषताएं:
- स्टील्थ टेक्नोलॉजी: इसका रेडार क्रॉस सेक्शन केवल 0.001 वर्ग मीटर है – जो एक छोटे पक्षी के बराबर है।
- मूल्य और निर्माण: प्रति B-2 की कीमत लगभग 2.1 बिलियन डॉलर है। केवल 21 ऐसे विमान बनाए गए।
- ऑपरेशनल रेंज: बिना ईंधन भराए यह 6,000 मील (9,650 किमी) तक उड़ान भर सकता है।
- हथियार क्षमता: एक मिशन में यह 40,000 पाउंड तक हथियार ले जा सकता है।
विनाशक हथियार: GBU-57 MOP बंकर बस्टर बम
B-2 बमवर्षक ने ईरान पर जो बम गिराए वे थे – GBU-57 Massive Ordnance Penetrator (MOP), जिन्हें विशेष रूप से बंकर बस्टर हमलों के लिए डिजाइन किया गया है।
GBU-57 MOP: तकनीकी विवरण
- वजन: 30,000 पाउंड (13,600 किग्रा)
- लंबाई: 6.25 मीटर
- विस्फोटक सामग्री: 5,300 पाउंड (2,400 किग्रा)
- मार्गदर्शन प्रणाली: GPS आधारित उच्च सटीकता प्रणाली
- पैठ क्षमता: यह बम 60 फीट मोटी ठोस कंक्रीट या 200 फीट मिट्टी को भेद सकता है।
- वाहक विमान: केवल B-2 ही इसे ले जा सकता है, और वह भी एक समय में अधिकतम दो।
इस बम की विशेषता यह है कि यह सीधे जमीन में गहराई तक जाकर विस्फोट करता है, जिससे गुप्त बंकरों, भूमिगत प्रयोगशालाओं और मजबूत संरचनाओं को नष्ट किया जा सके।
ऑपरेशन की योजना, क्रियान्वयन और रणनीति
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर केवल एक रात में हुआ हमला नहीं था, बल्कि एक जटिल, बहुपरत और गोपनीय योजना का परिणाम था, जिसे अमेरिका ने महीनों की तैयारी और सटीक समन्वय के साथ अंजाम दिया। इस खंड में हम इस सैन्य अभियान की रणनीतिक योजना, उसके निष्पादन के चरण, तकनीकी युद्ध-कौशल और लक्ष्य-भेदन की समयबद्धता को विस्तार से समझेंगे। यह हिस्सा इस बात को उजागर करता है कि कैसे आधुनिक सैन्य अभियानों में केवल हथियार नहीं, बल्कि सूचना, चकमा, गोपनीयता और सटीकता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर की घोषणा: एक रणनीतिक विस्फोट
अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने आधिकारिक रूप से “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” की घोषणा की—जो ईरान के परमाणु ढांचे को निशाना बनाने के लिए किया गया एक अत्यंत गोपनीय और सुनियोजित सैन्य अभियान था। यह घोषणा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान को दी गई दो सप्ताह की आत्म-निर्धारित चेतावनी के समाप्त होते ही की गई, जो कि ईरान के प्रति अमेरिकी नीति में एक निर्णायक और नाटकीय बदलाव का संकेत था।
इस ऑपरेशन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका अब केवल चेतावनियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यदि आवश्यक हो, तो वह अपने वैश्विक सैन्य प्रभुत्व और स्टील्थ युद्ध क्षमताओं का प्रयोग भी करेगा।
मिशन के उद्देश्य: सीमित युद्ध, उच्च सटीकता
पेंटागन के अनुसार इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य था – बिना व्यापक युद्ध छेड़े, ईरान की तीन प्रमुख परमाणु सुविधाओं को सटीकता के साथ गंभीर क्षति पहुँचाना। ये लक्ष्य थे:
- फोर्डो (Fordow) – पर्वतीय क्षेत्र में स्थित भूमिगत संवर्धन केंद्र।
- नतांज (Natanz) – यूरेनियम संवर्धन के लिए ईरान का सबसे प्रमुख संयंत्र।
- इस्फहान (Isfahan) – ईंधन निर्माण और अनुसंधान केंद्र।
जनरल डैन कैन, जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष ने इसे “जटिल, उच्च जोखिम वाला और अमेरिका की सैन्य क्षमताओं का श्रेष्ठ उदाहरण” करार दिया।
गोपनीयता और सीमित जानकारी
इस ऑपरेशन की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी अत्यधिक गोपनीयता और सीमित जानकारी का नियंत्रण।
- मिशन के बारे में केवल चुनिंदा शीर्ष अधिकारियों को जानकारी थी।
- पूरे अभियान में संचार, नेविगेशन और समन्वय पूर्णतः कूट रूप में किया गया।
