कुलसी नदी और जलविद्युत परियोजना पर विवाद

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम और मेघालय के बीच बहने वाली कुलसी नदी आज एक गहन पर्यावरणीय और विकासात्मक बहस का केंद्र बन चुकी है। हाल ही में इन दोनों राज्यों की सरकारों ने इस नदी पर 55 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना स्थापित करने का निर्णय लिया है। लेकिन यह निर्णय पर्यावरणविदों और संरक्षणकर्ताओं के बीच चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि यह नदी न केवल जैवविविधता का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि यह गंगा नदी डॉल्फ़िन जैसे संकटग्रस्त प्रजातियों का प्रजनन क्षेत्र भी है।

इस लेख में हम कुलसी नदी के भौगोलिक, पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्व का विश्लेषण करते हुए यह समझने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार यह जलविद्युत परियोजना पर्यावरणीय असंतुलन और जैव विविधता के लिए खतरा बन सकती है।

Table of Contents

कुलसी नदी का परिचय

कुलसी नदी, ब्रह्मपुत्र की एक दक्षिणी सहायक नदी (South-bank tributary) है, जो असम और मेघालय राज्यों में फैली हुई है। यह नदी भौगोलिक दृष्टि से जितनी महत्त्वपूर्ण है, उतनी ही पारिस्थितिक रूप से भी संवेदनशील है। इसका जल प्रवाह, स्थानीय जनजातीय जीवन, वन्यजीवों की विविधता और नदी तंत्र पर गहरा प्रभाव डालता है।

कुलसी नदी का उद्गम और प्रवाह मार्ग

कुलसी नदी तीन प्रमुख धाराओं—ख्री (Khri), कृष्णिया (Krishniya) और उमसिरी (Umsiri)—के संगम से बनती है। ये तीनों धाराएँ मेघालय के पश्चिम खासी पहाड़ियों (West Khasi Hills) से लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई से निकलती हैं और प्रारंभ में उत्तर दिशा में बहती हैं।

  • ऊपरी क्षेत्र में यह नदी “ख्री” नाम से जानी जाती है।
  • कृष्णिया और उमसिरी नदियों से संगम के पश्चात यह नदी “कुलसी” नाम धारण करती है।
  • इसके बाद यह उत्तर-पश्चिम की ओर मुड़ती है और असम के उकियम (Ukium) क्षेत्र में प्रवेश करती है।
  • फिर यह नदी कामरूप जिले के मैदानी क्षेत्रों से गुजरती हुई कुलसी गांव से बहती है।
  • अंततः यह नदी नगरबेरा (Nagarbera) के पास ब्रह्मपुत्र नदी में विलीन हो जाती है।

कुलसी नदी | भौगोलिक आँकड़े और विस्तार

कुलसी नदी की कुल लंबाई लगभग 220 किलोमीटर है:

  • इसमें से लगभग 100 किलोमीटर मेघालय में और
  • लगभग 120 किलोमीटर असम में स्थित है।

इसका कुल अपवाह क्षेत्र (Catchment Area) लगभग 3770 वर्ग किलोमीटर है:

  • इसमें 685 वर्ग किमी का मैदानी क्षेत्र (मुख्यतः असम) और
  • 3085 वर्ग किमी का पहाड़ी क्षेत्र (मुख्यतः मेघालय और आंशिक असम) शामिल है।

कुलसी नदी का पारिस्थितिक महत्व

कुलसी नदी जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। विशेष रूप से यह नदी संकटग्रस्त गंगा नदी डॉल्फ़िन (Platanista gangetica gangetica) के लिए एक प्रमुख प्रजनन स्थल मानी जाती है। इन डॉल्फ़िनों को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है और इन्हें IUCN की रेड लिस्ट में “संकटग्रस्त” (Endangered) श्रेणी में रखा गया है।

यह नदी विभिन्न प्रकार की मछलियों, उभयचर प्रजातियों, कछुओं और प्रवासी पक्षियों का भी आश्रय स्थल है। इसके साथ-साथ यह क्षेत्रीय जलवायु संतुलन और स्थानीय जनजातीय जीवन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कुलसी नदी | सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

कुलसी नदी केवल पारिस्थितिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी स्थानीय समुदायों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। खासकर खासी और गारो जनजातियों के लिए यह नदी जीवन का अंग है। वे इसके जल का उपयोग कृषि, मत्स्य पालन, और धार्मिक अनुष्ठानों में करते हैं। नदी के किनारे कई परंपरागत मेले और त्योहार आयोजित होते हैं, जो स्थानीय संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं।

प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना: तथ्य और योजनाएँ

असम और मेघालय सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से कुलसी नदी पर एक 55 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना की योजना बनाई गई है। इस परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र में बिजली उत्पादन, ग्रामीण विकास और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना है।

परियोजना के अंतर्गत मुख्यतः निम्नलिखित निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं:

  • एक प्रमुख जलाशय (Reservoir)
  • जल रोकने हेतु बाँध (Dam Structure)
  • विद्युत उत्पादन हेतु टरबाइन संयंत्र (Turbine Houses)
  • ट्रांसमिशन लाइनें (Transmission Network)

