कोपरा जलाशय: छत्तीसगढ़ का पहला रामसर स्थल – संरक्षण, समुदाय और सतत विकास

छत्तीसगढ़ ने पर्यावरण संरक्षण और आर्द्रभूमि प्रबंधन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। बिलासपुर जिले में स्थित कोपरा जलाशय को राज्य का पहला रामसर स्थल घोषित किया जाना न केवल छत्तीसगढ़ के लिए, बल्कि भारत की आर्द्रभूमि संरक्षण यात्रा के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस मान्यता के साथ छत्तीसगढ़ अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों के वैश्विक मानचित्र पर उभरकर सामने आया है। यह उपलब्धि जैव विविधता संरक्षण, सतत जल प्रबंधन, स्थानीय समुदायों की आजीविका और जलवायु सहनशीलता के प्रति राज्य तथा देश की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करती है।

रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत किसी भी आर्द्रभूमि को सूचीबद्ध किया जाना केवल उसकी प्राकृतिक सुंदरता या जैव विविधता का प्रमाण नहीं होता, बल्कि यह दर्शाता है कि वह स्थल मानव और प्रकृति के बीच संतुलन स्थापित करने में सक्षम है। कोपरा जलाशय इस कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरता है।

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रामसर कन्वेंशन: एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि

रामसर कन्वेंशन 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य विश्व की महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों का संरक्षण और उनका विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना है। यह कन्वेंशन विशेष रूप से जल पक्षियों के आवास के रूप में महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों पर केंद्रित रहा है, परंतु समय के साथ इसका दायरा विस्तृत होकर जल संसाधन प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने तक फैल गया है।

भारत 1982 में रामसर कन्वेंशन का पक्षकार बना और तब से अब तक देश में कई आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल चुकी है। कोपरा जलाशय का इस सूची में शामिल होना छत्तीसगढ़ के लिए पहली उपलब्धि है, जो राज्य की पर्यावरणीय प्राथमिकताओं को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करती है।

कोपरा जलाशय: भौगोलिक एवं प्राकृतिक परिचय

कोपरा जलाशय छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित है और यह एक मीठे पानी की आर्द्रभूमि प्रणाली के रूप में विकसित हुआ है। इसकी संरचना और कार्यप्रणाली में प्राकृतिक तथा मानव-निर्मित दोनों तत्वों का समावेश देखने को मिलता है।

प्रमुख भौगोलिक विशेषताएँ

  • यह जलाशय मुख्यतः वर्षा पर आधारित (Rain-fed) है।
  • इसे आसपास की छोटी मौसमी धाराओं से जल प्राप्त होता है।
  • अर्ध-ग्रामीण क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह स्थानीय आबादी के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है।
  • इसका जलग्रहण क्षेत्र प्राकृतिक वनस्पति और कृषि भूमि का मिश्रण है, जो इसे पारिस्थितिक रूप से समृद्ध बनाता है।

इन विशेषताओं के कारण कोपरा जलाशय न केवल जल संग्रहण का साधन है, बल्कि एक जीवंत पारिस्थितिक तंत्र के रूप में कार्य करता है।

रामसर मान्यता की घोषणा

12 दिसंबर 2025 को कोपरा जलाशय को आधिकारिक रूप से रामसर स्थल घोषित किया गया। यह मान्यता अचानक नहीं मिली, बल्कि इसके पीछे वर्षों की तैयारी, वैज्ञानिक अध्ययन और सामुदायिक सहभागिता रही।

मान्यता के पीछे सामूहिक प्रयास

  • राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण द्वारा समन्वित योजना
  • वन विभाग के अधिकारियों की सक्रिय भूमिका
  • पर्यावरण विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं द्वारा विस्तृत जैव विविधता सर्वेक्षण
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी और संरक्षण के प्रति जागरूकता

इन सभी के संयुक्त प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि कोपरा जलाशय रामसर कन्वेंशन के मानदंडों को पूरा कर सके।

कोपरा जलाशय की संरचनात्मक एवं पारिस्थितिक विशेषताएँ

कोपरा जलाशय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह प्राकृतिक और मानव-निर्मित तत्वों का संतुलित मिश्रण प्रस्तुत करता है।

संरचनात्मक विशेषताएँ

  • जलाशय की जलधारण क्षमता मौसमी वर्षा पर निर्भर करती है।
  • आसपास की धाराएँ और नालियाँ इसे निरंतर जल आपूर्ति प्रदान करती हैं।
  • मानव-निर्मित तटबंध और संरचनाएँ जल प्रबंधन को सुदृढ़ बनाती हैं।

पारिस्थितिक विशेषताएँ

  • जलीय वनस्पतियों की प्रचुरता, जो मछलियों और अन्य जीवों के लिए आवास प्रदान करती है।
  • मछलियों, उभयचरों, सरीसृपों और कीटों की विविध प्रजातियाँ।
  • आसपास के क्षेत्रों में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक भूमिका।
  • स्थानीय जलवायु को नियंत्रित करने और जल चक्र को संतुलित रखने में योगदान।

