थीटू द्वीप | दक्षिण चीन सागर में उभरता सामरिक संकट

दक्षिण चीन सागर वैश्विक समुद्री भू-राजनीति का एक अत्यंत संवेदनशील और जटिल क्षेत्र है। यह क्षेत्र न केवल प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नौवहन मार्गों का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसी समुद्री क्षेत्र में स्थित है थीटू द्वीप (Thitu Island), जिसे फिलीपींस में Pag-asa Island के नाम से जाना जाता है। हाल ही में इस द्वीप के पास एक चीनी जहाज के फंसने की घटना ने क्षेत्रीय तनाव को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह घटना केवल एक समुद्री दुर्घटना नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव क्षेत्रीय सामरिक संतुलन, कूटनीतिक संबंधों और सुरक्षा रणनीतियों पर भी स्पष्ट रूप से पड़ता है।

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ताज़ा घटना: एक संकेतक या रणनीतिक संदेश?

2025 की गर्मियों में दक्षिण चीन सागर में उस समय हलचल मच गई जब फिलीपीन–नियंत्रित थीटू द्वीप के पास उथले पानी में एक चीनी जहाज तूफानी मौसम के कारण फंस गया। यह दुर्घटना ऐसे क्षेत्र में हुई जो कि विवादित समुद्री सीमा के अंतर्गत आता है, जहां पर फिलीपींस, चीन, वियतनाम, ताइवान और मलेशिया विभिन्न द्वीपों पर दावा करते हैं। इस घटना के बाद फिलीपीन सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह केवल मौसम की मार नहीं थी, बल्कि संभवतः एक रणनीतिक निगरानी प्रयास भी हो सकता है।

फिलीपींस के रक्षा अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि इस तरह की गतिविधियाँ चीन द्वारा अपने समुद्री दावों को बलपूर्वक स्थापित करने की रणनीति का हिस्सा हो सकती हैं। जबकि चीन ने इस घटना को “दुर्घटनावश” बताया है, लेकिन इससे यह प्रश्न अवश्य उठता है कि क्यों एक चीनी जहाज इस संवेदनशील इलाके के इतने निकट मौजूद था।

थीटू द्वीप: भौगोलिक स्थिति और महत्व

भौगोलिक स्थिति

थीटू द्वीप, जिसे Pag-asa Island कहा जाता है, दक्षिण चीन सागर के Spratly Islands नामक द्वीपसमूह का हिस्सा है। यह Spratly द्वीपों का प्राकृतिक रूप से दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है और फिलीपींस द्वारा नियंत्रित कुल नौ द्वीपों में सबसे प्रमुख माना जाता है।

यह द्वीप समुद्र तल से कुछ मीटर ही ऊँचा है, लेकिन इसकी रणनीतिक स्थिति बेहद महत्वपूर्ण है। यह चीन के Subi Reef से केवल 24–27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहाँ चीन ने विशाल सैन्य आधार बनाया हुआ है, जिसमें रनवे, मिसाइल साइलो और रडार सिस्टम शामिल हैं।

प्रशासनिक नियंत्रण

फिलीपींस ने 1971 में थीटू द्वीप पर नियंत्रण स्थापित किया था। इसके बाद 1990 के दशक में यहां स्थायी नागरिक बसाहट शुरू की गई। फिलीपींस सरकार द्वारा इसे अपने Palawan प्रांत का हिस्सा घोषित किया गया है और यहां फिलीपीन झंडा भी लहराया जाता है।

इस द्वीप पर एक स्कूल, एक छोटा अस्पताल, Rancudo हवाई अड्डा, एक बंदरगाह, और एक प्रकाशस्तंभ (lighthouse) जैसी नागरिक सुविधाएं मौजूद हैं। लगभग 200 से अधिक नागरिक यहाँ स्थायी रूप से रहते हैं, जिनमें से अधिकांश मछुआरे और उनके परिवार हैं।

राजनीतिक और सामरिक स्थिति

विवाद की जड़: संप्रभुता के दावे

Spratly Islands पर छह देशों – चीन, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और फिलीपींस – ने अपने-अपने संप्रभुता के दावे किए हैं। चीन ने पूरे दक्षिण चीन सागर पर “नाइन डैश लाइन” के माध्यम से दावा ठोंका है, जो अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून, विशेषकर UNCLOS (United Nations Convention on the Law of the Sea) के नियमों का उल्लंघन करता है।