कुलसी नदी | पर्यावरणीय चिंताएं

हालांकि सरकारें इसे विकास का प्रतीक मान रही हैं, लेकिन पर्यावरणविदों और संरक्षणकर्ताओं ने इस परियोजना के प्रति गहरी आपत्तियाँ जताई हैं। प्रमुख चिंताएं निम्नलिखित हैं:

1. गंगा डॉल्फ़िन के लिए खतरा

कुलसी नदी गंगा डॉल्फ़िनों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल है। बांध निर्माण से नदी का प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध होगा, जिससे इन जलीय जीवों के जीवन चक्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

2. जैव विविधता पर संकट

नदी में पाई जाने वाली अन्य प्रजातियाँ जैसे कि कछुए, उभयचर, और मछलियाँ जल प्रवाह में परिवर्तन के कारण या तो विस्थापित हो जाएंगी या विलुप्ति के कगार पर पहुँच जाएंगी।

3. स्थानीय जनजातीय समुदायों की आजीविका

मत्स्य पालन और कृषि पर निर्भर समुदायों की जीवनशैली इस परियोजना से प्रभावित होगी। जल स्रोत के स्वरूप में परिवर्तन से सिंचाई व्यवस्था बाधित हो सकती है।

4. भूस्खलन और पारिस्थितिक असंतुलन

मेघालय जैसे भूकंपीय क्षेत्र में भारी निर्माण कार्य भू-स्खलन और भूकंप के खतरे को बढ़ा सकता है। जलाशय का निर्माण आसपास की भूमि पर दीर्घकालीन दुष्प्रभाव छोड़ सकता है।

कुलसी नदी | कानूनी और नीति पक्ष

भारत में पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (Environmental Impact Assessment – EIA) एक आवश्यक प्रक्रिया है, जो किसी भी परियोजना को मंजूरी देने से पहले उसके संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करती है।

कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कुलसी जलविद्युत परियोजना के लिए अभी तक पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन को पारदर्शी रूप से पूरा नहीं किया गया है। यह प्रश्न उठता है कि:

  • क्या सार्वजनिक परामर्श (Public Consultation) किया गया?
  • क्या गंगा डॉल्फ़िन की सुरक्षा हेतु वैकल्पिक मार्ग तलाशे गए?
  • क्या यह परियोजना पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अधिनियम 2006 का पालन करती है?

कुलसी नदी | वैकल्पिक दृष्टिकोण और समाधान

पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित समाधान प्रस्तावित किए जा सकते हैं:

1. मिनी या माइक्रो हाइडल परियोजनाएँ

बड़े बाँधों की बजाय छोटे स्तर की जलविद्युत परियोजनाएँ बनाई जा सकती हैं, जो कम भूमि और पारिस्थितिक हानि के साथ ऊर्जा उत्पादन सुनिश्चित कर सकती हैं।

2. गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग

सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिनका पर्यावरणीय प्रभाव न्यूनतम होता है।

3. गंगा डॉल्फ़िन संरक्षण योजना के साथ सामंजस्य

केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही “गंगा डॉल्फ़िन संरक्षण योजना” को इस परियोजना में समाहित किया जा सकता है ताकि विकास और संरक्षण एक साथ चल सकें।

कुलसी नदी पर प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना एक बार फिर उस यक्ष प्रश्न को सामने लाती है—क्या विकास के लिए हमें पर्यावरण की बलि देनी चाहिए? यह एक निर्णय नहीं, बल्कि दिशा है, जो आने वाले वर्षों में न केवल प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति को निर्धारित करेगी, बल्कि भावी पीढ़ियों के अस्तित्व को भी प्रभावित करेगी।

सरकारों को यह समझना होगा कि सतत विकास (Sustainable Development) केवल आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन और सामाजिक समावेशन से भी जुड़ा है। कुलसी नदी पर होने वाला प्रत्येक निर्माण, वहाँ की जैवविविधता, संस्कृति और जीवन शैली पर सीधा प्रभाव डालेगा।

इसलिए, आज आवश्यकता है कि हम इस मुद्दे पर वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, स्थानीय समुदायों और नीति निर्माताओं के बीच व्यापक संवाद स्थापित करें और कुलसी जैसी नदियों को भविष्य के लिए संरक्षित करें।

📌 अनुशंसाएँ (Recommendations):

  1. परियोजना को तब तक स्थगित किया जाए जब तक विस्तृत पर्यावरणीय अध्ययन और सार्वजनिक परामर्श न हो जाए।
  2. गंगा डॉल्फ़िन के संरक्षण हेतु एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति की जाए।
  3. स्थानीय समुदायों की सहमति और भागीदारी के बिना किसी भी निर्माण कार्य को आगे न बढ़ाया जाए।
  4. परियोजना के लिए वैकल्पिक स्थानों और ऊर्जा स्रोतों पर भी विचार किया जाए।

Geography – KnowledgeSthali
Current Affairs – KnowledgeSthali


इन्हें भी देखें –

Leave a Comment

Table of Contents

Contents
सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.