यही विशेषताएँ इसे एक Ecological Hotspot बनाती हैं।

जैव विविधता का संरक्षण: एक जीवंत प्रयोगशाला

कोपरा जलाशय को केवल एक जल संग्रहण संरचना के रूप में देखना इसकी वास्तविक महत्ता को कम करके आंकना होगा। यह क्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण की एक जीवंत प्रयोगशाला है।

जलीय जैव विविधता

  • विभिन्न प्रकार की देशी मछलियाँ
  • उभयचर प्रजातियाँ, जो जल और थल दोनों पर निर्भर करती हैं
  • सरीसृप और कीट, जो खाद्य श्रृंखला का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं

वनस्पति विविधता

  • तैरती हुई जलीय वनस्पतियाँ
  • तटीय घास और झाड़ियाँ
  • जल शुद्धिकरण में सहायक पौधे

यह जैव विविधता न केवल पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखती है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी अप्रत्यक्ष रूप से उपयोगी है।

प्रवासी और दुर्लभ पक्षियों का प्रमुख आवास

रामसर मान्यता में पक्षी जैव विविधता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। कोपरा जलाशय इस दृष्टि से भी विशेष है।

प्रमुख पक्षी प्रजातियाँ

  • रिवर टर्न (River Tern)
  • कॉमन पोचार्ड (Common Pochard)
  • मिस्री गिद्ध (Egyptian Vulture)

यह जलाशय प्रवासी पक्षियों के लिए एक सुरक्षित शीतकालीन पड़ाव के रूप में कार्य करता है। वैश्विक प्रवासन मार्गों पर इसकी स्थिति इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बनाती है। दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों की उपस्थिति ने इसकी रामसर मान्यता को और सुदृढ़ किया।

स्थानीय समुदाय और आजीविका में भूमिका

कोपरा जलाशय का महत्व केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक भी है।

स्थानीय लोगों को होने वाले लाभ

  • पीने के पानी की आपूर्ति
  • कृषि भूमि के लिए सिंचाई सुविधा
  • खाद्य सुरक्षा में योगदान
  • ग्रामीण आजीविका को समर्थन, विशेषकर मत्स्य पालन के माध्यम से
  • मौसमी जल संकट से निपटने में सहायता

यह जलाशय मानव आवश्यकताओं और प्राकृतिक पारिस्थितिकी सेवाओं के बीच संतुलन का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है, जो रामसर दर्शन का मूल सिद्धांत है।

जलवायु परिवर्तन और कोपरा जलाशय की भूमिका

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चुनौती के रूप में उभर रहा है। आर्द्रभूमियाँ इस चुनौती से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

जलवायु सहनशीलता में योगदान

  • वर्षा जल का संरक्षण और भूजल पुनर्भरण
  • बाढ़ और सूखे के प्रभाव को कम करना
  • स्थानीय तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करना

कोपरा जलाशय का संरक्षण छत्तीसगढ़ की जलवायु अनुकूलन रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण घटक बन सकता है।

छत्तीसगढ़ अंजर (Anjor) विजन 2047 और आर्द्रभूमि संरक्षण

छत्तीसगढ़ सरकार ने अंजर विजन 2047 के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं।

प्रमुख लक्ष्य

  • वर्ष 2030 तक 20 आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल का दर्जा दिलाना
  • जैव विविधता संरक्षण को विकास नीतियों के साथ जोड़ना
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी को सशक्त बनाना

कोपरा जलाशय का रामसर सूची में शामिल होना इस दिशा में पहला और अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। यह राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है:

  • वैश्विक पर्यावरण मानकों के प्रति
  • आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए
  • सतत और समावेशी विकास की दिशा में

प्रशासनिक और नीतिगत महत्व

रामसर मान्यता के बाद कोपरा जलाशय के प्रबंधन में नीतिगत स्तर पर भी बदलाव अपेक्षित हैं।

  • संरक्षण और विकास के बीच संतुलन
  • वैज्ञानिक निगरानी और डेटा आधारित निर्णय
  • स्थानीय समुदायों के साथ साझेदारी

यह मान्यता राज्य प्रशासन के लिए एक जिम्मेदारी भी है कि वह इस धरोहर को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखे।

निष्कर्ष

कोपरा जलाशय का छत्तीसगढ़ का पहला रामसर स्थल बनना केवल एक प्रतीकात्मक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह राज्य के पर्यावरणीय दृष्टिकोण, सामुदायिक सहभागिता और सतत विकास की सोच का प्रमाण है। यह जलाशय दिखाता है कि किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करते हुए मानव आवश्यकताओं और पारिस्थितिकी संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित किया जा सकता है।

भविष्य में यदि अंजर विजन 2047 के लक्ष्यों को इसी प्रतिबद्धता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ाया गया, तो छत्तीसगढ़ न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आर्द्रभूमि संरक्षण का एक आदर्श मॉडल बन सकता है।


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