फिलीपींस, जिसने 2016 में अंतरराष्ट्रीय पंचाट में चीन के खिलाफ मुकदमा जीता था, ने इस द्वीप पर अपनी उपस्थिति को सशक्त बनाया है। थीटू द्वीप पर फिलीपींस की सैन्य तैनाती और नागरिक गतिविधियाँ इसके दावे को वैधता देती हैं।

सामरिक महत्त्व

थीटू द्वीप की स्थिति न केवल एक रणनीतिक चौकी के रूप में देखी जाती है, बल्कि यह एक “फॉरवर्ड ऑपरेशनल बेस” की तरह कार्य करता है, जिससे पूरे दक्षिण चीन सागर पर निगरानी रखी जा सकती है।

यह द्वीप उन कुछ क्षेत्रों में से है जहाँ से फिलीपींस, चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव की निगरानी कर सकता है। Subi Reef पर चीन के सैन्य निर्माण के निकट होने के कारण, यह द्वीप एक संभावित टकराव बिंदु बन गया है।

नागरिक और सामाजिक जीवन

थीटू द्वीप की एक अनूठी विशेषता यह है कि यह सैन्य चौकी के साथ-साथ एक स्थायी नागरिक आबादी वाला द्वीप भी है। यहाँ की आबादी मुख्यतः मछली पकड़ने, नारियल उत्पादन और छोटे व्यापारों पर निर्भर करती है। फिलीपींस सरकार समय-समय पर यहां नागरिक सुविधाओं का विस्तार करती रहती है ताकि द्वीप पर जीवन को और स्थायी बनाया जा सके।

यहां एक छोटा पब्लिक स्कूल, एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, और जल निकासी प्रणाली भी विकसित की गई है। ये सभी विकास इस उद्देश्य से किए गए हैं कि द्वीप पर स्थायी बस्ती बनाए रखने के साथ-साथ राजनीतिक संप्रभुता को भी प्रदर्शित किया जा सके।

विवाद और समुद्री कानून

क्षेत्रीय दावे

Spratly Islands पर चीन, फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान, मलेशिया और ब्रुनेई द्वारा दावे किए गए हैं। चीन अपनी तथाकथित “Nine-Dash Line” के माध्यम से इस क्षेत्र पर व्यापक दावा करता है, जो UNCLOS (United Nations Convention on the Law of the Sea) के प्रावधानों के प्रतिकूल है।

2016 का अंतरराष्ट्रीय पंचाट निर्णय

2013 में फिलीपींस ने Permanent Court of Arbitration (PCA) में चीन के खिलाफ शिकायत दायर की थी। 2016 में अदालत ने निर्णय दिया कि चीन का दावा अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप नहीं है। बावजूद इसके, चीन ने इस निर्णय को खारिज कर अपनी गतिविधियाँ जारी रखीं।

ताज़ा घटना का विश्लेषण: जून 2025 की घटना

जून 2025 में थीटू द्वीप के निकट एक चीनी जहाज के फँसने की घटना ने फिलीपींस की सेना को उच्च सतर्कता की स्थिति में पहुँचा दिया। यद्यपि चीन ने इस घटना को मौसमजन्य दुर्घटना बताया, किंतु यह घटना फिलीपींस के लिए एक रणनीतिक चेतावनी मानी जा रही है। यह घटना ‘कूटनीतिक अवरोध’ के एक उदाहरण के रूप में देखी जा सकती है जहाँ एक देश “आपदा” के आवरण में सैन्य और निगरानी उपस्थिति दर्ज कराता है।

नागरिक उपस्थिति और संप्रभुता

फिलीपींस सरकार द्वारा थीटू द्वीप पर नागरिक सुविधाओं का विकास एक सुनियोजित रणनीति है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश दिया जा सके कि यह क्षेत्र केवल सैन्य नियंत्रण का विषय नहीं, बल्कि स्थायी और शांतिपूर्ण नागरिक जीवन का भी केंद्र है। नागरिकों की उपस्थिति अंतरराष्ट्रीय न्याय व्यवस्था में स्थायित्व के सिद्धांत (Doctrine of Effectivité) को बल देती है।

क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

फिलीपींस की नीति

फिलीपींस ने अपने रुख में हाल के वर्षों में बदलाव किया है। पहले की सरकारों ने चीन के साथ टकराव से बचने की नीति अपनाई थी, लेकिन वर्तमान नेतृत्व ने अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सख्त कूटनीतिक और सैन्य रुख अपनाया है।