- ईरान को चौंकाकर उसके परमाणु खतरे को निष्क्रिय करना प्राथमिक उद्देश्य था।
हमले की शुरुआत: मध्यरात्रि की तैनाती
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर को अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन द्वारा 21 जून 2025 (अमेरिकी पूर्वी समय) को शाम लगभग 6:40 बजे अंजाम देना शुरू किया गया। यह कार्रवाई ईरान के स्थानीय समय अनुसार 22 जून 2025 की तड़के हुई, जब B-2 बमवर्षकों और टॉमहॉक मिसाइलों ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर निशाना साधा।
अमेरिकी विमान इस अत्यंत गोपनीय मिशन के तहत शुक्रवार रात (21 जून) रवाना हुए और 18 घंटे की उड़ान के बाद मध्य-पूर्व पहुंचे। यह समय निर्धारण इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि यह ऑपरेशन राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा दी गई दो सप्ताह की चेतावनी समाप्त होने के तीन दिन बाद शुरू हुआ, जो कि तेहरान के प्रति अमेरिकी रुख में एक निर्णायक मोड़ का प्रतीक था।
शुक्रवार की मध्यरात्रि, अमेरिका से B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स का एक विशाल बेड़ा रवाना हुआ। यह प्रारंभिक तैनाती ही ऑपरेशन की रणनीतिक गहराई को दर्शाता है:
- कुछ बमवर्षकों को प्रशांत महासागर की ओर भेजा गया ताकि ईरान को भटकाया जा सके।
- मुख्य हमले के लिए 7 B-2 बमवर्षक चुपचाप ईरान की दिशा में बढ़े।
- यह एक 18 घंटे लंबी उड़ान थी जिसमें कई बार इन-फ्लाइट ईंधन भराई की गई।
- मध्य-पूर्व पहुँचने पर फाइटर जेट्स, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और समर्थन विमानों से समन्वय स्थापित किया गया।
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर की समय-रेखा
नीचे दी गई तालिका में ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के प्रमुख चरणों का समय विवरण दिया गया है, जिससे इसकी रणनीतिक समयबद्धता को समझा जा सकता है:
घटना | अमेरिकी समय (EST) | ईरानी समय (IRST) |
---|---|---|
ऑपरेशन की शुरुआत | 21 जून 2025, शाम 6:40 बजे | 22 जून 2025, रात 2:10 बजे |
बमबारी की अवधि | 25 मिनट | 25 मिनट |
ऑपरेशन की समाप्ति | 21 जून 2025, शाम 7:05 बजे | 22 जून 2025, रात 2:35 बजे |
इस संकीर्ण हवाई गलियारे में समन्वय और गुप्त संचरण सैन्य तालमेल की एक बेमिसाल मिसाल बना।
प्रारंभिक हमला: टॉमहॉक मिसाइलों की बौछार
शाम 5:00 बजे (EST) — अमेरिका की एक पनडुब्बी से ईरान के इस्फहान के पास स्थित सतही संरचनाओं और रडार ठिकानों पर 24 से अधिक टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलें दागी गईं।
इस चरण का उद्देश्य था:
- ईरानी रडार और सतह-से-हवा मिसाइल प्रणालियों को निष्क्रिय करना।
- मुख्य हवाई हमले के लिए मार्ग प्रशस्त करना।
- ईरान की एयर डिफेंस को भ्रम में डालना।
इसी क्रम में 4वीं और 5वीं पीढ़ी के अमेरिकी फाइटर जेट्स ने आगे उड़ान भरते हुए ईरान की रक्षा प्रणाली को भटकाया और दमन हथियारों से उसके हवाई खतरों को निष्क्रिय किया।
मुख्य हमला: GBU-57 MOP से सटीक बमबारी
शाम 6:40 से 7:05 बजे (EST) के बीच अमेरिका ने तीनों प्रमुख परमाणु ठिकानों पर सटीक हमले किए।
- पहला GBU-57 MOP बम सीधे फोर्डो पर गिराया गया।
- इसके बाद नतांज और इस्फहान पर भी बारी-बारी से हमला हुआ।
- अंतिम वार फिर से टॉमहॉक मिसाइलों के माध्यम से किया गया।
इन हमलों की घड़ी-दर-घड़ी योजना और सटीक लक्ष्य निर्धारण ने इस ऑपरेशन को असाधारण बना दिया।
सुरक्षित निकासी और शून्य हताहत
हमले के बाद सभी बमवर्षकों ने सुरक्षित रूप से ईरानी हवाई क्षेत्र को छोड़ दिया।
- कोई अमेरिकी हताहत नहीं हुआ।
- कोई विमान क्षतिग्रस्त नहीं हुआ।
- ईरान की ओर से तत्काल कोई प्रतिघात नहीं आया।
पेंटागन ने इस पूरे अभियान को “स्टेल्थ युद्ध का उत्कृष्ट उदाहरण” घोषित किया।