चीनी जहाज की हालिया घटना के बाद, फिलीपींस ने अपने गश्ती अभियानों को तेज कर दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की मांग की है। साथ ही, अमेरिका और अन्य मित्र देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास भी शुरू किए गए हैं।

चीन की प्रतिक्रिया

चीन इस पूरे मुद्दे को अपनी “राष्ट्रीय संप्रभुता” का मामला बताता है। वह दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर अपना दावा करता है और Spratly द्वीपों पर सैन्य निर्माण को “रक्षात्मक कदम” कहकर उचित ठहराता है।

हालांकि, उसकी आक्रामक नौसैनिक नीति और मछली पकड़ने वाले जहाजों की बड़ी संख्या में उपस्थिति को अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने “ग्रे ज़ोन टैक्टिक्स” यानी अस्पष्ट युद्ध रणनीति के रूप में परिभाषित किया है।

ASEAN और पड़ोसी राष्ट्रों की भूमिका

ASEAN देशों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कई राष्ट्र चीन के साथ व्यापारिक संबंधों के कारण स्पष्ट विरोध नहीं करते, किंतु निजी तौर पर समुद्री संप्रभुता की रक्षा के पक्ष में हैं। फिलीपींस, वियतनाम, और मलेशिया जैसे देशों ने संयुक्त सैन्य अभ्यासों और गश्ती अभियानों में भाग लिया है।

संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी प्रतिक्रिया

अमेरिका ने “Freedom of Navigation Operations” के माध्यम से दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों का प्रतिरोध किया है। अमेरिका और फिलीपींस के बीच रक्षा समझौते भी इस दिशा में और अधिक प्रभावी हुए हैं।

संभावित समाधान और नीति सुझाव

  • Code of Conduct (CoC): ASEAN और चीन के बीच लंबे समय से एक साझा आचार संहिता प्रस्तावित है, जिसे प्रभावी बनाना अति आवश्यक है।
  • सार्वजनिक कूटनीति: नागरिक बस्तियों, शिक्षा, और सामाजिक विकास के माध्यम से क्षेत्रीय संप्रभुता को शांतिपूर्ण रूप से स्थापित किया जा सकता है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, और अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठनों को इस मुद्दे में मध्यस्थता की भूमिका निभानी चाहिए।

भविष्य की दिशा और समाधान की संभावनाएं

थीटू द्वीप की घटनाएँ दर्शाती हैं कि दक्षिण चीन सागर में स्थिति अभी और अधिक जटिल हो सकती है। इस द्वीप पर बढ़ती सैन्य उपस्थिति, गश्त, और दावे केवल एक द्वीप तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करते हैं।

इस क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए आवश्यक है कि सभी पक्ष संवाद, सहयोग और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करें। ASEAN देशों के बीच साझा समुद्री आचार संहिता (Code of Conduct) को प्रभावी बनाना इस दिशा में एक अहम कदम हो सकता है।

थीटू द्वीप एक छोटा सा द्वीप है, लेकिन इसका महत्व अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति में अत्यंत बड़ा है। दक्षिण चीन सागर के इस टुकड़े पर नियंत्रण केवल एक सामरिक स्थान के नियंत्रण की बात नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की संप्रभुता, आर्थिक अधिकार, और अंतरराष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था का भी मुद्दा है।

हालिया घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि आने वाले वर्षों में थीटू द्वीप और इससे जुड़े विवाद एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा को परखने वाले प्रमुख बिंदु बन सकते हैं। ऐसे में आवश्यक है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर गंभीरता से ध्यान दे और एक न्यायसंगत, शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान की दिशा में पहल करे।

संदर्भ (References)

  1. United Nations Convention on the Law of the Sea (UNCLOS), 1982
  2. Permanent Court of Arbitration, PCA Case No. 2013-19 (Philippines v. China), 2016
  3. Asia Maritime Transparency Initiative (AMTI), Center for Strategic and International Studies
  4. Official Gazette, Republic of the Philippines, Department of Foreign Affairs
  5. Global Times (China), Editorial Responses on South China Sea
  6. Jane’s Defence Weekly – Spratly Islands Military Analysis (2024–25)

Polity – KnowledgeSthali
Current Affairs – KnowledgeSthali


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