ऑपरेशन का प्रतीकात्मक और सामरिक महत्व
यह सैन्य कार्रवाई केवल तीन ठिकानों पर हमला नहीं थी – यह एक सशक्त राजनीतिक-सामरिक संदेश था:
- अमेरिका अब केवल कूटनीतिक बयानबाज़ी पर निर्भर नहीं रहेगा।
- यह मिशन अत्याधुनिक स्टील्थ टेक्नोलॉजी, सैन्य समन्वय और वैश्विक हमले की क्षमता का प्रतीक बन गया है।
- यह अमेरिका-ईरान संबंधों में एक निर्णायक मोड़ है।
इस ऑपरेशन को अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठान द्वारा “संयुक्त संचालन की उच्चतम सफलता” माना गया है – एक ऐसा मिशन जिसने बिना पारंपरिक युद्ध के, गहरे सामरिक उद्देश्य साध लिए।
अमेरिका द्वारा हमले का कारण
अमेरिका ने यह सैन्य अभियान इसलिए शुरू किया क्योंकि उसे यह भरोसा था कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। हालाँकि ईरान ने बार-बार यह दावा किया कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन अमेरिका और उसके सहयोगियों को इस पर संदेह था।
राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि यदि उसने यूरेनियम संवर्धन या परमाणु हथियारों के विकास की दिशा में कदम बढ़ाए तो उसे परिणाम भुगतने होंगे। जब ईरान ने इस चेतावनी की अनदेखी की और IAEA निरीक्षकों को कुछ स्थलों से बाहर रखा, तो अमेरिका ने यह निर्णय लिया कि केवल कूटनीति अब पर्याप्त नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के बाद वैश्विक स्तर पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई।
संयुक्त राष्ट्र:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपात बैठक बुलाई गई। रूस और चीन ने अमेरिका के इस कदम की आलोचना की, जबकि फ्रांस और ब्रिटेन ने इसे “सुरक्षा चिंताओं की अतिवादी प्रतिक्रिया” कहा।
यूरोपीय संघ:
यूरोपीय संघ ने इस हमले को “बेहद खतरनाक” बताया और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की।
इस्राइल और सऊदी अरब:
इन देशों ने अमेरिका की कार्रवाई का समर्थन किया और कहा कि इससे क्षेत्र में ईरानी विस्तारवाद को लगाम लगेगा।
संभावित परिणाम और खतरे
1. युद्ध की आशंका
हमले के बाद ईरान ने कहा है कि यह “युद्ध की घोषणा” है और वह इसका बदला लेगा। इसके चलते क्षेत्रीय युद्ध छिड़ने की प्रबल संभावना बन गई है।
2. हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य का संकट
ईरान ने संकेत दिया है कि वह होरमुज़ जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है – यह वही जलमार्ग है जिससे विश्व का 20% तेल गुजरता है। इसकी बंदी से वैश्विक तेल आपूर्ति चरमरा सकती है और कीमतें आसमान छू सकती हैं।
3. शरणार्थी संकट
यदि युद्ध छिड़ता है तो लाखों नागरिकों को अपने घर छोड़ने पड़ सकते हैं। इससे शरणार्थी संकट गहरा होगा और मानवता पर एक और संकट मंडराएगा।
4. वैश्विक आर्थिक प्रभाव
तेल की कीमतों में उछाल, वित्तीय बाजारों की अस्थिरता, व्यापार मार्गों की सुरक्षा और निवेशकों की अनिश्चितता – ये सभी कारक वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भारी असर डाल सकते हैं।
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर केवल एक सैन्य अभियान नहीं है – यह आधुनिक कूटनीति की विफलता, तकनीकी सैन्य श्रेष्ठता और वैश्विक शक्ति संतुलन की एक भयावह तस्वीर भी है। ईरान और अमेरिका के बीच यह संघर्ष केवल दो देशों की कहानी नहीं है, बल्कि इसके प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ेगें।
अब यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर निर्भर करता है कि वह इस तनाव को कितना जल्दी और कैसे सुलझा पाता है। यदि जल्द ही समाधान नहीं निकाला गया, तो मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध की आग में जल सकता है – जिसका धुआं पूरी मानवता को प्रभावित करेगा।
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